Chudhail wala mod - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

चुड़ैल वाला मोड़ - 10

तभी माँ के चीखने की आवाज़ कानों में पड़ी | पापा और संकेत दोनों ही बिस्तर से कूद कर भागे | हॉल में माँ बुत बनी खड़ी थी और हाथ से छूट कर गिरे कांच के गिलास का शीशा माँ के इर्द गिर्द बिखर रहा था |

"क्या हुआ माँ ?" संकेत आते ही बोला |

इतने में कमरे में सोई हुई सोनम भी बाहर आई," क्या हुआ ?"

पर माँ थीं कि कुछ बोलने की स्थिति में ही नहीं थीं, चुपचाप संकेत के हाथ के इशारे पर सोफे पर बैठ गई, पानी पीने को बोला तो पी लिया | जैसे कोई काठ की गुड़िया | पापा ने ज़ोर से माँ को झकझोरा तो ज़ोर से चीखीं और पापा की बाहों में बिखर गईं | सोफे पर लेटी हुई माँ और उन के एक तरफ खड़ा संकेत बस यही सोच पा रहा था कि आखिर ऐसा क्या गलत कर दिया मैंने, जिसकी सजा मेरे हर करीबी को उठानी पड़ रही है | एक सदमा सा लगा था उसे तभी एक हाथ संकेत के कंधे पर पड़ा | सोनम ठीक पीछे ही खड़ी थी | उसने बिना कुछ कहे संकेत को गले से लगा लिया और वो एक छोटे बच्चे की तरह उसके आँचल में सिमट गया |

माँ अभी भी बेहोश ही थी | जैसे ही माँ ने हलकी सी हलचल की, संकेत उन के हाथ के पास जाकर बैठ गया, हाथ थामा बोला ," माँ क्या हुआ, आप चीखीं क्यों ?"

"हैं..... कौन..... संकेत... बेटा बड़ी डरावनी सी सूरत थी उसकी | मैं जैसे ही फ्रिज से पानी निकाल कर गिलास में पलट रही थी, उसे सोफे पर बैठे देखा,उसके बाद कुछ पता नहीं |" माँ अभी भी काफी डरी हुईं थीं | पापा खिड़की पर खड़े कुछ हिसाब सा लगा रहे थे | इस केस की जितनी गुत्थी संकेत और उसके पिता सुलझाने में लगे थे उतनी ही ये उलझती जा रही थी |

रात भर सब ड्राइंग रूम में बैठे रहे, सोनम संकेत के ठीक बगल ही बैठी थी | नींद का एक झोंका आया और वो उसके कंधे पर निढाल हो गई," कितनी मासूमियत से भरी है यह लड़की, सबका ख्याल रखती है सबको इज़्ज़त देती है | माँ बाप न होने के बावजूद संस्कारों का खजाना |" संकेत सोनम के बारे में सोचते सोचते लूप में खो गया |

सुबह हुई तो सोनम की आवाज़ से," जल्दी जल्दी उठ जाओ सब लोग, चाय वाला, आई मीन, वाली आ गई है | माँ सोफे पर निढाल सो रही थीं, पापा अपने हाथों का तकिया बना कर ज़मीन पर लेटे खर्राटे भरने में मगन थे | सोनम आई और संकेत के बिल्कुल बगल में बैठ गई | इतने करीब कि वो उसकी साँसे भी महसूस कर पा रही थी और संकेत भी उस खुशबू में मदहोश सा आगे बढ़ने लगा | अचानक उसे भीतर की आवाज़ ने झकझोर दिया और वो झटके से उठ बैठा | हल्का सा शोर हुआ और माँ-पापा उठ गए |

सोनम ने सलीके से चाय के कपों में चाय पलटी और सबको बारी बारी से देती चली गई | माँ भी अब तक नार्मल हो चुकी थी | आज के दिन का संकेत का मिशन था एस.जे. जे. ज्वेलरी शॉप के बारे में पता करना पर आज संकेत को फिर से ऑफिस भी ज्वाइन करना था | वैभव 9:15 पर आ चुका था, संकेत बाइक पर उसके पीछे बैठ ऑफिस पहुँच गया | मालाओं और तिलक के साथ संकेत का भारी स्वागत किया गया | वो ऑफिस में तो था पर उसका पूरा ध्यान उस अंगूठी पर ही लगा हुआ था | उहापोह में फंसे हुए संकेत ने गूगल पर एस जे जे डाला तो करापक्कम, चेन्नई का एड्रेस निकल के आया | गुत्थी फिर से उलझ गई थी | संकेत के चेन्नई जाने का तो सवाल ही नहीं उठता था इन हालातों में | संकेत सर पर हाथ रख कर बैठ गया | करे तो क्या करे वाली हालत थी | मन फिर से मायूस हो गया था | सेलफोन उठा के संकेत ने पापा को कॉल लगाया,"पापा, वो मैंने एस जे जे गूगल पर सर्च किया था तो वो तो चेन्नई में है| मुझे तो लग रहा था कि यहीं अपने ही शहर में होगा |"

"बेटा, जो चीज़ आसानी से हासिल हो जाए उसमे मज़ा कम आता है ज़रा |" पापा बोले |

"क्या पापा, आप मज़े की बात कर रहे हो यहाँ सब उल्टा पुल्टा हो रहा है |" संकेत वाकई घबराया हुआ था |

"फ़िक्र नॉट बेटा जी, पापा बड़ा वाला है तेरा | तू घर आ जा |"

वैभव को अभी थोड़ा वक़्त और लगना था तो संकेत ऑटो पकड़ कर घर के लिए रवाना हो गया | निकला ही था कि एक वैगन आर वाले से टक्कर होते होते बची | कलेजा मुंह को आ गया था संकेत का | खैर अगले आधे घंटे में संकेत घर पर था | चाय के दौर के बाद कुछ वक़्त सोनम के साथ गुज़ारने के बाद संकेत पापा के कमरे में था |

"पापा वो............." संकेत इतना ही बोल पाया था कि पापा ने 'शssss' की आवाज़ से उसे चुप करा दिया | संकेत चुपचाप सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया | पापा मोबाइल की स्क्रीन पर नज़र गड़ाए बैठे थे |

कुछ देर बाद पापा की नज़रें हिलीं और वो तकिए पर पीठ टिका कर बैठ गए,"बेटा ये अंगूठी किसी अनिवेश राजपुरोहित ने 12 मार्च 2017 को खरीदी है | इससे ज्यादा मैं कुछ पता नहीं कर सका |" पापा निराश सी आवाज़ में बोले |

"ये जानकारी आपको कहाँ से मिली?" संकेत पापा को आश्चर्य से देख रहा था ।

"बेटा सोमेश अंकल याद हैं, जो मेरे ऑफिस में थे उनका बेटा कमिश्नर है चेन्नई मे, तो बस थोड़ा रिलेशन्स का सहारा ले लिया ।" पापा बोले ।

"पर पापा उसमें एड्रेस भी तो पड़ा होगा ।" संकेत बोला ।

"तुझे क्या सोमेश के बेटे की नौकरी खानी है । बिना एफ आई आर के इतनी भी इनफार्मेशन मिलती नहीं थी । वो तो बस उसने किसी तरह निकलवा ली ।"

"वैसे पापा, राजपुरोहित और वो लड़की महाजन , मतलब साफ़ है , दोनों में कोई सीधा रिश्ता है नहीं और चेन्नई से अंगूठी खरीदने का मतलब है कि या तो लड़का तमिल है जो है नहीं या दोस्ती बहुत गहरी है तभी वो स्पेशली तमिलनाडु से उसके लिए अंगूठी लाया और एक बात पापा, लड़की कम से कम मार्च 2017 तक तो ज़िंदा थी |" संकेत ने मिली जानकारी की पहली कड़ी जोड़ दी थी |

PTO


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