नारीयोत्तम नैना - 2 Jitendra Shivhare द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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नारीयोत्तम नैना - 2

नारीयोत्तम नैना

भाग-2

निश्चित ही यह अति संवेदनशील और दो धारी तलवार के समान परिणाम देने के जैसा कार्य था। 'नैना की ट्यूशन में बच्चें अधिक बिगड़ैल हो गये है' इस कलंक को धोना भी नैना के लिए परम आवश्यक था। अतः अपनी कार्ययोजना में उसने अवनी को सम्मिलित कर योजना पर क्रियान्वयन आरंभ कर दिया।

शाम का समय था। विशेष आज तीस मिनीट पहले ही नैना के घर आ पहूंचा था। नैना अभी-अभी काॅलेज से लौटी थी। थकान से चूर उसने लापरवाही में अपने बेडरूम का दरवाजा खुला छोड़ दिया था। नैना कोचिंग क्लास लेने के पुर्व स्नान करना चाहती थी। उसने कपड़े उतारना आरंभ कर दिये। शरारती विशेष अध खुले द्वार से नैना को छुपते-छिपाते देखने लगा। साहिल और समीर भी वहां आ पहूंचे। ऑफ शोल्डर टावेट बदन पर लपेटे नैना द्वार की ओर मुड़ी।

"अन्दर आओ विशू! अन्दर आकर देखो मुझे।" कहते हुये नैना ने विशेष का हाथ पकड़ लिया। समीर और साहिल घबराहट में हाॅल की तरफ भागे। वे किताब-काॅपी लेकर पढ़ाई में व्यस्त होने का स्वांग रचने लगे। विशेष के साथ नैना ने साहिल और समीर को भी स्वयं को अर्ध निर्वस्त्र अवस्था में निहारते हुये देख लिया था।

विशेष कुछ अधिक भयभीत था। नैना का आमंत्रण उसे अपने मन पर सबसे बड़ा बोझ लग रहा था। उसकी आंखो में भय तैर रहा था। कहीं नैना ने सभी को यह बता दिया कि विशेष अपनी नैना मैडम को कपड़े बदलते हुए देख रहा था, तब उसका कितना बड़ा अपमान होगा। सड़क से गुजरना विशेष के लिए बहुत मुश्किल हो जायेगा।

नैना ने विशेष का हाथ छोड़ दिया। विशेष भागा। वह भी अपने दोस्तों के पास हाॅल में आकर सोफे पर बैठ गया। वह पसीने से तरबतर हो गया था।

"इसमें गलती जितनी गलती तुम्हारी है उतनी ही मेरी भी है। अगर मैंने दरवाजा ठीक से बंद किया होता तो यह सब घटीत न होता।" नैना व्यवस्थित होकर अपने विद्यार्थियों के सम्मुख उपस्थित हुयी।

तीनों मित्र अपनी हरकत पर बहुत शर्मिन्दा थे।

"तुम लोगों का कृत्य अगर तुम्हारे पैरेंट्स को पता चले तब क्या होगा। तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे, समझे।" नैना क्रोधित थी।

"मैडम प्लीज मुझे माफ कर दिजिये। आगे से ये गलती नहीं होगी।" विशेष बोला।

समीर और साहिल भी घुटनों के बल हाथ जोड़े नैना के सम्मुख खड़े थे।

"सज़ा तो तुम्हे मिलेगी। जो सबके लिए एक शिक्षा होगी। ताकी यह सब दोबारा करने के लिए तुम लोग सौ बार सोचोगे। सजा नम्बर एक। कल स्कुल में कम से कम दस लड़कीयों को तुम अपनी बहन बनाओगे। उन्हें दीदी कहकर सम्बोधित करोगे। और उनके विरूद्ध ऐसा- वैसा कोई विचार अपने मन में नहीं लाओगे।

सजा नम्बर दो। पिछले दस वर्षों के मेडिकल ऐक्ट्रेंस टेस्ट के प्रश्नपत्र हल करके लेकर आओगे।" नैना ने अपना दण्ड उन्हें सुना दिया।

"हमें मंजूर है।" विवशता में डुबे तीनों एक स्वर में बोल पड़े। तभी अवनी भी वहां आ गई। नैना ने सामान्य होकर अपनी ट्यूशन क्लास शुरू कर दी। समीर, साहिल और विशेष ने अवनी पर कुछ भी जाहिर होने नहीं दिया।

नैना अपनी बहु विचारित योजना पर काम कर रही थी। एक दिन--

"ये क्या कह रही है मैडम आप!" समीर चौंका।

"सही कह रही हूं समीर। मूझे स्वयं अवनी ने कहा है कि तुम तीनों में से जो भी मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में पुरे इण्डिया में टाॅप करेगा। अवनी उसकी बाहों में स्वयं को समर्पित कर देगी।" नैना ने मनगढ़ंत तथ्य समीर को सर्वप्रथम कह सुनाया।

समीर का हृदय जोरो से धड़क रहा था। उसे किसी भी दशा में अवनी को अपना बनना था। सो वह पुरी तैयारी के साथ जुट गया परिक्षा की तैयारी में। नैना ने साहिल और विशेष को भी अपने झूठ के जाल में फंसा लिया। उसे यह तो भलीभांति ज्ञात था कि तीनों लड़के पढ़ाई में होशियार है बस आयु के वशीभूत होकर कूछ भटक गये है। उन्हें यदि पढ़ाई के प्रति सजग कर दिया जाये तो निश्चित ही यह तीनों लड़के कोई न कोई कीर्तिमान अवशय स्थापित करेंगे।

समीर ,साहिल और विशेष के लिए कुछ कढ़ाई से पालन करने वाले दिशा-निर्देश नैना ने जारी कर दिये। पढ़ाई के समय मोबाइल फोन प्रतिबंधित कर दिया गया। सुबह और शाम दो समय दो-दो घण्टे की ट्यूशन नैना ने चारों के लिए अनिवार्य कर दी। चारों को घर पर एक घण्टा शारीरिक कसरत वाले खेल खेलना आवश्यक थे। सेहत का ध्यान और पर्याप्त नींद लेना चारों के लिए जरूरी कर दिया गया। मौसमी फल और भोजन में सलाद, दूध तथा जूस पीना शरीर के लिए लाभदायक बताया। नशा अवनी को सख्त ना पसंद है, यह नैना ने उन तीनों को समझा दिया था। विशेष ने अपने साथ-साथ समीर और साहिल का नशा भी छुड़वा दिया। चारों अच्छा साहित्य पढ़कर मनोरंजन कर सकते थे। तीनों प्रतिस्पर्धा में विजयश्री प्राप्त करने के लिए लालायित थे। सो वे नैना के प्रत्येक कथन को आदेश समान स्वीकार कर पालन करने में कोई कोताही नहीं बरते।

बच्चों में आये पढ़ाई को लेकर हैरतअंगेज परिवर्तन को देखकर पालक अति प्रसन्न थे। अब बस किसी तरह बच्चे एक्जाम को क्लीयर कर ले तो उनकी पिछली सारी गलतियां वे लोग क्षमा करने को तैयार थे। परिक्षा की तिथि नजदीक आ गयी थी। नैना ने उन चारों को तनावमुक्त रहकर परिक्षा देने को कहा। परिक्षा दिनांक पर चारों समय से परिक्षा स्थल पर पहूंच गये। निर्धारित समय उपरांत वे परिक्षा कक्ष से बाहर निकले।

प्रश्नपत्र के कुशलतापुर्वक हल करने का आत्मविश्वास उन चारों के चेहरे पर देखा जा सकता था। नैना ने अपने फैमिली डाॅक्टर से उन चारों को मिलवाया। एमबीबीएस डाॅक्टर शरद शर्मा के मुख से डाक्टर्स जीवन के विषय में जानकर चारों विधार्थी उत्साहित थे। समाजसेवा के साथ-साथ डाक्टर्स की बिजी लाइफ और उनका सामाजिक मान-सम्मान देखकर विशेष और उसके मित्रों में डाक्टर बनने की ईच्छा को साहसिक बल मिला।

परिक्षा परिणाम में विशेष ने ऑल इंडिया रेकिंग में तीसरा स्थान हासिल किया। अखबार और मीडीयां वाले उसका फोटो खींच रहे थे। विशेष अत्यधिक उत्साहित था यह सब देखकर। समीर और साहिल भी एक्जाम क्वालीफाई कर गये थे। उन दोनों के फोटो भी विशेष के साथ सभी प्रमुख अखबारों में प्रकाशित हुये थे। अवनी निराश थी। वह परिक्षा उत्तीर्ण योग्य अंक प्राप्त नहीं कर सकी थी। किन्तु नैना की सांत्वना ने उसे बहुत हिम्मत दी। अवनी ने अगले वर्ष की परिक्षा की तैयारी अभी से शुरू कर दी थी। विशेष और उसके दोस्त नैना मैडम के प्रति कृतघ्न थे। वह अवनी को लेकर तय हुई शर्त को भुल चूके थे। उन तीनों का उद्देश्य अच्छे से मेडीकल कॉलेज में प्रवेश लेकर एमबीबीएस की पढ़ाई करना था। डाॅक्टर बनने के अलावा अब उनके दिलो-दिमाग कुछ में नहीं था। नैना अपने उद्देश्य में सफल हो चूकी थी।

जितेंद्र ठाकुर को नैना की इस उपलब्धि के विषय में पता चला तो उससे मिलने घर आये। किन्तु नैना घर पर नहीं मिली।

विधायक जितेन्द्र ठाकुर के सहायक सचिव आकाश पंवार जो सहायक कम उनके दोस्त अधिक है, विकास नगर पर कुछ ज्यादा ही कृपा बरसाते हुये विधायक जी को देख रहे थे।

नैना के काॅलेज में वार्षिकोत्सव पर पुरुस्कार वितरण हेतु विधायक जितेन्द्र ठाकुर मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान थे। नूतन ने एमएलए साहब को स्टेज पर बैठा हुआ देखकर नैना से छेड़खानी करनी शुरे कर दी। प्रिन्सिपल रमेश आचार्य ने मंच से वर्ष भर आयोजित महाविद्यालयीन खेल-कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम के पुरूस्कार विधायक जी के हाथों से प्रदान की जाने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही विद्यार्थियों को दो शब्द में प्रोत्साहन देने हेतु मंच पर आमन्त्रित किया।

अपने उद्बोधन में जितेंद्र ठाकुर ने बोले --"आप में से कितने लोग ये मानते है कि पोलिटीशियन झुठ बहुत बोलते है?" पुरा हाॅल सन्न रह गया।

किसी ने हाथ खड़ा नहीं किया सिवाए नैना के।

"मेरा तो यह भी मानना है कि पोलिटीशियन किसी गरीब के घर का खाना खाकर अपने लिए प्रचार-प्रसार के अलावा कुछ नहीं करते है। इतनी बड़ी-बड़ी कारों में घूमना आलीशान बंगलों में रहकर सिर्फ वोट के निर्धन बस्ती वालों को हमदर्दी दिखाते है। और चुनाव जीतने के बाद इन्हीं नेताओं के हमें मजबूरन गुमशुदगी के पोस्टर लगाने पड़ते है।" नैना की इस बात पर पुरा हाॅल हंस पढ़ा। विधायक जी भी मुस्कुरा दिये। नैना की बहादुरी पर सभी अभिभूत थे।

"आप में से कितने लोग आईएस और आईपीएस बनना चाहते है?" एमएलए साहब ने अगला प्रश्न किया।

बहुत से हाथ खड़े हुये। नैना का हाथ ऊंचा देखकर जितेंद्र ने आगे कहा-- " ये जो आईएस और आईपीएस होते है, जज होते है, इन्हें भी सरकार की ओर से बड़े-बड़े शासकीय बंगले आबंटित होते है। चमचमाती कार, नि:शुल्क नौकर-चाकर और बहुत बड़ा मासिक वेतन प्राप्त करते है। ये लोग भी आम आदमी को संतुष्ट नहीं कर पाते! आज साहब भोपाल में है! मीटिंग में दिल्ली गये है और कभी-कभी अपने मुड के हिसाब से दरबान को यह कहलवा देते है की साहब की तबीयत ठीक नहीं है, जनता बाद में आकर मिले। तब इन्हें ये ढेर सारी सुविधाएं क्यों दी जाती है? आप में से किसी के पास इस प्रश्न का जवाब है?" विधायक महोदय के प्रश्न पर सिर्फ नैना का हाथ खड़ा हुआ।

"आईएस और आईपीएस बनने के लिए कढ़ी मेहनत करनी पढ़ती है। दिन-रात की पढ़ाई के बदले ये सुविधाएं उन्हें पुरस्कार के समान दी जाती है ताकी अन्य लोग प्रोत्साहित होकर उनके समान देशसेवा के लिए इस क्षेत्र में आये। आईएस और आईपीएस बनना इतना आसान नहीं होता है सर!" नैना का प्रतिउत्तर लाजबाब था।

"तो आपको क्या लगता है एक विधायक बनना आसान है?" विधायक महोदय ने नेहले पर देहला फेंककर सभा को सोचने पर विवश कर दिया। आज किसी भी पद पर पहूंचना बहुत ही परिश्रम और कठिनाईयों से भरा सफर है।

पुरस्कार वितरण कर विधायक महोदय लौटकर जाने गले। महाविद्यालय के द्वार पर नैना बस की प्रतिक्षा में खड़ी थी। जितेंद्र ने नैना को साथ चलने का प्रस्ताव दिया। प्रारंभिक ना-नुकुर के बाद जब विधायक जी ने कहा कि क्या नैना को उनसे डर लगता है? तब नैना निडर होकर विधायक जी की कार में बेठ गई।

विधायक महोदय ने आरंभिक जान-पहचान कर उसे विकास नगर के मुख्य द्वार पर उतार दिया। अगली सुबह काॅलेज में विधायक महोदय की कार से उतरती नैना को देखकर नूतन ने कहा-" क्या बात है? लगता है ये पोलिटीशियन तो गया काम से। इसकी सरकार तो गिरकर ही रहेगी।" नूतन हंस रही थी

"तेरा मतलब क्या है?"

"मतलब ये कि विधायक महोदय नैना के प्यार में पड़ गये है। कल शाम उन्होंने तुझे घर छोड़ा। और आज खुद कार चलाकर तुझे काॅलेज छोड़ने आये है।" नूतन ने तंज कसा।

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