चुड़ैल वाला मोड़ - 14 VIKAS BHANTI द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

चुड़ैल वाला मोड़ - 14

घर में आये उस बवन्डर ने संकेत की ज़िन्दगी में बवन्डर ला दिया था । एक तरफ माँ, पापा की जान और दूसरी तरफ रेनू को दी गई आखिरी कसम । किसको अपनाये संकेत की समझ में नहीं आ रहा था । ऑफिस में फ़ोन कर के 10 दिनों की छुट्टी अप्लाई कर दी थी संकेत ने ।

पापा आज लैपटॉप खोल कर कुछ खोये हुए से बैठे थे । माँ अपने दैनिक कामों में व्यस्त तो थीं पर बार बार भूल जातीं थी कि करना क्या है । चिंता सबके मन को हरा रही थी ।

कि तभी सोनम की ज़ोरदार आवाज़ सबके कानों में पड़ी," सुनो सुनो सुनो, अंकल, आंटी संकेत सब लोग जल्दी से ड्राइंग रूम में आ जाओ ।" उसकी आवाज़ पर हम तीनो वहां इकट्ठे हो गए । "संकेत तुम मुझे बताओ पूरी बात क्या है ? शायद मेरे पास आप लोगों की समस्या का हल मौजूद है ।"

संकेत ने बचपन की घटना से लेकर आज तक की पूरी सच्चाई सोनम के सामने बयान कर दी । कुछ पल सोनम वहीँ खड़ी कुछ सोचती रही फिर बोली," संकेत मैंने पैरा नोर्मल पढ़ा है, एक्चुअली पैरा नोर्मल की 90% घटनाएं फेक होती हैं पर आज जिस तरह इस कमरे में हवा चली है वो किसी जादू के भी बस की बात नहीं बट जस्ट फॉर कन्फर्मेशन भीतर से तिल का तेल, एक कटोरी, माचिस और काले रंग से रंगी रुई की 4 इंच लम्बी तीन बातियाँ ले आओ ।"

संकेत बिना कोई सवाल किये भीतर गया और सारा सामान ले आया । सोनम ने दोनों पैरों को मोड़ कर एक अजीब सी मुद्रा बनाई और हॉल के बीचों बीच बैठ गई, एक हाथ से माचिस जला कर मन ही मन कुछ बुद्बुदाया और त्रिकोन शेप में बनाई उस बाती में आग लगा दी । बाती जल उठी तो कुछ पल बाद उसे उठा कर सोनम ने बाहर फेंक दिया । फिर दूसरी बाती के साथ उसने वही प्रक्रिया दोहराई अबकी बाती ज़ोर से जली फिर बुझ गई । तीसरी बाती ने भी यही रिस्पांस दिया ।

संकेत, पापा और माँ उसे ध्यान से देख रहे थे । सोनम अपनी जगह से उठी और माँ के बगल में आ कर खड़ी हो गई,"अंकल आंटी, इस घर में दो आत्माएं हैं एक शान्त और एक गुस्से से भरी हुई । दोनों कौन हैं मुझे नहीं पता, पर हमारे पास रास्ता सिर्फ यही है कि दोनों को पहचाना जाए और जाना जाए कि वो चाहती क्या हैं ! एक बार हमने उनकी नब्ज़ पकड़ ली तो समझिये 90% केस सोल्व हो गया समझो ।"

संकेत को कुछ समझ नहीं आ रहा था और इस चक्कर से निकलने का जो रास्ता सोनम ने सुझाया था वो आसान नहीं था । इस घर में मौजूद ताकतें कौन थीं यह पता लगाना भी उतना ही कठिन था जितना संकेत का मौत के मुंह से बचकर लौटना ।

तभी पापा ने संकेत के कंधे पर हाथ रखा और बोला,"बेटा तेरा डिटेक्टिव बाप ज़िंदा है । एक काम कर एक कागज़ एक पेन लेकर आ और जो मैं बोलता जाऊं उसे नोट करता जा "

संकेत ने तुरंत जेब से कागज़ और पेन निकाला और पापा के शब्दों का इंतज़ार करने लगा ।

पापा छत के एक कोने की तरफ देखते हुए बोले जा रहे थे," पर्स, 4 अंगूठी, एसजेजे ज्वेलर, चेन्नई, अनिवेश राजपुरोहित, महाजन, आई कार्ड ।" इतना कह कर पापा कुछ पल के लिए चुप हुए फिर बोले, "अब जासूसी होकर रहेगी क्योंकि मेरे होते हुए कोई मेरी औलाद को छू नहीं सकता ।"

PTO