चिंटू - 24 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटू - 24

सुमति वहां है और यहां पुनिश की हालत खराब हो रही है। पुलिस को कहीं पर भी कोई सुराग नहीं मिल रहा है। पुनिश इंस्पेक्टर के साथ बैठा हुआ था।
मन ही मन वह सोचा रहा है,- कहां हो तुम सौम्या? इतना ढूंढा पर पता नहीं वह कम्बख्तों ने कहां तुम्हे छुपा रखा है? अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मै उन सबको जिंदा नहीं छोडूंगा। वह इंस्पेक्टर से पूछता है कि अब कबतक हम राह देखे? मेरे खयाल से हमे ज्यादा फोर्स बुला लेनी चाहिए।
इंस्पेक्टर- मै भी यही सोच रहा हूं और मैंने कमिश्नर साहब से बात भी कर ली है। वह आज मंत्री जी से बात करने वाले है। उनका आर्डर आते ही हम सब जगह से एक साथ सर्च ऑपरेशन शुरू कर देंगे। मुझे कल कुछ कड़ी हाथ लगी है। पर जब उसके बारे में श्योर हो जाऊंगा तुरंत एक्शन लेंगे हम।

दरअसल उन्हे जंगल में गीली मिट्टी पे पैरो के निशान मिले थे। पर साथ में जानवर के निशान भी थे। तो पता नहीं चल रहा था कि कोई चरवाहे थे या डाकू?
इंस्पेक्टर पुनिश को यह बताता है। और यह भी कहता है, हमारे आदमी उस एरिया में छानबीन कर रहे है। मुझे लगता है वे सब जल्दी ही मिल जाएंगे।
पुनिश- आपकी बात जल्द ही सच्ची हो इंस्पेक्टर साहब।
तो इंस्पेक्टर कहता है- देखिए पुनिश जी हम दोनों लगभग हमउम्र ही है तो आप मुझे इंस्पेक्टर साहब न कहिए। मेरा नाम राजीव कुमार है। आप मुझे राजीव कह सकते है।
पुनिश- और आप भी मुझे पुनिश जी न कहके पुनिश ही कहिए।
माहौल थोड़ा ठंडा पड़ता है। इंस्पेक्टर पुनिश से कहता है- आज बारिश की वजह से हम सभी न जा सके उन्हें ढूंढने। पर जैसे ही बारिश कम होगी हम निकल पड़ेंगे। अबकी बार आप साथ नहीं आएंगे तो भी चलेगा। यहां जमीन बहुत फिसलन वाली है। तुम्हे चलने में दिक्कत होगी।
पुनिश- आप शायद भूल गए कि में एक आर्मी मेन हुं। हमे सब मुसीबतों का सामना करने की तालीम दी गई है। और सौम्या के लिए तो कुछ भी कर सकता हुं।

****
राहुल का फोन जब पुनिश पर आता है पुनिश पुलिस स्टेशन ही था। वह उसका कॉल रिसीव करता है- जी बोलिए अंकल।
राहुल- कोई सुराग मिला बेटा सौम्या का?
पुनिश- हां कुछ सुराग मिले है। पर बारिश के कारण वहा जाना अभी संभव नहीं हो पा रहा है। पुलिस के कुछ आदमी ढूंढ़ रहे है इस बारिश में भी सौम्या और उसके दोस्तो को। आप चिंता न करे वह मिल जाएंगे। अंकल अगर आप और आंटी वापस जाना चाहे तो जा सकते है। मै यही हुं जब तक वे मिल न जाए।
राहुल- नहीं बेटा, तेरी आंटी इस बात को कभी नहीं मानेगी। सौम्या अब हमारी बेटी है। अनाथो की तरह क्यों उसे इस मुसीबत में छोड़कर जाए? जब वह मिलेगी तभी जाएंगे। इवान के पापा यहां आने के लिए निकल गए है तो शाम तक आ पहुंचेगे। उन्हे मैंने बहुत समझाया पर वह नहीं माने। चिंटू की मां का भी रोज फोन आता है अपने बच्चे के बारे में पूछने के लिए। अब मै क्या जवाब दूं उन्हे? एक विधवा मां का सहारा है वह, चिंता तो लगी रहेगी।
पुनिश- आप फ़िक्र मत करिए अंकल। मै पाताल से भी उन्हे ढूंढ़ निकालूंगा। इस बेमौसम बारिश को भी अभी आना था। इस कारण हम उन्हे ढूंढ़ नहीं पा रहे है।
राहुल- हम जानते ही है बेटा। तुम पूरी कोशिश कर रहे हो पुलिस के साथ मिलकर। तुम उस इंस्पेक्टर से कहो न कि उस गुंडे को छोड़ दे। वह छूटेगा तभी हमारे बच्चे वापस आ सकेंगे।
राहुल- अंकल पुलिस सब संभाल लेगी। आप फ़िक्र मत करिए सब ठीक हो जाएगा। अच्छा मै अभी थोड़ी देर में होटेल आ जाता हुं। बारिश कम होने का नाम नहीं ले रही तो आज हम इन बीहड़ों में नहीं जा पाएंगे।
राहुल- ठीक है बेटा, हम राह देख रहे है तुम्हारी।

****
रात के खाना बनने तक इवान और चिंटू को नीचे नहीं लाया गया था। जब मोहन वापस आया तभी दोनों को बाहर निकाला गया।
इवान आते ही- अरे वाह! स्मैल तो अच्छी आ रही है। यार चिंटू अब मेरी भूख और बढ़ गई है। जल्दी खाना दो बेहोश होने से पहले। भूख के मारे जान निकली जा रही है।
चिंटू - अबे ओ भुक्कड़! चुप रहे और हाथ मुंह धो ले।
बेला- ठीक कहा चिंटू जी आपने। पहले हाथ मुंह धो लीजिए तब तक हम खाना लगा देते है। मोहन भैया आप भी आ जाईए, साथ ही बैठते है।

रानी और बेला सबको बिठाकर आखिर में दोनों खाने के लिए बैठ जाती है।
चिंटू खाते ही कहता है- खाना वाकई में अच्छा बना है। मैंने एक बात नोटिस कि के गांव की लड़कियों खाना बहुत अच्छा बनाती है। हमे बिल्कुल नहीं लगता कि आप हमे बंदी बनाकर परेशान कर रहे है या भूखे रख रहे है। उल्टा किसी पिकनिक पर आए हो ऐसा लगता है।
तो मोहन कहता है- तबतक जबतक हमारे बड़े भैया वापस नहीं आ जाते। अगर पुलिस वाली ने उन्हे छोड़ा नहीं तो तुम्हारे हालत भी बिगड़ेगी बच्चु।
इवान- तो आपको पुलिस के आदमी को पकड़ना था। हमे क्यों धरदबोचा? अच्छा ये बताओ कभी मूवी देखते हो?
मोहन- हें? वो क्या होता है।
चिंटू- वो सिनेमा की बात कर रहा है।
मोहन- देखी थी एक 'पान सिंह तोमर'।
इवान- अरे! तुम्हारी तरह की ही है यह मूवी। और कोई?
मोहन थोड़ा गुस्से होकर कहता है- नहीं, मुझे पसंद नहीं है फिल्में वगैरह।?
इवान- ठीक है, उसमे गुस्सा करने की क्या बात है?
बेला- थोड़ी देर चुप नहीं रह सकता है?

इवान बेला के कहने पर कुछ देर चुप तो हो जाता है। पर कुछ देर बाद वह फिर से बोलने लगा। तो चिंटू माथा पकड़ते हुए कहता है- ये लड़का कभी नहीं सुधरेगा। सुमति, कहा से इस नमूने को पकड़ के लाई हो?
सुमति कहती है- बेचारा कब से चुप ही तो था। अब तो बोलेगा न! क्या तुम हमेशा उसके पीछे पड़े रहते हो।
चिंटू- हां, बोलो। तुम्हारा दोस्त है तो उसका पक्ष तो लोगी ही। मै कौन हूं तेरे लिए?

सुमति कुछ बोल नहीं पाती पर चिंटू का यह कहना उसे चुभता है 'मै कौन हूं तेरे लिए'।
इतने में मोहन कहता है- अब हम चलते है सोने के लिए, कल सुबह जल्दी निकल पड़ेंगे अड्डे पर जाने के लिए।
बेला- ठीक है आप जाइए।
इवान को अभी बेला के पास बैठना था तो वह कहता है- चिंटू तुम चले जाओ इन भाई साहब के साथ। मै यही रुक जाता हुं।
बेला मना करते हुए कहती है- नहीं नहीं, चिंटू जी यही रहेंगे। तुम यहां रहे तो उल्टा हमे तुम्हारा ध्यान रखना पड़ेगा। तो तुम तो जाओ ही मोहन भैया के साथ।
इवान- ठीक है ?। वैसे मै भी तुम्हारी रक्षा कर सकता हुं। मेरा मतलब तुम सब की। पर किसी को मुज पे भरोसा नहीं तो मै क्या करू?

मोहन इवान को अपने साथ लेकर चला जाता है। रात में बारिश का जोर फिर से बढ़ गया था।
बेला कहती है- इस बार ये बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही है। हीरा भैया ठीक से पहुंच गए हो तो अच्छा है। बेचारे...
रानी- पहुंच गए होंगे अबतक। फिकर न करो। चल अब सोने चलते है। मैंने चिंटू जी के लिए ऊपर वाले रूम में बिस्तर लगा दिया है।
चिंटू- पर वहा ना तो पंखा है और ना ही कोई खिड़की तो गरमी लगेगी।
रानी- चिंता न करें। उसके बाजुवाला रूम है वहा पंखा और खिड़की दोनों है।
बेला- पर कहीं वह भाग गए तो?
तो रानी बेला को हथकड़ी दिखती है। हम इसे कथकड़ी पहनाकर रखेंगे ताकि यह भाग न सके।
चिंटू हसंते हुए कहता है- सुमति तुम्हारे पास है तो मै कहा से भागूंगा।
बेला- आप सच कह रहे है।? ठीक है आप जाइए आराम करिए।

****
स्नेहा और राहुल डिनर करके अपने रूम में बैठे थे। स्नेहा राहुल से कहती है- आज तो इवान के पापा भी आ गए। वह पुनिश के साथ ही रूम मै एडजस्ट हो जाएंगे न?
राहुल- हो ही जाएंगे अकेले है तो। बस पुनिश उन्हे अच्छे से संभाल ले। उसका दर्द कुछ कम हो जाएगा।

पुनिश अपने रूम में इवान के पापा के साथ बैठा हुआ है।
इवान के पापा पुनिश से पूछते है- यहां की पुलिस कुछ कर भी रही है या नहीं? हमारे बच्चे कब तक उन डाकुओं की कैद में रहेंगे?
पुनिश- अंकल! यहां की पुलिस बहुत ही सपोर्टिव है। वह इन सब को ढूंढने में अपना पूरा एडी चोटी का जोर लगा रही थी। पर बारिश ने पूरा खेल ही बिगाड़ दिया। नहीं तो वे कबके मिल चुके होते। आप देख ही रहे है इस बारिश को। सामने का नज़ारा भी न दिखे उतनी तेज है। ये बेमौसम बारिश को भी अभी आना था?
इवान के पापा- ओ जिजस! हमारे बच्चों को सही सलामत रखना। बारिश बंद होने पर मै खुद भी उन्हे खोजने आऊंगा।
पुनिश- बस हम भी इसिका इंतजार कर रहे हैं।

पुनिश सुमति के साथ बिताए पल को याद करते करते सो जाता है और इवान के पापा अपने बेटे को याद करके।

****
रानी- यार ये बारिश तो बढ़ ही रही है। कहीं बाढ़ न आए जाए।
बेला- मुझे तो कल का टेंशन है। हम जाएंगे कैसे वापस? बाबा और मां भी परेशान होंगे। बारिश के साथ हवा भी बहुत तेज़ चल रही है। लगता है तूफान आने वाला है।
रानी- मुझे भी यही लगता है। अच्छा है हमारा घर ऊपरी भाग में है। बारिश के पानी भर जाने का डर नहीं है।
सुमति- पर तूफानी हवाओं के कारण ठंड भी बढ़ने लगी है।
बेला- हां, और दरवाजे और खिड़कियां भी हवाओं के कारण खड़खड़ आवाज़ कर रहे है। डरावना माहौल लग रहा है। अच्छा हुआ चिंटू जी साथ में है नहीं तो हमे अकेले डर लगता ही।

सुमति को बहुत नींद आ रही थी पर बेला और रानी के बीच चल रही बातों से वह सो नहीं पा रही थी। बेला और रानी बहुत समय बाद मिले थे तो उनकी बाते ही खत्म नहीं हो रही थी। सुमति करवट बदलती रहती है।
बेला उसे देखकर कहती है- माफ़ करना सुमति। वो क्या है कि इतने समय बाद मिले है तो..। तुम्हे सोने में परेशानी हो रही है तो हम अब बातें नहीं करेंगे। तुम आराम से सो जाओ।
सुमति बेला से कहती है- कोई बात नहीं, मै समझ सकती हुं। इतने दिनों बाद मिल रहे हो तो कितनी बाते इकठ्ठा कर रखी होगी। आप अपनी बाते जारी रखे, मै चिंटू के रूम में चली जाती हूं सोने। और फ़िक्र मत करना इतनी बारिश में हम कहीं नहीं जाएंगे।
रानी खुश होते हुए- हां यह सही रहेगा। तुम समजदार हो जो हम सहेलियों की भावनाएं समजती हो। मै अभी तुम्हारा गद्दा ऊपर लगा देती हुं। वैसे तुम चाहो तो आगे वाले रूम में सो सकती हो।
सुमति- नहीं, अकेले मूजे डर लगेगा। मै ऊपर कमरे में ही चली जाती हुं।

रानी जब सुमति का बिस्तर लगाने ऊपर गई तब चिंटू जागा हुआ ही था। रानी को देखकर एकदम से अपने बिस्तर पर बैठा गया।
रानी उसे देखकर हंसने लगती है और कहती है- घबराओ मत ये मेरा बिस्तर नहीं है। तुम्हारे साथ जो लड़की है न, क्या नाम है?? हां, सुमति । उसका बिस्तर है यह।
चिंटू- यहां?
रानी- हां! वो क्या है कि हम दोनों मेरा मतलब मेरी और बेला की वजह से वह सो नहीं पा रही है।
चिंटू- आपकी वजह से?
रानी- वो क्या है कि हम दोनों काफी समय बाद मिले है न तो हमारी बातें खत्म ही नहीं हो रही है।? और इससे सुमति सो नहीं पा रही है। तो उसका बिस्तर यहां लगा रही हुं।
चिंटू खुश होते हुए- वो कहां है?
रानी- बस आ ही रही है पानी लेकर। तुम्हारे लिए रात में पीने का पानी रखना भूल गई थी न तो बस वो ही लेकर आ रही है।

रानी के जाने के बाद सुमति कमरे में आती है। चिंटू उसे पूछता है- इतनी देर कहा लगा दी?
सुमति- बस ये पानी लेना था और फ्रेश होकर आई ताकि अच्छे से नींद आ जाए। जगह बदल ने से नींद डिस्टर्ब हो जाती है।
चिंटू- सही कहा। मै यहां अकेले अकेले कब से बोर हो रहा था।
अच्छा हुआ तुम आ गई।
सुमति- अब तो नींद भी उड़ गई। पता नहीं कब घर जाने को मिलेगा। अगर अभी इतनी बारिश न होती तो हम यही से निकल जाते कैसे भी।
चिंटू- अच्छा है कि मैंने पैड पर मार्किंग की है। अगर जमीन पर कोई मार्किंग की होती तो बारिश के कारण वह धूल ही गई होती।

कुछ देर दोनों के बीच बातचीत चलती है और आखिर मै दोनों सो जाते है। जब अधी रात बितती है तब सुमति की आंख खुल जाती है।

क्रमशः