टिंग टोंग Niyati Kapadia द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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टिंग टोंग



“टिंग टोंग! टिंग टोंग!”
“टिंग टोंग! टिंग टोंग!”
“अरे आ रही हूँ कौन बेल मारे जा रहा है?” सरोजने अपने फोन को कानो से दूर कर दरवाजा खोलते हुए कहा और सामने अपनी बेटी को देखते ही खुश होकर कहा, “आ गई बेटा। आज जलदी घर आ गई!”
“कहाँ जलदी आई हूँ मम्मी रोज के वक्त से दस मिनिट लेट हुई हूँ। बाहर इतनी भीड़ क्यों है? फिर से कंपाउंड में चोरी हो गई क्या?” टीनाने अंदर आकर सोफा पर बेठते हुए कहा।
“चोरी नहीं हुई पर उससे भी बड़ी बात हो गई। में तुजे सब डिटेल में बताती हूँ पहले ये फोन चालूँ हे वो निपटालु, शिम्मी आंटी से बात हों रही है।“ सरोजने फिर से अपना फोन कानो पर लगा दिया।
“तभी दरवाजा खोलने में इतनी देर हों गई!” टीनाने हसते हुए अपना फॉन पर्स में से निकाला और देखने लगी।
“ओह शीट... ये क्या पोस्ट जा रही है! शनाया..? हाँ, ये तो शनाया ही है! उसने फिल्म प्रोड्यूसर सी आर कपूर पर रेप केस फाइल किया,” टीनाने फॉन पर से नजरे हटाकर अपनी मम्मी से कहा, “मम्मी ये क्या हे? ये शनाया के बारे में,”
सरोजने मुह पे उंगली रखकर टीनाको चुप रहने का इशारा किया और फॉन पर बाते करने लग गई। टीनाने अब उनकी बाते सुनी, वह कह रही थी,
“हा शिम्मी में तो पहले तो जानती थी की उसके साथ ऐसा ही कुछ होगा। कितने छोटे छोटे कपड़े पहन कर घर से निकला करती थी। मेकअप के बगेर तो मैंने उसे कभी देखा ही नहीं।“
“हाँ हाँ और नहि तों क्या यार? पर अब हमे भी कुछ करना होगा। महिला मोरचा लेकर उस प्रोड्यूसर के घर चले? मीडिया कोभी बुला लेंगे और मैं क्या सोच रही हूँ उसका भी एक इंटरव्यू ले लेते है, अपनी फेसबुक ग्रुप में डाल देंगे, ढेरों लाईक्स मिल जाएंगी।“
“पर में ये सोच रही हूँ की शनाया की इस घटना में हम उसे ज्यादा दोषित बताए या उस फिल्म प्रोड्यूसर को?”
“हाँ चलो ये भी ठीक है पहले शनाया को मासूम बताके प्रोड्यूसर की बैंड बजा देंगे और फिर कुछ दीनो बाद शनायाने आज तक कुछ कहा क्यों नहीं, वो अब तक चुप क्यों रही, क्या प्रोड्यूसर ने उसे फिल्म में रोल नहीं दिया इसीलिए उसने ये केस किया वगेरे वगेरे बाते ग्रुप में डिस्कस कराते रहेंगे।“
“क्या कहा? कौन रूबी कहती थी? क्या... उसे मजबूर किया गया था? एसी कैसी मजबूरी भाई? कोई मुजे ऐसे मजबूर करके बताए। मेरी मरजी के बगैर कोई हाथ लगाके दिखाए मेरे इन लंबे नाखूनो से चीर न डालु उसे! मैं कह रही हूँ ये आज कलकी लड़किया कुछ कम नहीं हे। जो वो दिखती है वो वो होती नहीं। अपना मतलब निकाल ने के लिए किसिभी हद तक जा शकती है और फिर ये सब नाटक करती हे। क्या पता कोई नई फिल्म में ऐसा कोई रोल मिला हों और लाईंम लाइट में आने के लिए ये सब जूठा नाटक किया हों।“
“हाँ, हाँ, में उसको मिलने जाने वाली हूँ तू भी जलदी आजा दोनों साथ मिलकर बात करेंगे। और सब कुछ रेकॉर्ड करना मत भूल ना, वीडियो ले लेना। हा उसकी मम्मी से भी बात कर लेंगे, में क्या कहती हूँ ये सब उसी की वजह से हुआ, कैसी माँ हें अपनी लड़की का खयाल नहीं रख शकती। मेरी टीना को ही देख लो कितनी होनहार है फिर भी कितनी सादी, कभी देखा उसे छोटे छोटे कपड़ो में, या देर रात को घूमते हुए, मेरी एक नजर हंमेशा उस पर रहती हे, भाई हमारी लड़की है तो हमे ही खयाल रखना पड़ेंगा ना, बाहर वालो के भरोशे छोड़ दिया तो देखो क्या हो गया, ये तो चोर को ही चोकीदार बनाने जैसी बात हो गई,”
सरोज फॉन पर ज़ोर से हँस पड़ती हे उसी वक्त टीना उसे फॉन रखने के लिए इशारा करती हे।
“ठीक हे चल यार रखती हूँ, टीना घर आ गई हे। बाद में कॉल करती हूँ, बाय।“
टीना जो कब से उसकी मम्मी को देख रही थी उस से बात करते हुए सरोजने कहा,
"शनाया का रेप हो गया।" सरोज ने धीरे से बोलने की एक्टिंग करते हुए कहाँ, "उसके प्रोड्यूसर पर उसने केस किया है।"
"हाँ मैंने देखा फेसबुक पर तुमने पोस्ट रखी है, ये गलत है मम्मी पोस्ट डिलीट करो।"
"गलत है? क्या गलत है? अब तूँ मुजे सही गलत शिखएगी?" सरोजने ऊंची आवाज में कहा।
"मम्मी रेप होना कोई ट्रॉफी जितना नहीं होता की हम चारो तरफ ये बात फेलाए, सोचो अगर हमारे साथ,"
"चुप होजा, क्या हमारे साथ? तूँ जानती नहीं उस शनाया को, घुटनो से लंबे कपड़ो में देखा है कभी उसे? आधी आधी रात को घर वापस आती है, जिस के ऊपर उसने रेप करने का आरोप लगाया है उस प्रोड्यूसर के साथ उसकी कितनी सारी सेल्फी है, देर रात तक उसके साथ घूमेंगी, शराब पियेंगी, फोटो खिंचवाएगी और एक दिन जाके उस पर केस ठोक देगी, वो भी बलात्कार का, कौन भरोसा करेंगा उस पर? क्या पता वो जूठ बोल रही हों। हों शकता है वो सच कह रही हों फिर भी क्या... एसी लड़कियो की कोई इज्जत होती है समाज में?" सरोज ने अपनी भड़ास निकालते हुए कह दिया।
"अच्छा एक बात बताओ कोई लड़की अगर मोडेलिंग करती है, डांसर है, टीवी सीरियल या फिल्मो में काम करती है तो वो गलत हो गई? समाज उसकी सीरियल देखेंगा, फिल्म देखेंगा पर उसे अच्छी नजर से नहीं देखेगा?"
"एसा नहीं है पर वो अच्छे रोल करेगी तो लोग उसकी इज्जत करेगे। छोटे कपड़े पहन कर कमर मटकाकर नाचने की जरूर क्या है, वह अच्छा डान्स नहीं कर शकती?"
"सभी को इतनी आसानी से फिल्म में बड़ा रोल मिल जाता है? और फिर जो भी हीरो हीरोइन हों वो अपनी मुताबित थोड़े ही काम करते है? फिल्म में कहानी होती है, डिरेक्टर होता है, इन सब से ऊपर फिल्म को हिट बनाने के प्रेसर, लोग जैसी फिल्मे देखेंगे वैसी ही फिल्मे बनेगी न।"
"अब तू ये फिल्मों की बाते लेकर क्यों बैठ गई, चल खाना खा लेते है, तेरे पापा को आने में देर हो जाएंगी उनकी मीटिंग है खाना खाकर ही आएंगे।" सरोज खड़ी हों गई।
टीनाने अपनी मम्मी का हाथ पकड़ कर उसे बैठाते हुए कहा, "मम्मी मुजे तुम से कुछ बात करनी है। कई दीनो से सोच रही थी बतादूं आज बता देती हूँ।"
"एसी क्या बात है?"
"मम्मी कुछ दिन पहले एक लड़की घर आई थी, अंजलि याद है?"
"हाँ... वो तेरी कंपनी में नोकरी के लिए बात करने आई थी।"
"जी वही, पर मम्मी वो नोकरी की बात करने नहीं आई थी, वो... में उससे प्यार करती हूँ और हम दोनों शादी करने वाले है!"
"क्या बक रही हे तू? पागल हों गई है क्या? एक चांटा लगाऊ क्या?"
"अब में कोई छोटी बच्ची नहीं हु मम्मी, में उससे प्यार करती हूँ और कानूनन हम शादी करके साथ रह शकते है।"
"चुप हों जा नालायक। तू जे शर्म नहीं आती एसी बाते करते?"
"इसमे शर्म कैसी? तुम अपने फेसबुक पर ये बात शेर करो, मेरी और मेरी दोस्त की एक दूसरे के साथ फोटो शेर करो देखना ढेरो लाईक्स और कॉमेंट मिल जाएंगी।"
"लाईक्स और कोमेंट्स का क्या अचार डालना है मुजे? पर ये सब हुआ कैसे तू तो सीधी लड़की थी और अचानक ये,"
"में आज भी सीधी लड़की ही हूँ मम्मी। तुम बताओ सीधी लड़की होना मतलब क्या? बहनजी बनकर घूमने वाली लड़किया सीधी होती है और मोर्डन लड़किया टेढ़ी? में तो इन दोनों के बीच में आती हूँ तो में केसी लड़की हुई? पार्टी में जाकर में भी थोड़ी शराब पी लेती हूँ, छोटे कपड़े में नहीं पहनती क्योंकि वो मुज पर सूट नहीं करते, अगर में भी शनाया जितनी सुंदर होती, मेरा उस जैसा फिगर होता तो में भी शॉर्ट पहन कर घूमती। ये सीधी लड़की, ये चालूँ लड़की, ये खद्दूस लड़की, ये बहनजी टाइप, ये हीरोइन... और कितने सारे लेबल हम लड़कियो पर लगाते है, क्यों? एक औरत होकर हम दूसरी औरत पर लेबल लगाना बंध नहीं कर शकते।"
"शनाया के साथ जो भी हुआ वो अपनी लड़ाई खुद लड़ रही है, वो सही है या गलत उसका फैसला करने का हक हमे किसने दिया? उसकी न्यूज़ बनाकर लाईक्स बतौरना क्या आपको सही लगता है?"
"जरा सोचो मम्मी कल अगर कोई मेरी न्यूज़ बना कर सोसियल साइट्स पर रखेंगा तो तुम्हें कैसा लगेगा?"
सरोज चुप होकर कुछ सोच रही है, तभी दरवाजे की घंटी बजी,
"टिंग टोंग!", "टिंग टोंग!"
टीना खड़ी होकर दरवाजा खोलने जा रही हे तभी सरोज उसका हाथ पकड़ कर रोक लेती है, "तूने अभी जो भी कहा सब जूठ थाना? मुजे अपनी का गलती का आहेसस कराने!"
टीनाने हँसते हुए कहा, "अरे वाह मेरी मम्मी के दिमाग की घंटी भी बज गई!"
"तू बड़ी सयानी हों गई है रुक में तुजे बताती हूँ," सरोजने टीना के कान खींचना चाहा पर वो खड़ी हो कर दरवाजे की तरफ भागी और दरवाजा खोल दिया, दरवाजे पर उसके पापा खड़े थे उन्होने अंदर आते ही कहा,
"क्या कर रही थी दोनों, इतना वक्त क्यों लगा डोर खोलने में," उन्होने अंदर आकर अपनी टाई खोलते हुए कहा, "सरोज तुमने ये शनाया के बारे में कुछ जाना?"
दोनों माँ बेटी एक दूसरे की और देखते हुए मुस्कुराई...
नियती कपाड़िया।