वातावरण में ठंड के कारण टेंट में भी ठंड लग रही थी। इतने में इवान को टॉयलेट जाना था। वह चिंटू से पूछता है- फ्रेश होने आना है तुम्हे? चिंटू उसे मना कर देता है। वह बेला के सामने देखकर बोलता है- मै जरा जाकर आता हुं। बेला शरमा जाती है। बाहर खड़ा आदमी इवान के साथ जाता है। तभी बेला को लगा कि कुछ देर के लिए इन दोनों को साथ में बातचीत करने का मौका मिल जाएगा। बेला भी सुमति को अभी आती हूं कहके चली जाती है।
बेला के जाते ही चिंटू थोड़े गुस्से में सुमति से पूछता है- मंगनी करली और बताया भी नहीं?? इतना गैर कर दिया मुझे? तुमसे यह उम्मीद न थी।
सुमति (नजरें नीचे गड़ाए)- मंगनी नहीं हुई है, सिर्फ बात पक्की हुई है।
चिंटू- और शादी?
सुमति- दो साल बाद।
चिंटू- ये वही लड़का है न जिसकी बर्थ डे पार्टी में तुम आई थी?
सुमति- हां, वहीं है?
चिंटू की हालत काटो तो खून न निकले वैसी हो गई थी। उसे एहसास हो रहा था शायद वह सुमति से प्यार कर रहा है। इसी लिए किसी और से उसके रिश्ते की बात सुनकर उसे गुस्सा आ रहा है। सुमति आगे चुप ही रहती है।
चिंटू उससे पूछता है- कभी याद नहीं आई मेरी?
सुमति मन में ही बड़बड़ाती है ' भूली ही कब थी जो याद करती'। फिर चिंटू को कहती है- तुम्हे मेरी याद आई थी?
चिंटू- सच कहूं तो हा। मै मिलने एकबार आया था तुम्हारे घर पर तुम सब कहीं बाहर गए हुए थे।
सुमति आश्चर्य से- कब?
चिंटू- पिछले महीने। तुम शायद अपने दोस्तो के साथ बाहर गई थी और अंकल आंटी भी नहीं थे।
सुमति- तो दुबारा आए क्यों नहीं?
चिंटू- हिम्मत नहीं हुई। सुमति मै तुमसे अपनी हर गलती की माफी चाहता हुं। plz मुझे माफ़ कर दो।
सुमति- मैंने तुम्हे कबका माफ़ कर दिया है। वैसे गलती मेरी भी थी। बिना सोचे समझें तुमसे प्यार...।
चिंटू- उस वक्त ही मुझे संभल जाना चाहिए था। सच कहूं तो तुम्हारे बगैर मै अपने आप को अधूरा महसूस करता था। कोई नहीं था जिसे मै अपनी दिल की बात कर सकू। मन्नू और राधा भी मुजसे दूर होते चले गए और तुम भी। सब मेरी गलती का नतीजा है।
सुमति- मेरी गलतियां भी कम नहीं है। क्यों मैंने तुमसे बात करने की कोशिश नहीं की। तुम्हारी तरह मेरा भी इगो नहीं गया था तब। बस दिमाग में गुस्सा भरा था तब।
चिंटू- छोड़ो पुरानी बाते और नए सिरे से दोस्ती की शुरुआत करते है।
चिंटू चाहकर भी अपनी दिल की बात बोल नहीं पा रहा था। वहीं हाल सुमति की भी है। दोनों इस वक्त अपने अपने पार्टनर्स को भूल गए थे। इतने में बेला वापस आ जाती है और उसके पीछे पीछे इवान भी आ गया। दरअसल बेला सुमति और चिंटू को एकेले बात करने का मौका देना चाहती थी। इसलिए वह बाहर जाने का नाटक करती है पर वह बाहर टेंट के पास खड़ी होकर उन दोनों की बाते सुं रही थी। इवान को दूर से आता देख वह टेंट के अंदर आ गई थी।
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रिया अपने पापा के साथ घर के ड्रॉइंगरूम मै बैठी हुई थी। उसके पापा ने रिया से कहा- मुजे लगता है कि तुम्हे वहीं रुक जाना चाहिए था। चिंटू क्या सोचेगा तुम्हारे बारे में?
रिया- पापा वहां जान का खतरा था। अगर डाकू मुझे भी उठा ले जाते तो? मै डर गई थी पापा।
रिया के पापा- पर चिंटू वापस आएगा और तुम्हे न देखा तो क्या सोचेगा?
रिया- वो मुझे नहीं पता।
रिया के पापा- तु उसे प्यार करती भी है या नहीं।
रिया- करती हुं पर...
रिया के पापा- तो? उसकी राह देख लेनी चाहिए थी। मैंने भी बिना सोचे तुझे बुला लिया यहां।
रिया- उसके मिलते ही मै वहा चली जाऊंगी। मेरे पास वो आंटी का नंबर है। आते वक्त ले लिया था।
रिया के पापा- हा। तो अभी लगाओ फोन और वहा के हालात के बारे में पूछो।
रिया स्नेहा को फोन लगाया- हैलो आंटी में रिया बोल रही हुं चिंटू की फ्रेंड। आंटी कुछ पता चला उन लोगो के बारे में? पापा की तबीयत ठीक नहीं है तो मै वहा वापस नहीं आ सकी
स्नेहा- पुलिस उन्हे ढूंढ़ ही रही है बेटा। वे जल्दी ही मिल जाएंगे, तुम फिकर मत करना। जैसे ही उनकी खबर मिले मै तुम्हे कॉल कर दूंगी।
रिया- जी आंटी शुक्रिया। अगर कोई काम हो तो बुला लेना मै तुरंत आ जाऊंगी।
स्नेहा- ठीक है बेटा अपना खयाल रखना।
रिया अपने पापा से कहती है अभी तक उन लोगो का कोई पता नहीं चला। क्या करे बात आगे ले जानी चाहिए? मेरा मतलब मीडिया मै अब दे देनी चाहिए ये खबर।
रिया के पापा- उस लड़की के मा बाप खुद मीडियावाले है। अगर वे बात को सबके सामने नहीं लाना चाहते तो हमे उनकी बात का ध्यान रखना चाहिए। क्या पता इससे उनकी बेटी और हमारे दामाद को कोई तकलीफ़ हो। वो डाकू को कहीं न कहीं से पता चल जाएगा कि अब टीवी पर भी ये न्यूज आ गई है तो कहीं वो चिंटू और उस लड़की और उसके साथी को नुकसान न पहुंचाए।
रिया- मै तो बोर हो गई हुं घर पे। मै अपने फ्रेंड के घर जा रही हूं और डिनर करके ही लौटूंगी।
रिया अपनी सहेली के घर चली गई और उसके पापा ऑफिस चले गए। वे सोच रहे थे कुछ भी करके चिंटू को छुड़ाना ही होगा। ऐसा है तो मै ही चला जाऊंगा चंबल।
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चिंटू का अब तक कोई सुराग नहीं मिला यह बात पता चलने पर उसकी मा का बुरा हाल हो गया था। पिया स्नेहा से बात करती ही रहती है। शारदा कहती है- हम भी वहा चले जाते है पिया। तेरे भाई का कुछ पाता नहीं चला और साथ में सुमति भी है। है भगवान मेरे दोनों बच्चो कि रक्षा करना। उनके मिलते ही है गणपति बप्पा! मै सिद्धि विनायक चलकर आऊंगी।
पिया- मां हम वहा जाकर क्या करेंगे। खामखां स्नेहा दीदी को तकलीफ़ होगी। उनके साथ साथ उन्हे हमारा भी ध्यान रखना पड़ेगा। भाई मिल जाएगा। वो इतना भी कमजोर नहीं है। सुमति का और अपना खयाल रख ही रहा होगा। आप परेशान न होइए वरना ज्यादा बीमार पड़ जाएगी।
शारदा- ना जाने मेरे बच्चो ने खाना खाया होगा या नहीं? वे लोग उन्हे मार तो नहीं रहे होंगे न?
पिया- आप परेशान न हो plz।
मां बेटी चिंटू और सुमति के बारे में सोचते रहते है। यहां भी दोनों की भूख मिट चुकी थी।
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पुनीश जबसे आया था तबसे एक दाना भी अन्न का मुंह में नहीं डाला था। शाम को स्नेहा ने जबरदस्ती सुमति की कसम देकर खाना खिलाया। उसने और राहुल ने भी पुनिश का साथ देकर थोड़ा खा लिया। डिनर करने के बाद तीनो बैठते है। अभी सुमति का रूम खाली था तो पुनीश वहीं रुक गया था। वह स्नेहा और राहुल से कहता है- मै कल पुलिस की टीम के साथ सौम्या को ढूंढने जाने वाला हुं। कहीं रात में देर हो जाए तो चिंता मत करना और खाना खा लेना।
राहुल- मै भी तुम्हारे साथ आऊंगा।
पुनीश- नहीं अंकल! आप यहां आंटी का ध्यान रखिए। वह अकेली पड़ जाएगी। और दिनभर पैदल चलना है तो आप भी थक जाएंगे। आप plz यही रहिए।
स्नेहा- तुम सही कह रहे हो बेटा। यहां अकेले अकेले मेरा टाइम नहीं निकलेगा। और आप लोगो की चिंता भी बनी रहेगी। पर बेटा तुम अपना खयाल रखना। और (रोते हुए) मेरी बच्ची को वापस ले आना।
पुनीश- उसे वापस लाने ही मै यहां आया हुं। भरोसा रखिए, मै उसे कुछ नहीं होने दूंगा।
राहुल- तुम हमारे एक फोन पे यहां आ गए। हम तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करे!
पुनीश- ये आप क्या कह रहे है अंकल? सौम्या के लिए मै कुछ भी कर सकता हुं। अब आप आराम करिए, मै भी सोने जाता हुं। कल जल्दी भी उठना है।
पुनीश अपने रूम में आ जाता है। कपड़े बदलकर वह सोने चला जाता है। पर उसे नींद ही नही आ रही थी। वह सुमति के साथ बिताए हर पल को याद करके उदास हो रहा था।
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आज सुबह से सुमति, चिंटू और इवान को एक साथ रखा गया था। रात के खाने के वक्त बेला उन लोगो का खाना ले आती है। उसके साथ आया आदमी उन तीनों को खाना परोस देता है।
इवान- यार हमे कब तक यहां रहना पड़ेगा, और कब तक इन लोगो के कपड़े पहनने पड़ेंगे? यार कुछ नहीं तो मेरे कपड़े तो मंगवा दो।
बेला- ताकि हमारा आदमी पकड़ा जाए, क्यों?
इवान- नहीं, नहीं। मुझे तो आप लोगो के कपड़ों में रहते रहते डाकुओं जैसी फिलिंग्स आने लगी है।
बेला और बाकी सब यह सुनकर हंसने लगते है।
इवान- इसमें हसने की क्या बात है? देखो तो सही कैसे ढीले ढाले है ये। बिल्कुल मरियल सा दिखता हुं मै। ये चिंटू को देखिए, कैसे फिटिंगवाले कपड़े मिले इसको और मुझे??
यह सुन चिंटू कहता है- यहां फैशन शो में आया है क्या? बहुत चु चपड़ की तो नंगा रखेंगे ये लोग। फिर बैठे रहना बिना कपड़ों के।
बेला- नहीं चिंटू जी, हम किसीको बिना कपड़ों के नहीं रखते।?
इवान- देखा, खामखां डरा रहे हो। वैसे आज खाना कल से ज्यादा टेस्टी लग रहा है, क्यों सौम्या।
सुमति- हां, सिम्पल है पर टेस्टी है। मुझे तो यहां भी हम छुट्टी पर आए है एसा लग रहा है। डाकुओं के बारे में जो सोचा था वैसे नहीं है ये।
बेला- क्या सोचा था?
सुमति- यही की सबको बंदी बनाकर टॉर्चर करते होगे, भूखा रखते होगे...।
बेला- ऐसा बिल्कुल नहीं है। यही राय हमे बदलनी है। और हां, आज का खाना मैंने बनाया है।
इवान- तभी मै सोचु इतना टेस्टी कैसे है! आपकी उंगलियों से को बना है।
बेला- नहीं, लकड़ियों के जलने से बना है।?
चिंटू चुप चाप उन सबकी बाते सुनकर अपना खाना खाते रहता है। बेला के साथ आया आदमी खाना परोस के चला गया था। चिंटू कुछ सोचकर बेला से कहता है- बेला मै एक बात कहना चाहता था। हमे आप यहां किडनैप करके लाए ही है तो हमे यहां वहां थोड़ा घुमा भी दो।
बेला- क्या मतलब?
चिंटू- मेरा मतलब ये है कि यहां तक आए है तो यहां की देखने लायक जगह हमे दिखा दो।
बेला (हसते हुए)- इस बिहड़ में?
चिंटू- आस पास कुछ नहीं है क्या देखने लायक?
बेला- यहां से शायद चार पांच किलोमीटर पर एक पुराना मंदिर है। जो इस वक्त खंडहर बन गया है। डाकुओं के डर से वहा कोई आता जाता नहीं है।
चिंटू- और आसपास कोई गांव?
बेला- वहा तक जाने की परमीशन नहीं मिलेगी बच्चू। ज्यादा मत उडो।
चिंटू- अगर आप या आपके साथी साथ होगे तब भी नहीं? देखिए हमे कपड़ों कि जरूरत है। वैसे हमारे पास पैसे है जिससे हम कपड़े खरीद सके। आपसे मांगने भी नहीं पड़ेंगे। किसी गांव में जाकर खरीद के वापस आ जाएंगे। और यकीन रखिए हम भागेंगे नहीं।
बेला सोच में पड़ जाती है फिर अपने बाबा से पूछकर बताने को कहती है। उसके जाने के बाद सुमति चिंटू से पूछती है- मुझे पता है हमे कपड़ों कि जरूरत फिलहाल तो नहीं है। तो फिर तुमने क्या सोचकर यह बात कही है?
चिंटू- हमे अगर परमीशन मिल जाए तो हम गांव में जाते वक्त पेड़ पर निशान करके उस गांव तक जाएंगे। और जब कभी भागने का मौका मिले तो उसी निशान के सहारे उस गांव के थाने मै पहुंच जाएंगे।
इवान- क्या बात है दोस्त! तेरा दिमाग तो बड़ा शातिर है। पर मुझे नहीं लगता उसका सरदार बेवकूफ है जो हमे जाने देगा।
चिंटू- बेला कहेगी तो जाने देगा।
सुमति- मुझे नहीं लगता।
चिंटू- देखते जाओ।
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बेला सरदार दिग्विजय के पास जाती है।
बेला- बाबा आपने खाना खा लिया?
दिग्विजय- हा बेटा। क्या काम है बोलो
बेला- आपको कैसे पता चला मुझे काम है?
दिग्विजय- बाप को अपने बेटी के मन की बात पता चल जाती है। अब बताओ क्या काम है?
बेला- बाबा वो.. जिसे हम किडनैप करके लाए है उन्हे दूसरे कपड़े चाहिए।
दिग्विजय- हा तो दिए तो है। नहाने के बाद हमारे कपड़े ही तो दिए है।
बेला- ऐसा नहीं बाबा। उन्हे उनके खुदके कपड़े चाहिए। पास के गांव में ले जाकर दिलवा दे? पैसे उनके पास है।
दिग्विजय- तुम जानती हो बेटा हम उन्हे कहीं नहीं जाने दे सकते। अगर ये उन तीनों की भागने की चाल होगी तो?
बेला- हमारे आदमी जाएंगे ना सादे कपड़ों में उनके साथ। और वो लड़की अकेली न पड़े इसलिए मै भी उसका ध्यान रखने जाऊंगी। और गांव आने तक हम उनके हाथ को अपने हाथ से रस्सी से बांधकर रखेंगे ताकि वे भाग न सके।
दिग्विजय- आइडिया तो बुरा नहीं है। पर फिर भी मुझे वे कोई चाल चलेंगे ऐसा लगता है। तुम्हे पता नहीं वो लड़का पुलिस बनने वाला है?
बेला- वो कोई पुलिस नहीं बनाने वाला। शायद हमे डराने के लिए बोला लगता है।
दिग्विजय- हो सकता है वो जूठ बोल रहा था। पर...
बेला- हम है उनके साथ। अगर वे कोई गलती करेंगे तो हमारी बंदूक की गोली कभी निशाना नहीं चूकती आप जानते है।
इतने में रमादेवी भी आ जाती है। वे बेला और उसके बापू की बाते सुनती है। फिर कहती है- अगर उनके हाथ हमारे आदमी से बंधे होगे तो कहा भागने वाले है? जाने दीजिए। और पास ही के गांव में जाना बेला। वहा मत ले जाना जहा से इन लोगो को पकड़ के लाए है।
बेला- मां वो जगह तो बहुत दूर है। मै ऐसा करती हुं इन सबको मेरे गांव में ही लेकर जाते है। वहा पर बाबा का खौफ तो है ही। तो कोई पुलिस को बताने की गलती नहीं करेगा।
दिग्विजय- ये सही रहेगा। पर उन तीनों को ले जाना जरूरी है?
बेला- उनके नाप से ही कपड़े लेंगे न। हमे कैसे पता चलेगा कैसे कपड़े उन्हे लेने है।
दिग्विजय- ठीक है कल ले जाना उनको। और हीरा और मोहन को साथ ले जाना। दोनों लड़के कोई चालाकी न करे उसका ध्यान वे बखूबी रखेंगे।
बेला- जी बाबा, मै उन दिनों को कहे देती हुं।
बेला आकर सुमति को कल के बारे में बताती है। सुमति तुरंत ही चिंटू के सामने देखती है। उत्साही इवान चिंटू को सेल्यूट करता है।
क्रमशः