चिंटू - 21 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटू - 21

सुबह से ज्यादा धूप नहीं निकली थी। इवान, चिंटू और सुमति को एक जगह बिठाया गया। कुछ देर बाद डाकुओं का सरदार खुद दिग्विजय बाहर आता है। देखने में वह बिलकुल डाकू जैसा ही दिखता था। काले रंग का कुर्ता, सफेद धोती, सर पे पगड़ी और बड़ी बड़ी मूंछें। इवान चिंटू के कान में कहता है- ये डाकू लोग हमेशा ऐसे ही कपड़े क्यों पहनते है? जींस- टी शर्ट नहीं पहन सकते? सरदार के सिवा के बाकी के लोग भी सिर्फ काले पेंट शर्ट में है। कोई कलरफुल कपड़े नहीं पहन सकते? चिंटू इवान के सामने गुस्से से देखता है तो इवान सीधे बैठ जाता है।

डाकुओं का सरदार उन तीनों के पास आकर सीधे कहता है- मुझे तुम लोगो से कोई वास्ता नहीं है। बस हमारी मांग पूरी हो जाए तब तुम लोगो को छोड़ दिया जाएगा।
तो इवान कहता है- और अगर आपकी मांग पूरी न हुई तो?
दिग्विजय- तो आप सबका बुरा हाल होगा।
इवान डर जाता है पर फिर अपने आपको स्वस्थ करके बोलता है- इसमें हमारी क्या गलती है? आप हमे पकड़ने से अच्छा कोई नेता को पकड़ लेते। आपकी डिमांड जल्दी पूरी होती।
चिंटू गुस्से से उसे चुप रहने को कहता है।
दिग्विजय- बात तो तुम्हारी सही है लड़के।
इवान- है न? मै बचपन से ही इंटेलिजेंट हुं।?
दिग्विजय- हम्...! तुम क्या काम करते हो लड़के?
इवान- डाकुजी! मेरा नाम इवान है। आप मुझे लड़के के बजाय इवान कह सकते है। वैसे मै एक न्यूज चैनल में जूनियर रिपोर्टर हुं। और ये सौम्या भी उसी न्यूज चैनल में काम करती है। और ये चिन्मय ऑर्फ चिंटू है। ये क्या करता है मुझे पता नहीं है।
दिग्विजय- मैंने सिर्फ तुम्हारे बारे में पूछा था।
इवान- बारी बारी आप सबको पूछने ही वाले थे तो मैंने सबके बारे में आपको पहले से ही बता दिया। खामखां आपको महेनत करनी पड़ती पूछने की।
चिंटू सुमति के कान के पास अपना मुंह ले जाकर कहता है- सुमति ये गधा मरवाएगा हमे देख लेना। इसका मुंह बंद करवाओ नहीं तो लेने के देने न पड़ जाए।
सुमति इवान को चुप रहने का इशारा करती है।
दिग्विजय- तुम सब यहां तब तक हो जब तक मेरा बेटा वापस नहीं आ जाता। यहां तुम लोगो को कोई दिक्कत नहीं होगी। हां अगर मेरा बेटा वापस न आया तो मै कुछ कह नहीं सकता।
चिंटू- लेकिन हमारा क्या कसूर है। आपके बेटे को पुलिस ने तभी पकड़ा होगा जब उसने कुछ किया होगा।
दिग्विजय- मेरे बेटे ने उन ठेकेदारों को लूंटा है जो गरीब किसानो को लूंटता था। ये कोई गुनाह नहीं है।
चिंटू- लेकिन कानून की नजरो में यह गुनाह ही है। उन किसानों को भी अपने हक के लिए कानून की मदद लेनी चाहिए जिसे ऐसे ठेकेदार परेशान करते हो।
दिग्विजय गुस्से से कहता है- पुलिस भी उन कमीनो से मिली हुई है।
चिंटू- आपने कभी ऐसा पुलिसवाला देख है जो उन ठेकेदारों की मदद करता हो? कोई किसान कभी गया है पुलिस के पास रिपोर्ट लिखवाने?
दिग्विजय- नहीं, वे सबको पता है उन गरीब की कोई नहीं सुनेगा। पुलिस पैसेवाला की ही होती है।
चिंटू- बगैर पुलिस के पास गए आप ऐसा नहीं कह सकते। अब पुलिस गरीब हो या पैसेवाला, सबकी होती है। एक बार भरोसा करके देखिए पुलिस पर।
दिग्विजय- तुम इतनी पुलिस की तरफदारी क्यों कर रहे हो। कहीं तुम पुलिसवाले तो नहीं?
चिंटू हंसते हुए- अभी तक तो नहीं बना।
दिग्विजय- हम्म्! तो बनने वाले हो?
चिंटू- कह सकते है।
इवान, सुमति और बेला उन दोनों की बाते सुनते रहते है।
फिर इवान कहता है- है... तु पुलिस में नौकरी करने वाला है? मुझे बताया भी नहीं?
चिंटू- तु कौनसा मेरा सगा है जो तुझे बताऊं?
इतने में रमादेवी आ गई। वह दिग्विजय से कहती है- सुनिए! मंगल आपका बेटा है जिसे आप छुड़ाना चाहते है, वैसे ही यह भी किसिके बच्चे है। आप पर बीत रही है ऐसा ही उनके मां बाप पर भी बीत रहा होगा। कृपया करके इन्हे जाने दीजिए।
दिग्विजय- मै यही कहना चाहता हुं। मेरी तडपन भी वे लोग समजे।
चिंटू कहता है- आप बेशक हमे अपने पास रखे पर आप सुमति को जाने दीजिए। plz मै आपसे रिक्वेस्ट करता हुं।
दिग्विजय- माफ़ करना पर किसीको नहीं छोडूंगा जब तक मेरा बेटा वापस न आ जाए।

****
पुनिश के आते ही स्नेहा उससे लिपटकर रोते हुए कहती है - मेरी बच्ची को बचालो पुनिश।
पुनिश- हां आंटी, मै आ गया हु न, अब सब ठीक हो जाएगा। आप शुरू से मुझे बताइए क्या हुआ था?
स्नेहा सब बात डिटेल में बताती है।
पुनिश- मै आज ही सौम्या को ढूंढने निकलता हुं। उसे लेकर ही लौटूंगा।
राहुल- कहीं नहीं जा रहे तुम पुनिश। हम अपनी बेटी को बचाने के लिए तुम्हे मुसीबत में नहीं डाल सकते।
पुनिश- plz अंकल, मुझे जाने दीजिए। सौम्या आपकी बेटी है तो मेरी भी कुछ लगती है।
राहुल- तुम अगर मदद करना चाहते हो तो उस इंस्पेक्टर की करो जो यह केस संभाल रहा है। अगर तुम इन बीहड़ों में कहीं गुम हो गए तो तुम्हे कहा ढूंढेंगे। वहा मोबाइल नेटवर्क भी नहीं आता है। अगर सौम्या को छोड़ दिया गया तो तुम्हे कहा इत्ताला करेंगे। तुम हमारे साथ ही रहो बेटा।
पुनिश- आप ठीक कह रहे है अंकल। तो मै थाने जाकर आता हुं। देखता हूं तहकीकात कहा तक पहुंची।

****
इंस्पेक्टर अपनी टीम के साथ रात भर बीहड़ों में डाकूओं का ठिकाना ढूंढता रहा था और अभी अभी थाने वापस आया था। जब वह थाने पहुंचा तो पुनिश को बैठे पाया। पहले वह अपने कैबिन में चला गया और कॉन्स्टेबल को बुलाकर कड़क चाय का आर्डर देने को कहा। कॉन्स्टेबल ने उसे बाहर बैठे पुनिश के बारे में बताया- यह लड़का उन किडनैप की गई लड़की का मंगेतर है और इंडियन आर्मी में है। आर्मी का नाम पड़ते ही वह पुनिश को तुरंत अंदर बुलाता है। पुनिश ने अंदर आकर इंस्पेक्टर से गर्मजोशी से हाथ मिलाया। इंस्पेक्टर ने उन्हें चेयर पर बैठने के लिए कहा और कॉन्स्टेबल को कहके एक और चाय मंगवाई। पुनिश ने इंस्पेक्टर को अपने और अपने पापा के बारे में बताया।
इंस्पेक्टर- देखिए मिस्टर पुनिश, हमारी टीम दिन रात आपकी मंगेतर और उनके दोस्तों को ढूंढ़ रही है। यकीन करिए हम उन्हे ढूंढ़ निकालेंगे।
पुनिश- मुझे आप पर पूरा भरोसा है। मै बस यहां आप लोगो की हेल्प करने आया हुं। मुझे भी अपने साथ ले जाइए उन्हे ढूंढने।
इंस्पेक्टर- जी बिल्कुल, आप आ सकते है हमारे साथ। अभी तो मै घर जा रहा हुं। हमे रात में एक क्लू मिला था कि वे सब कहा हो सकते है। पूरी रात खोजबिन चली पर पता नहीं वह कहा ठिकाना बनाए हुए है अपना?
पुनिश- कहीं न कहीं तो होगा ही वह। अब तो उसे ढूंढ़ ही निकालेंगे।

****
दिग्विजय और रमादेवी अपने टेंट में चले जाते है। चिंटू, इवान और सुमति को बेला अपने टेंट में ले आती है। टेंट के बाहर एक पहरेदार को खड़ा रखा गया है। ताकि ये सब चकमा देकर भाग न जाए। इवान तो बेला को देखते ही पागल सा हो जाता है। चिंटू उसे बार बार अपनी कोहनी मारता रहता है। ताकि वह अपनी नजरें बेला पर से हटाए। बेला सुमति से पूछती है- क्या तुम्हारी शादी हो गई है?
सुमति- नहीं, (चिंटू के सामने देखते हुए) पर मंगनी तय हो गई है।
यह सुनकर चिंटू मानो एक धड़कन चूक गया। वह सुमति के सामने आश्चर्य से देखता है। कुछ देर के लिए दिमाग सुन्न पड़ जाता है। उसे खुद नहीं पता चल रहा था उसे क्या हो रहा है। बेला से बात करने के इरादे से इवान बोल पड़ता है- उसका मंगेतर इंडियन आर्मी में है। उसका नाम पुनिश है।
सुमति चिंटू से नजरें नहीं मिला पा रही थी क्योंकि उसे पता था कि चिंटू को इस बारे में कुछ पता नहीं है।
चिंटू सोच रहा था यह वहीं लड़का है जिसकी बर्थ डे पार्टी में रिया मुझे ले गई थी। पर ये सब कैसे..?? पिया ने भी मुझे कुछ नहीं बताया।?

बेला उन दोनों को ही देख रही थी। पर वह समझ नहीं पा रही थी के इन दोनों की आंखो मै एक दूसरे के लिए प्यार तो दिख रहा है फिर ये लड़की ने इससे इजहार क्यों नहीं किया? और किसी और से मंगनी भी कर ली?
सब लोगो को शांत देखकर इवान कहता है- अरे आप सब चुप क्यों हो गए? बेला जी आप कुछ अपने बारे में बताइए न।
बेला- मै? मेरे बारे में आप लोगो को आपके गाइड ने बता तो दिया। और नया क्या बताऊं?
इवान- यहां आने के बाद का विवरण बताइए।
बेला- यहां आने के बाद मां ने मुझे अपनी सगी बेटी की तरह पाला है। गिरोह में शामिल हर आदमी मुझे अपनी छोटी बहन मानता है।
इवान बीच में ही बोल पड़ा- अच्छी बात है के सब आपको बहन मानते है। पर फिर आपकी शादी? उसके बारे में क्या सोचा आपने? गांव के लड़के से शादी करेंगी या शहरी भी चलेगा?
बेला- बाबा तय करेंगे इसके बारे में।
बेला इवान का कहना समझ रही थी के वह क्या कहना चाहता है।
सुमति- तो तुम्हारे बाबा ने तुम्हारे लिए कोई लड़का ढूंढा है?
बेला- नहीं, अभी नहीं।
इवान यह सुन खुश हो जाता है। चिंटू को गुमसुम बैठा देख इवान उससे पूछता है- क्या हुआ चिंटू महाशय? गुमसुम क्यों हो गए। अपनी वाली कि याद आ गई क्या?
चिंटू कोई जवाब नहीं देता।

क्रमशः