अधूरी हवस - 12 Baalak lakhani द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अधूरी हवस - 12

(12)

वास्तविक प्रेम कर पाना बहुत कठिन होता है जब आप दूसरी बार प्रयास कर रहे हो...! या यूं कहूं असंभव...

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मिताली अपने गाव पहूँच जाती है, जेसे ही घर पर पहुँचती है, पहेले कॉल राज को ही करती है.

मिताली : पहुच गई हू ठीक से.

राज : ठीक है आराम करो सफर मे थक चुकी होगी.

मिताली : हा बहोत ही वेसे तो स्लीपर थी पर नीद पूरी नहीं हुई.

राज : क्यू नहीं हुई?

मिताली : आपकी वजह से.

राज : मेरी वजह से केसे? मेंने अब क्या किया?

मिताली : सब आपका ही तो किया धरा है.

राज : ये अच्छा है इल्ज़ाम मुझ पर डाल दो.

मिताली : हा तो हे तो हे.

राज : ठीक है बाबा बाते बाद मे होती रहेगी तुम आराम करो मे भी रेडी होके ऑफिस निकलता हू.

मिताली : क्यू जल्दी आज?

राज :इतनी जल्दी उठा दिया नींद से तो अब फिरसे नींद नहीं आयेगी तो ऑफिस जाना ही सही है.

मिताली : ओह ऎसा हे जनाब को अगर जल्दी उठाया जाए तो काम पर जल्दी जा सकते हैं, अच्छा किया ये बात आपने मुजे बता दी.

राज : क्यू?

मिताली : बाद मे बताऊंगी चलो अभी रखती हू आप अपना काम निपटाए और मे सो जाती हू.

राज मिताली के बारे में कुछ दुविधा में हैं, राज का दिल और दिमाग दोनों अलग अलग सोच रहे हैं, दिल मिताली की मासूमियत पर मरे जा रहा था और दिमाग उसकी मासूमियत का फायदा उठाना चाहता है, जब वोह मिताली से बात करता है तो उसको दूसरा कोई खयाल ही नहीं आता पर जेसे ही वोह अकेला होता है तो शैतानी दिमाग खेल खेलना शुरू कर देता है, और हावी होंने लगता है, इस मासूम सी कली अब तुम्हारे इशारों पे जो चाहो वोह करेगी, बनजाओ वोह भंवरा जो हर कली का मचलना चाहता है, मत कली के मोह में उलझा करो ये तुम्हारे सही नहीं है, दिमाग उसे वश में किए जाता है, पर जेसे ही मिताली से बात होती है, तो दुनिया मे मिताली का प्यार ही प्यार महसूस होने लगता है, बस यही मेरी दुनिया हे.
इसी कशमकश मे राज कोई फेसला नहीं कर पाता कई दिनों तक, और फेसला नियति पर छोड़ देता है, रिश्ते को सम्भाले रखता है,.

उस तरफ मिताली को राज के सिवा कुछ सूझता ही नहीं उसके मंगेतर से बाते नहीं करती उतनी बाते और वक्त राज को दिया जा रहा था एक भी राज से बात किए बिना रहती नहीं रोज छोटी से छोटी बाते वोह राज से ही शेर करती थी और राज को भी हर बात पूछती रहती थी क्या खाया क्या किया हर घन्टे दर घंटे फोन करके ख़बर रखती थीं, मानो उसकी शादी सूरज की बजाय राज से ही होने वाली हो, मिताली सपना वहीं देख रही होती है, राज से वोह शादी करेगी और उसके साथ ही आखिरी साँस तक उसकी होके रहेगी ये फेसला मिताली ने अपने आप से कर लिया होता है, नियति भी उसका ही साथ दे रही होती है एसा उसे लगने लगता है, उस नादा को क्या पता कि नियति जब खेल खेलती है तो अच्छे अच्छे का तेल निकल जाता है,

एक दिन मिताली ने राज से कहा बहोत दिन हो गए हैं, आपको देखा उसे आपकी तस्वीर को देख कर जी को सुकून नहीं मिलता

राज : काम का बोझ ही इतना ज्यादा है के में यहा से निकलने के बारे में सोच भी नहीं सकता.

( मिताली नाराज हो जाती है.)

मिताली : आप बड़े पत्थर दिल हुए जा रहे हो, आपको छोटी बच्ची के दिल का दर्द महसूस ही नहीं होता, जाइए आपसे बात ही नहीं करनी. ( मिताली की आवाज भारी हो जाती है, और कोल कट कर देती है)

राज भी चाहता तो हे मिलने को उसका दिमाग जो उसे उसके पास जाके अपनी छुपी हुई हवस मिटा ने को बार बार इशारा करता है, दिमाग तो एक ही बात बताता है ये प्यार नहीं बस हवस हे जो तुम्हें और मिताली को इतना खिंच रही है दोनों को, राज अपने दिमाग की बात सुनता है और मिताली को मिलने उसके गाव जाने का फेसला कर लेता है,

राज : हैलो अभी भी नाराज हो?

मिताली : हा बहोत ही नाराज़ हू आपसे बहोत बुरे हो आप,

राज : अच्छा तो बुरा हू तो क्यू मुजे चाहती हो, मुजसे रिश्ता तोड़ क्यू नहीं देती

मिताली : बस हाँ बहोत हो चुका आपको नहीं मिलने आना तो नहीं ही सही, पर फिर कभी आप मुझको ये बात कभी मत बोलना के आपसे रिश्ता तोड़दु . (गुस्से मे कॉल काट दिया)

राज अफसोस होता है के मेरे मुह से ये केसी बात निकल गई, मिताली का सच्चा प्यार उसे साफ साफ महसूस होता था फिर भी क्यू उसे इस तरह से सताता हू, एक घंटे बाद मिताली का कोल आता है, मिताली ज्यादा से ज्यादा एक ही घंटा राज से बात किए बिना रहती है उससे ज्यादा वोह नहीं रहे सकती थी, ये बात राज को भी पता थी और माफी हमेशा मिताली ही मांगती थी. उन दोनों का रिश्ता उस लेवल पे कुछ ही वक़्त पर पहुंच चुका था, सुबह मिताली के कोल से उठना, ऑफिस के लिए जेसे ही निकला ता तो एक सेकेंड की भी देरी ना होती उसी वक़्त मिताली का कोल रोज आ जाता जेसे सीसी टीवी की तरह उसे सब वहा बेठि बेठि देख रही हो, बागबान की हेमा मालिनी हो जेसे हर आहट को वोह महसूस कर लेती थी और ये बात को भी चौका दिया करती थी के बे इतना परफेक्ट टाइमिंग केसे, कभी कभी ऊपर वाले से राज भी शिकायत करता हे तुमने मेरी किस्मत मे मिताली को इस वक़्त क्यू भेजा जब सब हाथ से फिसल चुका था.

(अगर मे मिताली के साथ आगे रिश्ता बढ़ाता हू तो बावल मच जाएगा कई जिंदगियां बर्बाद हो जाएगी मुजसे ज्यादा तो मिताली की उसके भाई की उसके माँ की और तो ओर वोह लड़का भी जो उनसे शादी करने वाला था सब कुछ राज को समझ अच्छे से आ रहा था, पर ये बात मिताली को केसे समझाना ये उसे समझ नहीं आ रहा था, हार कर रोज की तरह नियति पर ही छोड़ देता है)

मिताली ने नाराज राज से माफी मांगकर माना लिया था,पर शाम को राज ने मिताली को एकदम से अचंभे मे डाल दिया.

राज : हैलो ओये पागल मे निकल चुका हू तुम्हारे गाव आने के लिए.

मिताली : क्या? कब? केसे? कोन कोन?
(ढेर सारे सवाल एक साथ रख दिया एक ही साँस मे )

राज : ओ मेरी पागल सी तितली साँस ले ले
आराम से.

मिताली : हा पर आप अकेले तो कार लेकर नहीं निकले ना, किसी न किसी को साथ मे लेकर तो निकले हैं ना? बहोत लंबा सफर हे ओर पूरी रात कार चलानी पड़ेगी, आप अकेले हे तो मत आओ मे तो पागल हू मेरी बात को आप दिमाग पर मत लीजिए.

राज : अरे अरे मेरी बात तो पूरी खत्म होने दो बीच मे ही बोले जा रही हो.

मिताली : हा फिरभी आप अकेले तो नहीं ना?

राज : नहीं मे अकेला नहीं हू.

मिताली : पक्का खाइए मेरी कसम.

राज : अभी ये तुम कसमें बसमें वाला तुम मुजसे दूर रखो बाबा एसी बाते मुजे अच्छी नहीं लगती, आकाश हे मेरे साथ.

मिताली : नहीं मेरी उनसे बात कराए.

राज : भरोसा नहीं बे क्या?

मिताली : अपने आप से भी ज्यादा है, पर मे कोई चांस नहीं ले सकती.

(राज फोन हो स्पीकर पर डालता है, लो बात करो और जांच पड़ताल पूरी करो अपनी, आकाश बात करता है, क्या आप भी मेरे भाई को सताती हो मे हू साथ में आपके पास आपकी जान को सही सलामत ले आऊंगा, इतना कहा तब जाके मिताली के जान मे जान आई, फोन स्पीकर से हटा के कान पर रखते हुए)

राज : अब सही हे मोहतरमा.
( मिताली फोन पर ही लव यू, लव यू,....... की ओर चुम्बन की बारिश कर देती है)
बस बस कल के लिए भी कुछ बचेगा के नहीं फोन पर ही सब दे दोगी?

मिताली : आपका स्टॉक ही इतना ही की जमा हमारे पास की पूरा घर भरा पड़ा है पप्पीयो का.

राज : अच्छा तो कल पूरा कमरा हम खाली कर देंगे.

मिताली : हो ही नहीं सकती. ओ हैलो गाड़ी कोन चला रहा है?

राज : मे.

मिताली : रखों फोन रखों रोज बताना पड़ता है आपको ड्राइविंग करते करते कभी बात नहीं करनी हे, कितना समझाने का आपको, आप मेरी बात ही नहीं मानते मे, ज्यादा कहा कुछ मांगती हू आपसे आपकी सलामती के सिवा उसमे तो आप साथ दीजिए ना.
( रोने लगती है मिताली फोन पर)

राज : अरे रुको रोना बंध करो मे गाड़ी बाजू मे खडी करता हू और आकाश को चलाने देता हूं ठीक है?

मिताली : हम्म ठीक है.

राज : यार तुम्हारे आँखों आंसू मुजसे बर्दाश्त नहीं होते तुम जानती हो.

मिताली : आपकी सलामती और अच्छी सेहत के सिवा कुछ और मे मांगती कहा हू, उतना तो मेरे लिए किया करिए.

राज : हा पक्का वाला प्रॉमिस बाबा मे अपना खयाल रखूँगा,
(बाजू मे से आकाश बोलता हे मे आपकी अमानत काल सही सलामत ले आऊंगा अब तो रोना बंध कीजिए, इधर मेरे भाई की आँखों मे से आंसू निकलने की तैयारी में है)

मिताली : (आंसू पोछते हुवे)
मे तो कब से चुप हो गई हू, कहा रो रही हू देखो.

राज : हा पता हे चलो अब एक दम से शांत हो जाओ.

मिताली : हा हो गई हू (जोर से चिल्ला के)
हाँ.. हाँ... हाँ..

ऎसे ही दोनों बाते करते रहे देर रात तक बाद मे राज ने उसे सो जाने के लिए कहता है, अब मुजे ड्राइविंग सीट पर जाना है, तो तुम फोन रखो और सो जाओ, मुजे अब नींद कहा आयेगी आप रास्ते मे आ रहे हो मेरा जी तो आपके पास ही रहेगा, हाँ फिरभी मे बाद मे कहीं पर कार खडी करूंगा तब तुमसे बात कर लूँगा, ठीक है बाइ खयाल से और आराम से चलाना कार आप बहोत तेज चलाते हो मुजे पता हे, हाँ बाबा स्लो ड्राइव करूंगा, अब सो जाओ शुभ रात्री,

राज और आकाश 90 के गाने बजाते रास्ता आगे बढ़ते हुए जा रहे हैं, तीन घंटे बाद चाय के लिए गाड़ी एक ढाबे पे जेसे ही रोकी, राज बोलता है देखना मिताली का फोन आयेगा.

आकाश : क्या बात कर रहे हो?

राज : हा.
(बोलते ही राज के फोन मे घंटी बजती है)

मिताली : कहा पहुँचे?

राज : आधे रास्ते मे हे एक होटल में चाय पीने को रुके हे, तुम जाग रही हो?

मिताली : नहीं सो गई थी पर अभी अभी आँख खुल गई तो सोचा आपको कोल करके पूछ ही लू कहा तक आए.

क्रमशः..........