चिंटू - 15 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटू - 15

स्नेहा के हाथ से न्यूज पेपर पढ़कर राहुल का मुंह भी खुला का खुला रह जाता है। दोनों सुमति की ओर देखते है।
सुमति- क्या हुआ? आप लोग मुझे इस तरह क्यों देख रहे है?
स्नेहा उठकर उसके पास जाती है और कहती है- खबर बुरी है, तुम्हे दुख तो होगा। पर हमे पता कैसे नहीं चला इस बारे में?
राहुल न्यूज पेपर सुमति की ओर बढ़ता है। सुमति वह पढ़ने लगती है फिर उसकी नजर एक न्यूज पर पड़ी जिसमें एक फोटो छपी थी। वह फोटो राजदीप के पिता की थी। देर रात पुलिस की शहर के असामाजिक तत्वों के साथ एक मुठभेड़ हुई थी। जो अतांकिओ से मिले हुए थे। उस मुठभेड़ मै सामनेवाले तीन लोगो के साथ साथ राजदीप के पापा को भी उनकी गोली लग गई थी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया पर वहा हाज़िर डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
यह पढ़कर जैसे सदमा लगा हो सुमति को, वह कुछ बोल नहीं पाती। वह बोलना चाहती है पर मुंह से आवाज ही नहीं निकल पाती। आंखो से बेतहाशा आंसू बहने लगे। स्नेहा और राहुल उसे संभालकर सोफे पर बिठाते है। राहुल उससे कहता है- बेटा हमे इस वक्त राजदीप के घर जाना चाहिए। राजदीप तुम्हारा अच्छा फ्रेंड है उसे तुम्हारी जरूरत होगी।

स्नेहा- है भगवान! ये आज कल की जनरेशन मां बाप, भाई बहन के बारे में कुछ नहीं सोचते। पता नहीं ऐसी गुन्हाखोरी के दलदल में कैसे फंस जाते है? क्या होगा ऐसे लोगो का? क्या बीतेगी उनके मां बाप पर भी? बेचारे पेट काट काटकर उन्हे बड़ा करते है और बाद में मां बाप को दे जाते है एक जिल्लत भारी जिंदगी।
राहुल- अब तुम शांत हो जाओ बाबा। सौम्या, हमे अभी के अभी उसके घर जाना चाहिए। तुम दोनों तैयार हो जाओ जल्दी से। सौम्या तुम अपने बाकी के फ्रेंड्स को भी फोन कर दो।
सुमति लगातार रोए जा रही है। उसे उसके माता पिता याद आ गए। वह सोच सकती थी इस वक्त राजदीप और उसकी बहन पर क्या बीत रही होगी। वह तैयार होकर अपने पापा के पास जाती है।
राहुल उसे देखकर बोलता है- क्या हुआ बेटा? कुछ कहना है?
सुमति हां में सर हिलाते हुए अंदर बेड पर बैठकर फिर से रोने लगती है। राहुल उसके पास जाकर बैठते हुए पूछता है- क्या हुआ बताओ।

मुझे लगता है मुझे नहीं आना चाहिए। यह सुनकर स्नेहा और राहुल उसे ताकते है और पूछते है- क्यों नहीं आना चाहती बेटा? ऐसे टाइम पर तो जाना ही चाहिए।
फिर सुमति सन्डे को जो कुछ भी हुआ वह अपने मम्मी पापा को बता देती है।
स्नेहा- ओह! यह बहुत बुरा हुआ। राजदीप तुमसे प्यार करता है? देखो बेटा, तुमने उसके प्यार को नकार दिया पर वह अब भी तुम्हारा फ्रेंड तो है ही। रिश्ते ऐसे ही ख़तम नहीं किए जाते।
राहुल (गुस्से से)- वैसे सौम्या ठीक ही कह रही है। अगर राजदीप मेरे सामने आ गया तो शायद सबके सामने मुझे गुस्सा आ जाएगा।
स्नेहा- गुस्सा मुझे भी आ रहा है पर ऐसे वक्त पर नहीं। सौम्या इस टाइम पर तो दुश्मन भी अपनी दुश्मनी छोड़ उनके घर जाते है। निर्णय तुम्हारा है हम तुम्हे फोर्स नहीं करेंगे। राहुल तुम नहीं आ सकते तो कोई बात नहीं पर मुझे तो जाना होगा। एक रिपोर्टर के नाते ही सही। वैसे क्राइम डिपार्टमेंट मेरा नहीं था तो शायद इसी लिए किसी ने मुझे फोन नहीं किया। मै मोबाइल चेक करती हुं, उसमे मैसेजेस तो आए ही होगे। तीनो ने अबतक अपना मोबाइल चैक नहीं किया था। जब देखा तो रात की मुठभेड़ के फोटोज व्हाट्स एप पर आ गए थे। फिर सुमति राजदीप के पास जाने का मन बना लेती है।

तीनो राजदीप के घर पहुंचते है। राजदीप की मां का रो रोकर बुरा हाल बन गया था। राहुल राजदीप से मिलकर शोक व्यक्त करता है। सुमति कमरे में रखे फूल लेकर राजदीप के पापा पर चढ़ाती है और नमन करती है। वह अपने माता पिता को याद करके फिर से फुट फुटकर रोने लगती है। उसे देख राजदीप की मां और बहन भी रोने लगते है। माहौल गमगीन बन गया था। घर की एक रिश्तेदार आकर उन सबको पानी पिलाती है। फिर शहादत के नारे लगाते हुए सब स्मशान की ओर चल दिए। सुमति और स्नेहा राहुल के वापस आने तक राजदीप के घर पर ही रुके। फिर जाते वक्त सुमति राजदीप के हाथो पर अपना हाथ रखकर बिना कुछ बोले निकल जाती है।

सुमति ने आज जॉब पर जाने से मना कर दिया। पर राहुल उसे घर पर अकेले न रहने की हिदायत देते हुए साथ ही के चलता है। सुमति ने पिया को भी ये खबर सुना दी थी। पिया तो पहले जूठ ही समझ रही थी पर जब सुमति सीरियस हो गई तब इस बात को सच माना। सुमति को रोना आ जाता है और रोते हुए कहती है- राजदीप पर क्या गुजर रही होगी मै समज सकती हुं। अपने माता पिता को खोने का ग़म क्या होता है मै जानती हूं। पिया ने कहा- जो होना था हो गया। तुम्हारे रोने से वह वापस नहीं आ जाएंगे। अब संभालो अपने आप को। वैसे मेरी अभी तीन चार दिन की छुट्टियां चल रही है। तुम चाहो तो घर आ जाओ रहने के लिए। मां के साथ रहने का मौका भी मिल जाएगा। पर सुमति चिंटू की वजह से मना कर देती है।

जिस दिन सुमति राजदीप के घर गई उसी रात सुमति ने पुनिश को फोन करके राजदीप के बारे में बता दिया। किस हालात में यह सब हुआ वह भी बता दिया। साथ में राजदीप ने गार्डन में जो किया वह भी बता दिया।
पुनिश ने कहा- यह सुनकर बहुत दुख हुआ। शायद भगवान की यही मर्जी होगी। कहते है न अच्छे इंसान की उन्हे भी जरूरत होती है। पर तुम राजदीप से प्यार नहीं करती थी तो उसे समझ जाना चाहिए था। उसके इस हरकत से में बहुत दुखी हुआ हुं। खैर इस बात को भूलने की कोशिश करना। अब मै फोन रखता हुं, समय खत्म हो गया बात करने का। अपना खयाल रखना और ज्यादा मत सोचना।
ऐसे ही समय बीतता चला जाता है। सुमति फिर कभी राजदीप से बात नहीं करती है और ना ही कभी मिलती है। और उसने पुनिश को भी बता दिया था कि वह भी उसका इंतजार ना करे। वह कभी सुमति के मुंह से हां नहीं सुन पाएगा। पुनिश फिर भी एक दोस्त की तरह हमेशा उसे फोन करता रहता है।

* * * *
चिंटू अपनी पढ़ाई के साथ साथ सुमति से कैसे रिश्ता सुधारा जाए यह सोचता रहता है।
अभी तक चिंटू को नया नाम नही सुजा था। उसने रिया से भी बात कि थी इस बारे में पर वो इतने वाहियात नाम बताती के चिंटू का माथा फिर जाता था?। पर वह उससे कुछ नहीं कह पाता है। ऐसे में छ महीने बीत गए और एक दिन जब चिंटू घर वापस आता है तो उसकी मां फर्श पर बेहोश पड़ी मिलती है। उसने पिया को आवाज़ लगाई पर पिया घर पर नहीं थी। आज सुबह से शारदा की तबियत ठीक नहीं, वह घर पर ही थी।बाजार से सब्जी लानी थी तो पिया ही आज सब्जी लेने चली गई थी। चिंटू ने तुरंत ही एम्बुलेंस को फोन कर दिया। जब तक एम्बुलेंस आई तब तक पिया वापस आ गई और अपनी मां की हालत देखकर रोने लगती है। चिंटू उसे शांत रहने को कहके मां का सामान बेग में भरने को कहता है। क्या पता अस्पताल मे रुकना पड़े। चिंटू के साथ उनके दो चार पड़ोसी भी साथ में म्युनिसिपल अस्पताल आते है।

शारदा को सीधे इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया। वह अब भी बेहोश थी। डॉक्टर ने चिंटू से पूछा- इनकी हालत कितने दिन से खराब चल रही है?
पिया ने रोते हुए जवाब दिया- पिछले चार पांच दिनों से वह बार बार थक जाती थी। हमारे मना करने पर भी काम पर जाया करती थी।
चिंटू- डॉक्टर साहब कोई चिंता वाली बात तो नहीं है न?
हम उनके कुछ रिपोर्ट्स अभी कराएंगे। उसके बाद ही कुछ कह सकते है।
दूसरे दिन पिया अस्पताल से ही सुमति को फोन करती है। शारदा मौसी के बारे में सुन वह सोचने लगती है, ये क्या हो रहा है? इतने दुखद समाचार क्यों मिल रहे है? पहले राजदीप के पापा और अब मौसी! वह स्नेहा और राहुल से बात करके ऑफिस से छुट्टी लेकर सीधे अस्पताल पहुंचती है। शारदा को अब होश आ गया था। वह सुमति को देख अपने पास बैठने का इशारा करती है। चिंटू वहा हाज़िर नहीं था तो वह पिया से ही पूछती है- डॉक्टर्स ने क्या कहा?
पिया- अभी तो ब्लड टेस्ट करवाए है। MRI करने को कहा है। इस अस्पताल के MRI सेंटर में तीन दिन बाद की तारीख मिली है। भाई कहता है हम बाहर ही MRI करवा लेते है। वह डॉक्टर से बात करने ही गया है।
चिंटू जब आया तो सुमति को देखकर खुश होता है पर अपनी खुशी इस वक्त जाहिर नहीं करता है। वह शारदा के पास आकर कहता है- हमे अभी जाना है दूसरी जगह MRI करवा ने। आप चल सकेगी या व्हील चेयर ले आऊ? शारदा ने व्हील चेयर लाने से मना किया। इस वक्त वह ठीक महसूस कर रही थी। चिंटू के साथ पिया और सुमति भी जाते है।
जब शारदा की रिपोर्ट आ गई तब सबके पैरो तले से जमीन खिसक गई। शारदा को ब्रेन ट्यूमर हुआ था। इसका इलाज ऑपरेशन ही था। डॉक्टर ने चिंटू को समझाया कि अच्छा हुआ अभी शुरुआत ही है और हमे पता चल गया अगर इस पे ध्यान न दिया होता तो जान भी जा सकती थी। आप नसीबवाले है जो जल्दी पता लग गया। हम बड़े डॉक्टर्स से ऑपरेशन कि तारीख निकलवा लेते है। तुम्हे सिर्फ बाहर की दवाई का खर्चा ही करना पड़ेगा। और हो सके तो अब मां को आराम करवाओ ना कि काम, समझें?
चिंटू- जी समझ गया।
चिंटू रिया को फोन करके अपनी मां की हालत बताता है। वह उसे फोन पर ही सांत्वना देती है और टाइम मिलते ही मिलने आऊंगी कहती है। उस बात को भी चार दिन बीत गए थे। सुमति ने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी और सबका टिफिन घर से ही ले जाती थी। शाम को स्नेहा और राहुल ऑफिस से सीधे अस्पताल आते फिर सुमति को साथ लेकर घर चले जाते। अबतक चिंटू और सुमति के बीच बात नहीं हो रही थी। पर जब ऑपरेशन का दिन आया तब चिंटू और पिया डरे हुए थे। डॉक्टर ने तो कहा चिंता की बात नहीं पर मां के लिए दर्द तो होता ही है। तब सुमति पिया और चिंटू के बीच ऑपरेशन थियेटर के बाहर बैठी हुई थी। उसकी नजर चिंटू पर जाती है। चिंटू की आंख में आंसू निकल आए थे यह देखकर सुमति चिंटू से कहती है- कुछ नहीं होगा शारदा मौसी को रोना बंद करो। पिया के बारे में सोचो जरा। तुम ही रोते रहोगे तो इसे कौन संभालेगा?
ऑपरेशन चल रहा था तभी रिया अपने पापा के साथ अस्पताल आती है। पहले तो म्युनिसिपल हॉस्पिटल देखकर ही उसका मुंह बिगड़ जाता है पर अपने पापा को आगे चलता देख वह पीछे पीछे चल पड़ती है। रिया ने फोन करके चिंटू से वह कहा है यह पूछ लिया था। रिया को सामने से आता देख सुमति वहा से चली जाती है। पिया यह नोटिस करती है। रिया के पापा चिंटू को बिल्कुल न घबराने को कहते है। साथ ही साथ यह भी कहते है पहले यह सब बता दिया होता तो हम शारदा जी का इलाज बड़े अस्पताल में करवाते। चिंटू उन्हे कुछ भी नहीं कहता। रिया आजूबाजू बैठे लोगों को देख अपने पर्स से रुमाल निकालकर नाक पर रख देती है। जब ऑपरेशन खत्म हुआ और डॉक्टर बाहर आए तो रिया के पापा उन्हें पहचान गए थे। वह डॉक्टर रिया के पापा के फ्रेंड ही थे। उसके पापा ने फिर डॉक्टर को अच्छे से ध्यान रखने और इलाज में कोई कमी न लाने को कहा।
ऑपरेशन के एक वीक बाद ही शारदा को घर लाया गया। सुमति बहुत समय बाद अपने घर को देखने वाली थी जहा उसने बचपन बिताया था। राहुल अपनी कार लेकर ही शारदा को घर छोड़ने आया था। राहुल और स्नेहा ने बाहर से खाना ऑर्डर कर दिया था फिर सब साथ मिलकर खाते है। शारदा के पास देर रात तक बैठने के बाद तीनो अपने घर चले जाते है।

* * * *
मां की तबीयत के कारण चिंटू का मन अपनी पढ़ाई पे नहीं लगता और पहली यूपीएससी की एग्जाम्स में वह सिर्फ दो मार्क्स से पीछे रह गया। उसका रिज़ल्ट देखकर सब को आश्चर्य हुआ। ये लड़का कैसे पास न हो पाया? चिंटू को खुद को यह बात खटक जाती है। वह अपने सर मि. पिल्लई से माफी मांगता है और अगली बार पास होकर दिखाऊंगा कहता है। रिया के घर गया तब उसके पापा ने चिंटू को कहा था- चिंता मत करो, मुझे पता है इस बार तुम्हारा रिज़ल्ट खराब क्यों आया। तुम्हारी मां की हालत अब अच्छी होने लगी है भगवान की दया से तो अब ध्यान देना एग्जाम्स की तैयारी में। तुम्हारे घर की जिम्मेदारी मै लेता हुं, तुम बस पढ़ाई पर ध्यान दो।
चिंटू रिया के पापा को जनता था। वह उस पर इतने महेराबान क्यों है वह पता नहीं चल पा रहा था। इतने बड़े घराने से रिया के लिए रिश्ते आ रहे है वह सब ठुकरा के वह मुझसे शादी क्यों करवाएंगे? ख़ैर छोड़ो, अभी यह सब नहीं सोचना है, बस यूपीएससी टॉप करना है और कुछ नहीं।

* * * *
पुनिश अब ट्रेनिंग केंप से वापस आ गया था। अब दस दिन बाद उसे नई पोस्टिंग मिलने वाली थी। वह घर आकर सीधा सुमति से मिलने उसकी ऑफिस चला जाता है। सुमति को वह सरप्राइज देना चाहता था तो उसने बताया ही नहीं की वह आने वाला है। जब वह सुमति के सामने आता है तो सुमति जोर से खुशी से चिल्लाकर उसके गले लग जाती है। ऑफिस में सब उन दोनों को देखने लगते है। इतने दिनों बाद सुमति को देखकर पुनीश भी बहुत खुश होता है। फिर वह राहुल से मिलता है। स्नेहा बाहर किसी नेता का इंटरव्यू लेने गई हुई थी तो उनसे नहीं मिल पाया। पुनिश राहुल से सुमति को बाहर ले जाने की इजाज़त मांगता है। पर ऑफिस के काम की वजह से वह उसे शाम को साथ ले जाने को कहते है।
बहुत दिनों बाद सुमति के चेहरे पर राहुल को खुशी दिखती है। उसे अब लगाने लगा है कि पुनीश ही उसके जीवन साथी बनने के लायक है।
स्नेहा जब घर पहुंची तो उसने सुमति को तैयार होते हुए देखा। वह इशारों में ही राहुल से पूछती है,- कहा जा रही है यह?
राहुल धीरे से सिर्फ पुनिश का नाम बोलता है। सुमति को खुश देखकर स्नेहा के चेहरे पर भी स्माइल आ जाती है। सुमति जब बाहर आती है तो अपनी मम्मा को देखकर कहती है- मम्मा मै पुनिश के साथ जाऊ?
स्नेहा भी उसकी टांग खींचने के इरादे से उसे मना कर देती है।
यह देख राहुल को बड़ा मजा आता है। सुमति स्नेहा से कहती है- पर पापा ने हां कह दी तो मै तैयार हो गई।
स्नेहा- पर मै मना कर रही हुं न! पापा कौन होते है तुम्हे हां कहने वाले?
राहुल- अरे...! मेरी भी बेटी है वह।
स्नेहा- मुझसे पहले परमीशन लेनी पड़ेगी।
सुमति- वहीं तो कर रही हूं।
स्नेहा- बाहर जाने के लिए पूरे रेडी होकर कोई परमीशन मांगता है भला?
सुमति कुछ भी बोले बगैर अपने कमरे में जाने लगती है तभी वहा पुनिश आता है। उसे देख स्नेहा हंसते हुए कहती है- कबसे तुम्हारा इंतजार हो रहा है भाई। कहा देर लगा दी?
पुनिश- वो बम्बई का ट्रैफिक तो आप जानती ही है आंटी।?
स्नेहा और पुनिश की आवाज सुनकर सुमति बाहर आती है। स्नेहा को हंसता हुआ देख वह समझ जाती है कि मेरी खींचाई चल रही है। और अपनी मम्मा को पीछे से गले लगाकर कहती है- मम्मा आप भी न! डर गई थी मै।
स्नेहा- हम्म्म... इतना डर मां बाप का तो होना ही चाहिए। क्यों पुनिश तुम डरते हो क्या अपने मम्मी पापा से?
पुनिश- मम्मी कदर तो नहीं लगता पर पापा से तो डरता ही हुं।
राहुल- वैसे बॉडी अच्छी बना ली है तुमने! एक दम फाैजी की तरह ही दिखते हो। तुम्हारा स्टाइल हमे बहुत पसंद आया।
पुनिश- थैंक यू अंकल। अब मै सौम्या को के जाऊ?
स्नेहा- बहुत जल्दी है यहां से भागने की??
सुमति- मम्मा...!
स्नेहा- ठीक है ठीक है जाओ बाबा। और जल्दी आने की जरूरत भी नहीं है समझें पुनिश।
सुमति हंसते हुए पुनिश का हाथ पकड़कर बाहर चली जाती है।

क्रमशः