चिंटू - 14 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटू - 14

कोचिंग सेंटर पहुंचकर चिंटू और रिया सारी फॉर्मेलिटी खत्म कर बाहर आते है। रिया चिंटू को कॉफी शॉप ले जाती है। वह चिंटू से कहती है- अभी क्लास शुरू होने में एक वीक है तो क्यों न हम खंडाला वाले रिजॉर्ट चले?
चिंटू- तुम जाओ अपने फ्रेंड्स के साथ, मुझे बुक्स वगैरह की तैयारी भी करनी पड़ेगी। एक सप्ताह कम है सब बुक्स ढूंढने के लिए। वैसे क्लास से हमे कुछ बुक्स मिलेगी पर मै अपनी और से कोई कमी नहीं रखना चाहता।
रिया- are you sure?
चिंटू- yes, absolutely. तुम जाओ अपने फ्रेंड्स के साथ मुझे बुरा नहीं लगेगा।
रिया- oh! you are such a darling!
चिंटू सिर्फ मुस्कुरा देता है। कॉफी पीकर चिंटू रिया को उसके घर छोड़कर अपने घर चला जाता है। शाम को शारदा काम से आती है तो सबसे पहले उसने रिया के पापा से क्या बात कि यह ही पूछा। चिंटू ने उनके बीच हुई बातचीत के अंश सुना दिए। फिर पूरा सप्ताह यूपीएससी की बुक्स को कलेक्ट करने में लगा दिया।

* * * *
सुमति भी अपनी लाइफ में व्यस्त हो गई। अब वह भी फैशनेबल कपड़े और ज्वेलरी पहनने लगी थी तो उसकी सुन्दरता में चार चांद लग जाते थे। वह अब स्नेहा और राहुल कि परमीशन से राजदीप और पुनिस के साथ उसके फ्रेंड्स को मिलने देर रात तक जाया करती थी। कभी कभार वह पिया को saturday अपने घर बुला लेती थी। रात भर दोनों बाते करते और सुबह देर से उठते।
एक दिन सुबह पुनिश का फोन आता है- हैलो सौम्या, एक खुश खबरी है।
सुमति- क्या? मुझे कहने दो। कहीं कोई लड़की..??
पुनिश- नहीं रे..! मेरा सिलेक्शन हो गया आर्मी में। ट्रेनिंग के लिए जाना है तीन दिन बाद।
सुमति- ओह माय गॉड! सच में, इतनी जल्दी?
पुनिश- कहा जल्दी, इतने टाइम से महेनत जो कर रहा था उसका क्या?
सुमति- मै बहुत खुश हूं तुम्हारे लिए। बोलो कब पार्टी देते हो?
पुनिश- उसी के लिए फोन किया है। आज शाम सात बजे मै लेने आऊंगा तुम्हे। तब तक ऑफिस से आकर रेडी रहना।
सुमति- ठीक है, और कौन कौन आने वाला है।
पुनिश- तुम आओगी तब पता चल जाएगा। तुम बस रेडी रहना शाम को।
सुमति- ok, and again congratulations.

* * * *
शाम को पुनिश ठीक सात बजे सुमति को लेकर एक गार्डन रेस्टोरेंट में जाता है। वहा जाकर सुमति देखती है कि उन दोनों के सिवा वहा कोई और फ्रेंड्स नहीं थे। पुनिश ने एक टेबल बुक करवा लिया था वहीं जाकर दोनों बैठे। सुमति उससे पूछती है- बाकी सब कहा है? अभी तक कोई आया नहीं?
पुनिश- आज सिर्फ हम दोनों ही है। मै तुमसे बात करना चाहता था जो उन सब के सामने नहीं कह सकता था।
सुमति- ऐसी क्या बात है जो उनके सामने नहीं कह सकते थे?
पुनिश- वहीं बताने लाया हुं पर पहले हम डिनर करले बाद में बताता हुं।
वह सोचता है कि अगर पहले अपने दिल की बात बता दी और सौम्या को बुरा लगा तो वह बिना डिनर किए ही न चली जाए।
दोनों ने डिनर खत्म करके फिर गार्डन में रखे एक बेंच पर जाकर बैठते है।

सुमति- मम्मी पापा ने तुम्हे घर बुलाया है। कहा है जब मुझे घर छोड़ने आओ तब साथ लेती आऊ तुम्हे बधाई देने के लिए। अच्छा अब बोलो क्या बात है?
पुनिश आजू बाजू देख लेता है किसी का ध्यान तो नहीं है न उसपे। फिर सुमति का हाथ पकड़कर कहता है- I love u सौम्या।
सुमति उसे देखती ही रह जाती है। ?
पुनिश कहता है- जब से तुम्हें देखा तब से तुम ही रोज ख़यालो में आती हो। देखो कोई जोर जबरदस्ती नहीं है। तुम चाहो तभी हम आगे बढ़ेंगे। अभी तीन दिन बाद मुझे अपने डॉक्यूमेंट वेरिफाई करने जाना है, उसके बाद बैंगलोर जाऊंगा 20 सप्ताह की बेसिक ट्रेनिंग लेने। मुझे वहा फिर ज्यादा टाइम नहीं मिलेगा तुमसे बात करने का। तो मै अभी अपनी दिल की बात कहे जा रहा हुं। मेरे वापस आने तक का टाइम है तुम्हारे पास, पूरे बीस सप्ताह...।
सुमति गुमसुम हो जाती है उसने कभी सोचा नहीं था कि पुनिश उससे प्यार करता होगा। वह तो उसे राजदीप की तरह ही एक अच्छा दोस्त ही मानती थी। फिर कुछ स्वस्थ होकर वह पुनिश से कहती है- पुनिश आप सिर्फ तबसे मुझे जानते है जबसे हम मिले है। उसके आगे का मेरा जीवन आपको नहीं पता।
पुनिश- मुझे जानना भी नहीं है। तुम जैसी भी हो मुझे पसंद हो।
सुमति- मेरा नाम सौम्या नहीं है और मेरे अभी जो मम्मी पापा है वह भी मेरे असली मम्मी पापा नहीं है।
यह सुनकर पुनिश अवाक रह जाता है। फिर स्वस्थ होकर कहता है- मुझे नहीं जानना तुम कौन हो सौम्या। तुम्हे कोई क्लैरिफिकेशन देने की जरूरत नहीं है।
सुमति- मै आपको क्लैरिफिकेशन नही दे रही। जैसे मेरी सच्चाई राजदीप जनता है वैसे आपको भी पता होना चाहिए।
पुनिश- राजदीप? वो क्या सच्चाई जनता है तुम्हारे बारे में?
सुमति फिर वह किसकी बेटी थी और यहां कैसे आई सब बताती है। सिवाय अपने और चिंटू के रिश्ते के बारे में।
पुनिश- देखो सौम्या... सुमति... सौम्या..., अरे यार कंफ्यूज कर दिया तुमने। मै तुम्हे सौम्या ही कहूंगा।
सुमति- जैसा तुम ठीक समझो। पर मै अभी आपको कोई जवाब नहीं दे सकती।
पुनिश- कोई बात नहीं, कोई जल्दी नहीं है। आराम से सोचकर जवाब देना।
सुमति को पुनिश उसके घर छोड़ने जाता है और स्नेहा और राहुल से भी मिल लेता है।

* * * *
पुनिश के जाने के तुरंत बाद सुमति स्नेहा और राहुल को कहती है- आज पुनिश ने मुझे प्रपोज किया।
स्नेहा और राहुल हसने लगते है।
सुमति- उसमे हसने वाली क्या बात है??
राहुल- मै न कहता था स्नेहा तुमसे, यह लड़का शायद हमारी बेटी को पसंद करता है। देखा सच हुए ना मेरा कहा..??
सुमति- क्या, आपको पता था? मै ही बुद्धू हुं कभी किसीको समझ नहीं पाती।
स्नेहा उसके सर पर हाथ रखकर बोलती है- तुम्हे पुनिश पसंद है?
सुमति- क्या मम्मा, उसे मैंने ऐसी वैसी नजर से देखा ही नहीं कभी।
राहुल- हां तो देखना शुरू कर दो। देख, वो कैसे तुम्हारे पापा की तरह डार्क, टॉल, हैंडसम है। अभी आर्मी मै जाएगा तो और भी हैंडसम दिखने लगेगा।
स्नेहा- तुम्हे किसने कहा तुम हैंडसम हो? खाली हवा में फेंका मत करो।
सुमति- पापा मुझे पता है वह अच्छा लड़का है पर मै उससे प्यार नहीं करती।
स्नेहा- वो तो धीरे धीरे हो जाएगा। तु सोचना तो शुरू कर।
सुमति- मम्मा, आप जानती है फिर भी...
स्नेहा- कब तक तुम उस बेकद्र लड़के के ख़यालो में रहेगी?? अपनी लाइफ को आगे ले जाओ अब बहुत हुआ। मै ये नहीं कह रही की तुम राजदीप या पुनिश को पसंद कर लो। पर तुम अब चिंटू को भूल जाओ।
राहुल- तुम्हारी मम्मी सही कह रही है बेटा। उस लड़के को भूल जाओ और अगर तुम्हे कोई और लड़का पसंद हो तो भी बता देना। हम तुम्हारी शादी उसिसे करेंगे। हां पर अभी तुम इन सब से दूर रहकर अपनी एक्सटर्नल स्टूडेंट की पढ़ाई पर ध्यान दो तो ज्यादा बहेतर रहेगा।
सुमति- मै इन सब से दूर ही हुं। आप दोनों ही पीछे पड़ गए है इसे पसंद कर, उसे ना पसंद कर।
स्नेहा- सोरी बेटा, तुम्हारी फिकर रहती है हमे।
सुमति- और मुझे आपकी। मुझे शादी ही नहीं करनी, मै हमेशा आपके पास ही रहूंगी।
तीनो एक दूसरे के गले लग जाते है। पुनिश तीन दिन काफी बिज़ी रहता फिर भी देर रात भी सुमति से बात कर ही लेता था। सुमति ने अभी यह बात राजदीप को नहीं बताई थी।

* * * *
चिंटू ने कोचिंग सेंटर जाना शुरू कर दिया था। वह यहां भी जी जान से मन लगाकर पढ़ रहा था। कोचिंग के हेड मि. रामानुज पिल्लई सर थे, वहीं सभी मुद्दों को बड़ी बारीकी से पढ़ाते थे। उन्होंने चिंटू की लगन देखी थी। वे एकबार चिंटू को अपने केबिन में बुलाते है।
मि. पिल्लई- आओ चिंटू, बैठो।
चिंटू को लगा था शायद उससे कोई भूल हुई है और सर ने उसे बुलाया है। उसे सोच मै पड़ा देख सर ने कहा- ऐसे घबराए हुए क्यों बैठे हो? ठीक से बैठो भई।
चिंटू- जी सर, कुछ काम था?
मि. पिल्लई- हा इसी लिए बुलाया है। मैंने नोटिस किया है तुम बहुत मन लगाकर सब सब्जेक्ट्स में ध्यान दे रहे हो। बहुत सालो बाद तुम जैसा स्टूडेंट मिला है। जो हर एक चीज को समजने के लिए तत्पर दिखता है। मै बहुत खुश हु तुम्हारी लगन से।
चिंटू- थैंक यू सर।
मि. पिल्लई- मुझे एक बात कहनी थी। वो क्या है कि तुम्हारा नाम अभी के लिए अच्छा है। पर जब तुम आईएएस बन जाओगे तो यह नाम तुम्हारी पर्सनालिटी को सूट नहीं करेगा। कैसा लगेगा कोई कहेगा आईएएस चिंटू??
चिंटू- आप ठीक कह रहे है सर। तो मै क्या करू?
मि. पिल्लई- अपना नाम चेंज करवा दो। कोई ऐसा नाम रखो जो तुम पर सूट करे।
चिंटू- सर, पर मेरे सभी सर्टिफिकेट्स पर यही नाम है।
मि. पिल्लई- तो नए बनवा लो। मेरा एक दोस्त एडवोकेट है जो तुम्हारी इसमें मदद करेगा। मै तुम्हें उसका नंबर देता हुं, उससे मेरा नाम देकर बात कर लेना।
चिंटू- थैंक यू सर।
मि. पिल्लई- खुश रहो और मन लगाकर पढ़ो। ऐसे ही मेहनत करते रहे तो टॉप तो तुम करोगे ही।
चिंटू- थैंक यू सर।
चिंटू वहा से अपनी नेक्स्ट क्लास अटेंड करने चला जाता है।

घर जाकर चिंटू अपनी मां से बात करता है- मां आज हमारे बड़े सर ने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया था। कहा कि जब तुम अफसर बन जाओगे तब कोई चिंटू सर कहेगा तो कैसा लगेगा। तो तुम अपना नाम बदल दो।
शारदा- वैसे कहते तो सर सही ही है। कोई नाम पुकारेगा तो एसा लगेगा जैसे छोटे बच्चे को बुला रहे है। मैंने पहले से तेरा नाम क्यों अच्छा नहीं रखा?
पिया- पर हरकते अब भी चिंटू वाली ही है। बड़े तो तुम हुए ही नहीं।
चिंटू- चल छिपकली कहीं की...। मां... मेरा नाम अच्छा ही है और आप हमेशा मुझे इसी नाम से बुलाएगी, समझी? रहा अफसर वाला नाम तो सोचते है क्या नाम रखना है।
यह सारी बात पिया सुमति को रात में फोन करके बताती है- भाई भी अब तुम्हारी तरह नाम बदलने वाला है। वो क्या है कि आईएएस चिंटू नाम अच्छा नहीं लगेगा न।
सुमति- बात तो तेरी सही है। क्या नाम सोचा फिर?
पिया- अभी नहीं सोचा कुछ, तु भी सजेस्ट करना कोई अच्छा नाम मिले तो।
सुमति- देखती हुं। पर वो मेरा सजेस्ट किया नाम क्यू रखेगा? मै तो दुश्मन हुं न उसकी!
पिया- वो तुझे अपना दोस्त ही मानता है, ना के दुश्मन। हां तुम दोनों के बीच कुछ दूरियां बढ़ गई है पर इससे रिश्ते नहीं बदलते।

* * * *
पुनिश ने अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। दो दिन में एक बार वह सुमति को फोन कर देता था। और हमेशा अपने I love u का जवाब मांगता रहता। और हमेशा सुमति वह बात टाल देती है।
पुनीश फिर भी आस बंधाए रखता है कभी न कभी तो बात बन जाएगी।
एकबार राजदीप सन्डे शाम को सुमति को अपने साथ उसके पुराने घर पानीपुरी खाने ले जाता है। वह आज अलग ही मूड में आया था। पानीपुरी खाने के बाद दोनों एक गार्डन में जाते है। वह ऐसी जगह चुनता है जहां कम लोग ही आते हो। वह एक बार सुमति के मना करने के बाद कभी उससे कुछ पूछता नहीं कि वो उसे हां क्यों नहीं बोल रही है पर आज वह जानना चाहता था आखिर क्यों वह मना कर रही है। इधर उधर की बातें करने के बाद सुमति उसे पुनिश कें प्रपोज वाली बात कह देती है। राजदीप को गुस्सा तो बहुत आता है। वह सोचता है मैंने ही पुनिश को मिलवाया था सुमति से और वो उल्लू मेरा ही पत्ता साफ करने पर तुला है?? सुमति से वह पूछता है- तुमने क्या जवाब दिया?
सुमति- जो जवाब तुम्हे दिया था वहीं जवाब उसे भी मिला।
यह सुनकर राजदीप के मन को शांति मिलती है। फिर वह पूछता है- सुमति तुम्हे मुझमें क्या कमी नजर आती है? तुम कहो मै सुधारने को तैयार हुं पर अब तो हां कर दो।
सुमति हंसते हुए बोली- मै तुम दोनों को अपना अच्छा दोस्त ही समजती हुं। शायद इसके आगे नहीं सोच पाऊंगी।
राजदीप- पर क्यों? कोई तो रीज़न होगा?
सुमति- ऐसा कुछ नहीं है पर वो फिलिंग ही नहीं आती तुमको देखकर जो आनी चाहिए।
यह सुनकर राजदीप सुमति को पकड़ता है और अपनी ओर खींच उसके होंठो पर कसके चूम लेता है। सुमति छटपटाती है पर राजदीप उसे छोड़ता ही नहीं। फिर वह कहता है अब तो आयेगी न फिलिंग? सुमति समझ नहीं पाती इतनी जल्दी। वह राजदीप को धक्का देकर एक थप्पड़ लगा देती है और कहती है- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की? तुम्हे मै अपना अच्छा दोस्त समजती थी और तुम्हारे दिमाग में यह सब चल रहा है?
वह उठ खड़ी हुई तो राजदीप उसे पकड़कर वापस बैठा देता है और उससे माफी मांगते हुए कहता है- मै घबरा गया था कहीं तुम पुनिश को हां न बोल दो। मै इतने वक्त से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं सुमति। plz मुझे छोड़कर मत जाओ। मै जी नहीं पाऊंगा तुम्हारे बिना।
सुमति गुस्से में बोलती है- तो मर जाओ, अब कभी मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।?
इतना कहकर वह गुस्से में वहा से चली जाती है। राजदीप उसके पीछे जाता है और कहता है- मै तुम्हे घर छोड़ देता हुं।
पर सुमति उसकी बात को अनसुना करके ऑटो में घर चली जाती है।
रात को राजदीप ने कई बार फोन किए पर सुमति उसका एक भी फोन नहीं उठती। सुमति यह बात घर पर नहीं बताती है।
दो दिन बाद जब स्नेहा , राहुल और सुमति सुबह ब्रेकफास्ट करने बैठे तब स्नेहा न्यूज पेपर पढ़ रही थी। उसके एक हाथ में चाय का कप था और दूसरे में पेपर पकड़ा हुआ था। एक न्यूज को पढ़के उसके हाथ से चाय का कप छूटकर जमीन पर गिर के टूट जाता है।
उसका घबराया हुआ चेहरा देखकर राहुल ने पूछा- क्या हुआ?
स्नेहा न्यूज पेपर आगे बढ़ा देती है। उसमे छपी न्यूज पढ़कर राहुल का मुंह भी खुला का खुला रह जाता है।

क्रमशः