पहला एस एम एस - 7 Lakshmi Narayan Panna द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

पहला एस एम एस - 7


कुछ दिनों बाद कुछ ऐसा हुआ जिसने राज को सोंचने पर मजबूर कर दिया । सुबह 5 बजे का समय था अचानक राज की आंख खुल गई । वह परेशान था उसके चेहरे पर एक अनजान सा खौफ नजर आ रहा था । उसने ख़्वाब में कुछ ऐसा देखा जो उसे सोंचने पर मजबूर कर रहा था । राज का मन यह मानने को तैयार नही था क्योंकि यह सब महज एक ख़्वाब ही तो था । राज की परेशानी यह थी कि कहीं न कहीं राज का विश्वास कमजोर होने लगा था । दूरियों और सामाजिक बन्धनों में वह इस कदर जकड़ा हुआ था कि जेनी से किया हुआ वादा पूरा करना संभव नही दिख रहा था । शायद जेनी ने भी कोशिस छोड़ दी थी , उसका राज के प्रति लगाव खत्म हो रहा था , नही तो वह किसी प्रकार तो राज से बात करने का प्रयास करती । राज का ख्वाब शायद उसके मन में चल रहे सवालों और जबाबों का प्रतिफल हो । एक कल्पना ही सही परन्तु यह ख़्वाब किसी सच्चाई से कम नही था । राज अपने ख़्वाब के धुँधले चित्रों को एक बार फिर से समझने की कोशिश करता है ।
उसने अपनी यादों की गहराई में जाकर देखा । उसने देखा कि लगभग शांय के 8 से नौ बजे का वक़्त था राज अपने घर से होकर गुजरने वाली गली के किनारे गांव के छोर पर कुर्सी डालकर बैठा था । उससे कुछ दूरी पर कुछ लोग पूजा पाठ के लिए पंडाल लगाए पूजा पाठ कर रहे थे । राज इन सब कर्मकांडों से दूर ही रहता है इसलिए दूर से ही सब कुछ देख रहा था । वह मन ही मन कुछ सोंच रहा था कि अचानक एक हाथ उसके कंधे पर आकर टिक गया । राज चौंककर जैसे ही पीछे देखता है । उसके होश उड़ जाते हैं । यह कैसे हो सकता है ? उसे अपनी आँखों पर भरोसा नही होता । उसके शब्द हलक में ही फँस गए , वह कुछ बोले कि जेनी बोल पड़ी ।
क्या हुआ ? इतना क्यों डर गए ? मैं हूँ कोई भूत नही है । राज ने अपने आपको सम्भलते हुआ कहा , नही डर नही बस यह सोंच रहा हूँ कि तुम यहाँ कैसे ?
जेनी ने कहा तुम तो मिलने की कोशिश भी नही करते और मेरे आने पर सवाल करते हो । यह सब छोड़ो , मुझे बस इतना बताओ कि क्या तुम मुझे प्यार नही करते ? राज ने कहा प्यार तो करता हूँ , परन्तु ! जेनी ने कहा तो फिर यह लेकिन परन्तु क्या ? मुझे तुमसे मिलना था सो आ गई । राज जेनी से कुछ और सवाल जबाब करे कि तभी सामने से एक आदमी राज को आवाज देता है । अरे ! राज तुम भी बैठ लो हमारे साथ इतना दूर दूर क्यों बैठे हो ?
राज ने सोंचा की वे लोग न जाने क्या सोंचेंगें इसलिए कहा हाँ क्यों नही अभी आता हूँ । राज ने जेनी से कहा थोड़ी देर रुको अभी आता हूँ फिर बात करेंगें । इतना कहकर राज उन लोगों के पास गया ।
एक आदमी पास में बने घर में उसे ले गया । जहाँ एक बुजुर्ग आदमी लेटा हुआ था , राज ने उन्हें प्रणाम किया । तभी उस आदमी का बड़ा लड़का आया और यह कहते हुए की अरे! लो राज खाओ तुम तो मेरे छोटे भाई हो , अपने हाथ में लिया हुआ बिस्कुट जो वह खा रहा था राज के मुंह मे ठूँस दिया । राज यह जूठा बिस्कुट थूकना चाहता था इसलिए जल्दी से बाहर निकला । और दौड़ता हुआ जेनी के पास पहुँचा । उसे डर था कि कोई उसके और जेनी के बारे में शक कर सकता है इसलिए जेनी को गाँव के पीछे मिलने का इशारा करते हुए गाँव के पीछे की तरफ दौड़ता चला गया । परन्तु जेनी अभी भी वहीं खड़ी थी । जब जेनी राज की तरफ नही आई तो वह फिर जेनी के पास गया और बोला चलो , यहाँ कोई देख लेगा तो क्या सोंचेगा ?
तभी राज देखता है कि गाँव का ही एक आदमी खाली बाल्टी लेकर हैण्डपम्प की तरफ जा रहा है । शायद वह पानी भरने निकला होगा ।
गाँव के पीछे जहाँ राज का एक टूटा फूटा मकान है । उसके पास पहुँचते ही वह देखता है कि कुछ लोग इधर उधर अपने काम में लगे हैं । शायद सुबह होने को है राज और जेनी को पता ही नही चला कब वक़्त बीत गया । बदनामी का डर और सताने लगता है । वे की पीछे तरफ से जाने की सोंचते हैं , परन्तु उधर कोई महिला उपले बना रही होती है । फिर सामने से जाना चाहा इधर भी राज के चचेरे भाई साहब फुस का छप्पर बना रहे होते हैं । राज सोंच ही रह होता है कि उसे एक निर्माणाधीन दुकान श्रंखला दिखाई देती है । जिसमे लगे दरवाजे खुले थे । राज और जेनी उसी में घुस जाते हैं । जहाँ भी बदनामी का डर राज का साथ नही छोड़ता वह दिमाग लगाता है ।
लगभग चार दुकाने लाइन से बनी है जिनकी एक कॉमन गैलरी है । गैलरी में सामने बाहर तो दरवाजा है परन्तु बन्द करने का कुंडा नही है । जबकि पीछे दरवाजा भी नही है । सभी दुकानों में दरवाजे हैं कुंड भी है परन्तु खतरा है कि यदि कोई आया और दरवाजे बंद पाया तो शक होगा कि अंदर कौन है ? इसलिए अभी कुछ भी ठीक नही होगा ।
हल्की हल्की बूंदाबांदी भी शुरू से ही थी जो कुछ तेज हो जाती है । राज जेनी से कहता है अब सुबह होने को है लोग जागने लगे है अब कुछ भी रिश्क लेना ठीक नही , हम कल रात में मिलते हैं अभी घर जाओ और सो जाओ ।
बारिश की बून्दों के साथ हवा भी तेज हो जाती है । हवा के एक तेज झोंके से जेनी का रेन कोट जो की उसने सिर्फ ओढ़ रखा था , वह उड़ जाता है । राज रेनकोट के पीछे दौड़ता है की वह बहते हुए पानी के सहारे तेजी से बहने लगता है । राज दौड़कर उसे पकड़ता है । इस बीच उपले बना रही महिला ने राज को देख लिया मन मे कुछ बड़बड़ाई जैसे कि वह समझ गई हो । बदनामी का डर और गहरा गया । राज जेनी की तरफ बढा ।
उसने देखा की जेनी कँपकँपा रही है । शायद उसे ठंड लग गई । राज ने उसके पास पहूंचकर रेनकोट दिया और कहा कि घर जाकर आराम करे उसकी तबीयत ठीक नही है । ऐसे में उसे नही आना चाहिए था । कल मिलने का वादा करते हुए वह चल पड़ता है ।
राज जैसे ही चार कदम आगे बढ़ता है । जेनी फट से जमीन पर गिर पड़ती है ।
वह बोल नही पा रही बस शिशक रही थी । राज उसकी तरफ बढ़ता है फिर रुककर देखता है कि शायद वह उठेगी और घर की तरफ चलेगी । जब वह नही उठी तो राज उसके पास पहुँच कर उसे उठाता है और कहता है देखो जेनी हिम्मत करो घर जाओ नही तो कोई हम दोनों को साथ देख लेगा तो बवाल होगा । कहते हुए वह फिर चल देता है कि अचानक उसे याद आता है आखिर जेनी इस बारिश में जाएगी कहाँ । वह यहाँ आई कैसे थी ये सभी सवाल जो उसे पहले ही पूछने थे एक साथ उसके दिमाग में घूमने लगे । वह वापस जेनी के पास गया और बोला । जेनी तुम जाओगी कैसे , और यहाँ आई कैसे ? राज के किसी सवाल का जवाब देने के बजाय वह शिशकते हुए कहती है तुम यह जानकर क्या करोगे , जब इतना डरते हो तो प्यार क्यों किया । तुम किसी के प्यार के लायक ही नही हो । राज को समझ में नही आ रहा था कि आखिर यह सब हो क्या रहा है ? कहीं यह राज का कोई वहम तो नही या वह किसी शैतानी ताकत के चक्कर में तो नही पड़ गया । यह ख्याल आते ही दृश्य धुँधला होने लगता है , राज कहता है नही ! यह कैसे हो सकता है उसे कुछ भय महसूस हुआ जिसके कारण उसकी आँखें खुल गईं और सारा दृश्य गयाब हो गया ।
अब राज समझ गया कि वह किसी शैतानी ताकत के चक्कर में नही पड़ा था बल्कि उसके मन में जेनी को लेकर चल रहे सवालों और जवाबों का प्रतिफल ही उसके सामने एक काल्पनिक चलचित्र बनकर प्रकट हो गया । भले ही यह एक ख़्वाब भर था परन्तु इसमें एक सच्चाई जरूर थी । राज का मष्तिक इस बात को स्वीकार करने लगा था कि उसके और जेनी के न मिल पाने की वजह जेनी नही बल्कि राज के भीतर पल रहा भय है । जेनी ने राज से किया हुआ वादा पूरा करने के बहुत से असफल प्रयास किये । राज ने जेनी की भावनाओं को समझने में देर कर दी और शायद अब जेनी राज से सम्बन्ध बनाने की उम्मीद छोड़ चुकी थी । अनजाने में ही सही परन्तु राज ने सिर्फ समाज की सीमाओं का ख्याल रखने के चक्कर में जेनी के प्यार की कद्र नही की । राज अंदर से बहुत आत्मग्लानि महसूस कर रहा है । लेकिन उसका भय ......वह कब इस भय से बाहर आ पायेगा ? राज को कुछ नही सूझ रहा था । वह जेनी को किसी प्रकार से तकलीफ नही देना चाहता था फिर भी उसका भय कोई भी कदम उठाने से रोक रहा था ।