पहला एस. एम .एस. Lakshmi Narayan Panna द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पहला एस. एम .एस.

पहला एस. एम.एस

(प्रेम कथा)

राज को हर पल जेनी की याद सताती है और तब राज को पश्चाताप होता अपने आप पर की उस दिन उसने जेनी को कॉल क्यों नही किया जब वादा किया था तो करना चाहिए था । न जाने क्या हुआ ? किस हाल में है ? कहीं उसका मोबाइल फिर से तो नही खराब हो गया ? अगर ऐसा है तो किसी दोस्त के मोबाइल या पब्लिक टेलीफोन बूथ से तो बात कर ही सकती थी । क्या जेनी उससे अब तक नाराज है ? कहीं ऐसा तो नही जेनी किसी मुसीबत में हो और अपनी तकलीफ राज से बता कर उसे दुखी नही करना चाहती ? इसी तरह के सवाल राज को बेचैन किये रहते हैं । फिर भी राज को जेनी के वादे पर यकीन है । जब भी वह उस दिन को याद करता है जब जेनी और राज ने एक दूसरे से वादा किया था कि वे जीवन मे कम से कम एक बार जरूर मिलेंगे । तब उम्मीद की एक नई किरण दिखती है कि एक न एक दिन उनकी मोहब्बत अपने अंजाम तक जरूर पहुंचेगी । यह कैसा रिस्ता है राज और जेनी के बीच ? प्यार है या सिर्फ वासना, यदि वासना थी तो राज और जेनी को बहुत सारे मौके मिलें तब क्यों नही कोई कदम बढ़ाया ? प्यार है तो कैसा जो फासले बढ़ने पर बढ़ रहा है ? प्यार अपने अंजाम तक तो बहुत पहले ही पहुंच चुका होता ।

राज याद करता है उस दिन को जब....…

जेनी और राज की पहली मुलाकात राज के रिश्तेदार के निर्माणाधीन मकान पर होती है । उस दिन वह अपने एक रिश्तेदार रानू से मिलने के लिए वहां गया हुआ था । रानू और राज में अच्छी बनती है इसलिए रानू जब भी शहर आते थे राज उनसे मिलता जरूर था । दोनों में थी तो दोस्ती परन्तु रानू उम्र में बड़े हैं इसलिए राज उन्हें रानू भाई कहता है । इन दिनों रानू भाई उस निर्माण कार्य की देख भाल कर रहे थे । मकान की देख रेख की जिम्मेदारी रानू भाई की ही थी । इसलिए वे वहीं पर रहते थे । वहीं पर कुछ कमरे पहले से बने हुए थे उनमें जेनी किराये पर रहती थी । राज जब रानू से मिलने गया तो जेनी ने गेट खोला और परिचय पूंछा । इस वक़्त तक राज और जेनी को एहसास भी नही था की उनके बीच कुछ होने वाला है । राज और जेनी एक दूसरे के लिए बिल्कुल अनजान थे । राज ने बताया कि वह रानू भाई से मिलना चाहता है । जेनी उसे मकान की छत पर लेकर गई जहाँ रानू निर्माण कार्य देख रहे थे । रानू ने जेनी से मजाक करते हुए कहा कि रिश्तेदार आये हैं चाय नही पिलाओगी क्या ? जेनी ने एक समझदार लड़की की तरह तुरन्त जवाब दिया । क्यों नही ? मेहमान तो भगवान का रूप होते हैं । इतना कह कर जेनी नीचे चली गई और चाय बनाने लगी । राज और रानू काफी दिनों बाद मिले थे तो मजे से बातों में व्यस्त हो गए । कुछ देर बाद जेनी ने आवाज लगाई 'चाय तैयार हो गई है रानू भइया ' । दोनों लोग नीचे आकर चाय का आनन्द लेने लगे और साथ ही जेनी की बड़ी तारीफें हो रहीं थी । हंसी मजक के साथ चाय का स्वाद भी दोगुना हो गया था । जेनी की चाय के समान उसकी बातें भी बहुत मधुर थीं । राज की जेनी से पहली मुलाकात थी इसलिए राज कुछ कम ही मजाक कर रहा था । परन्तु इस हंसी मजक और चाय के स्वाद ने जेनी और राज के बीच एक अपनेपन की भावना को जरूर जन्म दिया था । जेनी और राज एक दूसरे को कुछ हद तक समझ चुके थे । तीनो लोग काफी समय तक बात चीत करते रहे । सूरज छिपने लगा था परन्तु हंसी मजाक में समय ही नही पता चला । मकान निर्माणाधीन था इसलिए वहां रुकने की कोई अच्छी व्यवस्था नही थी । इस कारण राज घर निकलना चाहता था । रानू उसे रोक रहा था फिर दोनों में तय हुआ कि दोनों रानू के कमरे पर चला जाए । वहां से आ जाने के बाद भी रानू और राज के बीच जेनी की बातें होती रहीं राज को जेनी का स्वभाव बहुत अच्छा लगा था । इसलिए तारीफ पर तारीफ किये जा रहा था । रानू ने कहा ज्यादा मत सोंचो वह लड़की बहुत तेज है । हाथ नही आने वाली है । राज ने कहा वह चाहता भी नही लेकिन जो अच्छा है उसे अच्छा कहने में क्या बुराई है ?

रानू का कमरा उस मकान से लगभग 8-10 किमी दूर था । दोनों रास्ते भर बातें करते हुए कमरे पर पहुंचें। अगले दिन सुबह राज अपने घर चला गया और रोज की तरह एक बार फिर जिंदगी की रेलगाड़ी का इंजन बन गया । राज एक शिक्षक हैं इसलिए काम कभी भी बोझ नही लगता । पूरा दिन आराम से पढ़ने और पढाने में यूं ही गुज़र जाता है । समस्या बस इतनी है कि प्राइवेट शिक्षक को वेतन भी इतना मिलता है कि अपना जेब खर्च भी न पूरा हो सके । यह तो राज और उसके जैसे तमाम प्राइवेट शिक्षकों की कला है कि वे इस वेतन में पूरा परिवार चला रहे हैं । सरकारी नौकरी के लिए फॉर्म भरने राज को शहर आना ही पड़ता था । अब चूंकि रानू भाई भी वहां थे तो राज का भी फ़र्ज़ बनता था कि जब उधर से गुज़रे तो मुलाकात करें । राज जब दूसरी बार उस मकान पर गया तो अब वह जेनी के लिए अनजान नही था । जेनी उसे देखते ही खिल उठी तुरन्त रानू को आवाज लगाई -देखिए रानू भइया आपके रिस्तेदार आये हैं । राज और रानू पहले की तरह एक दूसरे से बात करने में व्यस्त रहे और इधर जेनी ने चाय तयार कर दी । चाय के वक़्त जेनी को राज से बात करने का अच्छा मौका मिला । हँसी हँसी में जेनी ने राज से कहा आप तो जाने के बाद हम सबको भूल ही जाते हैं । बड़े दिनों बाद आए हैं और कुछ देर में जाने की जल्दी करने लगेंगे । अबकी राज कोई मौका नही छोड़ना चाहता था तपाक से बोल पड़ा -तुमने भी तो नही याद किया ।

जेनी -नही ' मैन तो बहुत याद किया ।

राज - झूठ, अगर याद करती तो मुझे पता न चलता ।

जेनी - रानू भैया से पूछिए ।

राज-मुझे हिचकियाँ तो नही आयीं ।

जेनी -मैं आपको कैसे यकीन दिलाऊं की आपको रोज याद किया ।

राज - अगर याद करती कॉल कर सकती थी ।

जेनी - आपका कॉन्टैक्ट नंबर भी तो नही है ।

राज - ये तो बहाना है । मेरा नंबर रानू भैया के पास तो है ।

जेनी - ठीक है अबकी बार काल करूंगी ।

इस तरह हंसी मजाक करते करते सूरज फिर चादर ओढ़ने लगा दिन का उजाला धुंधला होने लगा था । राज के जाने का समय हो गया था । परन्तु आज राज का जाने का मन नही हो रहा था । जब भी वह जाने का के बारे में सोंचता ऐसा लगता कि कोई उसे जाने से रोक रहा है । खैर राज अपने मन को समझाकर घर चला गया । राज के घर पहुंचने से पहले ही उसके मोबाइल में मैसेज अलार्म बजता है । राज ने जैसे ही मोबाइल निकालकर मैसेज पढा, कुछ पल के लिए सोंच में पड़ गया । यह मैसेज जेनी का था । मैसेज में लिखा था -"बोरी बिछाकर मत सोना, बेड और बिस्तर भेज रही हूँ आराम से सोना" । नीचे एक बेड का डॉट चित्र बना था । राज के मोबाइल में मैसेज पैक नही था सो उसने उत्तर देने के लिए फोन कॉल किया ।

जेनी ने कॉल प्राप्त करते ही कहा मैं आपके ही कॉल के इंतज़ार कर रही थी ।

जेनी -कैसे हैं आप ? आराम से घर पहुंच गए ।

राज -हां पहुंच गया।

बातों बातों में राज ने कहा आज तो बहुत जल्दी ही याद कर लिया । क्या बात है ? जेनी ने कहा मैं तो आपको जाने ही नही देना चाहती थी । लेकिन क्या करें आप पर कोई हक भी तो नही है, याद करना मेरे बस में है इसलिए याद करती हूँ । राज के दिल पर तो मानो बिजलियाँ गिर रही हों । राज ने कहा तुम्हारी यही अदा तो मुझे अच्छी लगने लगी । जेनी ने कहा तो जल्दी आइयेगा । राज तो जैसे सम्मोहित हो गया हो, उसने कहा अब तो बिना मिले चैन कहां, जल्दी ही आऊंगा ।

अब जेनी और राज के बीच अक्सर ही बात होने लगी । दोनों एक दूसरे से बात करके सकून का अनुभव करते । धीरे-धीरे राज और जेनी एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए । एक दूसरे के सुख-दुख की बातें भी साझा करने लगे थे ।

लगभग एक दो हफ्ते बाद राज को फिर शहर जाना था । राज की जेनी से बात हो ही गई थी, जेनी ने पहले ही कह रखा था कि अबकी बार समय निकाल कर आइएगा । राज की आदत है वह दोस्तों से किया वादा जरूर पूरा करता है । इसलिए इस बार राज दोपहर से पहले ही उस मकान पर पहुंच गया । रानू भाई मकान की देख रेख में व्यस्त थे । छत पर कुछ बन रहा था जिसमें रानू भाई व्यस्त थे । दोपहर चढ़ रही थी सो धूप भी तेज होने लगी थी । रानू ने राज को नीचे ही बैठने की कहा । रानू थोड़ी थोड़ी देर बाद नीचे आते और फिर ऊपर चले जाते । राज से बात करने के लिए जेनी थी ही, इसलिए रानू भी जानते थे कि राज बोर नही होगा । इस तरह से राज और जेनी को बात करने के लिए एक अच्छा अवसर मिल गया था । राज और जेनी एक दूसरे की बातों में खो गए । दोनों बातों में इस तरह खोये जैसे वर्षों पुरानी दोस्ती हो । बातों बातों में ही न जाने कब जेनी के दिल में राज के लिए प्यार पनपने लगा । राज भी तो जेनी की बातों में ऐसा खोया की मानो उसका और जेनी का बहुत पुराना रिस्ता हो । उनके बीच कोई भी रिश्ता न होते भी एक रिस्ता जुड़ गया था, वह था एक गरीब का गरीब के जज्बातों का रिश्ता । जेनी ने बताया कि उसके पिता एक प्राइवेट हस्पताल में सुरक्षा गार्ड हैं । परिवार बड़ा है सबकी परिवरिश की जिम्मेदारी उसके पापा पर है । इतनी मंहगाई में जहां एक व्यक्ति कमाने वाला हो तो छोटी मोटी नौकरी से क्या होता है । राज ने भी जेनी के सामने अपने जीवन के कई कष्टों से पर्दा उठाया । जेनी के अंदर पल रहा प्यार अंकुरित हो रहा था । वह एक पल भी नही गवाना चाहती थी । उसके होंठ अपनी चाहत का इजहार करने के लिए मचल रहे थे । राज भी उसकी आंखों में प्यार का अक्स देख रहा था । वह भी जेनी को पसंद करने लगा था । फिर भी वे एक दूसरे से कह नही पा रहे थे । धीरे धीरे शायद दोनों ही एक दूसरे के प्यार को महसूस भी कर रहे थे । लेकिन प्यार करने में उतना वक़्त नही लगता जितना कि उसका इजहार करने में लगता है । ऐसी ही स्थिति राज और जेनी के सामने भी थी । दोनों समझ रहे थे पर दोनों ही पहल करने से डर रहे थे । दोनों के मन मे तरह तरह के प्रश्नों ने तूफान मचा रखा था । आखिरकार जेनी ने हिम्मत करके पहल कर ही दी ।

वह दिन राज की जिंदगी का पहला ऐसा दिन था जब उसने जाना कि कोई तो है जो उसे हर हाल में प्यार करना चाहती है । उसने पहली बार अपने लिए किसी मे इतना प्यार देखा जिसकी तो कभी उम्मीद भी न की थी । अब हो भी कैसे ? राज को किसी लड़की ने इतना प्यार पहले जो किया ही नही था । अब उम्र की दोपहर होने को आई थी तब जाकर किसी लड़की ने उसे खुद से पसन्द किया था । राज उस वक़्त को भूल नही पा रहा था जब जेनी बार बार उसे रुकने को कह रही थी और राज जरूरी काम का बहाना बना कर जाने की जिद्द किये था । तब जेनी राज को पीछे से पकड़कर लिपट गई थी । राज में भी न जाने कहां से हिम्मत आ गई और उसने भी जेनी को अपनी ओर खींच कर गले से लगा लिया था । राज की जिंदगी में यह घटना बिल्कुल नई थी । इससे पहले उसने हमेशा ही लड़कियों से हंसी मजाक जरूर किया लेकिन इस तरह से किसी लड़की को शीने से लगाने की हिम्मत कभी न हुई या कह सकते हैं राज को जिस मोहब्बत की तलाश थी वह अब मिली थी । लेकिन राज की जिंदगी में हर चीज देर से आती है । जिस मोहब्बत की राज को तलाश थी वह मिली भी, तो तब जब राज उसे पाकर भी छू नही सकता था । क्योंकि अगर वह उसे अपनाता तो समाज की नजर में ठीक न होता, और अगर ठुकराता तो उसकी उस मोहब्बत का अपमान होता । जिसकी उसे तलाश थी । राज ने जेनी को गले तो लगा लिया लेकिन अगले ही पल उसके मन मे ख्याल आया कि वह क्या कर रहा है । उसने जेनी को छोड़ दिया परन्तु भीतर से इतनी तड़प की जैसे जन्मों से बिछड़ी हुई दो आत्माये मिलने को व्यकुल हों । इस व्याकुलता ने राज को एक बार फिर मजबूर कर दिया । राज ने फिर से जेनी को आगोश में ले लिया और दोनों ही लबों के जरिये एक दूसरे के भीतर झांकने लगे । दोनों ही मोहब्बत की गहराइयों में उतरते जा रहे थे कि जेनी को ख्याल आया कि कोई देख न ले । इसलिए ओ शरमाकर कुछ पल के लिए राज से अलग हुई । राज को भी इस बात का डर सता रहा था कि अगर कुछ ऐसा वैसा हो गया तो ठीक न होगा । राज एक शादीशुदा व्यक्ति है वह जानता था कि चाहकर भी जेनी को अपना नही सकता था । इसलिए उसने अपने आप को संभालते हुए जेनी से जाने की सहमति मांगता है। जेनी भी मना नही करती है बस इतना ही कहती है कि जल्दी आइयेगा ।

घर पहुंच कर भी राज का मन अशांत था बहुत सारे प्रश्न एक के बाद एक करके उसे परेशान किये जा रहे थे । राज अपने परिवार को बहुत प्यार करता है । सबसे ज्यादा वह अपने पिता और बच्चे से प्यार करता है । अपनी पत्नि को भी वह बहुत प्यार करता है परंतु उसकी बेरोजगारी के कारण उसकी पत्नि और ससुराल पक्ष के लोग उसे अक्सर ही अपमानित करते रहते हैं । इस कारण उसके रिश्तों में खटास रहती है । राज ने सोच लिया है कि जो इस मुसीबत की घड़ी में उसे अपमानित कर रहे हैं । वे उसके जीवन में बेशक जगह बना लिए हों दिल में नही बना सकते । भले ही वह अपने पारिवारिक जीवन मे सुखी न हो लेकिन वह समाज के बंधनों से आजाद भी तो नही हो सकता । उसकी पत्नि भले ही उसका अपमान करती हो लेकिन वह उसे छोड़ भी तो नही सकता । राज को एक बात सबसे अधिक परेशान किये हुए थी कि अगर वह जेनी से प्यार करता है तो भी वह जेनी को अपना नही सकता । इस तरह तो वह जेनी का सबसे बड़ा गुनाहगार होगा । खैर अंतर मन मे उठने वाले प्रश्नों को शांत करके राज अपने कार्य में व्यस्त होने का प्रयास करने लगा ।

उधर जेनी भी राज के प्यार की चाहत में बेचैन थी । वह राज से बात करने के लिए किसी वक़्त भी फोन कॉल कर देती । इससे राज को डर भी लगने लगा कि कहीं किसी को उनके प्यार के बारे में पता न चल जाये । अगर ऐसा हुआ तो राज की जिंदगी में तूफान आ जायेगा । राज की परेशानियां पहले भी कम न थीं और मुसीबतें वह कैसे झेलेगा, इसलिए राज ने जेनी से बताया कि वह उसे प्यार जरूर करता है लेकिन उन दोनों के बीच कोई रिश्ता नही हो सकता । जेनी ने कहा वह भी उसे बहुत प्यार करती है । राज ने फिर कहा मैं पहले शादीसुदा हूँ न तो मैं तुम्हे धोखा देना चाहता हूँ और न ही अपने परिवार को । तुम्हे पाने के लिए मैं अपना परिवार नही छोड़ सकता और फिर भी अगर मैं तुमसे कोई रिश्ता बनाता हूँ तो यह तुम्हारे साथ धोखा होगा । मैं तुम्हे प्यार करता हूँ इसलिए तुम्हारे साथ ऐसा नही कर सकता । राज ने जेनी को समझाते हुए कहा " जेनी तुम अगर मेरी जरूरत हो तो मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी है"। प्यार छूटने पर मुझे तकलीफ जरूर होगी लेकिन मेरे प्यार के कारण पूरे परिवार को तकलीफ हो, यह भी ठीक नही है । तो भला मैं सिर्फ अपनी खुशी के साथ पूरे परिवार को तकलीफ कैसे दे सकता हूँ । मैंने तुमसे प्यार किया है और तुम्हे प्यार करने वाला धोखेबाज नही हो सकता । आज मैं अगर अपने परिवार को धोखा देकर अपने स्वार्थ सिद्ध के लिए सोंचूँ तो क्या भरोसा कल को मैं तुम्हे भी धोखा दे सकता हूँ । जेनी राज की इसी सच्चाई की तो दीवानी थी फिर अपना प्यार कैसे खो देती । खुद भी इतनी बेगैरत नही थी कि किसी का परिवार तोड़े । अब सवाल यह उठता है जब दोनों ही किसी को धोखा नही देना चाहते और एक दूसरे को भूल भी नही सकते तो फिर दोनों का प्यार क्या मोड़ लेगा ?

कैसे वे अपने प्यार और परिवार की मर्यादा को निभाएंगे ?

क्या उन्हें एक दूसरे को भूल जाना चाहिए ? क्या इतना आसान होता है सच्चे प्यार को भूल जाना ?

शायद नही । राज और जेनी भी एक दूसरे को भूल नही सकते थे ।

जेनी ने राज से कहा क्या हुआ कि हम जीवन भर के साथी नही बन सकते, हम एक दूसरे के साथ रह नही सकते ? प्यार करने के लिए जरूरी नही की हम समाज में सबको कहते फिरें की हम एक दूसरे को प्यार करते हैं । हमारे बीच कोई सामाजिक रिस्ता हो या न हो लेकिन आत्मिक रिस्ता जरूर बन गया है । हर साँस में मैं तुम्हे याद करती हूँ यही तो प्यार है । तुम मुझे प्यार करते हो मेरे लिए यही सच्चा प्यार है । मैं यह वादा करती हूँ जब तक साँसे बाकी रहेंगी तब तक तुम्हे भूल नही सकती । राज ने भी ऐसा ही वादा किया ।

जेनी ने राज से कहा हम साथ जीवन नही बिता सकते, समाजिक रिस्ते के बंधन में भी नही बंध सकते परन्तु इतनी तम्मना है कि जीवन में कम से कम एक बार हमारा मिलन हो । उस दिन का इंतज़ार करूंगी जब हमारा अधूरा मिलन पूरा होगा । क्या तुम नही चाहते हमारा प्यार अधूरा न रहे ? हम जीवन भर एक दूसरे को दोस्त की तरह प्यार करेंगे, जिस दिन भी हमारा मिलन होगा बस वह दिन ही हमारे प्यार का दाम्पत्य जीवन होगा । जेनी ने राज से वादा लिया कि वह उसे उम्र के किसी भी पड़ाव में मिले, पर जरूर मिले । राज ने वादा किया कि उनका मिलन अवश्य होगा और वे जल्दी ही मिलेंगे, एक दोस्त की तरह वह हमेशा ही मिलते रहेंगा । बात रही दाम्पत्य मिलन की तो वह भी अवश्य होगा बस सही वक्त का इंतज़ार रहेगा ।

जेनी और राज दोस्त की तरह ही बात करते रहे और मिलते भी रहे । कहना तो आसान है कि हम एक दोस्त तरह रह सकते हैं । लेकिन यह सत्य है कि पत्थर रगड़ खायेगें तो चिंगारी अवश्य ही निकलेगी । राज और जेनी जब भी मिलते काम रूपी चिंगारी भड़कने ही लगती फिर भी राज और जेनी ने संयम बनाये रखा । बस लबों के जरिए ही दोनों एक दूसरे सन्तुष्ट करके अपने वादे को निभाते रहे ।

फिर अचानक एक दिन रानू की जेनी से कुछ कहा सुनी हो गई । बात इतनी बढ़ी की जेनी ने वह कमरा खाली कर दिया । जेनी दूसरी जगह रहने लगी, वहां आस पास उसके कई जानने वाले लोग भी रहते थे इसलिए उसने राज को अपने नए कमरे पर नही बुलाय राज ने भी नया पता जानने की जरूरत नही समझी । मोबाइल से बात हो ही जाती थी इसलिए जरूरी भी नही था कि वह जेनी के कमरे पर जाए । राज तो विवाहित था शायद इसीलिए वह जेनी पर अधिक ध्यान नही दे पा रहा था । परन्तु जेनी क्या करती उसने जिसे प्यार किया उसे पा भी न सकी । वह तड़प रही थी राज और उसके मिलन के लिए, उसे उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार था । राज से बात करने के बाद तो उसकी तड़क और बढ़ जाती थी, वह मजबूर भी थी अब तो काफी वक्त गुज़र गया था एक दूसरे को देखे हुए ।

राज भी जेनी से मिलने को कम बेचैन नही था लेकिन कोई सही वक्त और जगह नही मिल रही थी । जब मुलाकात भी मुश्किल हो गई तब राज ने किसी पार्क में मिलने का प्लान किया परन्तु जेनी ने पार्क में मिलने से मना कर दिया ।

अब बस मोबाइल ही दोनों के प्यार की डोर बना हुआ था । राज को जेनी के वादे पर भरोसा तो था परन्तु कुछ दिनों पहले जब जेनी का मोबाइल मिलना बंद हुआ तब राज डर लगने लगा कि कहीं जेनी ने उसे भुला तो नही दिया ।

फिर एक दिन जेनी के मोबाइल पर कॉल लगी । आवाज जेनी की ही थी, राज को इतनी खुशी हुई कि मानो कोई कठिन परिक्षा पास कर ली हो । जेनी से बात न करने के लिए शिकायत भी की और नाराज भी हुआ, फिर जेनी ने बताया कि उसका मोबाइल खराब हो गया था । खैर राज और जेनी ने जी भर कर बातें की और कहीं मिलने का प्लान किया । इसी बीच राज को सरकारी नौकरी भी मिल गई जिस कारण उसे बाहर जाना पड़ गया । एक बार पुनः राज और जेनी के मिलन की चाहत पर पानी फिर गया । दोनों के बीच दूरियां भी बढ़ गईं, वापस घर लौटने पर भी राज और जेनी की मुलाकात समय के अभाव के कारण नही हो पाती थी ।

एक दिन की बात है जब राज ने जेनी से वादा किया कि अबकी लौटने पर उससे जरूर मिलेगा । वापस आकर ही मिलने की जगह बताएगा । जेनी इंतज़ार करती रही राज ने कॉल भी नही की क्योंकि राज उस दिन किसी कारणवश पहुंच ही नही पाया । वह जेनी से क्या कहता कि इस बार फिर वे नही मिल पाएंगे, इसीलिए राज ने कोई बात नही की, फिर जेनी ने राज को कॉल किया । राज उस वक़्त भी व्यस्त था इसलिए बाद में कॉल वापस करने का वादा किया ।

दोपहर बीती, शाम बीती, रात गई और फिर सुबह हो गई राज को कॉल करने का ध्यान नही आया । दो दिन बीत गए राज को ध्यान नही आया । तीसरे दिन जब राज को याद आया तो उसे बहुत अफसोस हुआ की जेनी आखिर क्या सोंच रही होगी कि वक़्त बदलते ही इन्शान बदल गया । जिस राज को उसने तब चाहा जब वह बेरोजगार था, उसने भी तब ख्याल रखा और अब उसे उसका ख्याल भी नही आता । राज ने जेनी को कॉल किया घण्टी बजती रही, एक बार, दो बार फिर कई बार लेकिन जेनी ने कॉल रिसीव नही किया । जेनी की नाराजगी भी जायज थी आखिर वादा था मिलने का तो राज को बताना चाहिए था कि वह व्यस्त है ।

राज ने फिर अगले दिन काल किया बात नही हुई, राज जनता था जेनी नाराज है, जब गुस्सा शांत होगा बात जरूर होगी । राज अक्सर ही कुछ दिनों के अंतराल पर जेनी को कॉल करता रहा लेकिन जेनी ने कॉल रिसीव नही किया । फिर राज ने कुछ दिन के लिए छोड़ दिया, क्योंकि उसे पता था जेनी उससे बात किये बगैर ज्यादा दिनों तक नही रह सकती । जब दो तीन महीने बीत गए तब भी जब जेनी ने काल नही किया तो राज ने फिर कॉल करना शुरू किया । जेनी के मोबाइल पर कॉल लग ही नही रही, जिससे राज को चिंता होने लगी । वह रोज कॉल करता इस उम्मीद से की शायद आज मिल जाये । वक़्त बीतता गया राज राज की उम्मीद खत्म नही हुई उसे भरोसा है अपने प्यार पर । वह जेनी का पता जनता तो जाकर अपनी गलती कबूल करता, माफी मांगता अपनी भूल के लिए । जिस राज को जेनी से बात करने का उस दिन ध्यान नही आया वह अब हर पल जेनी को याद करता है । याद करता है अपने और उसके वादे को फिर उसका विश्वास मजबूत हो जाता कि एक न एक दिन जेनी उसे काल जरूर करेगी ।