इन्तज़ार Kalyan Singh द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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इन्तज़ार

दोपहर का समय था मैं और अनूप अपनी फील्ड ट्रेनिंग पर चेन्नई जा रहे थे , तभी हमारी ट्रेन नागपुर पहुंची और हमें अपनी सामने वाली नीचे की सीट का बलिदान करने का समय आ गया था क्योकि उस सीट के असली हकदार आ चुके थे चुकी मेरी सीट ऊपर की थी और अनूप की नीचे वाली थी l
ट्रेन में वैसे भी सेकंड वातानुकूलित कोच में नीचे की सीट की बात ही कुछ और होती है आप बाहर का पूरा नज़ारा देख सकते है और आने वाले सभी स्टेशन का पता चलता रहता है वैसे उस नीचे वाली सीट पर एक लड़की और एक आदमी आकर बैठ गए लेकिन कुछ समय बाद वो आदमी चला गया l
मेरे ख्याल से वो उसके पापा होंगे जो उसको छोड़ने आये थे l
मुझे तो इस घटना से ख़ुशी भी हुई और थोड़ा अफसोश भी हुआ l ख़ुशी इस बात की एक लड़की मेरे सामने आकर बैठी और दुःख इस बात का की मेरी नीचे वाली सीट छिन गयी , मैंने थोड़ा सोचने के फैसला किया की ख़ुशी वाली बात पर ज्यादा ध्यान दिया जाए l
हमारे कम्पार्टमेंट में एक और लड़का था जो बैंगलोर जा रहा था जिसका नाम अमन था l
जैसे जैसे हमारा सफर बीतता जा रहा था वैसे वैसे मेरे और अनूप में बातचीत होती जा रही थी लेकिन मेरा मन तो कही और था मन ही मन तरह तरह के सवाल आ रहे थे कि क्या बात करू ? कैसे शरुवात करू ?
मैं यहाँ सोच ही रहा था की अनूप ने बाज़ी मार ली और पूछ ही लिया
"आप कहा जा रही है ? " अनूप ने पूछा l
" बैंगलोर " उस लड़की ने जवाब दिया l
उसको देख के लग रहा था की वो एकदम इंटरेस्ट नहीं दिखा रही थी हमलोग से बात करने में , लेकिन अनूप तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था l
" क्या करती है वहां आप ?" अनूप ने पूछा l
" जॉब करती हूँ " उसने जवाब दिया l
" आप नागपुर की रहने वाली है क्या ? " अनूप ने पूछा l
" जी नहीं रायपुर की " उसने बोला l
अच्छा आप नागपुर से ट्रेन में बैठी तो मुझे लगा की नागपुर की है
" नहीं यहाँ मामा रहते है उन्ही के यहाँ आयी थी "उसने बोला l
इधर धीरे - धीरे अनूप अपनी बातों का सिलसिला आगे बढ़ाते चले जा रहे थे
और मेरा पत्ता काटते जा रहे थे
" और अनूप पार्टी कब दे रहे हो ? " मैंने अपना हाथ उसकी पीठ पर थपथपाते हुए पूछा l
" पार्टी किस बात की ? " अनूप ने पूछा l
" अरे अब इतने भी नादान मत बनो , बता भी दो की शादी तय कर लिए " मैंने चुटकी लेते हुए बोला l
" अरे अमन देखो अब अनूप सर जवाब नहीं दे रहे है " मैंने अनूप की चुटकी लेते हुए अमन से बोला l
" हां सर पार्टी कब मिलेगी " अमन ने पूछा l
क्योकि अमन हमारे से साथ बनारस से बैठा था तो हमलोगो में काफी बातचीत हो चुकी थी इसीलिए हमलोग अमन से थोड़ा कम्फर्ट हो चुके थे
और धीरे धीरे मेरी नज़र तो उस लड़की की सभी हरकतों को देख रही थी इतने में ही
" बधाई हो " उस लड़की ने अनूप की तरफ स्माइल करते हुए बोला l
" धन्यवाद " अनूप ने बोला l
" आप लोग कहा जा रहे है ? " उस लड़की ने हमलोग से पूछा l
" जी हमलोग ट्रेनिंग पर चेन्नई जा रहे है " मैंने मौके पर चौका मारते हुए बोला l
इस मौके को मैं गवाना नहीं चाहता था उससे बात करने का
" आपलोग कहा जॉब करते है ? " उसने पूछा l
" हम और अनूप भारतीय रेल में सर्विस करते है " मैंने थोड़ा कॉन्फिडेन्स के साथ बोला l
ओह बहुत अच्छा
" सरकारी नौकरी निकालने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती होगी " उसने एक स्माइल के साथ पूछा l
" हां थोड़ी तो करनी ही पड़ती है " मैंने भी एक स्माइल के साथ उसको जवाब दिया l
और मन ही मन उसी से बात करने के बहाने बनाये जा रहा था
" अरे मेरा छोड़ो मेरी तो तय हो गयी है तुम बताओ तुम कब तय कर रहे हो " अनूप ने मेरी पीठ थपथपाते हुए पूछा l
" अरे मेरी आप के जैसी किस्मत कहा " मैंने भी एक स्माइल के साथ जवाब दिया l
" घर वाले लोग देख रहे लड़की " मैंने बोला l
यहाँ हमलोग बात कर ही रहे थे कि तभी एक स्टेशन पर ट्रेन आके रुकी गर्म समोसे , चाय गरम , कराची बेकरी बोलते हुए फेरीवाले एक एक करके हमारे कोच में आने लगे
" अरे भाई थोड़ा चाय पीला दो सभी को " मैंने चाय वाले से बोला l
" नो थैंक्स " उस लड़की ने बोला l
हम लोग यहाँ चाय पी ही रहे थे किउसने अपने बैग से कुछ निकालने लगी और एक हाथ से मठरी हमलोग को ऑफर कर दिया
हम सभी ने एक एक मठरी उठायी और धन्यवाद बोलते हुए मठरी खाना शुरू कर दिया
" वाह क्या स्वाद है " मैंने बोला l
" थैंक्यू मेरी मम्मी ने बनाया है " उसने बड़े प्यार से बोला l
" ओह बहुत अच्छा मेरी तरफ से धन्यवाद बोल दीजियेगा मम्मी को " मैंने बोला l
" ठीक है बोल दूंगी " उसने मुस्कुराते हुए बोला l
और इधर धीरे धीरे मेरी और उसकी बातचीत का भी सिलसिला शुरू हो गया
" कितने सालो से आप बैंगलोर में रह रही है " मैंने पूछा l
" एक साल से " उसने बोला l
वहाँ भी हमने कोच फैक्ट्री में ट्रेनिंग किया है वहाँ थोड़ा रोड ट्रैफिक का प्रॉब्लम है
" अभी मेट्रो आने से कुछ ट्रैफिक में सुधार हुआ है " मेरी बात खत्म होते ही उसने बोला l
अभी हमलोग बात कर ही रहे थे की उसने चेतन भगत की हाफ गर्लफ्रेंड किताब निकालकर पढ़ना शुरू कर दिया
यूँ इस तरह थोड़े समय के लिए हम दोनों की बातों के सिलसिले को थोड़ा विराम मिला
" कुछ बात आगे बढ़ाई जाए " अनूप ने धीरे से मेरे कान में फुसफुसाया l
" अरे नहीं भाई " मैंने बोला l
तभी अगले स्टेशन पर सूप वाला आ गया
" सूप दे दीजिये सभी को " उस लड़की ने सूप वाले से बोला l
मैंने तो ऑफर को स्वीकार किया
और फिर से सूप के बहाने ही सही हमारे बातों का सिलसिला शुरू हो गया
" हमारे पापा भी रेलवे के विद्युत् विभाग में सप्लाई करते है " उसने बोला l
" ओह मैं भी विद्युत विभाग में सर्विस करता हूँ " मैंने बोला l
" मेरा छोटा भाई भी विद्युत विभाग से बी टेक कर रहा है " उसने मेरे से बोला l
बहुत सही। ..
मैंने भी अपने सब्र को तोड़ते हुए पूछ ही डाला
मेरा नाम " संदीप " और आपका नाम
" सिमरन गुप्ता " उसने एक मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया l
और इधर उसने फिर से हम दोनों की बातों में रुकावट डालने वाली हाफ गर्लफ्रेंड बीच में आ गयी l
और इधर मैं फेसबुक पर सिमरन का इतिहास ढूढ़ने लगा ,फेसबुक पर पूरा इतिहास देखने के बाद पता चला की वह सिंगल है l मैं मन ही मन सोचा की कुछ बात बन सकती है
वो अपनी किताब पढ़ने व्यस्त थी और मैं बहार के सीन का लुप्त उठा रहा था लेकिन वो बीच बीच में किताब एक साइड करके बहार के सीन का लुप्त उठा रही थी l
और यही सब करते करते कब रात के 9 बज गए पता ही नहीं चला और वो अब अपने सीट पर लेट चुकी थी इधर मैं भी सोने की तैयारी में लग गया l
रात के करीब ११ बजे जब सभी लोग सो चुके थे मैं थोड़ा अंगड़ाई लेके उसकी तरफ सर किया तो देखा की वो अपने पेट पर हाथ दबा के बैठी हुई थी
" सिमरन आप ठीक तो है " मैंने पूछा l
" हां अभी एकाएक बहुत तेज पेट में दर्द शुरू हुआ है " उसने एक हाथ अपने पेट पर हाथ रखते हुआ बोला l
" आप सो जाईये मैं ठीक हूँ " उसने मेरे से बोला l
मैंने बोला कोई दवा है आपके पास
" नहीं मेरे पास अभी तो नहीं है " उसने बोला l
" रुको मैं देखता देखता हूँ शायद मेरे पास हो " मैंने थोड़ा सांत्वना देते हुए उसको बोला l
" आप परेशान ना हो अभी ठीक हो जायेगा " उसने बोला l
और एक हाथ अपने पेट पे हाथ रखते हुए वाशरूम की तरफ चली गयी
" अभी कुछ आराम है आपको " उसके सीट पर बैठते हुए मैंने उस से पूछा l
" अभी भी दर्द कर रहा है " उसने दर्द के साथ बोला l
फिर मैंने टी टी से बात बात करके अगले स्टेशन पर दवा की व्यस्था कर दी l
" अगले स्टेशन पर दवा की व्यस्था हो गयी है " मैंने उससे बोला l
" थैंक यू वैरी मच " उस ने एक मुस्कुराहट के साथ बोला l
रात के 12.30 वो दवा खायी और हमने एक मुस्कुराहट के साथ अपनी अपनी सीट पर सोने चले गए
मैं तो बहुत मन लगाया की सो जाऊ लेकिन उसका चेहरा मन से हटाया ही नहीं जा रहा था
युहीं सोचते सोचते कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला l
" अरे साहब उठेंगे नहीं क्या " अनूप ने मेरा हाथ हिलाते हुए बोला l
" क्या समय हुआ है " मैंने अनूप से पूछा l
सुबह के 7.30 बज चुके है l
मैंने देखा की वो अभी भी सो रही है l
" गुड मॉर्निंग " उसने उठते ही हम सबलोग को बोला l
" गुड मॉर्निंग " मैंने भी एक मुस्कुराहट से बोलै l
" और आपका पेट दर्द कैसा है अब " मैंने उससे पूछा l
" अभी तो आराम है कल के लिए थैंक्यू वैरी मच " उस ने बोला l
" आपने आपने बारे में कुछ बताया ही नहीं " उसने मेरे से पूछा l
" मैं इलाहबाद का रहने वाला हूँ और दो भाई और एक बहिन है " मैंने बोला l
" आप सबसे छोटे है ना ? " उसने पूछा l
" आपको कैसे पता ? " मैंने पूछा l
" आपके घर वाले आपके शादी के लिए लड़की देख रहे है " उसने एक मुस्कुराहट के साथ बोला l
तभी मेरी नज़र हाफ गर्लफ्रेंड किताब पर गयी और मन ही मन मैं फुल गर्लफ्रेंड के बारे में सोचने लगा
" और ये किताब कैसी लगी आपको " मैंने पूछा l
" अरे ये तो बस मैंने यात्रा में टाइम पास करने के लिए थी " उसने बोला l
हे हे। .. मैंने स्माइल कर दिया
" क्या हुआ कोई लड़की पसंद नहीं आयी आपको " उसने मेरे से पूछा l
" जैसी मेरे को चाहिए अभी वैसी कोई नहीं आयी है " मैंने उसके आँखो में आँखे डालकर बोला l
" कैसी लड़की चाहिए आपको " उसने पूछा l
सबकी अपनी अपनी पसंद होती है
इधर मेरा स्टेशन भी आ गया और मैं उससे बोला अगर आप ये किताब पूरी पढ़ लीजियेगा तो मुझे जरूर सुनाईयेगा मैं इंतज़ार करूँगा l
और एक कागज़ के टुकड़े पर अपना फ़ोन नंबर उसको देते हुए ट्रेन से नीचे उतर गया। ...क्योकि मेरी मंज़िल आ चुकी थी
.
दिल को तेरी ही तमन्ना ,
दिल को है तुझ से ही प्यार ,
चाहे तू आये या ना आये ,
हम करेंगे इंतज़ार ….
आजतक उसके फ़ोन का इंतज़ार कर रहा हूँ ............