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कथानक रूपरेखा व संयोजन
नीलम कुलश्रेष्ठ
एपीसोड - 7
सावेरी के आने से दामिनी मीशा को उसके पास छोड़कर आज एक स्त्री की काउंसिलिंग करने एन जी ओ में आ पाई है, जो कि कब से टालती जा रही थी। दामिनी के सामने एक स्त्री एन जी ओ में काउंसिलिंग के लिए साधारण घर की युवा स्त्री बैठी हुई है जिसका एक गाल लाल पड़ा हुआ था। वह ब्लाउज़ हटाकर अपनी पीठ पर पड़े निशान दिखा चुकी थी । दामिनी कुछ क्रोधित हो उठी, ``तुम अपने पति के ख़िलाफ घरेलु हिंसा अधिनियम के अंतर्गत पुलिस से शिकायत क्यों नहीं करतीं ?``
``ये क्या होता है ?``
दामिनी को लगा अपना माथा पीट ले, शक्ल से तो ये औरत पढ़ी लिखी लग रही थी, ``क्या अख़बार नहीं पढ़तीं ?``
``कभी कभी पढ़ने को मिलता है और वैसे भी पुलिस के पास जाना होता तो क्यों आपके पास आती ? ``
हर दूसरी तीसरी औरत हमेशा यही बात कहती है क्योंकि वह एक `माँ `भी होती है। जितना अपने पति से अपने ऐसे रिश्ते को घसीट सकती है, घसीटती चलती है। कैसा लगा था सन २००६ में घरेलु हिंसा अधिनयम-- २००५ के आने पर जैसे पीड़ित औरतों के हाथ एक जादू की छड़ी लग गई है। हर परिवार में इसके भय से शांति छा जाएगी। जैसे निर्भया के केस के बाद सोचा था कि रेप व गैंग रेप रुक जाएंगे। सारे विचारक, सारे नारीवादी, समाज के सभी संवेदनशील व्यक्ति हैरान हैं आतंक की हैवानियत व इन समस्याओँ से। कहाँ है इनका अंत ?
`` अगले सप्ताह मंगल को अपने पति को लेकर यहां आना। ``
`` आपको लगता है वह यहां आएगा ?``
``कोशिश तो की जा सकती है। ``
``आप जब नहीं आ रहीं थीं तब चारु बेन ने उसे कितनी बार फ़ोन किया, संस्था का पत्र भेजा लेकिन वह यहां आकर नहीं दिया। ``
दामिनी ने कहा, ``तुम ऐसा करो पुलिस की नारी सुरक्षा सैल में शिकायत करो। वहां जो इंस्पेक्टर बैठती है वह मेरी जान पहचान की है। मैं उसे फ़ोन कर दूंगी। ``
``आपसे कहा न मुझे पुलिस वालों के पास नहीं जाना। ``
``मैं तुम्हें पुलिस में एफ़ आई आर लिखाने की नहीं कह रही। ये सेल इसीलिये एक महिला पुलिस कमिश्नर ने खुलवाई है कि पुलिस के डर से लोग घरों में अपनी पत्नी से सही व्यवहार करने लगें। ``फिर उन्होंने चारु को आवाज़ दी, चारु !, ज़रा रजिस्टर लेकर यहां आना व इन बेन को बताओ कि यहां से भेजे कितने केस में आदमी सुधर जातें हैं। ``
चारु उसे रजिस्टर दिखाने लगी, ``बेन !हम झूठी तसल्ली नहीं देते लेकिन ये देखो इन लेडीज़ के नाम। इनमें मे से सत्तर टका के पति पुलिस के डर से ठीक हो गये हैं। ``
``सारु। ``अब जाकर वह उस सेल में जाने को तैयार होती है। दामिनी उसे हतोत्साहित नहीं करना चाहती थी ये कहकर कि कुछ नीच व बेशर्म मर्दों का इलाज कहीं नहीं है, न यहां, न वहां। वह अगले केस की स्त्री के अंदर आने का इंतज़ार करने लगी।
***
`` मौसी !आप कल एक नाम ले रहीं थीं -`ओ बी आर `वह क्या होता है ?``दोपहर में भरपूर नींद लेने के बाद अब तक तीनों मतलब दामिनी, मीशा, सावेरी की महफ़िल लॉन में चाय पीते हुए जम चुकी थी।
सावेरी ने टाला, ``यार !कितना सुहावना मौसम है। शाम की हवा चल पड़ी है। आसमान में देख कैसे पंछी क़तार में घर लौट रहे हैं। फ़िल्म एक्टर टाइगर श्रॉफ़, ईशान, आलिया भट्ट या सारा अली ख़ान की बातें कर। आर रहमान के म्युज़िक की बात कर , कहाँ ओ बी आर की बातें लेकर बैठ गई ?``
``मौसी प्लीज़ !बताइये न। मम्मी इतनी व्यस्त रहतीं हैं कि हम लोग इधर उधर की बात ही नहीं कर पाते। ``
सावेरी गार्डन चेयर पर कुछ सीधी बैठ गई, ``तो सुन, इसको आरम्भ करने वालीं थीं न्यूयोर्क की ईव एंसेल जिनका नाटक `द वेजाइना मोनोलॉग्स `सन १९९६ में अभिनीत किया गया, तब से ही चर्चा में रहा, लोकप्रिय हुआ था। ``
दामिनी बोली, `` अपने देश में भी तो डॉली ठाकुर व जयन्ती भाटिया व दो और ऐक्ट्रेसेज़ ने प्ले किया था। `
`` ईव ने अमेरिका की दो सौ महिलाओं के इंटर्व्यू लेकर इसे लिखा था कि वे पुरुषों से अपने रिश्ते व सेक्स के विषय में क्या सोचतीं हैं। उन्होंने अपना बयान भी दिया था -`मैं स्त्रियों से दुर्व्यवहार, उनके उत्पीड़न, उनके रेप के विषय में सोचकर बहुत कष्ट अनुभव करतीं हूँ। `
मीशा का चेहरा शर्म से लाल पड़ गया था। वह झेंपते हुए बोली, `` अरे अमेरिका में भी मेल्स स्त्रियों से बुरा व्यवहार करते हैं ?``
``ये सब तो दुनियां के हर कोने में चल रहा है। आज सब अपनी बेटियों को मज़बूत बनाने में लगे हैं। ट्रेन में एक लेडी बोल रही थी कि मैं अपनी बेटी को रोज़ ग्राउंड में ले जाकर सायकिल सिखातीं हूँ। उसको कराटे सिखवा रहीं हूँ। ``
दामिनी बीच में बोल उठी ``मीशा ! दुनियाँ में बुरे आदमियों से अधिक अच्छे आदमी हैं इसीलिये देख अपनी बेटियों को कितना एनकरेज करते हैं कि आगे बढ़ती चलो। आज जो स्त्री प्रोग्रेस कर रही है उसके पीछे पुरुषों की ही मेहनत है। चारु की स्त्री संस्था के लिए किसी भले मानस ने बिल्डिंग दी है। उसके लिए फ़ंड देते हैं। इन फ़ैक्ट, सारी स्त्री संस्थाएं भी कुछ सज्जन पुरुषों के पैसे से ही चल रहीं हैं। मीशा तुम्हें बताने की ज़रुरत नहीं है कि सती प्रथा भी तो एक पुरुष दयानन्द सरस्वती जी ने बंद करवाई थी। ``
` `हाँ, नानी गांधीजी ने भी तो फ़ीमेल्स के लिए कितना काम किया है। आपको याद है तीन साल पहले आप मुझे गांधी जी द्वारा अहमदाबाद में स्थापित देश की तीसरी स्त्री संस्था `ज्योति संघ `में ले गईं थीं ?``
``मीशा! मॉम सही कह रहीं हैं। हम पुरुषों के अर्जित ज्ञान से ही आगे बढ़ रहे हैं लेकिन हम स्त्रियों प्रतिभा को दबाया भी बहुत गया है। प्रकृति का कितना अनूठा परम सत्य है कि जिस चीज को जितना दबाया जाता है बाद में वह बुरी तरह उछलती है । ईव एंसेल ने ओ बी आर अमेरिका में आरम्भ किया और यहाँ तो उछला ही नहीं है नारीवाद पूरे धूमधड़ाके के साथ इस वेलेन्टाइन डे यानि 14 फरवरी 2013 को विस्फ़ोट कर बैठा है। `वन बिलिअन राइज़िंग ` यानि 184 देशों में नाचती थिरकती इस व्यवस्था के प्रति स्त्री शोषण के लिए अपना विरोध प्रगट करती स्त्रियाँ। वो भी उस दिन जिस दिन पुरुष फूल, ग्रीटिंग्स कार्ड, चॉकलेट्स या फ्रेंडशिप बैंड्स देकर अपने प्यार का इज़हार करतें हैं । अब तो हर वर्ष इसमें भाग लेने वाले देशों की, स्त्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ``
``पहली बार मुझे भी अचरज हुआ कि स्त्रियां नाच गाकर अपना विरोध प्रगट करेंगी। ``
``मॉम मैंने सुना है अहमदाबाद की मल्लिका साराभाई व देलही की सोशल वर्कर कमला भसीन भी इसमें भाग लेतीं हैं । ``
दामिनी बोली, ``मल्लिका के द्वारा आयोजित ओ बी आर में मैं भी गई थी। ये मैं विदेशों की बात नहीं कर रही आंखों देखी भारत की बात कर रह रहीं हूँ जहाँ स्त्रियाँ माइक पर ज़ोर ज़ोर से इस निर्मम सच को बता रहीं थीं यहाँ तक कि अपने रेप के बारे में भी बिना किसी लज्जा के, वह किसने किया, कितनी बार किया, कितने समय से चल रहा है। । लगता है शायर बशीर बद्र जी ने वेलेंटाइन डे पर प्रगट होते स्त्रियों के दर्द के लिए ही कितनी बढ़िया लाईन्स लिखें हैं -
``ऎसा लगता है कोई साँप छुपा बैठा है
फूल से हाथ मिलाते हुए डर लगता है ``
``नानी प्लीज़ !``अचनाक आँखों में पानी लिए मीशा अंदर भाग गई।
सावेरी अफ़सोस करके कुर्सी से उठने लगी, ``मैं अंदर जाकर मीशा से बात करतीं हूँ। लगता है इसे अपने किसी वेलेंटाइन डे की याद आ गई होगी। ``
दामिनी ने धीमी आवाज़ में कहा, ``अभी एकदम अंदर मत जाओ। उसके दर्द को बह जाने दो। ``थोड़ी देर बाद उन्होने बिन्दो को ईशारा किया । वह मीशा को पानी पिलाकर टी वी ऑन कर दे।
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मीशा अपने कमरे में बिस्तर पर पड़ी हिचकी भर भर कर रो रही थी। आंसु रुक नहीं रहे थे। पिछले वर्ष वेलेंटाइन डे के दिन उसकी क्लास के लड़के लड़कियों का ग्रुप केंटीन के बाहर खड़ा हुआ था। तभी मिहिर ने उसे केंटीन के दरवाज़े के पास वाले अशोक के पेड़ के नीचे खड़े होकर उसके पीछे आने का इशारा किया। ईशान ने ये इशारा देख लिया व हंस पड़ा, ``सीनियर सर !आप` रैड रोज़ `हमारे सामने भी मीशा को दे सकतें हैं। ``
पेड़ के पीछे छिपा मिहिर इनके पास झेंपता सा सामने आ गया व इन लोगों के पास चला आया था। जैसे ही उसने रेड रोज़ का गुलदस्ता व चॉकलेट का पैकेट मीशा की तरफ़ तरफ़ बढ़ाया ही था कि वैसे ही एक लोकल अख़बार का पत्रकार लपकता हुआ चला आया। उसने कैमरा सँभालते हुए मीशा और मिहिर को इशारा किया, ``प्लीज़ !आप दोनों इस ग्रुप से अलग होकर एक दूसरे को रैड रोज़ दें। ``
दोनों सकपका गए, ``वॉट ?ये कोई तमाशा है ?इट `स अ पर्सनल मैटर। ``
``अगर मैंने कॉलेज में एक भी फ़ोटो नहीं ली तो मेरी नौकरी चली जाएगी। अभी तो मैं प्रोबेशन पर हूँ। प्लीज़ !फ़ोटो लेने दीजिये। `` किसी लोकल अख़बार का दिया उसने अपना आइडेंटिटी कार्ड दिखाया।
मीशा ने घबराकर अपने चेहरे पर एक हाथ रख लिया, ``ये पेपर मेरे घर भी आता है। मेरी मम्मी अख़बार में ऐसी मेरी ऐसी फ़ोटो देखगी तो मेरा गला दबा देगी। ``
मिहिर ने रास्ता निकाला, ``ऐसा करते हैं इस फूलों के बंच में से एक एक फूल निकाल कर सब लड़कों को दे देता हूँ। वे एक एक लड़की को फूल देंगे और आप फ़ोटो ले लीजिये। ``
उस पत्रकार का उतरा हुआ चेहरा एकदम खिल उठा, वह बोला, ``इट `स ब्रिलिएंट आइडिया सर जी !``
सब हंस पड़े, ``तो आइडिया मोबाईल का एडवर्टिज़मेन्ट हो रहा है? ``
दूसरे दिन जैसे ही कावेरी ने वह अख़बार देखा, वह चौंक उठी, `` ये कौन लड़का तुम्हें फूल दे रहा है ?तुम्हारे ग्रुप का तो नहीं लग रहा । ``
मीशा ने अपनी मुस्कराहट छिपाकर बनावटी गम्भीरता से कहा, `` ये मेरा सीनियर है। एक पत्रकार की नौकरी बचाने के लिए हमने ग्रुप में एक दूसरे को रोज़ दे दिये थे। ``
``मीशा !जो तुम्हारे और इस लड़के के चेहरे पर हंसी और नूर है, वह सबके चेहरे पर क्यों नहीं है ? तुम फ़ोटो में इतना` ब्लश `क्यों कर रही हो ?``
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नीलम कुलश्रेष्ठ
ई-मेल ----kneeli@rediffmail.com
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