लाइफ़ @ ट्विस्ट एन्ड टर्न. कॉम - 5 Neelam Kulshreshtha द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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लाइफ़ @ ट्विस्ट एन्ड टर्न. कॉम - 5

लाइफ़ @ ट्विस्ट एन्ड टर्न. कॉम

[ साझा उपन्यास ]

कथानक रूपरेखा व संयोजन

नीलम कुलश्रेष्ठ

एपीसोड - 5

नीरा ने सुबह जैसे ही पेपर हाथ में लिया पहले ही पेज पर अपनी तारीफ़ "महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर की सराहनीय पहल " पढ़ कर आंखों में चमक आ गई। पुलिस कमिश्नर का कार्यभार संभालते ही उसने महिलाओं के प्रति बनने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिस पैट्रोलिंग सघन करना, महिला थाने की वेकेन्सी भरना, महिला हैल्प लाइन और काउंसिलिंग की शुरुआत, जैसी कार्यवाही की, साथ ही कॉलेज में पढ़ने वाली, एवं कामकाजी महिलाओं को अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक करने का अभियान छेड़ दिया।

आज नीरा को आज सुबह नौ बजे सेंटज़ेवियर कॉलेज में `महिलाएँ अपनी सुरक्षा कैसे करें ?`विषय पर परिचर्चा के लिए जाना है। इत्तेफ़ाक़ से दामिनी का तीन दिन पहले ही फ़ोन आया था, `` नमस्कार नीरा जी !.``

`` नमस्कार, कहिये कैसीं हैं ?``

``जी मैं तो ठीक हूँ लेकिन मेरी बेटी कावेरी अपनी बेटी मीशा को मेरे पास छोड़ गई है जो प्यार में धोखा खाकर डिप्रेशन में चली गई है। ``

`` ओ --वेरी सैड। ``

``मैंने न्यूज़ पेपर में पढ़ा है कि आप लड़कियों के कैम्प के सिलसिले में सत्रह तारीख़ को सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज जाने वालीं हैं। यदि आपकी परमीशन हो तो मैं भी मीशा और एन जी ओज़ में काम करने वाली कुछ लेडीज़ को को लेकर वहाँ आ जाऊँ। वे भी सेल्फ़ डिफेंस के कुछ गुर सीख लेंगी। ``

``व्हाई नॉट ?मैं वहां प्रिंसीपल से बोल दूंगी। वैसे भी कोई पत्रकार किसी मीटिंग में आ रही हो तो लोग ख़ुश ही होतें हैं। आप आयेंगी तो मुझे भी अच्छा लगेगा. वड़ोदरा से हम दोनों एक ही काम कर रहे हैं जितना हो सके महिलायों के जीवन को सुधारना, उनमें आत्मविश्वास पैदा करना। ``

``नीरा जी !जबसे स्त्रियों ने घर से बाहर कदम रक्खा है तबसे उनका जीवन बहुत चैलेंजिंग हो गया है अनेक मसले रोड़ा बन कर राह में बिखर गये हैं। आज सबसे बड़ा मसला उसकी अस्मिता और हिफ़ाज़त का है। घर और बाहर दोनों ही जगह उसके अस्तित्व को ललकारा जाता है। स्वाभिमान को ठेस पहुँचाई जाती है इसलिए उनकी सुरक्षा व भावनात्मक सहायता के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। ``

जैसे ही वह 9 बजे कॉलेज के गेट पर गाड़ी से उतरी वहाँ तैनात पुलिसकर्मियों ने अटेंशन मुद्रा में सेल्यूट ठोंका और प्रिंसिपल ने नीरा का अभिवादन किया, पुष्प गुच्छ देते हुए । कॉलेज के ऑडिटोरियम में नीरा ने कदम रखा, हॉल उसके स्वागत में तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। नीरा ने देखा दामिनी आगे की लाइन में बैठी मुस्कुरा रही है व उसने हाथ उठाकर अभिवादन किया। उसके साथ वाली सीट पर एक लड़की बैठी है, चेहरा थोड़ा मुरझाया सा है, शायद यही मीशा है ।

प्रिंसिपल ने माइक पर नीरा का परिचय दिया, `` हमारे स्कूल का सौभाग्य है कि शहर की पुलिस कमिश्नरअपना कीमती समय निकालकर हमारे यहां पधारी हैं। आप आई पी एस ऑफ़िसर ही नहीं बल्कि एक पी एच डी किये हुए विद्वान लेखिका व कवयित्री हैं। आज आपको सिखाने आईं हैं कि आप अपनी रक्षा कैसे करें ? आप चाहें तो बीच बीच में प्रश्न पूछ सकतीं हैं। । ``उन्होंने माइक नीरा को पकड़ाते हुए कहा, ``प्लीज मैम!``

हॉल में बैठी महिलायों से मुख़ातिब होते हुए नीरा ने कहा " ``प्रिंसीपल मिसिज़ डिसिल्वा, सभी प्राध्यापिकायें, प्यारी बच्चियों व सभागृह में उपस्थित सभी को मेरा नमस्कार !आप सब की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पुलिस की है किंतु अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना आपकी ज़िम्मेदारी है। पुलिस हर जगह नहीं होती। घर के बाहर सतर्कता रखना ही आप का सबसे बड़ सुरक्षा कवच है । जैसा कि हम सभी जानते हैं महिलाएं आज पढ़ने लिखने, रोटी कमाने घरों से बाहर निकली हैं । आज की महिला फिर से अपने लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा रूप को पाने को जूझ रही है। किंतु समाज की मानसिकता महिलाओं को स्वाभिमान से जीवन जीने में बाधक बन रही है, महिलाओं की अतिसंवेदनशीलता भी कई बार उनकी असुरक्षा का कारण बन जाती है। वे बड़ी जल्दी किसी पर भरोसा कर लेती हैं। ``

एक लड़की ने उठकर पूछा, `` क्या किसी पर भरोसा नहीं चाहिये ?``

`` ``वो कहते हैं न भरोसे से दुनियाँ चलती है। ये बात अर्द्धसत्य है। हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिये। आप सब सर्वप्रथम अपने प्रति ईमानदार बनें। अपने बड़ों से कुछ ना छुपायें । घर से निकलें बता कर निकलें, जहां जा रही हैं वहाँ का पता देकर निकलें, जिनके साथ घूमने वाली हैं या जिनके घर जा रही हैं, उनका मोबाइल नंबर अवश्य देकर जायें। जिस ऑटो या टैक्सी से जा रही हैं, उसका नबंर लिख लें। चालक का नबंर भी ले लें। आप जिस थाने में रहती हैं, उस थाने का नबंर भी आपके पास हो। पर्स में अपनी फ़ोटो या व अपना पहचान पत्र रखें । अंधेरा होने के बाद किसी भी सुनसान जगह पर किसी के साथ न जायें। देर रात की पार्टी में एहतियात बरतने की ज़रूरत है। अपनों के साथ आयें या समूह में आयें। पिकनिक आदि में भी समूह में बनी रहें। ``

दूसरी लड़की की जिज्ञासा थी, ``मैम ! आजकल लड़कियों को अकेले सफ़र करना पड़ता है। हमें क्या सावधानी लेनी चाहिए ?``

`` बस व ट्रेन से सफ़र करते वक्त अनजान व्यक्ति से खाने पीने की चीज़े न खायें पीयें। अपना मोबाइल नंबर न दें। किसी अनजान के साथ फ़ोटो शेयर न करें और न ही खिंचवायें । गाड़ी से कहीं गई हैं तो पार्क करते वक्त दरवाज़े खिड़की बंद हैं जरूर चैक कर लें, वापसी में पीछे की सीट पर नज़र जरूर डाल लें । कोई अंदर तो नहीं है। ``

``क्या कभी कोई हादसा हो गया है जब गाड़ी की खिड़की खुली रह गई हो ?``

``एक बार मेरी दोस्त अपने अपनी बेटी को ट्रेन में बिठाने गई। लौटते वक्त उसने देखा कुछ लोग उसकी गाड़ी को घेर कर खड़े थे। उसने पूछा क्या हुआ भैया? उनमें से किसी ने पूछा मैम ये गाड़ी आपकी है? मेरी मित्र ने कहा `हाँ `तो वह बताने लगा कि कोई बदमाश खिड़की के कांच को सरका कर अंदर घुस गया है। पुलिस को फ़ोन किया है, आती ही होगी. उस दिन हादसा होते होते बच गया। सड़क पर अनजान से लिफ़्ट न लें और ना हीं दें। मैट्रो से सफ़र करते वक़्त सुनसान डिब्बे में न बैठ कर सबके साथ बैठें। सड़क पर यदि राह से भटक भी जाती हैं तो चेहरे पर घबराहट न लायें। सदा भीड़ भाड़ वाले रास्ते से आयें जायें। सड़क पर छेड़ छाड़ से बचने हेतु सतर्क रहें । तुरंत 100 नबंर पर कॉल करें । ``

एक युवा प्राध्यापिका ने पूछा, ``मैडम !निर्भया कांड हो या अब उन्नाव कांड, फिर भी रेप या गैंग रेप रुक नहीं रहे आजकल के माँ बाप की बेटी घर से निकलती है। जब तक वह लौट नहीं आती तब तक उन्हें चैन नहीं पड़ता। प्लीज़ ! शारीरिक हमलों से बचाव के रास्ते बतायें। ``

`` शारीरिक छेड़छाड़ के वक़्त डरने की ज़रुरत नहीं मुकाबला करें । गर्दन, कान आंख और प्राइवेट अंगों पर आघात करें। आज बाजार में अलार्म, नशीली सूईयां जैसे उपकरण उपलब्ध हैं। उनका उपयोग करें। पुलिस के सुरक्षा ऐप से जुड़े। इससे आप पुलिस नेट में आ जाती हैं, मुसीबत में पुलिस तुरंत लोकेट कर लेती है और मदद के लिए पहुँच जाती है । कॉलेज के रास्ते में यदि नियत जगह और नियत समय पर छेड़छाड़ होती है, तो 100 नबंर पर सूचित करें । कोई भी गलत मेसेज या वीडियो भेजे, परिवार को बतायें। कॉलेज के गेट पर खड़े आवारा पुरूषों की बाइक नबंर नोट करें प्रिंसीपल को बतायें। घर में यदि अकेली हैं तो अनजान के लिए दरवाज़ा कभी न खोलें। कमला बहन से ये ग़लती हुई थी चोर उनकी गले की चेन और चूड़ियां लेकर भाग गया था। वो तो अच्छा हुआ वो गिरोह पकड़ा गया। ``

दामिनी कुछ पूछे तब तक एक दूसरी प्राध्यापिका खड़ी हो गई हो गई, ``मैडम ! आजकल के वातावरण में लड़कियों को ब्वॉय फ़्रेंड बनाना बहुत अच्छा लगता है लेकिन प्यार में धोखा खाते ही डिप्रेस्ड हो जातीं हैं। उनका मार्ग दर्शन करिये। ``

दामिनी ने कनखियों से देखा कि इस प्रश्न पर मीशा चिहुँक उठी। नीरा की नज़र से भी ये छिपा नहीं रहा इसलिए वे विस्तार से बताने लगीं, `` मेरे पास भी कई बार कुछ माँ बाप आते हैं बताते हैं कि बेटी या बेटे ने प्यार में थोखा खाया है, आत्महत्या करने की बात करती या करता है, कई बार महिलायें आती हैं प्यार में थोखा खा कर । ऐसे किस्सों में हम उन्हें यही सलाह देते हैं कि आप जिसे प्यार समझ रहे थे, अपना समझ बैठे थे, वो आप का कभी था ही नहीं उसके लिए जान देना फ़िज़ूल है । ऐसा कभी न करें, भूल से भी अपनी बलि न चढ़ायें। ``

``मैम! हमें कैसे पता चलेगा कि वो धोखा कर रहा है?

``उसके हावभाव, उसका चाल चलन, उसकी संगत, उसका आपकी क्लास बंक करवा कर यहाँ वहाँ घुमाना। आपसे ज्यादा ही इन्टीमेट होने की कोशिश करना, घर पर न कभी आना और न आपको अपने घर ले जाना, ऐसे बहुत से लक्षणों से आप संजीदा और टाइम पास मित्रों का पता लगा सकती हैं । `` कहते हुये नीरा ने मेहसूस किया कि मीशा के चेहरे पर भाव आ जा रहे हैं, जैसे कोई कड़वी याद ज़ेहन में उभर आई हो। नीरा ने अपने शब्दों को समेटते हुए कहा "जीवन ईश्वर की दी हुई सुंदर सौगात है । इसे ज़िन्दादिली से जियें। किसी एक की झूठी मोहब्बत में अपने सगों की मोहब्बत न भूलें। नया बसंत आपके स्वागत में खड़ा है । ज़िन्दगी से कभी उदासीन न हों। कुछ नया सीखें नया करें । सदा अच्छे दोस्तों की संगत में रहें । आप मेरा नबंर भी लिख लें, कोई भी मशविरा बेझिझक कर सकती हैं। आशा है आप सब मेरी कही बातों पर गौर करेंगी । ``

एक लड़की ने खड़े होकर पूछा, ``मैम !क्या कोई उदाहरण दे सकतीं है ?

``जी बिलकुल, जैसा रमा के साथ हुआ, रमा थर्ड ईयर के दौरान कॉलेज के न्यू कमर अमर के कपड़े पहनने के स्टाइल पर फ़िदा हो गई, अमर ने देखा चिड़िया बिना दाने ही जाल में फंस रही है, वह रमा को फ़्लर्ट करने लगा। रमा उसे सच्चा प्यार समझ दिल लगा बैठी। वह खिलौने की तरह खेल कर इम्तहान होते ही बिना बताए अपने शहर चला गया । इस तरह बहुत सी महिलाएँ अपनी आंखों पर पट्टी बाँध कर भरोसा कर लेती हैं, चाहे भरोसे के काबिल हो न हो, और फिर धोखा खा जाती हैं। इतना ही नहीं फिर अपने आप को कोसती हैं। उसे भाग्य का दोष मानतीं हैं। यही अति भावुकपन महिलाओं को सही से निर्णय लेने नहीं देता। महिलाओं को ईश्वर ने` थर्ड आई `दी है। उसे इन्ट्यूशन हो जाते हैं। किंतु भावनाओं में बह कर महिलाएं उस का उपयोग नहीं कर पातीं, और मात खा जाती हैं । किंतु संभल भी जल्दी जाती हैं, क्योंकि उनके पास साहस का खजाना होता है। चाणक्य ने खुद लिखा है---

` स्त्रीणाम् द्विगुण आहारो बुद्धिस्तासाम् चतुर्गुणाः साहस षड़गुणं चैव `अर्थात महिला में पुरूष से छः गुना ज्यादा साहस होता है। ``

नीरा बोलते हुए रुक गई व सामने रक्खे गिलास से पानी पीकर उन्होंने हॉल में दृष्टि घुमाई और बहुत संतोष हुआ कि सभी लड़कियां गंभीरता से उसकी हिदायतें आत्मसात कर रहीं हैं, वह फिर बोली, `` आशा है आप सब मेरी कही बातों पर ग़ौर करेंगी । `` कहते हुए नीरा ने मीशा पर आँख गढ़ा दी। प्रथम पंक्ति में बैठी मीशा का चेहरा निर्विकार था, आँखें सूनी सूनी सी शून्य में कुछ घूर रहीं थीं। अलबत्ता दामिनी का चेहरा कुछ चमक रहा था। उसके चेहरे पर संतोष था कि नीरा के इतने प्रभावशाली शब्द बेकार नहीं जायेंगे

उनका वक्तव्य समाप्त होते ही हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा । प्रिंसिपल ने नीरा को धन्यवाद दिया । नीरा के मंच से उतरते ही सबने उन्हें घेर लिया लेकिन वह भीड़ से घिरी दामिनी व मीशा को ढूंढ़ रही थीं। वो दोनों भीड़ को चीरती उसके पास आ गईं। दामिनी ने उसका हाथ पकड़ लिया, ``थैंक्स नीरा जी !जो आपने बातें बताईं, वो तो हमें भी इतनी उम्र होने पर पता नहीं थीं। ``फिर उसने मीशा से परिचय करवाया। इतनी सारी लड़कियों को ख़ुश व मस्त देखकर मीशा सहम गई थी कि वह क्यों अलमस्त हो, ख़ुश रह नहीं पा रही ?उसने सकुचाते हुए हाथ जोड़कर नीरा से नमस्ते की।

``नमस्ते बेटे !``फिर वे दामिनी से बोलीं, ``बड़ी प्यारी बच्ची है मीशा। दामिनी जी !कभी ऑफ़िस में मिलने आइये। ``

``कुछ दिनों बाद आउंगी। अभी तो मेरे घर मेरी बेटियां व बहिनें आ रहीं हैं। ``

``ओ के। ``

नीरा सोचती रह गई मीशा पर उसकी बातों का कुछ प्रभाव पड़ेगा या नहीं ?

डॉ. मीरा रामनिवास वर्मा

ई-मेल ---meeraramnivas@gmail.com

परिचय -सलाहकार -अस्मिता, अहमदबाद

(निवृत्त भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी) अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मानव अधिकार आयोग गुजरात से अक्तूबर 2016 में निवृत्त। जन्म स्थान-- भरतपुर, राजस्थान, शिक्षण-एम ए, पीएचडी संस्कृत साहित्य राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर ।

साहित्यिक गतिविधियाँ --काव्य, कथा लेखन, बाल साहित्य और यात्रा वृतांत। कथासंग्रह- स्मृतियों के दायरे, दो काव्यसंग्रह -अंकुर, एहसास की धूप, नया सवेरा । संपादन- -"खाकी मन की संवेदनाएं" " (गुजरात पुलिस अधिकारियों की रचनाओं का संग्रह ) अन्य सेवाऐं-- आकाशवाणी, दूरदर्शन पर काव्य पठन, हिंदी पत्र पत्रिकाओं में कहानी कविताओं का प्रकाशन। "महिला सशक्तिकरण महिला कलम से" कवयित्री समारोह का आयोजन.सीनियर सिटीजन, महिला और बच्चों की सुरक्षा के लिए सामुदायिक पुलिस सेवा योजना के तहत विविध कार्य ।

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