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मनचाहा (अंतिम भाग)

रात को रवि भाई मुझे निशु के घर से ले जाने आए थे। मै जब नीचे अाई तब आंटी जी वहा नहीं थे। यह देखकर मुझे थोड़ा अच्छा लगा। मै उनसे नज़रे नहीं मिला पा रही हूं। अवि को छोड़कर जाने का मन तो नहीं करता पर क्या करूं? मै रवि भाई के साथ उनके घर चली जाती हुं। मै अब रवि भाई के मम्मी पापा को मेरे मम्मी पापा ही मानती थी और कहती भी थी। वे दोनों हमारे आने तक सो गए थे। मै अपने रूम में चली जाती हुं। हर प्रेगनेंट लेडी की तरह मुझे भी वॉमोटिंग तो हो ही रही थी। पर कभी कभार। आज निशु ने जबरदस्ती अवि के रूम में मुझे खाना खिलाया था। जिस वजह से मेरा पेट पहले से ही भरा हुआ था ऊपर से रवि भाई मेरे लिए दूध लेकर आ गए। मेरे लाख मना करने पर भी उन्होंने मुझे ज़बरदस्ती पीला दिया था। अब इतनी रात को मुझे चैन नहीं पड़ रहा है। मै बालकनी में टहलने लगती हुं। मुझे मेरे घरवाले याद आ रहे थे। सोचा अभी रवि भाई को कॉल करूं? पर इतनी रात को फोन किया तो बाद में वे सो नहीं पाएंगे। फिर कभी कॉल कर दूंगी। उनसे मिलकर माफ़ी भी मांगनी है। घर जाने की हिम्मत नहीं हो रही अभी। बेड पर जाकर लेट जाती हुं और यही सब सोचते सोचते निंद आ गई।

मै रवि भाई के साथ उनके हॉस्पिटल चली गई। वहा पर निशु ने DNA test करने के लिए ब्लड कलेक्शन वाले को बुला लिया था। वे अवि का ब्लड घर से कलेक्ट करके ही आए थे। जाते ही मेरा ब्लड भी ले लिया और दस दिन बाद रिपोर्ट देने के लिए कहा। मै फिर अपने काम के लिए वहा से निकल आई।
साकेत अपने कैबिन में मेरी राह देखकर ही बैठा था। वह मेरे घर पर गया था पैसे देने। मेरे घर से उसे साफ इंकार कर दिया था पैसे लेने से।
मै- साकेत अब मुझे ही कुछ करना होगा। मै नहीं चाहती मेरी लोन के पैसे वो लोग भरे। मै आज ही रवि भाई (डॉक्टर) से बात करती हुं।
साकेत मुझे कोई काम नहीं करने देता था। पेशंट्स के सब टेस्ट वो या फिर असिस्टेंट डॉक्टर से करवाता था। मुझे सिर्फ वहा बैठकर साइन ही करने होते थे।

घर जाकर मैंने मम्मी पापा और रवि भाई से मेरे लोन के बारे में कहा। पापा अपने रूम में गए और एक चेक लेकर आ गए।
पापा- यह ब्लेंक चेक है। जितनी अमाउंट देनी है वह भरकर कल बैंक में दे आना।
मै- मै एक शर्त पर ही इसे लूंगी। आप को यह सब पैसे वापस लेने पड़ेंगे।
मम्मी- कर दिया ना एक पल में पराया हमे?? तु हमारी बेटी है अब। तेरे हर सुख- दुःख हमारे है। ऐसी तुच्छ रकम के लिए हम तेरी मदद नहीं कर सकते क्या?
मै- ऐसी बात नहीं है मम्मी पर।
मम्मी- हमारे साथ रिश्ता रखना है तो तु चुपचाप ये चेक रखले। वरना हम समझेंगे तूने कभी हमें अपना माना ही नहीं।
मै- रवि भाई आप कुछ बोलिए ना।
रवि- मम्मी जो कह रही है वह सही ही है। और अब तू कुछ नहीं बोलेगी। हम कल बैंक जाएंगे और यह चेक जमा कर आएंगे। फिर तुम्हारे घरवालों का टेंशन तुम मत करना। और कभी न कभी घरवाले मान ही जाएंगे।
दूसरे दिन हम बैंक जाकर बाकी लोन का चेक भर देते है। अब मेरे मन से बोझ हल्का हो गया। बस अब रिपोर्ट्स आ जाए बाकी का टेंशन भी दूर हो जाए।

दस दिन बाद जब रिपोर्ट्स आने वाले थे तब निशु ने मुझे अपने घर पर बुला लिया था। मेरे साथ रवि भाई और मम्मी पापा भी आए है। अब सब डिलीवरी बॉय का इंतेज़ार कर रहे है।
आंटी- मुझे तो पता ही है रिपोर्ट्स के बारे में। खामखां सब को इकठ्ठा कर लिया है तुमने निशु।?
जब रिपोर्ट्स देने आदमी आया तो निशु ने आंटी को ही रिसीव करने को कहा। और एनवेलप भी उन्हीं को खोलने के लिए कहा। मेरी धड़कने तेज हो रही थी। मुझे रिज़ल्ट तो पता ही था। पर आंटी जी के बारे में सोचकर बुरा लग रहा था। जब आंटी जी ने रिपोर्ट्स देखे तो वह मेरे सामने देखने लगे। उनके मुंह पर निराशा छा गई। वे रिपोर्ट् लेकर सोफे पर बैठ गए। निशु उनके पास से वह रिपोर्ट् लेकर देखती है और उसके मुंह पर लंबी मुस्कान आ जाती है।
निशु- अब तो आपको यक़ीन हो गया ना? क्या कहेंगे अब आप? पाखि अब तुम अपना सामान यहां ले आओ। अब से तुम यही रहोगी, हमारे साथ।
रवि भाई- नहीं निशु, पाखि यहां नहीं रहेगी। वह हमारे घर पर ही रहेगी।
निशु- रवि मैंने पहले ही मम्मी से कह दिया था। रिपोर्ट पॉजिटिव अाई तो पाखि यहां भाई के साथ ही रहेगी। इस बच्चो की जिम्मेदारी पाखि अकेले क्यो उठाए? ये भाई के भी बच्चे है। वह कब कोमा से बाहर निकलेंगे हमें नहीं पता। डॉक्टर ने तो कहा था, होश में कभी भी आ सकता है। एक दिन, एक महीना या एक साल। तब तक पाखि अकेली क्यो रहे? भाई की तरफ से उसका खयाल रखने की जिम्मेदारी मै लेती हुं।
अंकल- और मै भी। मेरे वारिस आने वाले है?। पाखि बेटा क्या उसके दादा का हक उन्हे नहीं दोगी?
मै- एसा मत बोलिए अंकल। मेरे बच्चो पर आप सब का हक है, और वो मै कभी नहीं छीनना चाहती।
अंकल- अब से तु मुझे अंकल नहीं पापा ही बुलाना अवि और निशु की तरह। आज मै ऐलान करता हुं, जब तक अवि ठीक नहीं हो जाता पाखि यही और उसी के साथ रहेगी। अवि के रूम में ही। जैसे अवि ठीक हो जाएगा मै इन दोनों की शादी कराऊंगा। वो भी धूमधाम से।
सब के चहेरे खिल गए सिवाय आंटी के। वो उठकर अपने रूम में चले गए।
अंकल- संबधिजी, अब तो हमारे दो रिश्ते बने है। आप हमारी बेटी के ससुराल वाले है और हम आपकी बेटी के।
पापा- सही कहा आपने भरत जी।? और हम अब अपनी बेटी आपको सौंपते हैं, उसका खयाल रखियेगा।
मम्मी- अगर कोई भूल हो जाए तो माफ कर देना।?
निशु- रवि अब तो मान जाओ। वैसे भी पाखि यहां रहेगी तो क्या पता भाई उसे देखकर जल्दी से ठीक हो जाए।
रवि- ठीक है अगर पाखि को कोई एतराज़ ना हो तो मुझे की दिक्कत नहीं है।

अब सब मेरे जवाब की राह देखने लगे। मै अवि के साथ रह पाऊं उससे बेहतर क्या होगा मेरे लिए। उसके साथ रहने के लिए मै आंटी जी का गुस्सा भी सह लुंगी। मैंने अपना सिर हां में हिलाया तो निशु सीधे आके मुझसे लिपट गई। और रवि भाई को ठेंगा? दिखाने लगी। निशु फिर अपनी कार लेकर हमारे पीछे मेरा सामान लेने रवि भाई के साथ आ गई। मै मम्मी पापा की कार में आगे चली गई थी। मम्मी मुझे बार बार ये मत खाना, वो मत करना, ज्यादा काम मत करना... ढेर सारी हिदायत देने लगी। आज मेरी मम्मी भी जिंदा होते तो मुझे यही सब कहते।? I miss you mamma ?
मम्मी- पाखि तु फिर से सोचने लगी? निशु इसे एक पल भी अकेला मत रखना।
निशु- मम्मा मै रखूंगी इसका खयाल, आप फ़िक्र मत कीजिए।
भारी मन से मम्मी पापा ने अपने घर से विदा किया। रवि भाई मुझे छोड़ने वापस निशु के घर आए।

आंटी जी अब भी रूम से बाहर नहीं आए थे। निशु ने शामु से कहकर मेरा समान अवि के रूम में रखवा दिया। फिर हम सब वहीं मेरा सामान जमाने लगे।
निशु- ये ले तेरे अवि का मोबाइल। मैंने देखा नहीं है हा कुछ इसमें। ? तूने भाई के साथ जो पल इसमें कैद किए है वह देखना और भाई को भी बताना।
पाखि- निशु...।?
निशु- अरे सच बोल रही हुं। हॉस्पिटल से मुझे दिया गया था और मैंने लाकर यही रख दिया था।
मै अवि के पास जाकर उनसे कहती हुं- अवि अब से मै यही आपके पास रहने वाली हुं। आप अब खुश है ना? plz अब तो जवाब दीजिए।?
हम सब अवि के पास बैठकर पहले की सब बातें याद करते है। पर अवि की आंखे शून्य मनस्क में तांक रही है। उनके शरीर पर भी अब कमजोरी दिखाई देती हैं। निशु ने नर्स को गेस्ट रूम में रहने के लिए बोल दिया था।
मै- निशु एक बात कहना चाहती थी तुमसे।
निशु- हां बोलना।
मै- मै रोज तेरे साथ इमेजिन सेंटर जाऊंगी। अवि के साथ ये नर्स तो है ही और शाम को जल्दी आ जाऊंगी।
निशु- इसकी क्या जरूरत है?
मै- निशु आप सब घर से चले जाएंगे फिर मै आंटी के साथ अकेली यहां...। मेरे यहां रहने से वे अवि से मिलने नहीं आएगी। मै नहीं चाहती एक मां अपने बेटे को न देख सके। फिर शाम को आ तो जाऊंगी। plz...।
रवि भाई- पाखि ठीक कह रही है। उसका अपना भी काम है। जब उसे अच्छा न लगे तब घर पर रह जाएगी। अवि के साथ फिर भी वह रह पाएगी।
निशु- ठीक है, पर यह बात पापा को बता देना।
मै- जरूर।

रात के खाने के लिए शामू हमें बुलाने आया था। हम नीचे गए तो अंकल और आंटी डाइनिंग टेबल पर आ चुके थे। उनका रुल था रात को सब साथ ही खाना खाते हैं तो आंटी जी अभी यहीं रुल फॉलो कर रही थी। सब एक दूसरे से बाते कर रहे थे पर आंटी जी ने मेरे साथ कुछ भी बात नहीं करी।
रात को में अवि के साथ थी। मुझे उनके साथ रहकर बहुत खुशी हो रही थी। मुझे पता है वह मेरी हर एक बात सुन रहे है तो मै बस बोले ही जा रही थी। फिर निंद आने पर उनके पास ही उनका हाथ पकड़कर सो गई।

अगली सुबह मैंने अंकल जी से परमीशन लेकर सेंटर पे जाना शुरू कर दिया था। एक बार सेतु भाभी ने मुझे कॉल किया था। उन्होंने मोबाइल में स्पीकर ऑन किया था। मीता भाभी और चंटू बंटू से भी बात हुई।
सेतु भाभी ने बताया- अभी तेरे भाई घर पर नहीं है तो तुम्हे फोन लगा दिया। तेरी तबियत अब कैसी है? अपना ध्यान रखती हैं या नहीं? खाना तो ठीक से खा रही है ना? दूध ज्यादा पीना और...
मै- कितने सवाल करेंगे आप? भाभी मै बिल्कुल ठीक हुं। आप मेरी चिंता न करें। यहां सब मेरा खयाल रखते है। मेरे दोनों भाई कैसे है?
मीता भाभी- दोनों तूने बहुत याद करते है पर बताते नहीं किसीको। कवि तो तुम लोगो की बचपन कि फोटो चुपके चुपके देखते है। मेरे आते ही छुपा देते है। तु चिंता मत कर कभी ना कभी तो मान ही जाएंगे। तु बस अपना ध्यान रखना। हम लोग ना शॉपिंग के बहाने तुमसे मिलने आ जाएंगे।
मै- भैया को पता चला तो आपको खामखां सुनना पड़ेगा।
मीता भाभी- उन्हे पता चले तब ना। अभी मोबाईल रखते ही तुम्हारा नम्बर डायल में से डिलीट कर देंगे।? और चंटू बंटू भी तुमसे मिलना चाहते है। मै दिन और जगह तय करके बता दूंगी।
सेतु भाभी- ठीक है तेरे भाईयो का टाइम हो गया है आने का बाद ने कॉल करेंगे। अपना ध्यान रखना। बाय...
मै- बाय भाभी, आप भी मेरे दोनों भाई का खयाल रखना।
बहुत दीनो बाद सब से बाते करके बहुत अच्छा लगा।

ऐसे ही ऐसे छ: महीने ख़तम होने को आए थे। एक रात को जब बेबीज़ ने पहली बार मूवमेंट की तो मैंने जट से अवि का हाथ अपने टमी पर रख दिया। मै हर एक वो पल अवि के साथ शेयर करना चाहती थी जो मै महसूस करूं। मैंने नाईट लेंप चालु किया और अवि को बताया आज पहली बार हमारे बच्चों ने मूवमेंट कि है, अब तो आप उठिए। यह बुला रहे है आपको। मै महसूस कर सकती थी कि वो भी खुश हो रहे है।
दूसरे दिन ब्रेकफास्ट पर मैंने निशु को बताया कि कल रात दोनों बेबीज़ ने पहली बार मूवमेंट कि थी। यह सुनकर तो वो छोटे बच्चे की तरह उछलने लगी। उसने कहा आज हम तुम्हारी सोनोग्राफी करेंगे। मै भी तो देखूं हमारे घर के बच्चें कितने शैतान है।? जब मै हॉस्पिटल गई तो दिशा ने मेरी सोनोग्राफी कि।
दिशा- मेरे मुताबिक तो बच्चे बदमाश ही आने वाले है तेरे देख लेना। पर इस वक्त तो दोनों एक दूसरे को सीने से लगाए हुए है। देखना चाहेगी तु?
मै- क्यो नही। और तु इसका वीडियो भी बना, मै अवि को दिखाऊंगी। उन्हे भी अच्छा लगेगा।?
निशु- वो तो मै बनाऊंगी। हमारे घर के चिराग ?।
आज मै बहुत एक्साइटेड हुं। अवि को जल्दी ये वीडियो दिखाना है। वैसे यह अलाउ नहीं है पर अवि को ठीक करने के लिए ही यह करवाया था। शायद यह देखकर वह रिस्पॉन्स करे। जब घर जाकर मैंने उन्हे दिखाया, कैसे बच्चे एक दूसरे के गले मिले हुए है। अवि की आंखो में आंसू आ गए थे। और मै समझ सकती हुं यह खुशी के आंसू है।

दिन जैसे तैसे कट रहे है। मै दो तीन बार मेरी भाभीयों से मिली थी। मेरा भरा हुआ शरीर देखकर वे बहुत खुश हुई थी। मुझे नजर ना लगे इस लिए कमर पर काला धागा बांध दिया था उन्होंने। मैंने उन्हे कहा- यह सब सच नहीं होता काला धागा लगाने से नजर नहीं लगती। पर उन्होंने अपना वास्ता देकर मुझे पहना दिया था।
आंटी जी अब भी मुझसे बात नहीं करते पर अंकल जी और निशु मेरा बहुत अच्छे से खयाल रखते है। अब तक मुझे घर में कोई काम नहीं करना पड़ा था। और अब तक मुझे किचन में जाने की जरूरत भी नहीं पड़ी थी। हमारे रूम में एक छोटा सा फ्रिज रखवा दिया था निशु ने। कुछ फ्रूट्स और पानी उसमे रखती थी। आज रात में निशु को इमरजेंसी में हॉस्पिटल जाना पड़ गया। आज रात खाना निशु में बनाया था। रवि भाई ने उसे खाना पकाने का सीखने के लिए बोला था।? खाना थोड़ा तीखा बना था तो बस हो गई एसीडीटी। सोचा दूध पी लेने से एसीडीटी कम हो जाएगी। रात को मै किचन में गई और फ्रिज से दूध निकालकर ग्लास में लिया। मै बस दूध पीने ही वाली थी के आंटी जी आ गए। मुझे देखते ही गुस्से से बोल पड़े- यहां क्या कर रही हो? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे किचन में आने की? जो चाहिए महाराज से बोल दो और आइंदा किचन में मत आना।
महाराज किचन में ही सोए थे। आंटी जी की आवाज़ सुनकर वे उठ गए। मैंने आंटी जी से कहा- मुझे एसीडीटी हो रही थी तो दूध पीने अाई थी। मुझे नहीं पता था मेरे यहां रहने के साथ साथ मेरा खाना पीना भी आपको पसंद नहीं है। माफ करना आइंदा से ध्यान रखुगी।?
मेरी आंखे भर अाई और मै वहा से अपने कमरे में चली गई। वहा जाकर मुझे रोना आ गया?। मुझे मेरी मम्मी याद आ गए। आज अगर वो जिंदा होते तो मुझे कीसिके पास कुछ मांगना नहीं पड़ता और नहीं घर छोड़ना पड़ता। मै कब आंटी जी का दिल जीत पाऊंगी? एक ग्लास दूध भी इस घर में मै अपनी मर्जी से ना पी सकी। मुझे बहुत दुख हुआ। मैंने लाईट ऑन कि तो अवि की आंखे खुली हुई थी। मै उन्हे कोस ने लगी। कब तक आप इस बिस्तर पर पड़े रहेंगे? मेरा या बच्चो का खयाल है या नहीं आपको?? के फिर ध्यान में आया कि मै उनको कुछ ना बताऊं। इस हालत में उनका भी क्या दोष?? मैं उनसे कहने लगी- मुझे बहुत एसीडीटी हो रही है। निशु घर पर नहीं है। पापाजी सोए हुए है। अब मै किससे कहूं मुझे आइस क्रीम खिलाए? अगर आप मेरे साथ चलते तो मजा आ जाता न। इस लिए कह रही थी, कब तक बिस्तर पकड़कर रखेंगे। अवि plz चलिए ना मुझे बाहर जाने का बहुत मन है। कोई साथ था नहीं तो मुझे रोना आ गया था।
मै नहीं चाहती कि अवि इस हालत में अपनी मां की बुराई मेरे मुंह से सुने। मां- बेटे के रिश्ते को में अपनी वजह से खराब नहीं करना चाहती।

पाखि के ऊपर चले जाने के बाद गायत्री जी सोच में वहीं खड़े रह गए- ये मैंने क्या कर दिया, उसके मुंह से दूध छीन लिया? एक गर्भवती से मैं इस तरह का बर्ताव कैसे कर सकती हुं? वो बेचारी बिन मां बाप की लड़की और घरवालों ने भी साथ छोड़ा। मै यह सब पहले क्यो ना समझ सकी? सिर्फ अपने बेटे को देखती रही। पर मेरे बेटे के कारण जो इसका हाल हुआ वह मैंने नजर अंदाज कर दिया? मैंने एक मां होकर दूसरी होने वाली मां के मुंह से दूध का ग्लास तक नहीं जाने दिया। इतनी सेल्फिश में कबसे हो गई?? मैंने पाप किया है एक गर्भवती को रुलाकर। मै अभी महाराज के हाथों दूध भिजवाती हुं।
गायत्री जी- महाराज जी, आप यह दूध का ग्लास पाखि को दे आए।
महाराज- जी मेम साहब।

मै अवि से बात कर रही थी तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने दरवाजा खोला तो सामने महाराज जी खड़े थे।
महाराज जी- भाभी जी यह दूध मेम साहब ने भिजवाया है, आप ले लीजिए।
मै- नहीं चाहिए अब। मैंने फ्रिज में रखा ठंडा नारियल पानी पानी पी लिया है। अब दूध के लिए जगह नहीं बची, आप इसे वापस ले जाइए।
महाराज जी वापस चले गए।
नीचे महाराज जी को दूध के ग्लास के साथ वापस आते देखा तो गायत्री जी उनसे पूछने लगी- दूध नहीं पिया पाखि ने?
महाराज जी- उन्होंने फ्रिज में रखा नारियल पानी पी लिया है तो दूध पीने से मना कर दिया। कहा अब दूध के लिए जगह नहीं बची है।
गायत्री जी ने महाराज को सो जाने के लिए कह दिया। वह ड्रॉइंग रूम में जाकर बैठ गई। वह अपने आपसे ही बाते करने लगी- मेरे गुस्सा होने की वजह से ही उसने दूध पीने से मना कर दिया है। मुझे ऐसा बर्ताव उसकी इस हालत में नहीं करना चाहिए था। मै कल ही उससे माफी मांग लूंगी। पता नहीं अभी उसकी क्या हालत होगी एसीडीटी की वजह से। मुझे माफ़ करना पाखि?।

अगले दिन जब सब ब्रेकफास्ट के लिए आ गए तब पाखि नहीं अाई थी। गायत्री जी को लगा मेरी कल वाली बात से अबतक गुस्सा होगी शायद। शामु को भेजा था ऊपर पाखि को बुलाने। पर वह जैसे गया वैसे वापस भी आ गया।
शामु- पाखि भाभी कमरे में नहीं है। वो ध्यान रखने वाले भाई ने बताया भाभी जी तैयार होकर चली गई।
भरत जी- इतनी सुबह सुबह कहा गई?
निशु- मै अभी कॉल करती हुं उसे।
निशु के कॉल करने पर पाखि ने बताया वह रवि भाई के घर अाई है। मम्मी की तबीयत थोड़ी खराब हुई थी तो मै यहां आ गई।
निशु- तुम्हे बताकर जाना चाहिए था। हम सब टेंशन में आ गए थे।
पाखि- सोरी, पर सब सो रहे थे तो मैंने किसी को जगाया नहीं। तुम्हे मैंने मोबाइल पर मैसेज किया था।
निशु- ओह! मैंने अभी तक मोबाइल चैक नहीं किया है। अच्छा तु घर आजा, मै जाती हुं उनका खयाल रखने।
पाखि- नहीं आज मै रात को ही आऊंगी। आज पूरा दिन यही रहना है। तुम्हे आना है तो तु आजा, वैसे भी आज सन्डे है।
निशु- ठीक है मै ब्रेकफास्ट करके निकालती हुं। रवि कहा है?
पाखि- वो हॉस्पिटल गए है। बारह बजे तक आ जाएंगे।
निशु- तूने वहा ब्रेकफास्ट किया ना?
पाखि- हा, आज तो मैंने और पापा ने ब्रेकफास्ट बनाया है। तु थोड़ा कम ही खाना, बाकी का यहां आकर खा लेना। अपने ससुर के हाथ का पका खाना तुझे खाने को मिलेगा।
निशु- ओके, मै अभी अाई। बाय...।

रवि भाई के घर मै सब ड्रॉइंग रूम में बैठे थे। मेरे मोबाइल रखते ही रवि भाई ने मुझे कहा- उसे यहां क्यो बुलाया? आज मै उसकी मां की करतूत उसे बताऊंगा ही।
मै- plz भैया, आप उसे कुछ नहीं कहेंगे। उसमे निशु का क्या दोष? मै यहां इस लिए अाई थी के मै मेरे इमेजिन सेंटर पर एक कुक रखना चाहती हुं। आप सिर्फ उसका इंतजाम कर दीजिए।
मै अब वही दोपहर और रात को खाकर ही घर जाऊंगी।
रवि भाई- वहां क्यो? तुझे इधर से ही टिफिन भिजवा देंगे। नहीं तो इधर आकर खाना खा लेना।
पापा- रवि सही कह रहा है। तु इधर ही आ जाना। वो दूध नहीं देंगे तो क्या मेरी बेटी भूखे रहेंगी?
मै- मै वहा भूखे नहीं रहती हुं पापा। बस कल रात के कारण मुझे लगा शायद आंटी जी को मेरा वहा खाना भी पसंद नहीं। शायद वह यह चाहती हो के उनके ऐसे रवैये से मै घर से चली जाऊं।
रवि भाई- हां तो आजा यहां। यह भी तो तेरा ही घर है।
मै- अवि को छोड़कर कैसे आऊ? मुझे उनकी हालत मै इंप्रूवमेंट दिखता है। वह मेरे हर खराब मुड़ को पहचान जाते है।उनकी आंखे शाम को मुझे दूढ़ने लगती है।
मम्मी- तुम्हे कैसे पता?
मै- नर्स मेरी गैरहाजरी में अवि के पास ही होता है। मेरे जाने पर वह बताता है मुझे। जब आप नहीं होते तो भैया को आंखो मै चमक नहीं दिखती। पर जैसे ही आप आते है उन पर लगी मशीन के आंकड़े सुधर जाते है।
रवि भाई- अच्छा तु यह बता गोद भराई के बाद तो तु यहां रहेगी ना?
मै- गोद भराई?
मम्मी- हां, गोद भराई। अब सतावा महीना चल रहा है तो गोद भराई तो होगी ही।
मै- नहीं नहीं, मुझे यह सब नहीं करना। जबतक अवि ठीक नहीं हो जाते मुझे कोई फंक्शन्स नहीं करने।
मम्मी- एसा नहीं होता बेटा। यह रिवाज है, जिसमे सब तुम्हारे बच्चो को आशीर्वाद देंगे। अगर तुझे ठीक ना लगे सबको बुलाना तो हम घर के सदस्य ही शामिल होंगे इसमें। पर मना मत करना बेटा।
पापा- मै भरत जी से बात कर लेता हुं। फिर मुहूर्त निकलवाकर तय करेंगे किस दिन गोद भराई करनी है।
मै- पापा...।
रवि भाई- सब में तेरी मनमानी नहीं चलेगी। क्या सब हसना छोड़ दे??
मै- आप गुस्सा क्यो हो रहे है?
रवि भाई- और नहीं तो क्या? अबतक सब तेरे कहे मुताबिक ही हुआ है। क्या एकबार हमारा दिल नहीं रख सकती?
इतने में निशु आ जाती है।
निशु- कौन किसका दिल नहीं रख रहा भाई, हमें भी तो बताओ।
रवि भाई- तु इसे समझा दे निशु। यह गोद भराई के लिए मना कर रही है। क्या अब हमारा इस पर कोई हक नहीं है जो हमारी बात नहीं मान रही?
मै- ऐसी बात नहीं है भैया। पर अवि...
निशु- यह तो अच्छी बात है। उस बहाने सबके चेहरों पर एक मुस्कान तो आयेगी। जब से अवि भाई कोमा मै गए है सब ने मानो जीना छोड़ दिया है। सब बस मशीन की तरह जी रहे है। और तुझे क्या भाई ने मना किया है?
मै- ऐसी बात नहीं है। आप सब समझते क्यो नही। क्या आंटी जी इसकी परमीशन देंगी?
निशु- तु उसकी चिंता मत कर। उनसे बात करना मेरा काम है। और उनकी हां या ना अब कोई मायने नहीं रखती मेरे लिए।
मै- वो उनका भी घर है। हम जबरदस्ती नहीं कर सकते।
निशु- वो हमारा घर भी है मिसेज पारेख...। तु टेंशन मत ले बस हां बोल दे।
मै- मैंने ना कहा ही कब था।?
सब एक साथ- क्याआआ...????

रात को मै और निशु साथ ही घर गए। आंटी जी मुझे देखकर मेरे पास आ रही थी पर मै उन्हे अनदेखा करके अवि के पास चली गई। वह कुछ बोले और मै सुन न सकू इससे बेहतर की मै उनके सामने ही कम आऊ। अवि के पास जाकर मै जैसे ही बैठी दोनों में से एक बच्चे ने जोर से शायद लात मारना शुरू किया। और मेरे मुंह से हल्की चीख निकल गई। मै अवि के पास जाकर उनका हाथ अपने बढ़े हुए पेट पर रखती हुं। अवि का हाथ रखते ही मैंने उनकी उंगलियों को हिलते हुए देखा। मै खुशी से चिल्ला चिल्लाकर निशु को बुलाने लगी। सब लोग ऊपर आ गए।
निशु- क्या हुआ? इतना क्यो चिल्ला रही थी??
मै- मैंने अभी अभी अवि के हाथ की उंगलियों में मूवमेंट देखा।? वे अब जल्दी ठीक हो जाएंगे निशु।
मुझे समझ नहीं आ रहा मै हसु या रोउ। अंकल आंटी सब खुश थे। निशु अवि से बहुत बात करने लगी। साथ साथ यह भी बताया कि अब हम पाखि की गोद भराई करने वाले है। आप जल्दी से ठीक हो जाइए। हम बहुत मस्ती करेंगे।? सब के जाने के बाद मै अवि से लिपटकर बहुत जोर से गाल पर किस करती हुं। सोचा शायद वे भी यही चाहते हो तो अपने गालों को उनके होठों पर लगा दिया।?
दूसरे दिन भी मै ब्रेकफास्ट करने नहीं बैठी तबीयत का बहाना करके। निशु मुझे जबरदस्ती खिलाना चाहती थी पर मैंने साफ इनकार कर दिया और उसे बता भी दिया की अब जब मुझे भूख लगेगी तभी फ्रेश बना खाना ही खाने वाली हुं। इसलिए मैंने सेंटर पर ही एक कुक कि व्यवस्था कर दी है। यह सुन आंटी जी का मुंह जूक गया।
निशु- तुझे जब खाना हो तब महाराज बना देंगे।
मै- फिर मुझे देने के लिए किसीको भेजना पड़ेगा। तब तक खाना ठंडा भी हो जाएगा। और अब ठंडा खाना मेरे गले से नहीं उतर रहा।
पापा- मै महाराज से कहे देता हुं वह आकर तुम्हारा खाना बना देंगे। पर रात को तो घर पर ही खाना।
मै- नहीं पापा, मैंने इंतेज़ाम कर दिया है। और रात को देर हो जाती है खाने में। मुझे भूख जल्दी लगती है अब तो, मै वहां जल्दी बनवा लूंगी।
निशु- तु सच बोल रही है या कोई और बात है??
मै- मै क्यो कोई और बात करू? अच्छा चल यह सब छोड़। मुझे देरी हो रही है। मै अपना पर्स लेकर आती हुं।

मै ऊपर अपने कमरे में चली गई। तैयार होकर जब नीचे उतर रही थी तब लास्ट स्टेप पर पैर फिसला। तभी आंटी जी मेरे पास ही आ रही थी। मुझे गिरता देख वह जोर से मेरा नाम चिल्लाते हुए मेरे पास आ गए और मुझे पकड़ लिया। सब मेरे पास आ गए।
आंटी जी- ध्यान से नहीं चल सकती थी? अभी कुछ हो जाता तो हम अवि को क्या जवाब देते? अब से तुम ऊपर नहीं रहोगी। तुम्हारा कमरा नीचे शिफ्ट करवा देते है।
मै- नहीं, मै अवि के साथ ही रहूंगी।
आंटी जी- हम अवि को भी नीचे वाले रूम में शिफ्ट कर देंगे। फिर तो कोई दिक्कत नहीं है ना?
निशु- सच कह रही है आप मम्मा। और तु ठीक हैं ना, कोई जर्क वगैरह तो नहीं लगा ना?
मै- चिंता मत करो, मै ठीक हुं।
पापा- शामु, तु नीचे का रूम अवि और पाखि के लिए तैयार कर देना। और मै आज ही रवि के मम्मी पापा से पाखि की गोद भराई की बात करता हुं।
फिर जब मै रात को वापस अाई तो आंटी जी हमारे रूम में आए।
आंटी जी- पाखि, मै तुमसे माफी मांगने अाई हुं। उस रात के लिए मुझे माफ़ करदे।
मै- plz आप माफी मत मांगिए। मै आपका गुस्सा मेरी तरफ समझ सकती हुं।
आंटी जी- फिर भी, बिना जाने पहचाने तुम क्या कर रही हो मैंने तुम्हे भला बुरा कह दिया।
मै- कोई बात नहीं आंटी जी।
आंटी जी- अब से तु मुझे आंटी जी नहीं मम्मी कहकर ही बुलाएगी।
मै रोकर उनके गले लग जाती हुं। हम दोनों एक दूसरे के गले मिलकर रोने लगे। हमने फिर अवि की ओर देखा तो उसके आंखो में आंसू निकल आए थे। मै सोचने लगी कि शायद मै ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर गई थी खाने कि बाबत में। उन्हे भी पता नहीं था मै क्या कर रही हुं तो बोल गए गुस्से में।
मम्मी- पाखि तुमने तुम्हारे लिए कुक मेरी वजह से ही रखवाया है न।
मै कुछ नहीं बोली तो उन्होंने कहा plz तुम घर पर ही खाना खा लिया करो। मेरे कारण अपनी और अपने बच्चो की सेहत मत खराब करना। और मै जानती हु तुम्हे महाराज के हाथ से बनी रसोई बहुत पसंद है। तो अब से तुम्हारी डिलीवरी आने तक महाराज के सिवा कोई तुम्हारा खाना नहीं पकाएगा। निशु नहीं और मै भी नहीं।
मै- ऐसी बात नहीं है आंटी ?, मम्मी।
मम्मी जी- फिर तुम्हे अवि की कसम है। खाना तो तु घर पर ही खाएगी। और एक बात, तुम्हारी गोद भराई के बाद तुम अपने काम पर नहीं जाओगी। पिछले महीनों में अपना ध्यान रखना चाहिए। इसे ऑर्डर समझो तो ऑर्डर और रिक्वेस्ट समझो तो रिक्वेस्ट।
मै- ठीक है मम्मी जी।
मम्मी जी- मै कल ही तुम्हारे घरवालों से बात करती हुं। और रवि के घरवालों से भी बात करती हुं।

फिर दोनों घर के सदस्य ने मिलकर मुहूर्त निकलवाया और उस दिन गोद भराई रख दी। मेरे घरवालों को भी न्योता दिया गया था, पर वे नहीं आए। मुझे लगा आज के दिन वे लोग सब गिले शिकवे भूलकर आ जाएंगे। पर वे नहीं आए इसलिए मै दुःखी हुए थी। ? मेरे रूम में मै अवि के सामने ही तैयार हुई थी। आंटी जी मेरे लिए साड़ी ले आए थे।
मेरे सारे फ्रेंड्स भी आए थे। हमने अवि का बेड नीचे रूम में शिफ्ट करवा दिया था। निशु का कहना था के अब तुम्हारी हालत को देखते हुए हम तुम दोनों का कमरा नीचे शिफ्ट कर देंगे ताकी तुम्हे सीढ़ियां ना चड़नी पड़े। और वापस गिर मत जाओ।
रवि भाई- आज तो तुम्हे हमारे घर रुकना है रात को फिर वापस कल चली आना।
मै- क्यो?
मम्मी- यह रिवाज है बेटा। गोद भराई वाले दिन एक रात के लिए मायके जाना पड़ता है।
मै- वैसे मै यह सब नहीं मानती पर आप कहते है तो रुक जाऊंगी एक रात।? पर कल सुबह आप मुझे हमारे घर छोड़ देंगे।
रवि भाई- ठीक है। नहीं ज्यादा दिन दूर रखूंगा तेरे अवि से। बस अब वो जल्दी ठीक हो जाए। फिर अपने भांजे या भांजिओ के साथ मिलकर खेलेंगे। निशु ने अब तक हमें नहीं बताया कि दो बेटे है या दो बेटियां।
दिशा- रवि सर, वो तो आपको नहीं पता चलेगा अभी। कानून इसकी परमीशन नहीं देता।?
रवि भाई- हां हां, ठीक है। हम फोर्स भी नहीं करेंगे जानने के लिए।?
गायत्री जी- अब आपके घर जाने का मुहूर्त बिता जा रहा है। निशु तुम पाखि का बैग ले आओ।
मै- मै एकबार अवि से मिलकर आती हुं।
रूम में जाकर अवि को गले लगाया और उनसे कहा- कल वापस आ जाऊंगी। तब तक मेरा इतजार कीजिएगा।
फिर उनके माथे को चूम के रवि भाई के साथ उनके घर चली जाती हुं।

हम घर पहुंचे तब तक शाम हो चुकी थी। रवि भाई के घर में अपने कमरे में आराम करने जा ही रही थी तो पापा ने पीछे से आवाज दी।
पापा- पाखि बेटा तुम ऊपर नहीं यहां नीचे के कमरे में ही रहना। तु सीढ़ियों से गिरने वाली थी यह बात निशु ने हमें बताई थी। तो तुम्हारा रूम हमने नीचे तैयार कर दिया है।
मै- ठीक है पापा। अब मै कुछ देर सो जाऊ?
मम्मी- हां बेटा, फ्रेश होकर सो जा। डिनर रेडी होने के बाद तुम्हे उठाती हुं।
मै- ओके मम्मा ?।

मै रूम में चली गई। काफी देर सोने के बाद जब मै उठकर बाहर अाई तो पूरा ड्रॉइंग रूम मेहमानों से भरा हुआ था। मेरे सब फ्रेंड्स भी थे। मै तो एकदम सरप्राइज हो गई।? मम्मी पापा ने मुझे खुश करने के लिए सरप्राइज रखा था। उनको पता था मेरे घर से कोई नहीं आया था तो मै जरूर मायूस हुई थी। सब लोग मेरा बहुत खयाल रख रहे थे पर दिल के किसी कौने में मै चाहती थी कि मेरा खयाल अवि रखते तो अच्छा लगता पर यह नहीं हो सका। हम सब देर रात तक बैठकर कॉलेज टाइम की बाते कर रहे थे। फिर हमने बारी बारी मीना, रिद्धि और काव्या को वीडियो कॉल करके बाते कि। सब रिलेटिव्स को मम्मी पापा बता रहे थे कि यह हमारी बेटी है। हम इसे बाकायदा गोद लेने वाले है। यह बात मेरे कानो तक आ गई।
अभी तो मै कुछ नहीं बोली पर अगले दिन मैंने दोनों को बताया के- मै हमेशा आपकी ही बेटी रहूंगी पर आप मुझे गोद मत लीजिए। मेरे दोनों भाई भले ही अभी मुझसे नाराज़ है पर वह आपको कभी मुझे गोद नहीं लेने देंगे।
पापा- मै आज ही रवि को फोन करने वाला हुं इस बारे में बात करने के लिए। वे वैसे भी तुम्हें बुला नहीं रहे तो उन्हे कोई फ़र्क नही पड़ना चाहिए हमारे इस डिसीजन पर।
मै- आप को वहीं जवाब मिलेगा जो मैंने आपको अभी दिया है। क्या गोद लेने से ही मै आपकी बेटी बनकर यहां रह सकती हुं?
मम्मी- ऐसी बात नहीं है। वो तो अभी रवि और कवि तुमसे कोई रिश्ता नहीं रखते तो हमे लगा तुम अपने आपको अकेला ना समझो इस लिए।
मै- दोनों भाई रिश्ता नहीं रखते पर भाभियां तो रखती है न। वे दोनों भैया को मना लेंगे मुझे विश्वास है। और अब रवि भाई आप मुझे घर छोड़ दे। आज के दिन में साकेत से मिलकर आती हुं। फिर कल से नहीं जाऊंगी।
रवि भाई- चल तुझे घर छोड़ देता हुं। फिर मुझे देर हो जायेगी।

घर पहुंचते ही मै सीधे अवि के पास चली गई। मुझे देखकर नर्स वहा से चले गए। मै रूम बंद करके सीधे अवि को गले लगाती हुं?। पर अब मेरा बड़ा पेट बीच में आ जाता है? तो ज्यादा जूक नहीं सकती। फिर कल शाम यहां से जाने के बाद जो कुछ भी हुआ रवि भाई के यहां वह सब बताने लगी। फिर कहा कि मै अभी इमेजिन सेंटर जाकर आती हुं। फिर कल से पूरा दिन मै आपके साथ ही रहूंगी।
मै तैयार होकर किचन में मम्मी जी के पास अाई और उनसे कहा- सिर्फ आज के दिन मै जाना चाहती हुं, फिर कल से आप के कहे मुताबिक़ घर पर ही रहूंगी। उन्होंने ड्राईवर को मेरे साथ भेजा और मुझे साथ ही लेकर आने की हिदायत दी। निशु मेरे आने से पहले निकल चुकी थी वरना उसके साथ ही चली जाती।
जब मै सेंटर पर पहुंची तो साकेत मुझे बाहर ही मिल गया।
साकेत- गुड मॉर्निंग पाखि, कैसी है तु? कल की थकान उतर गई लगती है।
मै- नहीं उतरी बस आज आखरी दिन ही अाई हुं।
साकेत- क्यो?
मै- अंदर चल पहले फिर बात करते है।
हम अपनी केबिन में गए। वहा साकेत से मैंने कहा कि अवि की मम्मी जी ने मुझे अब आराम करने के लिए कहा है। हमारे संबंध अब कुछ सही हुए है तो मै वह बिगाड़ना नहीं चाहती। और अब मै अवि के साथ ज्यादा वक्त बिताना चाहती हुं ताकि वह ठीक हो जाए जल्दी से। और बच्चे के आने के बाद अवि को वक्त कम दे पाऊंगी तो plz तुम यहां सब संभाल लेना।
साकेत- संभाल लूंगा पर तुझे plz कहने की जरूरत नहीं है। और मंथ एंड पर सारा हिसाब किताब तुम्हे मैल कर दूंगा।
मै- मुझे तुझ पर भरोसा है, तु कोई मैल वैल नहीं करेगा। पर ध्यान रखना हमारे काम का। नाम खराब मत करना मेरा ?
साकेत- हां हां, नहीं करूंगा।
हम बाते कर रहे थे तब एक प्रेगनेंट लेडी की सोनोग्राफी का केस आया था। हम जल्दी आए थे आज, स्टाफ आना अभी बाकी था। साकेत वह हैंडल करने चला गया था। वैसे वह MRI देखता था। पर इमरजेंसी में यह कैस आया था तो वह मुझे वहीं बैठने के लिए कहकर चला गया। मै ऐसे ही बाहर टहलने चली गई। उस प्रेगनेंट लेडी को सोनोग्राफी के लिए ऊपरी मंज़िल पर ले जाया गया था। मै वहीं रिसेप्शनिस्ट से बाते करने लगी। मैंने उसे भी बताया कल से मै नहीं आने वाली तो यहां का ध्यान रखना। और टाइम से सब संभाल लेना। कुछ देर बाद जब साकेत बाहर आया तो हम साथ में अपने केबिन में चले गए। मैंने साकेत से पूछा- क्या इमरजेंसी आ गई थी?
साकेत- कुछ नहीं बस..।
मै- क्या छुपा रहे हो? कुछ हुआ क्या उस लेडी को?
साकेत दुःखी भाव से कहता है- उसका बच्चा कोख में ही मर गया। मैंने उन्हे तत्काल उनके डॉक्टर के पास भेज दिया है।
मै- क्या?? कैसे?
साकेत- ऑक्सीजन नहीं मिल पाया था।
मै- ओह! बहुत बुरा हुआ। कौनसा महीना था??
साकेत- आठवा। तु यह बात अभी ऐसी हालत में दिल पर मत लगाना। ज्यादा सोचना मत अब अम्माजी।?

साकेत के यह कहने पर भी मेरे मन में मेरे बच्चो को लेकर एक डर पैदा हो गया। इसी डर के साथ में घर पहुंची। मम्मी जी ने मुझे देखते ही पूछा- तुम्हारा मुंह क्यों उतरा हुआ है?
मै- थकान की वजह से और कुछ नहीं।
मम्मी जी- अच्छा चल तेरे लिए मिल्क शेक बनाया है, वह पीकर ही रूम में जाना।
मैंने मिल्क शेक पिया और अवि के पास चली गई। फिर रूम में जाकर मैंने अवि को अपनी व्यथा बताई- ऐसा कुछ हमारे बच्चों के साथ हुआ तो? मै तो जीते जी मर जाऊंगी। plz अब तो मुझे हिम्मत देने के लिए उठ जाईए। दोपहर लंच करने के बाद टेंशन में मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ गया था। मै अपने रूम में शाम तक सोती रही।
गायत्री जी जब रूम में आए तो मुझे सोते हुए देखकर वापस चले गए थे। मै जब उठी तो मुझे चक्कर सा आने लगा। मै सही से खड़ी नहीं हो पा रही थी। मैंने दरवाजा खोला और मम्मी जी को आवाज़ लगाई। वे लगभग दौड़ते हुए ही आए मेरे पास। मैंने उन्हे बताया- मुझे चक्कर आ रहे है मम्मी।
मम्मी जी- आराम कर ले शायद ठीक हो जाए।
मै- कब से सोई हुई थी मम्मी जी। मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा, मेरी सांसे भी फूल रही है। हम निशु के पास चलते है।
मम्मी जी ने तुरंत पापा को कॉल करके हॉस्पिटल आ जाने के लिए कहा और निशु को भी कॉल कर दिया। हम ड्राईवर के साथ हॉस्पिटल पहुंचे। दिशा फट से मुझे चैक करने आ गई थी। उसने पहले मेरा ब्लड प्रेशर ही माप लिया जो हाई आ रहा था।
दिशा- तूने ज्यादा नमक वाला खाना खाया था क्या?
मै- नहीं, कम ही था नमक तो।
दिशा- फिर बीपी बढ़ाकर क्यो आ गई??
मुझे खयाल आया शायद सुबह वाले हादसे के कारण यह सब हुआ हो। मैंने दिशा और निशु को सुबह उस प्रेग्नेंट लेडी वाली बात बताई। दोनों ने उसके लिए दुःख जताया पर मेरी वाट लगा दी।
निशु- यह उसकी किस्मत थी पर तु क्यो अपनी हालत खराब करने पर तुली है।? पता नहीं बीपी बढ़ने से तेरी क्या हालत हो सकती है? plz तु अपना ध्यान रखा कर यार। और थोड़े योगा भी चालू कर दे आसान वाले। मै तुझे कुछ एक्सरसाइज बताऊंगी फिर, जब नौवां महीना चालु होगा।
मै- ठीक है मेरी अम्मा। इतना तो मम्मी जी भी नहीं डांटते। अब मम्मी जी को अंदर बुलाओ वरना क्या क्या सोचते बैठे रहेंगे।

दिशा अंदर खड़ी स्टाफ की लड़की को भेजती है मम्मी को बुलाने। उनको बताया बीपी हाई हो गया था।
निशु- मम्मी इसके लिए बिना नमक वाला खाना बनवाना आज के दिन कल घर पर ही इसका प्रेशर माप लूंगी।
मम्मी जी- ठीक है, और रवि आ गया क्या?
निशु- आया ही होगा, मेरी बात नहीं हुई है।
मै- ठीक है, हम मिल लेंगे उसे। बाय...
हम रवि भाई से मिलने गए। उन्होंने भी मुझे डांट लगाई। क्या इस हालत में टेंशन ले रही है। तेरे बच्चें तो हृष्ट पुष्ट ही आने वाले है। डर मत पागल कहीं कि। अब घर जा और आराम कर ले। और हां आंटी मेरा आज का डिनर आपके घर ही बनाइएगा। मम्मी पापा शाम को एक फंक्शन में जाने वाले है और देर से आएंगे।
मम्मी जी- ठीक है बेटा जी। हम इंतज़ार करेंगे।

घर आकर अच्छा लगा था तो आज डिनर बनवाने में मैंने महाराज जी की हेल्प कि थी। डिनर पर सब बैठे तो पहले निवाले में ही पापा बोले- डिनर अच्छा बनाया है पाखि तुमने।
मै- आपको कैसे पता चला??
पापा- रोज महाराज और तुम्हारी मम्मी के हाथ का खाना खाकर थक गया था। आज कुछ नया टेस्ट मिला।?
मम्मी जी- अच्छा..। तो अब अपनी बहू के हाथ की रसोई ही खाना। महाराज को हम छुट्टी दे देते है।
पापा- हा दे दो। तुम्हारे हाथों से और भी मजा आएगा खाने में तुम ही बनाना।?
मम्मी जी- देखा सब ने...? बहू पर बात आती है तो मेरा खाना अच्छा लगता है। देख लूंगी आपको।
मम्मी पापा की इस तु तु मै मै सुनकर हम सब हस रहे थे। फिर हम सब अवि के पास बैठकर बाते कर रहे है। आज फिर सबने बात करते वक्त अवि की उंगलियों में मूवमेंट देखी।
रवि भाई- यार अब जल्दी से खड़ा भी होजा। कब से हम सब साथ बाहर नहीं गए है। पाखि को आइस क्रीम भी घर पर ही खानी पड़ती है। तु जल्दी ठीक हो जा फिर इसे घुमाने ले जाते है। अवि की आंखो में आज चमक दिख रही थी।

आंठवा महीना अब ख़तम होने को आया था। मै हर वक्त अवि के साथ ही रहती हूं। मै चाहती हुं कि मेरी डिलीवरी से पहले वह ठीक हो जाए। मम्मी जी ने मुझे श्री भागवत गीता की बुक पढ़ने दी थी वह भी अबतक दस पंद्रह बार पढ़ली है अवि के सामने। अब तो उनको सोते सोते भी याद रह गई होगी।
आज निशु हॉस्पिटल से अाई नहीं थी। मम्मी पापा एक रिलेटिव्स के यहां गए थे। शाम के आठ बजने को आए है। मै अपने रूम में अवि से बाते करते करते कपड़े अलमारी में लगा रही थी। कपड़े बिस्तर पर थे जिसे में लेने के लिए जैसे ही वापस मुड़ी मेरा पैर नीचे पड़े एक कपड़े में फंस गया और में नीचे गिर पड़ी। मेरे मुंह से जोर से चीख निकल पड़ी?। साउंड प्रूफ दीवारों के कारण आवाज बाहर नहीं गई। महाराज शायद किचन में होगे पर शामु कहा रह गया? और वो नर्स भी...। दर्द के कारण मै अवि और बाहर रहे महाराज, शामु को बार बार बुलाती हुं पर किसीको मेरी आवाज नहीं सुनाई पड़ती है। मेरी हालत उठने की नहीं रही है और दर्द के कारण मुंह से आवाज भी नहीं निकल रही है। फिर पता नहीं मै कब बेहोश हो गई।

गायत्री जी और भरत जी साढे आठ बजे घर आते है। पाखि को बाहर ना देखकर गायत्री जी उसके रूम में जाती है। रूम में जाते ही गायत्री जी के मुंह से एक चीख निकल जाती है। पाखि बेहोश पड़ी है और अवि आधा बेड पर और आधा बेड से नीचे गिरा था। अवि उठने की कोशिश कर रहा था। गायत्री जी की चीख सुनकर सब रूम में आ गए। नर्स और शामु ने अवि को उठाया और भरती जी और महाराज ने पाखि को बेड पर सुलाया। भरत जी ने ड्राईवर को तुरंत फ़ोन करके गाड़ी तैयार रखने को कहा फिर निशु को भी फ़ोन कर दिया।
अवि को होश आ गया था पर वह अपने आप खड़ा नहीं हो सकता था। पाखि के साथ साथ सब अवि को भी हॉस्पिटल ले गए। निशु और दिशा ने पहले से सब तैयारी करवा ली थी। पाखि के आते ही उसका चैक अप किया। निशु की आंखो में आंसू आ गए थे। भरत जी ने रवि और उसके मम्मी पापा को भी फ़ोन करके बुला लिया था। रवि ने पाखि के घरवालों को भी फ़ोन कर दिया था। पाखि गिर कर बेहोश हो गई है यह बात सुनकर उसके दोनों भाई बावरे बनकर भागे थे घर से। जब निशु बाहर अाई तो वह कुछ नहीं बोल पाई पर दिशा ने सबको बताया हम कोशिश करेंगे के सब सही हो पर अभी हालत सीरियस है। हम बच्चो को शायद ही...। ?
गायत्री जी- तुम कोशिश करो पर मेरी पाखि को कुछ नहीं होना चाहिए।?
कवि- दिशा, मेरी बहन का खयाल रखना। सब तुम्हारे हाथ में है। निशा तुम भी कोशिश करो घबराओ नहीं plz जाओ जल्दी।
जब पाखि को लेबर रूम में लेजाया गया तब उसे थोड़ा होश आने लगा था। उसकी हालत को देखकर दिशा ने निशु को सिजेरियन करने को कहा। निशु डरते डरते सब हैंडल कर रही थी उसकी हालत देख दिशा ने उसे एक जगह बिठा दिया और वह खुद ही ऑपरेट करने लगी।

उधर अवि के होश में आने से सब खुश थे और पाखि की हालत देखकर दुःखी भी। अवि को व्हील चेयर पर बिठाया गया था। रवि ने अवि के आने से पहले डॉक्टर को अपने हॉस्पिटल बुला लिया था। अवि को डॉक्टर ने आकर चैक किया और सब ठीक होने का कहा पर एक बार कल उनके हॉस्पिटल ले आने को कहा। अवि अभी तक कुछ बोला नहीं था। उसकी आंखो मै पाखि के लिए चिंता दिख रही थी। गायत्री जी और भरत जी अवि के साथ बाहर ही खड़े थे। कोई अभी एक दूसरे से बात नहीं कर रहा था।

पाखि की डिलीवरी काफी कॉम्प्लिकेटेड थी। पर इस बार दिशा ने अपना अब तक का एक्स्पीरियंस काम पर लगा दिया। निशु अब अपने आप को ठीक महसूस कार रही थी। दो मिनट के अंतराल पर बच्चो का जन्म हुआ था। निशु ने जब पहला बच्चा अपने हाथो में लिया तब फुटफुटकर रोने लगी। जब कि दूसरा बच्चा दिशा के हाथ में था। और वह भी बिल्कुल निशु की तरह ही रोए जा रही थी। डिलीवरी के बाद पाखि वापस बेहोश हो गई थी। नर्स ने अंदर पाखि को क्लीन किया। पर अब वह खतरे से बाहर थी। जब निशु और दिशा बच्चो को बाहर लेकर अाई तब उन दोनों को रोता देख पहले सब के दिल बैठ गए।
रवि और कवि के मन में बुरे खयाल आ गए कहीं पाखि...???
निशु और दिशा बच्चो को पहले सीधे अवि के पास ले गए। दिशा ने उन्हे बधाई देते हुए कहा- बधाई हो सर। आप एक बेटे और एक बेटी के पापा बन गए है।?
पर उनके मुंह पर कोई खुशी नहीं दिखी तब निशु ने बताया पाखि बिल्कुल ठीक है, चिंता मत कीजिए। तब जाकर उन्होंने अपने बच्चो को देखा। उनके साथ साथ सबकी आंखो में आंसू थे। गायत्री जी ने दिशा को डांटते हुए कहां- इस तरह कोई डराता है भला। मुझे हार्ट अटैक आ जाता तो?
दिशा- ऐसे कैसे हार्ट अटैक आ जाता। इन दोनों को कौन संभालेगा?
अवि ने इशारे से पाखिके पास जाने के लिए कहां। निशु ने उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा हम उसे रूम में ही शिफ्ट कर रहे है। रवि भाई और कवि भाई आकर अवि से और उसके घरवालों से माफी मांगते है। भरत जी ने सब भूलकर एक नई शुरुआत करने को कहा। रवि के मम्मी पापा से भी उन्होंने माफी मांगी। अब सब खुश होकर पाखि के पास गए। वह अभी होश में नहीं अाई थी। अवि को उसके पास ले जाया गया। पाखि के दोनों भाई उसे देखकर रोने? लगे थे उन्हे देखकर उनकी बीवियां भी रोने लगी। हालाकि उन्हे अभी बताया नहीं गया था कि सब चोरी छुपे पाखि से मिलते थे।? चंटू बंटू तो बच्चो के पास से हट ही नहीं रहे थे। दोनों उन दोनों को अपनी गोद में लेने की जिद कर रहे थे। पर दिशा ने बताया अभी यह बहुत छोटे है इसे छु नहीं सकते। राजा ने दोनों बच्चो का चैक अप कर लिया था। बस थोड़ा वजन कम था बाकी दोनों स्वस्थ थे।

बच्चो को देखकर सब उसे किसके जैसे दिख रहे है उस पर बहस करने लगे। पर अवि का ध्यान सिर्फ और सिर्फ पाखि पर ही था। रवि उसके बाजू में ही खड़ा था। उसने अवि के कंधे पर हाथ रखा और उसे होंसला रखने को कहा। फिर रात काफी हो गई तो निशु ने सब से घर जाने के लिए कहा पर अवि ने ना में सिर हिलाया। फिर अवि, निशु और सेतु भाभी का रुकना तय किया गया। अवि और निशु एक खाली रूम में बच्चो के साथ रुके थे। पाखि के पास सेतु भाभी सो गए।

जब मेरी आंख खुली तो खिड़की से सुबह की किरणे कमरे में आ रही थी। एनेस्थीसिया की असर कम होने पर अब दर्द हो रहा था। जब मैंने बाजू में नजर कि तो अवि मेरे सामने बैठे थे और उनका हाथ मेरे सिर पर था। यह देखकर मै उठने की कोशिश करती हुं। पर अवि मुझे सोने के लिए कहते है। उनको बोलते देख निशु विस्फारित नेत्रों से देखने लगी।
निशु - भैया आप बोल सकते है??
अवि- हां, रात में ही आवाज खुली।
मेरी आंखो से खुशी के आंसू बह रहे थे। मैंने सेतु भाभी को भी देखा। उनको देखकर आशा बंधी की मेरे दोनों भाई भी आए ही होगे। और उन्होंने सामने से कहा कि अभी तेरे भैया आते ही होगे हम दोनों का नाश्ता लेकर।
अवि धीरे से खड़े होते है और मुझे गले लगा लेते है। इन सब खुशी में मै अपने बच्चो के बारे में पूछना ही भूल गई। मैंने निशु से पूछा- बच्चे...?
निशु- एक प्यारा सा तेरे जैसा बेटा है और अवि भाई जैसी प्यारी बेटी। एक कंप्लीट फैमिली ?‍?‍?‍?। सेतु भाभी और निशु उन दोनों को मेरे पास लती है। मै खुशी के मारे रोए जा रही हुं। निशु और सेतु भाभी मुझे और अवि को अकेला छोड़ बाहर चले जाते है। उनके जाते ही अवि मुझे अपने गले लगा लेते है। दर्द के कारण में उठ नहीं सकती थी पर इस बार अवि ने उठकर मुझे गले लगाया?। जिसका में पिछले आठ महीने से इंतज़ार कर रही थी। कुछ टाइम तक दोनों कुछ नहीं बोले यू हीं एक दूसरे को गले लगाएं रखा। ध्यान तब टूटा जब हमारी लाडली ने रोना शुरू किया। निशु रोने की आवाज सुनकर अंदर आ जाती है। वह उसे उठाती है चुप कराने के लिए। बाद में धीरे धीरे तीनों घर के सदस्य आने लगे। फिर से बहस शुरू हुई बच्चों के नाम रखने की। मैंने कहा यह हक तो बुआ का ही है। नाम ये ही रखेगी। मोबाइल में एफबी पर निशु ने स्टेटस रख दिया था तो बारी बारी सबके विश करने के लिए फोन आने लगे। पांच दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद रवि भाई और कवि भाई मुझे हमारे घर ले गए। दोनों भाभियां मेरा बहुत ख्याल रखती है और मेरे दोनों बच्चो का भी।

सवा महीने बाद मुझे अवि खुद अपनी कार में लेने आ गए।
घर पर रवि भाई के मम्मी पापा आए हुए थे निशु और रवि भाई की शादी की बात करने। सबने मिलकर तय किया कि निशु और रवि भाई के साथ साथ मेरी और अवि की शादी भी करदे। यह तो सच ही था कि में इस घर की बहू हुं पर अब ऑफिशियल बन जाऊंगी।
मम्मी जी के कहे मुताबिक़ बच्चों का नामकरण का फंक्शन भी साथ में रखना था। निशु ने हमारे बच्चो के नाम रख दिए थे आरव और आर्वी
निशु और मै आज साथ ने दुल्हन बनी थी। हमारी शादी बहुत ही धूमधाम से कराई गई। यह पहली बार होगा कि बच्चे अपने मां बाप की शादी की फोटोज में साथ है।?

अब मै और अवि साथ में ही हॉस्पिटल जाते है। अवि बच्चो के साथ देर तक खेलते रहते है। रात को अगर दोनों में से कोई जाग जाए तो भी वह उन्हे संभालने में मेरी मदद करते है। बच्चे अपने दादा दादी को पूरे घर में दौड़ते है। और अब तो निशु के पैर भी भारी है।????

समाप्त
उम्मीद है आप सभी को यह कहानी पसंद आई होगी। आप सभी पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया ?।

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