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मनचाहा - 10

बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गई। रात को कोलेज नहीं जाउंगी सोच के ही सो गई थी। रात को थकान की वजह से मुझे रात में मेरे ही खर्राटे सुनाई दे रहे थे।?

सुबह के नौ बज रहे थे, अपनी हथेलियों को देख भगवान को याद किया।आह... क्या सुहानी सुबह है! बिस्तर से उठने का मन ही नहीं हो रहा है। भगवान ने दुनिया में सबसे अच्छी चीज बनाई है तो वो है नींद ?। इसके लिए तो आपको थेंक्यू कहना ही पड़ेगा, थेंक्यू गोड जी? ।
नहा-धोकर फ्री हुई तब तक दस बजने आए थे। मेरी थकान की वजह से शायद कोई मुझे उठाने नहीं आया था। जब नीचे आई तो दोनों भाई ओफिस जा चुके थे और बच्चे स्कूल। ड्रोइंगरूम में दोनों भाभीया काम निपटा के बैठी हुई थी।

मैं- गुड मोर्निंग‌‌‌ भाभीझ...!
दोनों भाभी- गुड मोर्निंग‌‌‌ पाखि...!
सेतु भाभी- कैसे रही कल की पार्टी?
मैं- बहुत अच्छी, मजा आ गया।
मिताभाभी- और साड़ी संभली न तुमसे?
मैं- हां, संभली ना..( पर आगे कुछ मत पूछना ?)

मिताभाभी- भाभी, आज सुबह बर्तन में दूध कम कैसे था? रात को आधी पतीली ‌तो भरी हुई थी। मुझे सुबह सुबह लेने जाना पड़ा।
सेतु भाभी- हा, आधी से थोड़ा उपर थी। कही बाहर रखते वक्त बिल्ली न आ गई हो। मुझे लगा शायद रात में किसीने पिया होगा तो कम है।
मिताभाभी- लेकिन पिया किसने?
धीरे-से दोनों की नजरें मुझ पर गड़ी, उनको देख मैंने अपना मुंह मोबाइल स्क्रीन पे लगा दिया।
सेतुभाभी- पाखि.....! जरा इधर तो देखना...!
मैं- जी भाभी।
सेतुभाभी- दूध दोनों भाई मेंसे किसने पिया?
मैं- (ये दोनों तो जासूस बन गई ?) मुझे क्या पता? मेरे आने तक सब सो गए थे।
मिताभाभी- तेरी तरफ देखने पर मुंह क्यूं छुपाया?
मैं - कहा छुपाया भाभी? मैं तो नीशा का मेसेज देख रही थी।
दोनों शक्की नज़र से मुझे घुर रही थी।
मैं- अच्छा, यकीन न आए तो देखलो। आज उसके घर सत्यनारायण की पूजा है, तो आने का इन्विटेशन दे रही है।
मिताभाभी- दिखा मोबाइल।
मैं- (दोनों में से बड़ी जासूस यही है ?) देख लिजिए।
(अच्छा हुआ जब मैंने मोबाइल में देखा था तब सच में निशा का मेसेज आया हुआ था)
मोबाइल दिखाने के बाद मैंने कहा- अब यकिन हुआ न।

तभी निशा का फोन आ गया। मैंने कोल रिसीव किया।
नाशा- हेल्लो पाखि, मेरा मेसेज पढ़ा न तुने?
मैं- हाय निशा, तुम्हारा मेसेज पढ़ा मैंने।
निशा- तो तुम्हें और दिशा को आना है। बाकी सबसे भी मेरी बात हो गई है। दिशा को मैंने फोन कर दिया है। तुम दोनों टाईम से आ जाना। चार बजे पूजा शुरू होगी। और हां रात का डिनर हमारे घर पर ही है।
मैं- मैं पहले घर में पूछ लेती हुं।
दोनों भाभीया मेरी बाते सून ही रही थी। मैंने उनके सामने देखा तो इशारे से जाने की सहमति दे दी।
मैंने निशा से कहा- पूजा में तो आ जाउंगी पर डिनर तक नहीं रूकूंगी। मेरी स्कूटी खराब है और आने में देर भी हो जाती है।
निशा- don't worry, एक काम कर मैं ड्राईवर को कार लेकर भेज देती हु तुम दोनों साथ में आ जाना और वापस भी छोड़ देंगे। ड्राइवर को पोने चार बजे भेज दुंगी तैयार रहना। तुम अपना अड्रेस मेसेज कर देना मैं ड्राईवर को बतादुंगी।
मैंने भाभी से पूछा क्या करु?
सेतुभाभी- कोई बात नहीं पाखि, तु डिनर तक रुक जाना तेरे भैया से हम बात कर लेंगे।
मैंने निशा को डिनर तक रुक जाऊंगी कहा और कोल डिस्कनेक्ट किया।

मैं- भाभी, पूजा में जाउंगी कह तो दिया पर पहनुंगी क्या? कूर्ती-लेगींग पहनूं?
सेतुभाभी- नहीं, पूजा में दुपट्टे के साथ सुलवार-कूर्ता ही अच्छा लगेगा। तेरे पास कई सारे ड्रेस है पहन लेना कोई भी।
मैं- हां, है तो सही। पर कौन से कलर का पहनूं? पहले हम साथ में जाते थे तो पूछ्ना नहीं पड़ता था। वहां दूसरे क्लासमेट भी होंगे तो अच्छा तो पहनाना पड़ेगा न।
मिताभाभी- हा ‌पाखि, कोलेज में आकर थोड़ा टीपटोप तो रहना ही पडता है। एक काम कर तु अपनी ब्लेक एंड पिंक वाली ड्रेस पहनले।
सेतुभाभी- अरे नहीं, पूजा में जाना है काली ड्रेस नहीं। तु वो लाल रंग की बंधेज वाली ड्रेस पहन। और कुछ न सूझे तो चल अभी नई दिलवा देती हुं। तेरे भैया हमारी शोपिंग के लिए ही तो कमाते है। दोनों भाभीया एक-दूसरे को ताली देकर हंसने लगी।?
मैं- बेचारे मेरे भैया। ?? ठीक है मैं लाल बंधेज की ड्रेस ही पहनुंगी। (अच्छा हुआ दूध वाली बात भूल गए दोनों?)

दोपहर का खाना निपटा के तीनों ननंद भोजाई आराम करने अपने अपने रूम में चले गए। रूम में जाकर सबसे पहले दिशा को फोन किया। दिशा ने ‌एक‌ रींग में ही फोन ‌उठा लिया।

दिशा- बोल रानी विक्टोरिया, निशा का फोन आ‌ गया न। लगता है आज कोलेज में सबने मास बंक लिया है। मुझे लगा तु तो कोलेज गई ही होगी।
मैं- ओ हेल्लो...! मैं इतनी भी पढ़ाकू नहीं हुं समझी ?।
दिशा- हां-हां पता है। अब ये बताओ हम जा रहे है या नहीं?
मैं- क्यों तुझे नहीं जाना?
दिशा- मैं हम दोनों की बात कर रही हुं पाखि....।
मैं- मैंने भाभी से बात कर ली है, उन्होंने जाने की परमिशन दे दी है।
दिशा- परमिशन? तुझे अपनी भाभी से पूछना पड़ता है?
मैं- ऐसा कुछ नहीं है दिशा। मम्मी पापा के जाने के बाद भैया और भाभी ने ही मेरा ख्याल रखा है। वे कभी मेरे कहीं पर भी आने जाने पर टोकते नहीं या मना भी नहीं करते। बस मैं अपना फर्ज समझ के पूछ लेती हुं।
दिशा- अच्छा चल ये बता कि जाना कितने बजे हैं?
मैं- पोने चार बजे निशा के यहा से कार लेने आने वाली है तो तुम साढ़े तीन बजे मेरे घर पर आजा।
दिशा- ओके, मैं आ जाउंगी। मिलते हैं बाय..।
मैं - टाइम से आ जाना वरना अकेले चली जाउंगी, बाय..।
कोल डिस्कनेक्ट कर के मोबाइल में तीन बजे का अलार्म लगाके कुछ देर सो गई।

घड़ी में तीन बजते ही अलार्म बजा। मैं उठकर बाथरुम में फ्रेश होने चली गई। सब कहते हैं लड़कियां तैयार होने में बहुत टाइम लगाती है पर मैं उनसे हटके हुं। कही भी जाना हो पंद्रह मिनट में रेडी हो जाती हुं। दोनों भाई भी हरबार भाभी को मेरी तरह जल्दी तैयार रहने को कहते रहते हैं। पर हमारी भाभीया तो बस...।

दिशा टाइम से मेरे घर आ गई थी। भाभी ने जाने को कह दिया था फिर भी मैंने दोनों भाई को फोन करके बता दिया था निशा के घर जा रही हुं। दोनों ने ध्यान से जाने के लिए कहा। दिशा मेरे कमरे में ही आ गई थी। मैं रेडी ही थी पर कानों के जूमके मूझे मिल नहीं रहें थे। फिर मिताभाभी ने अपने बड़े वाले जूमके दिए।
मैं- भाभी यह अच्छे ही लग रहे हैं पर मेरे वाले मिल जाते तो अच्छा होता, इससे तो कान दर्द करेंगे बहुत भारी है।
मिताभाभी- एक काम कर निशा का घर आए तब पहन लेना। तब तक हाथ में पकड़कर रख। और बिंदी लगा दे अच्छी लगेगी।
मैं- ओह! भुल गई भाभी।?
मिताभाभी- पंद्रह मिनट में ऐसे ही तैयार होती है तु। आधी चीजें तो तु भूल जाती है।

सेतुभाभी ने निचे से आवाज दी की निशा के यहां से कार आ गई है। मैंने जूमके अपनी पर्स में रख दिए और हम सब निचे आ गए। हम कार की तरफ जा ही रहे थे तभी सेतुभाभी ने आवाज़ दी।
सेतुभाभी- पाखि... वहां डिनर खत्म होने पर बता देना, तेरे भैया को लेने भेज दूंगी, खामखां उन लोगो को परेशान मत करना।
मैं- ठीक है भाभी।
और हम कार में बैठ कर निशा के घर की ओर चल दिए।

क्रमशः

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