शापित मूर्ति Roshan Jha द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

शापित मूर्ति


मेरा नाम राहुल है और मैं आपको आज एक कहानी बताने जा रहा हूं जो मेरे ही जीवन की एक सच्ची घटना है यह कहानी आज से करीब कुछ साल पहले की है

2003 की बात है मैं अपने पुरातत्व विभाग के टीम के द्वारा आश्रम के एक गांव गया था

मैं एक पुरातत्व विभाग में काम करता हूं और मुझे सूचना मिली थी कि इस गांव में कुछ पुराने जमाने की मूर्तियां और भी कुछ चीजें जमीन से खुदाई करने के बाद निकली है

तो उसी की जांच के लिए हम लोग अपनी टीम के साथ मैं भी वहां पर गया था वहां पर कई सारी मूर्तियां थी पर एक मूर्ति उन सबसे अलग थी उसे देखने से ऐसा लग रहा था जैसे वह ना तो कोई भगवान की मूर्ति थी ना ही कोई और वह कुछ और ही बयां कर रही थी और उसे देख कर मैं उस मूर्ति की तरफ काफी आकर्षित हो गया

ऐसा लग रहा था वह मूर्ति मुझे अपनी तरफ खींच रही है और मुझे उस सम्मोहित कर रही हैं और ना चाह कर भी मैं उसे अपने साथ अपने घर लेकर आ गया और उसे अपने घर की टेबल पर जहां मैं अपने ऐसे ही कुछ चीजें रखता हूं वहां पर इस मूर्ति को भी रख दिया

और अपने कामों में लग गया पर ना जाने क्यों उस मूर्ति के आ जाने के बाद हमारे घर में कई चीजें होने लगी वह सब चीजें अप्राकृतिक तरीके से हो रही थी यानी कि उसका हमारे जीवन से कोई लेना देना नहीं था ऐसा लग रहा था जैसे उस मूर्ति के आने से हमारे घर पर किसी चीज का साया पड़ गया हो

उस मूर्ति के लाने के बाद 2 दिन ही हुए थे एक रात की बात है मुझे नींद नहीं आ रही थी मुझे तरह-तरह के सपने देखकर मैं काफी डर गया था और इसी घबराहट में मेरी नींद टूट गई

जब मैंने उठकर घङी की तरफ देखा तो रात के 1:00 बज रहे थे चारों तरफ खाना सन्नाटा था और घड़ी की सुई टिक टिक टिक की आवाज आ रही थी

मैंने उठकर पास पड़े पानी की बोतल लेकर पानी पिया और वापस सोने के लिए जैसे ही बेङ की और बड़ा तभी मुझे कुछ आहट सुनाई परी यह आहट सुनकर मैं काफी घबरा गया और मैंने सोचा यह आवाज आखिर कहां से आ रही है

और मैं अपने घर से बाहर निकला और आवाज की और ध्यान लगाया तभी मुझे महसूस हुआ यह आवाज दूसरे कमरे से आ रही थी जहां पर मैंने उस मूर्ति को रखा था मैं धीरे से उस कमरे की और बड़ा अजीब हो आवाज आ रही थी ऐसा लग रहा था कोई उस कमरे में यहां वहां चल रहा है और पैर की आहट मुझे आ रही थी

ऐसा लग रहा था कि उस कमरे में घूम रहा है यह सुनकर मैं काफी घबरा गया फिर भी मैं हिम्मत करके उस कमरे का दरवाजा खोला अंदर पूरा अंधेरा था मैंने लाइट चलाएं और इधर-उधर देखा तो मुझे वहां पर कोई नहीं नजर आया और वह आहट आनी भी बंद हो गई

फिर मैं सोचने लगा अभी तो यहां से आवाज आ रही थी फिर अचानक बंद कैसे होगी फिर मैं वापस उस दरवाजे को बंद जैसे ही किया तभी मुझे घर के मेन गेट का दरवाजा किसी के दस्तक देने की आवाज आई मैं सोचने लगा अभी इस वक्त कौन हो सकता है तुझे डर भी काफी लग रहा था फिर भी मैंने उस दरवाजे की तरफ बढ़ा और दरवाजे को जैसे ही खुला बाहर कोई नजर नहीं आया

मैं यह देखकर काफी सहम गया और जल्दी से दरवाजा बंद करके अपनी रूम की तरफ दौड़ के क्या और रूम का दरवाजा बंद करके वहां पर बैठ गया और मन ही मन में सोचने लगा आखिरी यह क्या हो रहा है और यही सोचते-सोचते मुझे पता नहीं कब मेरी नींद लग गई और मैं सो गया

जब सुबह नींद टूटी तो सुबह के 9:00 बज चुके थे मैं जल्दी से तैयार होकर अपने ऑफिस के लिए निकल गया लेकिन पूरा दिन मुझे उस रात वाली घटना का मेरे दिमाग में वह घटनाक्रम घूम रहा था आखिर वह क्या था आखिर क्यों हो रहा है मेरे घर में यही सब सोचते सोचते हैं मैंने सोचा हो सकता है यह मेरे मन का भ्रम हो और यही सोच कर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और शाम को मैं अपने घर पर आया खाना बनाया और रात को टीवी देखने के लिए मैं बैठ गया टीवी देख रहा था

तभी ऐसा लगा बाथरूम सी कोई आवाज आ रही थी मैं यह देख कर काफी डर गया और मैं टीवी बंद करके बाथरूम की तरफ गया पर वहां पर कोई नहीं था

मैं जैसे ही बाथरूम से वापस आने के लिए बोला तभी मुझे सामने शीशे पर किसी की आकृति नजर आए ऐसा लगा वह किसी महिला का साया था यह देखकर मैं काफी डर गया और भाग के बाथरूम से बाहर आकर अपने घर की तरफ भागा और यह सब मेरी आंखों के सामने हुआ था जिसे मैं काफी डर गया और सोचने लगा जरूर हो ना हो इस घर में किसी का साया पड़ गया है

और यही सब सोचते सोचते मैंने अपने एक गुरुजी जो कि मेरे घर के गुरु जी हैं उन्हें मैंने फोन लगाया और उन्हें पूरी सारी बात बताई गुरुजी ने मुझे कुछ मंत्र बताएं बोले

इसे तुम मंत्र को जपते रहो थोड़ी देर तुम्हें अच्छा महसूस होगा मैं कल आकर इस समस्या का समाधान कर दूंगा

मैंने वही किया मैंने कुछ देर इस मंत्र को जपा और जाकर सो गया रात भर मुझे किसी तरह का कोई रुकावट या कोई ऐसी आहट सुनाई नहीं पड़ी

सुबह गुरुजी आए उन्होंने आते ही पूछा

कैसे हो राहुल

मैंने कहा ठीक हूं गुरुजी

और उन्हें सारी बात रात की बताई

उन्होंने कहा यह कब से हो रहा है

मैंने कहा जब से मैं असम से अपने काम से लौटा हूं तभी से यह सारी घटना हो रही है मेरे साथ

उन्होंने कहा हो सकता है तुम अपने साथ कुछ लाया हो

मैंने कहा वहा

एक मुझे मूर्ति काफी अच्छी लगी थी जिसे मैं लेकर अपने घर आ गया

उन्होंने कहा वह मूर्ति कहां पर है मुझे दिखाओ

मैं उन्हें लेकर उस मूर्ति के पास गया

उन्होंने कुछ देर उस मूर्ति को देखा और मन ही मन कुछ मंत्र का उच्चारण किया और बताया

यह मूर्ति शापित मूर्ति है जो कोई भी इसे देखता है यह से सम्मोहित कर देती है और वह आदमी उस मूर्ति को लेकर अपने घर आ जाता है और यह मूर्ति फिर उस आदमी का सारा कुछ तबाह करके उसे मार डालती है समय रहते तुमने इसे मेरे बारे में बता दिया नहीं तो पता नहीं तुम्हारे साथ क्या हो जाता

फिर गुरुजी ने कुछ मंत्र बोल कर एक धागा उस मूर्ति पर लपेट दिया और मुझे बोला इस मूर्ति को ले जाओ और किसी पीपल के पेड़ के नीचे अमावस्या की रात को इसी दो हाथ गड्ढा करके नीचे दफना देना और पीछे मुड़ के ना देखना

मैंने वैसा ही किया अमावस्या की रात को पास ही एक पीपल का पेड़ था वहां पर मैंने दो हाथ गड्ढा करके इस मूर्ति को वहीं पर दफना दिया

और मंत्र का उच्चारण करते हुए वापस अपने घर में आकर स्नान करके गुरु जी के द्वारा दिया गया लॉकेट पहन लिया

उस दिन के बाद मुझे कभी भी इस तरह का घटनाक्रम से सामना नहीं करना पड़ा

तो दोस्तों यही थी मेरी कुछ ऐसी घटना जो मेरी जीवन में हुई थी दोस्तों यह कहानी अगर आप लोगों को अच्छा लगा हो तो प्लीज इसे लाइक करें शेयर करें और कमेंट करके मुझे बताएं आपको यह कहानी कैसा लगा और मैं ऐसे ही कहानियां आपके लिए लाता रहता हूं तो प्लीज मुझे आप फॉलो करें और चलिए दोस्तों आप सब से विदा लेते हैं मिलते हैं एक नई कहानी के साथ तब तक के लिए नमस्कार