माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 15 - लास्ट भाग Jitendra Shivhare द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

श्रेणी
शेयर करे

माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 15 - लास्ट भाग

माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग

अध्याय - 15

रवि आंखों के इशारे से तनु को कुछ कह रहा था जिसकी भाषा केवल तनु ही जान सकती थी।

"अच्छा ठीक है। सिर्फ एक ओके! उसके बाद मुझे जाने दोगे न! मुझेमाँम को मेहंदी लगानी है प्लीज!" तनु रवि के सम्मुख गिड़गिड़ाई।

"ओके। चलो एक से ही काम चला लेते है।" रवि ने सांत्वना प्रकट की।

रवि ने तनु के आगे अपना गाल प्रस्तुत किया। तनु ने अपने होठ रवि के गाल चूमने के लिए आगे बढ़ाये ही थे कि तब ही रवि ने चालाकी दिखाकर अपना सिर तनु की दिशा में मोड़ दिया। दोनों के होठो का मिलन हो चूका था।

तनु, रवि को धक्का मारकर भाग खड़ी हुई। जाते-जाते वह रवि को बदमाश की उपाधी से विभूषित कर गई।

सामने से काजल और राजेश आ रहे थे। तनु भागते हुये उनसे टकरा गई। राजेश और काजल पास ही के कमरे से जब रवि को बाहर निकलते हुये देखा तो वह सारा मामला समझ गये। रवि उन दोनों को देखकर झेप गया। हड़बड़ी में अन्य दिशा में भाग खड़ा हुआ। काजल और राजेश उन दोनों को देखकर अपनी हंसी न रोक सके।

महिला संगीत में पुरुषो को निषेध जानकर आर्यन ने महिलाओं का नृत्य देखने का मनोज जी को एक प्लान बताया।

"अरे नहीं-नहीं ये बहुत रिश्की है। पिटवायेगा क्या।" मनोज ने डरकर कहा।

"कुछ नहीं होगा मनोज जी। हम सब है न आपके साथ।" आर्यन की योजना का समर्थन करते हुये नवीन ने कहा।

"क्या बोलते हो राजेश? हां कर दूं।" मनोज ने अपने विश्वसनीय राजेश से पुछा।

"हां सर इसमें कौन-सी सोचने वाली बात है। हां कर दीजिए आप तो।" राजेश बोला।

"संजीव देख भाई तु हमसे ज्यादा पढ़ा-लिखा है। सम्भाल लेना यार। औरतों का मामला है।" मनोज ने संजीव की ओर देखते हुये कहा।

"कोई बात नहीं मनोज जी। सब अच्छा ही होगा। आप घबराईये मत।" संजीव ने हिम्मत बंधाई।

"लेकिन बिल्ली के गले में घण्टी बांधेगा कौन?

आई मीन महिला संगीत के हाॅल में कैमरा कौन लगायेगा?" सुमित ने सीधे मुद्दे की बात पर चोट कर दी।

सभी की निगाहें रवि पर जम गई। रवि को उनके दबाव के आगे न चाहते हुये भी झुकना पड़ा। रवि ने साड़ी पहनी और उसने तनु को विश्वास में ले लिया। उन दोनों ने महिला संगीत का हाॅल रात में खुलवाया। एक निश्चित स्थान पर कैमरा लगाकर रवि निकल आया।

सभी पुरूष बड़ी से एलईडी टीवी पर महिला संगीत का सीधा प्रसारण देख रहे थे। उनका आनंद ज्यादा समय तक नहीं चल सका। श्लोक ने यह सब देख लिया। उसने यह जानकारी अपनी होने वाली मां, सीमा को बता दि। सीमा ने सुगंधा और काजल को यह सब बताया। सौम्या और बबिता को भी जब यह पता चल गया तब वे सब मनोज जी के कमरे की ओर चल दिये। उन सब मर्दों को सबक सिखाने के लिए। तनु को वैसे ही सबकुछ पता था। मगर उसने किसी से कुछ नहीं कहा।

अपने-अपने प्रियतम को मनोज जी के कमरे में मस्ती में नृत्य करते हुए देखकर वे सब खुब हंसी। टीवी पर महिला संगीत के आयोजन में अन्य महिलाओं के नृत्य करने को देखकर सभी पुरूष ऊलजलूल डांस कर रहे थे।

उन पुरूषों ने जब-जब अपनी होने वाली जीवन संगीनीयों को सम्मुख देखा तो सभी के चेहरे देखने लायक अवस्था में आ गये थे। नवीन और आर्यन ने एक-दूसरे को आंख मारकर त्वरित षड्यंत्र की रचना कर डाली -

"ठीक है मनोज जी। ये तो हो गया। यह एसी चेक कर लिजिए। हमने ठीक कर दिया है।" आर्यन पलटकर दीवार पर टंगे एसी को देख स्वांग रच रहा था। शेष सारे पुरूष आश्चर्य में पड़ गये।

"हां हां चेक कर लिजिए। यह रहा रिमोट। हम चलते है हमें बाकी मेहमानों के कमरे के एसी भी चेक करने है।" नवीन ने आर्यन के षड्यंत्र का समर्थन कर दिया।

"अच्छा नवीन! और किस किस के रूम की कम्लेन आई है" आर्यन ने अगली बात कह दी।

रूम के अन्दर सभी महिलाएं आ चूकी थी। बबिता और सौम्या अपने-अपने प्रियतम के सफेद झूठ पर मंद ही मंद मुस्कुरा रही थी।

"अरे मखीजा के रूम की भी कम्पलेन है यार!" आर्यन ने शर्ट की जेब से एक कागज निकाला और उसे देखते हुए कहा।

"अरे तो देख क्या रहा है जल्दी चल वर्ना मखीजा जी पुरा होटल सिर पर उठा लेंगे।" नवीन ने दरवाजे की ओर भागते हुये कहा।

"अच्छा तो जनाब इलेक्ट्रीशियन बन गये है। वाह क्या बात है।" आर्यन के सामने कमर पर हाथ रखकर बबिता बोली।

"हां जी! पार्ट टाइम मैं यह काम भी कर लेता हूं। कभी कोई काम हो तो बताईयेगा, आपके लिए बहुत कम पैसों में कर दुंगा।" आर्यन मासूमियत भरे स्वर में बोल रहा था।

बबिता के चेहरे पर हंसी तो थी लेकिन वह अपनी हंसी को दबाने की कोशिश कर रही थी।

"और इन्हें भी जरा देखीये। ये है आर्यन के अटेंडेंर मिस्टर नवीन। लाइट मैन।" सौम्या भी नवीन के भाग जाने वाले रास्तें पर खडी हो गई थी ताकी वह बचकर भाग न सके।

"जी सौम्या जी! हम दोनों ने ये बिजनेस पार्टनरशिप में जस्ट अभी-अभी स्टार्ट किया है। आपको तो पता है कितनी महंगाई है। एक नौकरी में आम आदमी गुजारा कैसे कर सकता है? कल को आपकी और मेरी शादी होगी, बच्चें होगें तब होने वाले बच्चे और हमारे ब्राइट फ्यूचर के लिए मैंने अभी से तैयारी शुरू कर दी है।" सौम्या की हंसी छूट ही गयी। वह दौड़कर शालिनी गले लग गई।

संजीव को शालिनी भी इठलाते हुयी नजरों से देख रही थी।

"आपको कुछ कहना है?" शालिनी ने संजीव से कड़क आवाज में पुछा।

" आज तक मैंने तुम्हारे सामने कुछ कहा है जो आज कहूंगा। तुम्हारी हर सजा मुझे कबूल है।" शादीशुदा संजीव ने तो हथियार डाल दिये थे।

सबसे ज्यादा परेशान तो मनोज था। सीमा गुस्से में उन्हें ही देख रही थी।

"ये सब रवि ने किया है।" मनोज बोल पड़ा।

"हां हां रवि ने ही लेडीज हाॅल में कैमरा लगाया था।" आर्यन ने मनोज का समर्थन कर दिया।

"अरे वाह। अब सब पकड़े गए तो भुझे बलि का बकरा बना रहे हो। मैं भी सबको सबकुछ सच-सच बता दूंगा।" रवि बात बताने सीमा की ओर दौड़ा।

"सासुमाँम! यह सब योजना आर्यन की थी। उसी ने सभी को भड़काया। मैंने तो मना किया था। लेकिन सभी ने मुझ पर बहुत दबाव बनाया। मुझे मजबूरी में इनकी बातें माननी पड़ी। फिर मैंने और तनु ने वहां लेडिज हाॅल में कैमरा लगा दिया।" रवि ने सब कुछ उगल दिया।

पास ही खड़ी तनु पर अन्य महिलायें क्रोधित होकर देख रही थी।

"साॅरी, वो रवि की कोई बात मैं मना नहीं कर सकती न इसलिए ••।" तनु ने अपनी विवशता बताई।

सभी महिलाओं की हँसी छुट पड़ी।

"ठीक है,ठीक है! एक बार सभी पुरुषों को महिलाओं का नृत्य देखने की अनुमति दी जाती है।"

पीछे से आती हुई अम्मा जी की इस बात ने सभी पुरुषों के चेहरे पर खुशियां बिखेर दी।

"हुर्रssss!" सभी पुरूष खुशी से नाच उठे।

मस्ती-मजाक के बीच मनोज की बारात में सम्मिलित उसके सभी मित्रों खुलकर डांस किया। तनु और बबिता ने द्वार पर बारात का स्वागत किया। गणेशराम चतुर्वेदी ने सीमा के कन्यादान की रस़्म पूरी की। सात फेरों में मनोज और सीमा दोनों ने एक-दूसरे को पति-पत्नी के रूप में स्वीकार कर एक गरिमामय जीवन जीने की शुरुआत कर दी। बधाई देने वाले महानुभाव इस अनोखी प्रेम-कहानी का सुखद अंत देखकर भावविभोर हो गये।

सीमा की बिदाई उसके घर से ही हुई। तनु और बबिता सीमा से लिपटकर अपनी मां को विदा कर रही थी।

सुहाग सेज पर सीमा लाल जोड़े में सुन्दरता की मिशाल सी सुशोभित हो रही थी। मनोज और सीमा का मिलन दुनियां में अपने प्रेम की असफलता से निराश हो चुके प्रेमी युगल के लिए एक बड़ी शिक्षा थी। मनुष्य के जीवन में प्रेम का प्रवेश कभी भी हो सकता है। आवश्यकता है उस समय को पहचानकर उसे अपने लिए स्वीकार कर लेना। जैसा सीमा और मनोज ने परस्पर एक-दुसरे के प्रेम को स्वीकार संसार के समक्ष प्रेम संबंध की एक अनोखी जोड़ी प्रस्तुत की।

कुछ माह बाद----

"मनोज उठो। अरे उठो बाबा! एक जरूरी बात करनी है।" सीमा सुबह-सुबह मनोज को जगा रही थी। मनोज नींद में उठकर बैठ गया।

" क्या बात है बोलो!" मनोज ने कहा।

" ये देखो" सीमा ने कहा।

" क्या है ये?" मनोज ने सीमा के हाथ से प्रेग्नेंसी टेस्ट कीट लेते हुए कहा।

"प्रेग्नेंसी टेस्ट कीट है। जरा देखो दो-दो रेड लाइने है।"

"हां है तो?" मनोज ने कहा।

" आई एम प्रेग्नेंट मनोज। मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूं।" सीमा गुस्से मे बोली।

मनोज मौन था।

"सबको जब पता चलेगा कि मैं मां बनने वाली हूं तो लोग क्या सोचेंगे?" सीमा दुःखी होकर बोली।

"याsssहूं याsssहूं चाहे कोई मुझे जंगली कहे

कहने दो जी कहता रहे

हम प्यार के तूफानों में घिरे है हम क्या करे?

चाहे कोई मुझे जंगली कहे

याsssहूं याsssहूं" मनोज खुशी में बेड पर नाचते फिल्मी गीत गाने लगा।

"ये क्या कर रहे हो तुम नीचे उतरो। उतरो नीचे। यहां मेरी जान पर बन आई है और तुम नाच रहे हो?" सीमा ने कहा।

"नाचने वाली बात है डार्लिंग! मानती हो बंदे को! आज भी बच्चे पैदा करने की शक्ति रखता है।" मनोज अपने बाजुओं को दिखाते हुये बोला।

"मनोज! मुझे अगर पता होता कि तुम इतने बेशर्म हो तो तुमसे कभी शादी नहीं करती!" सीमा की झल्लाहट में भी प्यार झलक रहा था।

" साॅरी डीयर! अब तो शादी हो चुकी है। अब कुछ नहीं हो सकता। अब तो इस बेशर्म के साथ ही आपको अपनी बाकी की जिन्दगी निकालनी पड़ेगी।" सीमा के कन्धे पर अपना हाथ रखते हुये मनोज बोला।

दरवाजे के बाहर से श्लोक की शादी आवाज आई- "पापा अपनी आवाज जरा धीमें करे। आपकी आवाज यहां बाहर तक आ रही है। दादी मां पुजा कर रही है। उन्हें डिस्टर्ब हो रहा है।" श्लोक कुछ देर रूककर बोला- " मां अगर आप फ्रि हो गई होती तो मेरा टिफिन जल्दी बना दिजिये। स्कूल के लिए लेट हो रहा हूं।"

"आ गया दादी मां का चमचा।" मनोज ने मसखरी में कहा। सीमा ये सुनकर हंस रही थी।

"आई बेटा! दस मिनट में आती हूँ।" कहते हुये सीमा नहाने के बाथरूम में चली गई। मनोज अपनी होने वाली संतान के विषय में विचार कर पुनः सोने चला गया।

समाप्त