माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 1 Jitendra Shivhare द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

श्रेणी
शेयर करे

माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 1

माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग

अध्याय - 1

बबिता तनाव में है यह बात उसकी मां जानती थी। लेकिन बबिता इस तनाव को अपने ऊपर इतनी बुरी तरह से हावी होने देगी सीमा को यह तनिक भी पता नहीं था। आज तो बबिता ने हद ही कर दी। उसने फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। वो तो बबिता से तीन वर्ष छोटी उसकी बहन ने खिड़की से ऐन वक्त पर रस्सी से उसे लटकने की कोशिश करते हुये देख लिया। तनु ने तुरंत मां सीमा को इस बात की सूचना देकर पड़ोसियों की सहायता से बबिता की जान बचायी।

सीमा की दोनों बेटियां तनु और बबिता क्रमशः बाइस और पच्चीस वर्ष की है। सीमा के पति अरुण उसे पन्द्रह वर्ष पहले ही छोड़कर चले गये थे। कुछ समय बाद पता चला की अरुण ने सीमा को बिना बताये ही किसी राधा नाम की महिला से दूसरी शादी कर ली है। सीमा तब से ही दोनों बेटियों का लालन-पालन अकेली ही कर रही थी। सीमा के पति का दिया हुआ एक मात्र मकान ही था जिसकी छत के नीचे ये तीनों अपने आपको सुरक्षित महसूस करती थी। बेटियों में पिता के प्रति आक्रोश कम न था। सीमा ने पति अरुण के पीठ पीछे दोनों बेटियों के सम्मुख अरूण के प्रति जो विष उगला था वही कड़वाहट दोनों बेटियों के शरीर में इस कदर बहती थी की पिता नाम से ही उन्हें चीढ़ होने लगी थी।

बबिता अपनी छोटी बहन के मुकाबले कम सुन्दर थी। वह सांवले रंग लिये शरीर से कुछ मोटी भी थी। बैचलर की डिग्री लेने के बाद उसकी पढ़ाई अभी जारी है। बबिता के लिए विवाह के प्रस्ताव आते जरूर थे लेकिन उसकी कम सुन्दरता और भारी शरीर के कारण शादी के लिए हां नहीं हो पाती थी। इसी कारण बबिता डिप्रेशन में आ गयी थी। लोगों के ताने उसके लिए तीर की भांति चुभन से कम नहीं थे।एक दो-मर्तबा तो शादी के लिए घर आये लड़कों ने बबिता को छोड़ उसकी बहन तनु को पसंद कर लिया था। जिसके कारण सीमा आगे से सतर्क हो गई थी। तब से घर में बबिता को देखने आये वर के सामने तनु का आना प्रतिबंधित हो गया था। सीमा अपनी बड़ी बेटी बबिता के विवाह लिये बहुत चिंतित थी। तनु तो इतनी सुन्दर थी की उसकी मां सीमा को यकीन था कि इसकी शादी तो सरलता से हो जायेगी। तनु बहुत चुलबुली लड़की होकर 21 वीं सदी की फैशनेबल युवती थी। वह अपना अधिकार जानती थी। और अपना अधिकार न मिले तो उसे छीनने का दम भी रखती थी। चिंता तो बबिता की शादी के लिए थी। बबिता के सांवली सूरत को साफ और गौरा करने के लिए सीमा हर संभव प्रयास करती। न-न प्रकार की क्रीम-पाउडर और आयुर्वेद की बहुत सी विधि जो उसे कहीं से भी जानने-सुनने को मिलती या कोई बताता तो बबिता की सुन्दरता बढ़ाने के लिए वह उसे तुरंत अपनाती और बबिता पर प्रयोग जरूर करती। बबीता की सुडौल काया के लिए वह उसे व्यायाम और योगा भी प्रतिदिन करवाती। ये सब वह स्वयं भी उसके साथ करती। ध्यान-भजन और व्रत भी नियम से करवाती ताकी बबिता को अच्छा वर जल्दी से जल्दी मिले। कभी-कभी बबीता को इन सबसे चिढ़ हो जाती क्योंकि इन उपायों से कोई विशेष अंतर नहीं आ रहा था। सीमा, बबिता को समझा बुझा कर ये सब कार्य करने को आखिरकार मना ही लेती।

मनोज भट्ट के रिश्तें का समाचार जब मिला तब बबीता को लगा कि अब उसका विवाह हो जायेगा क्योंकि मनोज भट्ट के शुरुआती रूझान बबीता के प्रति सकारात्मक थे। सीमा और तनु को भी लगा की चलो एक बहुत बड़ा कार्य संपन्न होने जा रहा था। बबीता बहुत प्रसन्न थी और अपने भविष्य के नये-नये सपने बुनने लगी थी। 'इसमें क्या हुआ की मनोज शादीशुदा है। उसकी पहली पत्नी गुजर चूकी है। उम्र में बबीता से दस साल बड़ा भी है।'

मनोज ने खुद को इतना फिट रखा था की उसकी फिटनेस से उसकी आयु का अन्दाजा लगाना मुश्किल कार्य था। मनोज इंदौर शहर के एक प्रतिष्ठित माँल का मालिक था। जिसमें पांच सौ दुकानें थी। कुछ दुकानें बिक चूकी थी और शेष दुकानें किराये पर चल रही थी जिससे मनोज को अच्छी-खासी मासिक आमदनी हो जाया करती थी।माँल में मनोज के एक मित्र की पार्टनर शीप थी जो हाॅल ही में दिवंगत हुये थे। उनकी पत्नी को मनोज समय से लाभ का हिस्सा नियम से भिजवा दिया करता था। मनोज के पास धन की कोई कमी नहीं थी। उसे अपने दस वर्षीय बेटे की देखभाल के लिए एक केलव एक मां चाहिए थी। नाते-रिश्तेदारों के अत्यधिक दबाव और बेटे के भविष्य के लिए मनोज दूसरी शादी करने के लिए बमुश्किल माना था। इसमें कोई संदेह नहीं था की वह अपने बेटे से बहुत प्यार करता था। तभी न चाहते हुये भी उसकी भलाई के लिए मनोज ने दूसरी शादी करने का मन बना लिया था। बबीता के लिये ये कुठाराघात किसी सदमें से कम नहीं था, जब उसे पता चला कि मनोज उससे शादी नही करना चाहता बल्की वह तो उसकी और तनु की मां सीमा के लिए विवाह का प्रस्ताव लेकर आया है। वातावरण में एक अजीब सी ख़ामोशी छा गयी थी। सीमा स्तब्ध थी। उसने ऐसा कभी सोचा भी नहीं था। सीमा एक मल्टीनेशनल कम्पनी में रिसेप्शनिस्ट का काम करते-करते मनोज को कब पसंद आ गई उसे एहसास ही नहीं हुआ। मनोज का उस कम्पनी में आना जाना था। जहां अक्सर वह सीमा को देख लिया करता था। सीमा हमेशा अपटुडेट और सांजो श्रृंगार में रहने वाली टैलेंटेड महिला थी। वह जितनी तन से खूबसूरत थी उससे कहीं ज्यादा मन से सुन्दर थी। दो-दो जवान बेटीयों की मां कम बहन ज्यादा नज़र आने वाली सीमा के विषय में सभी जरूरी जानकारी एकत्रित कर एक दिन मनोज ने सीमा के घर आकर सीमा के सम्मुख विवाह का प्रस्ताव रख दिया। जबकी तीनो मां- बेटी ये समझ रही की मनोज, बबिता से शादी करना चाहता है। और उसी का विवाह प्रस्ताव लेकर वह आया है। उन सभी की जब गलत फहमी दूर हुयी तो सीमा ने मनोज से साफ-साफ इंकार कर दिया। और घर से निकल जाने को कहा। मनोज वहां से चला गया। उसके जाने के बाद बबिता और तनु और उनकी मां सीमा किसी शून्य में खो गयीं। उन्हें आपस में भी बात करने में संकोच होने लगा। बबिता के मन में जाने कैसे-कैसे विचार आने लगे। उसे लगा कहीं उसकी मां उसके साथ कोई छल तो नहीं कर रही? उसकी (बबिता) की शादी के पहले स्वयं की शादी करना चाहती है? वगैरह-वगैरह।

तनु अपनी शादी होने में पहले सबसे बड़ी बाधा बबिता को मानती थी लेकिन अब मनोज ने जैसे ही सीमा के लिए शादी का प्रस्ताव दिया वैसे ही तनु के सामने उसकी मां सीमा भी किसी बड़ी पहाड़ी मुसीबत से कम न थी। दरअसल तनु, रवि नाम के एक लड़के से प्यार करती है और उसी से शादी करना चाहती है। सीमा ने उसे साफ-साफ कह दिया था की पहले बबिता की शादी होगी फिर वह रवि और तनु की शादी खुशी-खुशी करवा देगी। मजबूरन तनु मान भी गई थी लेकिन अब उसकी मां की शादी भी एक अतिरिक्त समस्या बनकर मूंह बायें उसके सामने खड़ी थी। यकायक उसने घर से भागने की योजना बनायी और अपने प्रेमी रवि को साथ भाग चलने को बाध्य किया।

"ये तुम क्या कह रही हो, तनु? रवि चीखा।

"ठीक ही कह रही हूं रवि। अब हमारी शादी की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। दीदी की शादी तो पहले ही नही हो रही है उस पर अब मां के लिए शादी के रिश्ते आने लगे है। अगर मैं दीदी और मां की ही शादियां करवाने में उलझी रही तो अपनी शादी कब करूगी? और तुम भी मेरी प्रतिक्षा आखिर कब तक करोगे? कल को तुम्हारे पापा ने तुम्हारी शादी कहीं ओर करवा दी तो? नहीं मैं ये रिश्क नहीं ले सकती। हम आज ही शादी करेंगे, चलो।" तनु ने अपना फैसला सुना दिया।

रवि कुछ सम्भलकर बोला- "ठीक है अगर तुम्हारी यही ईच्छा है तो मैं तुम्हारे साथ भाग चलने को तैयार हूं। लेकिन हम भगोड़े प्रेमी-प्रेमिका को मेरे घर में घुसने नहीं दिया जायेगा।" रवि ने तनु का हाथ पकड़कर कहा।

"तनु, पापा ने मुझे अपने पसंद का जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता दे रखी है लेकिन यह हिदायत भी दी है और मुझसे वचन भी लिया कि पुरे समाज के सामने मेरी शादी बड़े ही धूमधाम के साथ होगी। चोरी छिपे और घर से भागकर की गई शादी को वे कभी स्वीकार नहीं करेगें।" रवि ने कहा।

तनु को समझाने में रवि को समय लगा। तनु को इस बात को भी मानना पढ़ा की बिना घर और दर के सिर्फ प्यार के बल पर उनका जीवन ज्यादा समय तक कुशलता पूर्वक नहीं चल पायेगा। रवि ने तनु और बबिता को अपने पिता से मिलवाया। रवि की मां मालिनी परिहार रवि के बचपन में ही गुजर चूकी थी। रवि के पिता श्याम परिहार ने अकेले ही रवि को पाल पोसकर बढ़ा किया था। रवि अपने पिता का त्याग और समर्पण स्वयं के प्रति जानता था और वह तनु से प्रेम भी करता था। इसलिए उसने तनु को अपने पिता से मिलवाकर अपनी सत्यनिष्ठा दोनों के प्रति जता दी थी।

रवि के पिता श्याम परिहार ने तनु और बबिता को अपने घर पर बुलवाया। उनके साथ जो परिस्थितियां घट रही थी उन्होंने उसका हल सुझाया।

" क्या? ये क्या कह रहे है अंकल आप? मां की शादी ?" बबिता चौंकी।

तनु भी स्तब्ध थी।

श्याम परिहार बहुत ही रोचक किस्म के व्यक्ति है। हमेशा कुछ नया करने और कराने का उपदेश देते रहते है। उनका मानना है कि जब तक आप कूछ नया नहीं करते, दुनियां वाले आपको महत्वपूर्ण नहीं मानते। लोगों में अपनी एक नयी पहचान बनाने के लिए व्यक्ति को कुछ ऐसा करते रहना चाहिए जो भूतकाल में कभी घटित नहीं हुआ हो।

"हां, बबिता । बेटी, तुम्हारी मां ने अब तक अपना पिछला जीवन अकेले ही बिताया है। तुम दोनों के लिए उन्होंने कितना कुछ किया है। मुझे यह भी पता है कि तुम्हारे पिता ने तुम्हारी मां को छोड़कर अन्य किसी महिला से शादी कर ली है सिर्फ इसलिए कि क्योंकि उन्हें संतान के रूप बेटा चाहिये था। सीमा जी ने तुम दोनों को अकेले ही पढ़ा-लिखाकर बढ़ा किया है। उनका संघर्ष तो आज भी जारी है। उन्होंने तुम दोनो बहनों के लिए बहुत कुछ किया है। अब तुम्हारी बारी है।" रवि के पिता ने एक नया मसला खड़ा कर दोनों बहनों के जीवन में भूचाल सा ला दिया था। हालांकि रवि ने तनु और बबिता को अपने पिता के स्वभाव के बारे में बताया था। और यह भी कहा था कि उनकी बातें दिल से न लगाये। दोनों बहनों की मां सीमा की शादी करवाने का विचार यही समाप्त कर दे।

रवि के पिता ने दोनों बहनों को आगे बताया कि सीमा के विवाहित होते ही वे स्वयं तनु और रवि की शादी करवा देंगे।

इसमें कोई संदेह नहीं था कि मनोज नैतिक रूप से सम्पन्न और अच्छे कुटुंब से संबंधित शहर के बड़े परिवार से रखता था। अगर सीमा की उनसे शादी हो जाती है तो यह दोनों परिवारों के लिए यह एक अच्छी बात होगी। तनु और बबिता कशमकश में थे। क्या करे? कैसे करे? इस पर मंथन चल रहा था। आखिरकार उन्होंने अपनी मां के लिए उनका विवाह मनोज भट्ट से करवाने के लिए स्वयं को तैयार कर ही लिया।

इस शादी में सबसे बड़ा कार्य था दुल्हन यानी की सीमा को उसकी स्वयं की शादी के लिए तैयार करना। सबसे पहले तनु और बबिता बाजार में प्रतिष्ठितमाँल में जाकर मनोज से मिले। मनोज दोनों बहनों को अपनी दुकान पर देखकर प्रसन्नता से खिल उठा। आवभगत के बाद तनु और बबिता ने बारी-बारी से अपने विचार मनोज से सांझा किये।

"मनोज जी! आप हमारीमाँम से शादी करना चाहते है यह हम जानते है, लेकिनमाँम आपसे शादी करने को राजी नहीं है। अगर आप हम दोनों को भरोसा दिलाये की आप ममा को हमेशा खुश रखेगें तो हम इस शादी के लिएमाँम को राजी कर सकते है।" तनु ने अपनी ईच्छा जाहिर की।

"हां यह सच है कि आप हमारे शहर का एक जाना-पहचाना नाम है। आप और आपका परिवार इस रिश्तें को अपनाकर निश्चित ही मर्यादित जीवन गुजर बसर करेगा। लेकिन चूंकि हम लड़की वाले है और हम अपनी तरफ कोई संकोच बाकी रखना नहीं चाहते, इसलिए आपको कुछ ऐसा करना होगा जिससे की हमें यकीन हो जाये कीमाँम आपके साथ सुरक्षित रहेगी और खुश भी।" बबिता ने परिपक्वता वाली बातें कही।

***