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नजरिया

नजरिया , ये नजरिया क्या होता हैं ? सब लोगो का अलग होता है । किसी के लिये सिगरेट फूंकना cool होता है तो किसी के लिए खराब आदत । किसी के लिए buisness करना बेहतर होता है तो किसी के लिये 9 to 5 जॉब करना । कोई डॉक्टर बनने की राय देता है तो कोई इंजीनयर बनने की तो कोई किसी ओर प्रोफेशन की । कोई किसी को नफरत करता है तो कोई दूसरा उसी से प्यार करता है ।ये उसी की तरह है जैसे किसीको बेंगन की सब्जी पसंद नही होती तो किसी की फ़ेवरिट होती है ।तो हम हर किसी को दोष नही दे शकते । सब लोग अपनी अपनी जगह पर सही होते है । सबका व्यवहार उनके स्वभाव पर निर्भर करता हैं और उनका स्वभाव उनके भूतकाल पर । भूतकाल हर किसी का अलग होता है । अब बेंगन की सब्जी किसीको क्यो नही पसंद उसकी भी कोई न कोई वजह जरूर होती है ।जैसे कि हम जानते है हर सब्जी बनाने मे मसाले उचित मात्रा दालकर सही तरह से सही वक्त तक उसे पकाया गया हो तो उसका स्वाद उचित होता है । अगर आपने पहले ही तीन चार बाद बिना स्वाद वाली या फिर कुछ अजीब सी बेंगन की सब्जी खा ली हो तो आप का बेंगन से नफरत होने लगती हैं । फिर आप बेंगन देखना भी पसंद नही करते ।क्योकि जब आप बेंगन को देखते है तो पहले खाये हुए स्वाद याद आने लगते हैं ।। यही बात हम इंसानो मैं भी है। हर इन्सान की एक timeline होती है ।उस timeline मैं सब चलते है ।ये भूतकाल पर ज्यादा निर्भर करती है ।जैसे किसी बच्चे को अंकल शर्मा नही पसंद । तो क्यो नही पसंद ? सायद उस बच्चे को पहले uncle शर्मा ने कभी दाट दिया हो ,या फिर उसके फ़ेवरिट रिस्तेदार के बारेमे भला बुरा कहा हो , या फिर उसके सामने अपने बच्चे की तारीफ की हो ( जो कि शर्मा अंकल की फितरत होती हैं ) तो उस बच्चे का शर्मा अंकल को देखने का एक नजरिया बन जाता है ।
हमारा भी वैसे ही सबको देखने का नजरिया होता है ।और उस नजरिये से हैम लोगो को judge करते है । ये ऐसा हैं , ये वैसा है , इसने ये किया ,इसने वो किया ,इसके साथ ऐसा हुआ ,इसके साथ तो बुरा होना ही था , ये नसीबवाला है क्योंकि इसका सबकुछ अच्छा ही होता है ,ये किसीसे बात नही करता ,इसको बात बात पर गुस्सा आता है। अब सबलोग एक जैसे तो नही होते ना! अगर सब लोग एक जैसे होते तो किसीको देखने का नजरिया ही नही होता और नाही हम किसीको judge करते और नाही किसीके साथ हमारे संबंध बिगड़ते । तो हम कर क्या शकते है कि जिससे लोग हमें पसंद करे ? लोगो का हमारे प्रति नजरिया बेहतर बने ।
इसके लिए सबसे पहले हमें अपना नजरिया बदलना होगा । कोई कुछ कर रहा हैं तो उसे judge करने की बजय उसकी वजह कया होगी उसपर ध्यान देना है । अगर वो सही है तो उसकी मदद करनी है और गलत है तो सही राह दिखानी है ।हमे अपनी timeline से निकलकर दुसरो की timeline पर भी नजर रखनी है । कोई बुरा नही होता है ,वो बुरा बनता है, उसकी भी वजह होती है हमे उस वजह को जानना है ।तभी हम उसे सही तरीके से judge कर पाएंगे ।एक दूसरे को जान पाएंगे ।उनकी परिस्थितियों को समझ पाएंगे । और उसकी मदद कर पाएंगे ।
जब इन्सान इन्सान को समझेगा ,तभी तो बदलेगा नज़रिया।

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