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मनचाहा - 20

काव्या- थोड़ा ब्रेक लेते हैं। प्यास भी लगी है कोई पानी पिला दो भाई।
पाखि- हां यार, प्यास के साथ साथ मुझे तो भूख भी लगी है।
रिद्धि- वैसे भी सात बज गए हैं। बाकी की प्रेक्टिस डिनर के बाद करते हैं।
हम सब रिसोर्ट के waiting lounge में आए। वहां पर local TV में न्यूज आ रहे थे कि अभी अभी एक बस खाई में गिरी है। तीन लोगों की मौत हो चुकी है और पैंतिस लोग घायल हुए हैं। सब दुर्घटना ग्रस्त लोगों को नैनीताल की सिविल अस्पताल में ले जाया जा रहा है।
मीना- हमें अस्पताल जाना चाहिए। आखिर हम भी आधे डाक्टर तो बन ही चुके है।
अवि- सब अपने आइकार्ड लाए हैं?

हम जब कभी बाहर जाते तो कोलेज का आईकार्ड साथ रखते हैं। जिस जगह हो वहां पर जरुरत के समय अस्पताल में हेल्प कर सके। सब ने हां में जवाब दिया। यह हम सबके लिए पहली बार इमरजेंसी थी। भविष्य में कभी ऐसा वक्त आएं तो इससे हम कुछ सिख सकते हैं।
काव्या- रिद्धि तुम और रजत घर जाओ हम अस्पताल होकर आते है।
रिद्धि- हम भी साथ ही चलेंगे।
काव्या- दो दिन बाद तुम्हारी सगाई है और घर में शादी भी। तो तुम कहां इन सबमें..
रिद्धि- तो क्या हुआ काव्या। मैं एक डाक्टर बनने वाली हुं। और एक डाक्टर का फर्ज है अपने मरीजों की सेवा करना। मेरी शादी होती तों भी मैं साथ आती।
रजत- I'm proud of you रिद्धि। चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलता हु। घर पर मैं फोन कर देता हुं। सब साथ में चलते हैं।

हम सब ज्यादा देर न करते हुए सिविल अस्पताल पहुंच गए। वहां अफरातफरी का माहौल बना हुआ था। हम इन्क्वायरी काउंटर पर गए। अवि और रविभाई ने अपने आईकार्ड दिखाएं और मरीजों की हेल्प करने की इजाजत मांगी। इन्क्वायरी पर्सन ने मना कर दिया कहा के ऐसे हम किसीको नहीं इजाजत दे सकते। अवि और रविभाई उस आदमी से बहस कर रहे थे तभी उस वक्त अस्पताल के एक डाक्टर वहां से गुजर रहे थे उन्होंने यह बातचीत सुनी। वह इन्क्वायरी काउंटर के पास आए।
डाक्टर- कया बात है राजु, क्या बहस हो रही है इस वक्त?
राजु- सर ये सब...
अवि बीच में ही बोल पडा- सर हम दिल्ली मेडिकल कोलेज में स्टडी करते हैं। यह देखिए हमारे आईकार्ड।
डाक्टर- आईकार्ड साथ में लेकर घुमते हो।
अवि- हा सर, जब कभी ऐसी सिचुएशन आए तो हम सब अस्पताल में मदद कर सके। डा. निरंजन गोयल हमारे डीन है सर, आप चाहें तो उनसे बात कर सकते हैं। वे हम सबको जानते हैं। मैं आपको उनका नंबर दे सकता हुं।
डाक्टर- निरंजन की कोलेज से हो? वह तो मेरा दोस्त है और हम दोनों एक ही बेच के स्टूडेंट थे। वैसे उसका नंबर है मेरे पास। वैसे मैं यहां का HOD हुं, डॉ. ओमप्रकाश मिश्रा।
यह कहकर उन्होंने हमारे डीन सर को फोन किया।
डॉ. ओमप्रकाश- हल्लो निरंजन, में ओम बोल रहा हु।
डीन सर- बोल बोल कैसे याद आ गई आज?
डॉ. ओमप्रकाश- यहां एक बस एक्सिडेंट हुआ है। बस खाई में गिर गई थी तो मैं अस्पताल आया हुं।
डीन सर- ओह! मुझे नहीं पता इस बारे में। कब हुआं यह।
डॉ. ओमप्रकाश- अभी डेढ घंटे पहले। यहां कुछ लड़के लड़कियां आएं हैं जो कह रहे हैं कि तेरी कोलेज के स्टुडेंट्स है। अवि से पूछते हुए, क्या नाम बताया बेटा?
अवि- सर, अविनाश पारेख।
डॉ. ओमप्रकाश- कोई अविनाश पारेख है और उनके फ्रेंड्स।
डीन सर- ओहो, अविनाश! हमारी कोलेज का टोपर है, हमारी शान। और कौन कौन है साथ में?
डॉ. ओमप्रकाश- मैं उसे ही फोन देता हु।
डॉ. ओमप्रकाश ने अवि को मोबाइल देकर बात करने को कहा।
अवि- हल्लो सर! मैं अवि। हम यहां एक शादी अटेंड करने आए हैं। हमने TV पर न्युज देखी और यहां हेल्प करने आए हैं।
डीन सर- कौन-कौन हैं साथ में?
अवि- सर यहां मेरे सिवा रवि, साकेत, राजा, मीना, काव्या, पाखि, नीशा और रिद्धि हैं। हम रिद्धि की बहन की शादी अटेंड करने आए हैं।
डीन सर- अच्छा, ओम को फोन दो जरा।
अवि ने डॉ. ओमप्रकाश को मोबाइल दिया।
डीन सर- देख ओम यह सभी बच्चे मेरी कोलेज के ही है। अवि और रवि दोनों फोर्थ यर और बाकी सब थर्ड यर के स्टूडेंट्स है। और सबके सब हमारी कोलेज के टोपर्स है। अविनाश और रवि पढ़ाई के साल पुरे कर रहे हैं वरना दोनों डाक्टर ही बन गए हैं। तुम सब पर विश्वास कर सकते हो। अब देर न करो और सबको काम पर लगाओ। ठीक है रखता हु कोई काम हो तो बोल देना।
डॉ. ओमप्रकाश- ठीक है मिलते हैं कभी।
सर ने कोल डिस्कनेक्ट कर हम सबको अंदर ट्रीटमेंट देने की इजाजत दी। और राजु जो इन्क्वायरी काउंटर पर था उसे घुरते हुए हमारे साथ वार्ड में आने लगे।

जनरल वार्ड में काफी मरीजों को लेटाया गया था। डॉ. ओम ने वहा के डाक्टरों से बात की और हमें साथ रखने को कहां। वहां के डाकटर ने हमें अलग अलग पेशंट के पास भेज दिया।
अवि और रवि भाई सर्जन डाक्टर के साथ ओपरेशन थिएटर में assist करने गए। मुझे और साकेत को चिल्ड्रेन वार्ड में भेजा गया। राजा और दिशा को जनरल वार्ड में रहने को कहा। नीशा, रिद्धि और काव्या सब डाक्टर को अलग अलग assist कर रहे थे।मीना को उस वक्त एक औरत की डिलीवरी का केस आया था तो गायनेकोलॉजिस्ट के साथ भेज दिया।

सब लोग अपनी अपनी ड्यूटी करने लगे। एक्सिडेंट में पांच बच्चे भी घायल हुए थे। मैं साकेत के साथ चिल्ड्रेन वार्ड ढूंढ कर वहां गई। वहां सब बच्चों को देखकर मैं थोड़ी विचलित हो गई। फिर मेरे फर्ज को याद करके डाक्टर के साथ ट्रीटमेंट में सहयोग करने लगी। उसमें से एक बच्चे की तबियत बिगड़ने लगी। उसे तत्काल आईसीयू में भर्ती करवाया। मुझे देख वहा की नर्स ने रोका तो मेरे साथ जो डाक्टर थे उन्होंने उस नर्स को मेरे बारे में बताया और मुझे उस बच्चे के साथ रहने की हिदायत दी और कुछ हो तो तुरंत बुलाने को कहा। हालांकि अभी मेरा सब्जेक्ट नहीं आया था pediatrics का पर हमें ट्रेनिंग दी जा रही थी तो कोई दिक्कत नहीं थी। यहां के सिनियर और जूनियर doctors मोजूद थे पर रेग्युलर पेशंट्स भी ज्यादा ही थे।

रात के ग्यारह बज गए हैं। अवि और रवि अब तक चार सर्जरी assist कर चुके थे। सब अपनी अपनी जगह ड्युटी कर रहे थे। मैं अभी तक उसी बच्चे के साथ हुं। उस बच्चे की मां को ज्यादा चोट नहीं आई थी, उसके पापा भी आ चुके थे। दोनों बाहर बैठे थे। लड़के की मां बार बार रो पड़ती थी। उनके हसबैंड उसे चुप कराकर दिलासा देते रहते थे। रिद्धि को निशा ने रजत के साथ घर भेज दिया। घायल पेशंट्स में से दो और लोगों की मौत हो गई थी। बाकी सब खतरे से बाहर थे। सिवाय मेरे साथ जो बच्चा था। मेरे सिवा सब फ्रेंड्स फ्री हो गए थे। आईसीयू वार्ड तीसरी मंजिल पर था। वहां सबको आने की इजाजत नहीं थी। कुछ देर बाद उस बच्चे की सांस उखड़ने लगी। मैंने नर्स को डाक्टर को जल्दी बुलाने को कहा तब तक मैंने उस बच्चे के माथे और चेस्ट पर हाथ फिराने लगी। जबतक डाक्टर आते उस बच्चे ने मेरे हाथों में ही दम तोड दिया। मैं कुछ समझ नहीं पाई। डाक्टर ने आकर उसकी नब्ज चेक की पर अब कुछ नहीं था।
जनरल वार्ड में सब फ्रेंड्स इकठ्ठा हो चुके थे।
निशा- पाखि अभी तक नहीं आई। साकेत कहा है वह?
साकेत- एक बच्चे को आईसीयू में ले गए थे, पाखि को उसी के साथ भेजा गया है।
अवि- आप सब बाहर जाइए मै देखकर आता हुं और डॉ. ओमप्रकाश को भी मिलकर आता हुं। उनसे जाने की इजाजत ले आता हुं।
अवि डॉ. ओमप्रकाश से मिलने गया। उन्होंने अवि और उनके फ्रेंड्स के काम को बहुत सराहा। कहा आप सब एक अच्छे डाक्टर जरुर बनेंगे मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है।
उनसे मिलकर अवि पाखि को बूलाने गया।
अवि आईसीयू में मेरे पास पहुंचे। मेरी आंखों का बांध अवि को देखकर टूट पड़ा। जैसे अवि मेरे पास आए में अवि से लिपट कर फूट-फूटकर रोने लगी, साथ में बोलतीं जा रही थी मैं इस बच्चे को मरते देखना नहीं चाहती थी। किसी बच्चे को मरते देखना मेरे बस के बाहर था। उस बच्चे के माता-पिता भी बिलख बिलख कर रो रहे थे। अवि मुझे शांत करा रहे थे।
अवि- तुम एक स्ट्रोंग गर्ल हो, तुम रो नहीं सकती।
मैं रोते हुए- मेरे सामने चन्टु बन्टु के चेहरे आ गए थे। किसी मां का अपने बच्चे को खोना मैं नहीं देख पाई। उसने मेरे हीं हाथों में दम तोडा अवि, मैं कुछ नहीं कर पाई।
मै अभी भी अवि से लिपटकर रो रही थी। मुझे देख जो नर्स मेरे साथ थी वो मेरे लिए पानी ले आई। अवि ने मुझे एक कुर्सी पर बैठाया और पानी पिलाया।

क्रमशः

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