एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर - 5 डॉ अनामिका द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर - 5

सौम्या, रमा, पूनम, रंजना नूतन एक ही college की छात्रा थीं। चारो चार जिस्म एक प्राण, हर जगह साथ जातीं, साथ घुमतीं तस्वीर खिंचवाती.... कभी-कभी तो शरारत ऐसा करतीं की पागलपन की हद पार कर जातीं। पूरा college उनकी शरारत से परेशान रहता। कई बार उन्हें office में बुलाकर समझाया भी गया। चारो अपनी पढाई, अपनी शरारत से लबरेज जिंदगी में इतनी व्यस्त थीं कि उनको खुद भी नहीं पता था आगे जीवन अचानक किस ओर यू टर्न लेगा....." हाहाहाहा"!
और ऐसा हर किसी के जीवन में भयानक और आश्चर्यचकित कर देने वाला यू टर्न आया जिसकी चारो सहेलियों को उम्मीद नहीं थी... सबसे पहले आयी रंजना कि बारी...
बडा़ गजब टर्न था..
एक दिन की बात है रंजना एकदम परेशान लग रही थी
. वह एकदम गुमसुम college में थी...
उसकी भाव भंगिमा कोपभवन की सी फिलिंग्स दे रही थी...
सौम्या ने छेडते हुए कहा...
"क्या बात है लाडो"...?
खैरियत तो है? बड़ी गुमसुम बैठी है...
...... क्यों मजनूं ने राखी बंधवाने की पेशकश कर दी क्या❓
रमा बोली " अरे बोल तो सही.. हुआ क्या है"?
"गुब्बारे की तरह मूंह क्यों फुला रखा है'?
पूनम को गुस्सा आ रहा था इनकी छेडखानी को देखकर.....
बोली " यार समझा करो.. देखो तो सही कितनी उदास है रंजना... ? "
"तुम सब पूछने की बजाए उसकी खिचाई कर रही हो"
हद है यार.....
फिर धीरे से उठकर रंजना के पास बैठती हुई बोली......
क्या बात है रंजना...? बताओ तो ,कुछ परेशान सी लग रही हो......
इतना बोलना था कि रंजना रो पडी और बोली, "यार मेरे भैया ने मेरी शादी तय कर दी है.. ", " सोचा था ग्रेजुएशन करके बीएड करूंगी... "पर ये शादी गले का फंदा बन गया..... "??
अब शादी होगी... पढाई गया गड्ढे में... ?
क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा है....
????
इतने सौम्या बोली.. " देख शादी करने के पहले ही लडके से आगे पढाई की बात कर ले... कहीं पढाई के रूप में प्यार का गुलदस्ता मिल जाए.... "
रंजना बोली, "यार कैसे क्या सोचेगा वो?
सभी सहेलियों के कहने पर वह तैयार हो गई। समय आने पर बात भी हो गई। अब रंजना खुश थी कि उसे ससुराल में पढने मिलेगा। पर उसे इस बात का गम था कि वो अपनी प्यारी सहेलियों से बिछड़ जाऐगी।
जून में उसकी शादी की तारिख तय हुई। उस समय घर से बच्चों को इतने पौकेट खर्च मिलते नहीं थे कि कहीं जाकर पार्टी कर सके। फिर भी अपने बचत खाते में जो जमापूंजी थी उससे कुछ करने के लिए सोचा।
पर नूतन ने तय किया कि वो अपने घर सबको भोजन कराएगी, बाकी बचे हुए पैसों से सब, मिलजुलकर कुछ अच्छा सा गिफ्ट लें लेंगी। नूतन सबसे शांत लड़की थी अपने पंचवटी ग्रुप की। कारण वो पास के गांव से आती थी और बाकी सभी पास के रिफाइनरी कैंपस से... । जब नूतन ने यह ऐलान किया कि कल हमलोग शनिवार को college से आधे दिन की छुट्टी लेकर नूतन के कोठिया गाँव जाऐंगे.. सबके खुशी का ठीकाना न रहा। वैसे 40/50 रूपयों में या तो गिफ्ट हो सकता था या तो पार्टी... सब खुश हुईं... पर समस्या यह थी की एक ही कक्षा में पढने वाली लडकियाँ एक साथ छुट्टी कैसे लें... पर शनिवार में अभी चार दिन बाकी थे तो सबने तय किया कि अपने अपने ढंग से छुट्टी लेंगी सभी सहेलियाँ ,और किसी को कानों कान खबर भी नहीं होगा ,कि सब कहीं जाने वालीं है नूतन का फैसला सबको पसंद आया,और सबने यह तय किया की college के छुटने के समय सभी घर चलीं जाऐ़ंगी, किसी को भनक भी न लगेगा।
अंत में सबने अपनी योजना को अंजाम दिया और जीवन का वह पहला सफर बगैर अभिभावक के अकेले तय हुआ। बडा़ मजा आ रहा था। नूतन किसी सधे हुए गाइड की तरह सबको गाईड कर रही थी। दोनों तरफ हरे भरे खेत। लहलहाती फसलें, हरियाली.. कोयल की कूक, पपीहे की टेर, सरसों का खेत, अलसी के पौधे... स्वर्ग का सुंदर नमूना.. अह्ह्ह्हा... सब कुछ नूतन की वजह से संभव हो सका था... प्रेमचंद जी के बचपन का दृश्य सबको दृष्टि गोचर हो रहा था। हैंड सेट का युग नहीं था, वरना सभी दृश्य अभी तक कैद होते...
परंतु सौम्या उस दिन चुपके से अपनी सरस्वती दी का कैमरा ले आयी थी उसमें सिर्फ 12 तस्वीरें खिंची जा सकती थीं... अब यह तय करना कठिन था कि किस दृश्य को कैमरे में कैद किया जाए... क्योंकि गाँव की अद्भुत छटा देखकर सब हैरान थीं.. पर कुछ नूतन के परिवार की तस्वीरें खिंची गई ,बीच में नूतन ने सबको ट्रैक्टर और तांगा पर भी चढाया.... उस दृश्य को भूल शायद ही वो भूल पायीं होगी....
वहाँ पहूँचने के बाद नूतन की भाभी, ताई जी ने जो आवभगत किया... बाप रे .. गजब का आवभगत था जो फाइब स्टार होटल में लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी नहीं मिलता...ohh My god...
अद्भुत दृश्य... सबकुछ सपना सा लग रहा था... अभी तक तो किसी का ध्यान घडी की तरफ नहीं गया था पर अचानक सबका ध्यान तीन बजे घड़ी पर गया... रेडियो में किसी के घर से धीमी गति का समाचार सुनाई दे रहा था। अब सबने घर जाने की कोताही की... नूतन की ताई जी ने थाली परोसते हुए कहा.. " तुमलोग पहले खा लो.. मैं तांगा से शहर के बस स्टैंड तक तुम सबको भेज दूंगी... शांति से खाओ डरो मत...
खाना... खाना नहीं अमृत था.. पराठे, दही, बूंदी, चने की सब्जी, भींडी का भरवा... आज तक ऐसा स्वाद जबान पर नहीं चढा.....
नूतन ने पहले से ही बता रखा था कि उसकी सहेलियाँ आने वालीं है ं इसलिए उसकी ताई जी ने पहले से ही इंतजाम कर रखा था। खाना खाने के बाद ताई जी कुछ गांव की चीज़ ( पोहा, गन्ना, गुड़, हरा चना, मटर, दही)सौगात के स्वरूप देना चाहतीं थी पर झूठ से परदा हट जाता और अभिभावक के सामने छवि खराब हो जाती। इस डर से सबने मना कर दिया...
ताई जी ने सबको निश्चित समय पर बस स्टैंड तक पहूंचाने
का काम करवा दिया... जाने के पहले सबने रंजना को Make-up box वही ं गिफ्ट दिया.. और जो अश्रु मिलन का प्रसंग हुआ .. ह्रदय विदारक था, क्योंकि नूतन से रंजना की ये अंतिम मुलाकात होने वाली थी... हालांकि सबने ये फैसला किया था कि सब दुनिया के किसी कोने में जाएंगी संपर्क तोडेंगी नहीं...
.... पर ऐसा हुआ नहीं... अब बाकी चारो सहेलियाँ भरे मन से अपने घर आयीं... दुसरे दिन फिर चारो ,पढाई के बहाने मिलीं।
और उन्होंने एक भीष्म प्रतिज्ञा लिया की चाहे शादी के बाद संपर्क एक दुसरे से रख पाऐंगी या नहीं पढाई हर हाल में आगे तक करेंगी... आवश्यकता पडी तो नौकरी भी करेंगी... सौम्या का तो मानना था नौकरी के लिए वो सबसे परमिशन नही ं लेगी। नौकरी कर के रहेगी....
... अपना अस्तित्व बनाएगी.. जीवन मुरझाने नहीं देंगी...
पर अभी उनकी पंचवटी से एक सीता विदा होने वाली थी... बाकी चारो ं की पढाई आगे जारी रहने वाली थी तब तक, जब तक उचित वर नहीं मिल जाता.......
खैर वो दिन भी आया जब रंजना दुल्हन बनकर ससुराल चली गई...
ससुराल में जाने के बाद जब पहली बार मायके आयी तब वह सौम्या से मिलने गई थी.. पर सौम्या को बताया था कि अब शायद उसका,नौकरी और पढाई का वचन अधूरा रह जाऐगा.... क्योंकि ससुराल में इतना काम और जिम्मेदारी उसपर डाल दिया है कि सांस लेने की फुर्सत नहीं... पर मैं अपना इरादा बदलूंगी नहीं... अपने रास्ते बदलूंगी... सौम्या हैरत रह गई....
उसके बाद उनके पंचवटी से दुसरी सहेली विदा हुई...
.. उसकी झलक.... अगली कहानी में...
#Dr. Reena sinha" Anamika"