अब नहीं सहुंगी...भाग 5 Sayra Ishak Khan द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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अब नहीं सहुंगी...भाग 5

पिछले पार्ट में देखा.... 
शैली अपने काम में बिजी हो गई तभी उसे ऐसा लगा कि उसके कंधे पर किसी का हाथ था उसने मूड के देखा तो उसका बॉस बोला क्या हुआ डरो नही अपना काम करो में बस देख रहा हूं तुम काम ठीक से कर सकती हो या नहीं ओर वो शैली को अन चाहे तरीके से छू रहा था...!

ये कहानी ऐसी महिलाओं की है जिसे ऑफिस में उन लोगो के सामने समझौता करना पड़ता है जो हवस अपनी आंखो में ले कर चलते है ओर लड़की उनकी नजर में लड़कियां हवस मिटाने की चीज होती है..!
अब आगे.....!
                             भाग...5

शैली सहेमी हुई ओर कंपती हुई अपना काम किए जा रही थी! उसका बॉस उसे नर्वस किए जा रहा है! कभी काम के बहाने हाथ पकड़ता था कभी समझाने के बहाने उसके बदन को छूता! शैली अपने घर की परेशियो से बेहाल थी!
शैली एक दम से उठ खड़ी हुई !
और वो बोली! 
"सर में पानी पी कर आती हूं ! बहाना बना कर शैली बाहर तो आ गई लेकिन कुछ पल के लिए ! वो किसी को कुछ बोल भी नहीं सकती थी ! क्यू की ऑफिस का पहला दिन ओर ये सब ! 
शैली फिर से ओफिस में आई ! तभी उसके बॉस ने सोनू को कॉल किया!
" सोनु कैसी लड़की को पकड के लाया है जिससे ठीक से काम भी नहीं होता! सुनो में ऐसी किसी लडकी को जॉब पर नहीं रखता ! तुमने बोला तो शैली को जॉब दे दी ! अब ठीक से काम नहीं करेगी तो में नहीं रख सकता !  तुम कोई दूसरी लड़की का इंतजाम करो! शैली को सुना कर ये सब बाते की ताकी शैली डर जाए ! ओर अपनी आवाज़ बंद रखे! कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहता ! 
वो शैली का हर तरह से शोषण करने लगा!  कभी उसका हाथ पकड़ के अपने पास बैठाना कभी उसकी कमर को जोर से पकड़ना ! ओर कभी तो उसे ऐसी जगह छू लेना जहां बेशर्मी की हदे पार होती है !
काफी समय तक ऐसा ही चलता रहा!
अब बॉस ने एक दिन शैली को कहा!
" मुझे दो दिन के लिए बाहर जाना है ऑफिस की एक मीटिंग है!"
शैली को लगा दो दिन के लिए वो सेफ है! लेकिन उसने शैली से कहा! 
"शैली कल अपना बैग साथ लेकर आना हमे ऑफिस के बाद  निकलना है दिल्ली के लिए! ओर हा घर में बोल कर आना की ऑफिस के काम से बाहर जाना है! 
शैली का दिल दिमाग सांय सांय होने लगा! पता नही अब मेरे साथ क्या होने वाला है? डरी हुई शैली जैसे के तेसी खड़ी रही उसके बॉस अनुज ने कहा ! 
" आर यु ओके ना शैली?"
डरते हुए उसने 
"यस.. आई एम ओके ! "
कह कर बाहर आई!
वो केबिन से बाहर खड़ी कुछ सोच रही थी! तभी उसने देखा एक लकडा़ जो उसी ऑफिस में काम करता है! वो उसे ही देख रहा था! शायद उसे शैली कि हालत का अंदाज़ा भी था! क्यू की ऑफिस में जो चलता है उससे वो काफी हद तक वाकिफ था ! लेकिन वो शैली को बस देख रहा था! उसकी हिम्मत नहीं हुई की वो शैली से बात करे ! शैली अपने काम में बिज़ी हो गई! ओर सोचती रही ! अब क्या होगा?
शाम को जब घर आई तो अपने रूम में क बंद हो गई! और रोने लगी ! लेकिन करे भी तो क्या ? उसकी मजबूरियां जो उसे घेरे हुआ अभी जॉब छोड़ ना चाहे तो कैसे? 
15,000 एडवांस जो लिए है वापस कहा से करेगी ? बहुत मजबूर थी ओर खुद को समझाते हुए उसने आंसू साफ किए! ओर अपना बैग पैक किया! सुधा ने देखा तो पूछा !
"शैली बैग पैक क्यू किया ?"
शैली बोली !
"मां मुझे सर के साथ ऑफिस के काम से बाहर जाना है! कल शाम में ऑफिस से निकल जाएंगे दो दिन के लिए ! 
सुधा ने कहा!
" शैली बाहर जाना तेरा ज़रूरी है क्या? बॉस को बोलो किसी ओर को साथ ले जाए ! 
शैली ने कहा!
"मां मीटिंग की सारी फाइल में ही देखती हू ! इस लिए मेरा जाना ज़रूरी है!
उसने सुधा को समझाते हुए कहा! बस दो दिन की तो बात है ! आप फिक्र ना करो में संभाल लुंगी ! 
बच्चे कितने भी बड़े क्यू ना हो जाए मां की फिक्र कभी कम नहीं होती! अब शैली ऑफिस जाने के लिए तैयार थी !
मन किया ना जाऊं! पर कोई ओर रास्ता नहीं था शैली के पास ! अब वो अपने पापा से मिल कर चली गई !
ऑफिस में कुछ काम बाकी थे जो शैली ने आते ही पूरे किए !
अनुज आज सुबह ऑफिस नहीं आया था!  शैली ने आराम से अपने काम खत्म किए! शाम के 5 बजे शैली को कॉल आया कि सारी फाइले ले कर बाहर अजाओं! में गाड़ी में वेईट कर रहा हूं ! शैली ने ऑफिस की बैग ली ओर गाड़ी में आकर बैठ गई! अब ये दोनों एरपोर्ट के लिए रवाना हुए! कुछ ही देर में फ्लाईट थी! दोनो शाम के 6 बजे कुछ ही समय मे दिल्ली पहुंचे!
फाईव स्टार होटल में अनुज ने रूम बुक करवाया था! शैली के लिए अलग रूम बुक किया था ! ये देख कर शैली को सुकून मिला कि ये  ठीक किया लेकिन होना तो कुछ ओर ही था जिसका अंदाज़ा शेली को नहीं था.....!!!"

क्रमशः

                    ******सायरा खान*******