अब नहीं सहुंगी...भाग 1 Sayra Ishak Khan द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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अब नहीं सहुंगी...भाग 1

हल्लो दोस्तों...
मैं एक बार फिर से आप लोगो के सामने एक नई कहानी लेकर हाजिर हूं ! 
मुझे उम्मीद है ,आप सभी को मेरी ये कहानी भी पसंद आएगी! 
मेरी कहानी ऐसी फिमेल पर है जो ऑफिस वर्क करती है! ओर उनको कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं !
कहानी का शिर्षक है...! "अब नहीं सहुंगी"... 

       अब नहीं सहुंगी...भाग 1

ये कहानी दो सहेलियों की है !
शैली ओर नूर जो स्कूल टाइम से दोस्त है!
उनकी दोस्ती बहुत प्यारी ओर सच्ची है ! 
अपने सारे सुख़ दुःख एक दूसरे से बाट लेती है! 
उनको किसी तीसरे दोस्त की जरूरत ही नहीं पड़ती थी! हर काम वो दोनो ही एक दूसरे का साथ दे कर करती थी! 
बस उनकी यही खासियत उनकी फैमिली को भी अच्छी लगती थी! 
उन दोनों पे कोई रोक टोक नहीं थी!  घूमना फिरना किसी बात से दोनो को नहीं रोका जाता था!  शैली के पिता राणा जी एक ऑफिस में जॉब करते थे! और नूर के अब्बू हैदरसाहब अोटो(रिक्षा) चलाते थे! 
दोनों के मां बाप ने मुश्किलें उठाई फिर भी नूर ओर शेली को पढ़ाया! 
वो जानते थे कि अाजके टाइम में लड़कियों को अच्छी शिक्षा देना ज़रूरी है!
वो दोनो ही अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी थी !
घर पर नूर का एक भाई था! 
जो नूर से छोटा था, और शैली कि एक बहन थी, जो शैली से सी छोटी थी! 
वक़्त के साथ बच्चो के खर्च भी बढ जाते है ओर अामदनी वहीं की वहीं थी!
इसी हालत को देखते हुए पढ़ाई पूरी कर चुकी शैली ने कहा!
"पापा मुझे जॉब करनी है!  मेरे जॉब करने से घर खर्च में थोड़ी मदद हो जाएगी! 
राणा जी ने कहा! 
"नहीं बेटा ..आजकल का टाइम अच्छा नहीं है लड़कियों के लिए..! तुम घर में ही हमारी आंखो के सामने ठीक हो..! तुम्हे पढ़ाई पूरी करनी थी, हमने नहीं रोका, लेकिन अब जॉब के लिए में इजाज़त नहीं दुंगा..! 
पापा की बात सुन कर शैली ने मायुस होकर ऐक बार और रीक्वेस्ट करते  बोली!
" पापा सोचो.. आपकी एक छोटी बेटी भी है! कल उसे भी हर चीज की जरूरत पड़ेगी! ओर आप उसके लिए भी मुश्किले उठाओगे!  जैसे मेरे लिए उठाई ! लेकिन अब मै आपका सहारा बनना चाहती हूं ! पापा थोड़ा सोचो..  हर जगह.. हर इंसान बुरे नहीं होते..! जब में कॉलेज जाती थी सब रिश्तेदार उल्टी सीधी बाते करते थे, तब अापने ही तो कहा था ना दुनिया कैसी भी हो मुझे मेरी बेटी पे भरोसा है, तो पापा अब क्या वो भरोसा मुझे पे नहीं रहा आपको..?
राणाजी ने शेली की ओर देखा!
  कहा !
"बेटा तुझ पर पूरा भरोसा है!  लेकिन दुनिया वालो पर नहीं! ओर मैं दुनिया देख चुका हूं! 
पढाई तक ठीक था, नहीं नहीं जॉब नहीं !!"
शैली के पापा राणा जी ने गुस्से से देखा कहा!
"बस बोल दिया मैने ! अब कोई बहस नहीं चाहिए मुझे!
इतना सुनते ही शैली चुप हो कर अपने रूम में गई!
और रोने लगी!  तभी उसकी मां सुधा उसके  पास आई!  बोली !
शैली पापा की बातो का दिल पर ना लेना! वो बाहर रहते है ये सब देखते है, ऑफिस में लड़कियों से कैसे व्यवहर होता है! बस इसलिए मना किया!"
" लेकिन मां तुम भी तो सोचो घर में कैसे हालत है! मेै बड़ी हूं ,समझती हूं सारी बाते! लेकिन गुनगुन का क्या वो तो छोटी है! और वो जब  किसी चीज की जिद्द करती है  पापा उसे नहीं दे पाते तब गुनगुन से ज़्यादा पापा को तकलीफ़ होती है! देखा है मैने उनको उस वक़्त उदास होते! 
शैली इतना बोल के चुप हो गई थी !
तभी सामने से नूर आ गई ! नूर ने देखा कि मां बेटी में कुछ बाते चल रही है ,तो दूर ही खड़ी हो गई! शैली ने देखते ही कहा!
" अरे नूर तू दूर क्यू रुक गई ?आओ ना यहां..!!
नूर ने कहा!
"नहीं मुझे लगा आप दोनों में कुछ बात चल रही है, तो मुझे बीच में आना अच्छा नहीं लगा! 
सुधा ने कहा !
" शैली और तुम मेरे लिए एक जैसी हो! इस घर की कोई भी बात तुम से छुपी नहीं है ! तुम हमारे घर की ही सदस्य हो ! आओ तुम दोनों बाते करो!  में काम देख लेती हूं !
नूर ओर शेली दोनो बैठ गई !
शेली ने नूर को सारी बाते बता दी! नूर शैली कि बातो से सहमत थी, लेकिन उसने यही कहा कि पापा की मर्ज़ी बिना तुझे जॉब नहीं करनी है , क्यू की मां-बाप हमारा अच्छा सोचते है, ओर रही बात घर की परेशानी की तो वो तो तू और में बचपन से समझते है! और वैसे भी तुझे पता है, हम दोनों कुछ सोचे तो कर के ही दम लेते है! थोड़ा टाइम होने दे पापा मान जाएंगे! 
फिर दोनो बातो में उलझ गई! 
और हसी मज़ाक चलता रहा.....!!!

क्रमशः

              ********सायरा खान*********