डर - भाग - 1 सीमा कपूर द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अपराध ही अपराध - भाग 24

    अध्याय 24   धना के ‘अपार्टमेंट’ के अंदर ड्र...

  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

श्रेणी
शेयर करे

डर - भाग - 1

एक ऐसी कहानी जो आधी रात के साए से गुजर रही हैं,,
   कोई साया तो नहीं ना मेरे आस-पास यही सोच कर दिल 
धक धक होता हैं__
एक महिला नाम(शा़मा)जो अकेले रहा करती थी उसके साथ कोई नहीं रहा करता था। नौकरी की तलाश में उसको इधर उधर जाना पड़ता था, उसे किसी मकान की तलाश थी जिसका किराया कम हो जो बजट में हो,उस ऐसा एक मकान मिल भी गया था...पर जो मकान उसे मिला वहां कोई रहना पसंद ही नहीं करता था।।
कम पैसो में मिल रहा था तो लेने का मन भी बना लिया शा़मा"ने उस मकान के आस पास रहने वाले लोग शा़मा" को समझाने लगे बेटा यहा मत रहो इस मकान में कोई नहीं रहता जब भी कोई रहने आया उसके साथ कोई ना कोई घटना घटती ही रहती थी अधिक समय तक यहां कोई नहीं रह सका वह सब तो परिवार वाले थे।
परंतु तुम तो अकेली हो चली जाओ यहां से तुम इस मकान पर किसी बुरी आत्मा का साया हैं,शा़मा" किसी भी अंधविश्वास पर यकिन ही नहीं करती थी___उसने किसी की भी बात पर यकीन ही नहीं किया और मकान के अंदर चली गई ,मकान साफ़ था और उसे अच्छा भी लगा।
वहा अपना सार सामान अलमारी में रख कर नहाने जा रही थी / तभी अचानक उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी / वह जैसे ही इधर उधर देखने लगी खिड़की से बाहर झाकने और कमरे से बाहर भी देखने पर उसे कुछ नहीं दिखाई दिया,,,फिर वह नहाने चली गई ।।
बहुत ही सुकून लग रहा था उसके चहरे पर कम पैसो में साफ़ सुथरा मकान जो मिल गरा था...वह जैसे ही नहा कर बाहर आई तो उसे जोर से भुख लगने लगी बस अब उसे खाने को कुछ भी चाहिए था ,उसने सोचा अब तो कुछ ना कुछ बनाना ही पडे़गा,जैसे ही शा़मा"रसोई की और जाने लगी--एक तेज हवा का झोका उस के पास से गुज़रा तब वह हैरान हो गई--उसे अचानक से बदबू सी आने लगी बार बार उसे ऐसा महसूस हो रहा था की कोई तो साया हैं ,जो उसके साथ साथ चल रहा हैं। पर वह तो आत्माओं पर विश्वास ही नहीं करती थी,,,अब शाम होने लगी खाने के सामान के लिए वह घर से बाहर निकली ,तो लोग उसे देखने लगे और कुछ तो समझाने भी लगे की उस मकान को छोड़ दो बेटी वो मकान किसी को भी आज तक फला नहीं।
शा़मा"ने बस सब की सुनी किसी से कुछ कहा नहीं अपना सामान लेकर घर आई ,दरवाजा खोला और देख कर हैरान ही रह गई......उसका सारा सामान बिखरा पडा़ था उसे मोहल्ले के लोगो पर ही श़क हुआ क्योंकी वह सब मकान में से निकलने के लिए जो बार बार कह रहे थे,,उन्ही लोगो ने ही ऐसा काम किया होगा,
अब रात भी होने को थी,शा़मा"शाकाहारी थी अब वह खाने को रसोई में जाकर कुछ ना कुछ बनाने लगी ,उसे अचानक से ऐसा लगा की जैसे की उसके पीछे कोई खडा़ हैं__उसने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा उसे कोई नहीं दिखा _____?