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गैंगटॉक की रोमांचक यात्रा

आज की सुबह  हमारी होटल ग्रैंड सिल्क रुट  ,अरिथांग गैंगटॉक, सिक्किम में हुई  सुबह आज 6 सीटर जाइलो कार  नंबर 8 द्वारा चांगु बाबा मंदिर में 6 साथियो के साथ घूमने 9 बजे निकल गए। changu होटल से करीब 55 किलोमीटर  की दूरी तकरीबन 2 घंटे में तय करने का अनुमान हमें हमराही ड्राइवर ने बताया।सुबह का मौसम तीखी धूप के साथ शुरू हुआ,मौसम और आसमान बिल्कुल साफ था , रास्ता दुर्गम था लेकिन कुशल ड्राइवर ने बहुत संकरा और तीखे मोड़ पर बहुत ऊपर तक कि चोटी तक ले गया ,मेरी साथ कुछ समय के लिए फ़ेसबुकिया मित्र मनीष सिंह उन्नाव ,मुनेश सक्सेना अलीगढ़,से जयपुर कैलास जी से अमानुतुल्लाह अंसारी,आमिर भाई ग़ाज़ीपुर से साथ मे थे। हम सारे 2nd mile (दुमिल)पर इक्कठा हुए। जँहा से हम अब अपनी कार नंबर 12 से अपने सभी  ग़ाज़ीपुर साथी डॉ राकेश गुप्ता जी,डॉ ओंकारनाथ ,अमानतुल्लाह जी, आमिर अली, जयपुर के साथी कैलास जी, और मैं खुद राधेश्याम केसरी, अपने टूर परमिट के साथ चाइना के सटे बार्डर तक बर्फ और पहाड़ों को देखने ऊपर तक चल निकले ऊपर जाने के समय बताया गया कि आप ऑक्सीजन की कमी महसूस करते है ,तो लंबी सांस लेंगे,साथ मे चॉकलेट और कार्नपाप  साथ में ले ले। ऊपर की ऊंचाई पर हर समान महंगा मिलेगा।

 हम सारे अमूल्यन्स गंगटोक के 2nd mile के पास स्थित चेक पोस्ट पर सेना और सिक्किम पुलिस द्वारा अपनी गाड़ी और अपना id  प्रूफ चेक कराने के बाद नाथुला करीब समुद्र तल से 14600 फिट की ऊंचाई की तरफ निकल पड़े । जो मनाली की ऊंचाई से लगभग दूनी है।बताते चले कि इसी नाथुला दर्रे से होकर चीन में स्थित पवित्र मानसरोवर की यात्रा हमारे तीर्थयात्री करते है।इसी रास्ते से चीनी यात्री व्हेनसांग,और फाह्यान भी आये थे जो पेशावर तक गए, इसी रास्ते से चीन  अपना व्यापारिक संबंध भारत से रखता था और वर्तमान में रखता है।   प्राचीन काल मे इसी रास्ते से चीन में कोकून(रेशम के कीड़े)से पैदा होने वाला रेशम भारत,
अफगानिस्तान, इराक तक जाता था इसके बदले में चीनी यात्री सूखे मेवे,और सोना ले जाते थे। इसी लिये प्राचीन काल मे इस रास्ते को ग्रैंड सिल्क रुट का माम् भी दिया गया। इसे रास्ते से महामानव गौतम बुद्ध का संदेश बौद्ध भिक्षुओं द्वारा  चीन और अन्य पूर्वी देशों में गया।सिक्किम में आज बहुत ही ज्यादा बौद्ध अनुवायी है। 1975 से पहले सिक्किम एक स्वतंत्र देश था।जिसे इंद्रा गांधी जी ने अपने साथ मिला लिया और अपना राज्य बना लिया।हम सभी अमूल्यन्स की संख्या तकरीबन 105 की थी, काफिले में लगभग 15 से 16 गाड़िया भी थी।अमूल्या हर्ब्स इस टूर काफिले में कम्पनी  मैनेजमेंट,टूर मैनेजर,कंपनी  का अपना फोटोग्राफर,
पवन सैनी सर ,सुनील देवगन सर,मुकेश सर,और साथ में हमारे एम.डी. सर भी हम सभी के साथ थे। रास्ते मे हर जगह बीआरओ का चेकपोस्ट हमारी सेना के स्थायी पड़ाव थे,जगह जगह हमारे जाबांज सैनिकों ने देश की सुरक्षा के दुर्गम और कठिन सर्द मौसम में मुस्तैदी से लगे हुए थे।जगह जगह रास्तों को सुगम बनाते के लिए जुड़े वँहा के मजदूर,महिलाएं और कर्मचारी भी देखे।
     हम सभी कुछ समय के 13वें mile पर रुक कर चाय ,लघुशंका, प्रशाधन,आदि कार्य निपटाने के बाद हम तकरीबन 1 बजे बाबा संत हरभजन सिंह के समाधि स्थल पर नाथुला पहुचे जो नाथुला चेक पोस्ट से करीब ही है। वहां मान्यता है कि बाबा हरभजन सिंह सीमा की सुरक्षा में मुस्तैद सैनिकों के लिए मार्गदर्शन आज भी करते है,उनके समाधि पर जल चढ़ाने की परंपरा है।और मांगी गई सभी तरह की मुराद पूरी हो जाती है,लेकिन शर्त यह है कि आप 1 माह तक मांस मदिरा का सेवन नहीं करेंगे।
हम सभी सैलानियों ने भी प्रसाद  ग्रहण किया और जल चढाया।वहां फहराए गए सबसे ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज को हमने देखा और सेल्फी भी ली,और फिर अमूल्या हर्ब्स की तरफ से ग्रुप फोटोशूट भी हुआ।तकरीबन 1 घंटे रहने के बाद ग्रुप काफिले में नीचे की और लौट चला, करीब 1 घंटे बाद हम सभी झील के पास फ़ोटो सूट किया गया ,कुछ साथियो ने याक बैल की सवारी का लुफ्त लिया। करीब 3 बज रहे होंगे ,ठंड बढ़ चली थी,लेकिन रुक कर हम सभी ने बर्फ को हाथों से उठा कर फेकना और फिसलना भी किया कुछ फोटो भी खींचे। सायं हम सभी अपने होटल द ग्रैंड  सिल्क रुट लौट आये। हल्के से नास्ते के बाद हम सभी कंपनी की 5 बजे से 9 बजे तक चलने वाली मीटिंग का हिस्सा बने।जिसमे सर्व प्रथम हमारे एम. डी सर ने हम सभी को अड्रेस किया, पवन सैनी सर ने हमे कामयाबी के तरीके बताये, और कहा कि लीडर बनने से अच्छा  एक अच्छा मेंटर बनें साथ मे हमे लीडर और मेंटर का अंतर भी बताया,और उसके 10 पॉइंट्स को निर्देशित किया,अंत मे पावर ऑफ सिक्स को फोकस किया और कहा कि आप सारे थाईलैंड टूर भी अचीव करें।
   12 दिसम्बर 2018 आज सुबह हम तड़के हल्का फुल्का नास्ता करके गैंगटॉक के ग्रैंड सिल्क रुट होटल से  करीब 85 किलोमीटर दूर अपनी 17 कारो के काफिलों के साथ दक्षिणी सिक्कम के नामची जिले में स्थित सिधेश्वर चार धाम के दर्शन के लिए Rampoo,Namthangbanjang,सोलोफोक majhitar ,पुंर्णव,शांतिनगर,sangkhola होते हुए सारे लोग गए। रास्ते  में गंगटोक से 45 किलोमीटर की दूरी पर bichung में एक  स्टेडियम भी बन रहा है
नामचीन का रास्ता बहुत ही कठिन बहुत ही ऊंचाई पर स्थित है। कुशल टैक्सियों के ड्राइवर बहुत ही काबिले तारीफ थे। उनकी जितनी प्रशंशा की जाय कम है। नामची के चारधाम मंदिर द्वादशशिवलिंग की प्रतिकृति विशाल शंकर जी की प्रतिमा और चारो ओर हरियाली चिकनी सीढ़ियों के साथ खुबसूरत पुष्प के मनमोहक नजारे, 50 रुपये का टिकट लेकर मंदिर में पहुंचना बहुत ही शानदार ही अनुभव रहा।शिवमंदिर के चारों ओर  भारत के चारोधाम की प्रतिकृति  अनुरूप मंदिर बने हुए थे। हमने  पहले से ही मंदिर में चढाए गए प्रसाद को काउंटर से 100 रुपये देकर खरीद लिया। मंदिर  के निर्माण के बारे में जब मैंने मंदिर के पुजारी से बात की तो उन्होंने ने बताया कि इस मंदिर के सभी पुजारी बनारस के वेदपाठी है,आगे बताया की मंदिर के पुजारियों को तनख्वाह सरकार देती है।इस मंदिर का निर्माण सिक्किम के
मुख्यमंत्री श्री पवन चामलिंग ने अपने पर्शनल इंटरेस्ट से सिक्किम के जनता के दर्शनार्थियों के लिए बनाया। आज पूरे देश से पर्यटक सिक्किम घूमने जाते है तो चारधाम जरूर जाते है।इस मंदिर के नामकरण और प्राणप्रतिष्ठा  शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने की थी। रास्ते मे लौटते हुए हम सभी अमूल्यन्स होटल ब्लू tamrind में दोपहर का भोजन लिया।उसके बाद हम सभी  अपने होटल लौट  आये।1घंटे पश्चात सभी भाग लेने वाले अमूलंयन्स को गैंगटॉक टूर का प्रमाणपत्र भी वितरित किया गया।ततपश्चात गाला पार्टी के साथ डांस का आयोजन हुआ था।जिसमे उछलने कूदने ,नाचने इत्यादि का भरपूर आनन्द लिया गया।
और यह निर्देश दिया गया कि अगले दिन यानी  13/12/2018 को हमें हर हाल में  8 बजे तैयार होकर होटल चेक आउट कर देना है।जिससे कि हम सही समय पर दिल्ली जाने वाला जहाज पकड़ने के लिये बागडोगरा जा सके।
डॉ राधेश्याम केसरी
ग्राम,पोस्ट- देवरिया
जनपद:- ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)
232340
मोबाइल 94158645


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