गोवा की तीन रातें Radheshyam Kesari द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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गोवा की तीन रातें

अमूल्या हर्ब्स के साथ काम करते करीब 3 साल बीत गए थे। छोटे छोटे कई टूर अचीव करने बाद कंपनी का एक बड़ा टूर मेरे हिस्से में आया, वह था हवाई जहाज द्वारा गोआ की तीन रात चार दिन की यात्रा। 8 मई 2018 का वह दिन मेरे जिंदिगी का अद्भुत और अनोखा दिन था।मन में एक बेचैनी थी गोआ के रोमांचक हवाई यात्रा की, जिसकी शुरुआत इंद्रागान्धी इंटरनेशनल एयरपोर्ट नई दिल्ली से शुरू होने वाली थी। 6 मई 2019 की रात्रि में मैं और मेरे ग़ाज़ीपुर के कई साथी जिनमें अल्ताफ़ हुसैन अंसारी, सुरेश यादव,केदार सिंह मौर्य,अनंत कुमार वाराणसी से ट्रेन द्वारा 1 दिन पहले ही दिल्ली चले गए। हम और अल्ताफ़ जी मेरे ही गांव के दिल्ली में रहने वाले श्री टी.एन. चतुर्वेदी के रोहणी सेक्टर 17 के यहाँ मेट्रो पकड़ कर चले गए। चौबे जी के साथ हमारे परिवार का आत्मीय संबंध है।
आदरणीय चतुर्वेदी जी ने रहने के लिए वातानुकूलित रूम दे दिया खाने नहाने का उचित प्रबंध था ।सुबह 6 बजे चतुर्वेदी जी के बड़े बेटे ने ओला कैब बुक करके मंगा ली थी। कैब द्वारा हम हवाई अड्डे पहुंचे,वहां यूपी, बिहार ,पंजाब,हरियाणा,
राजस्थान और दिल्ली के सभी साथी पहुंच गए थे। वहा मेरे परचित रामनरेश वर्मा जो पैर से दिव्यांग है को देखकर अति प्रसन्नता हुई। एयरपोर्ट पर खूब फोटोग्राफी हुई ,क्योंकि हवाई यात्रा पर जाने का जो रोमांच जो था। सबके साथ सेल्फी और फोटोशूट हुआ। सभी लोग दो विमान से गोआ गये।हम लोग की दूसरी फ़्लाइट थी जो लगभग 3 बजे उड़ी और 2 घंटे 15 मिनट बाद गोआ एयर पोर्ट पर लैंड कर गयी। भगवान का शुक्र मनाया की हम सकुशल धरती पर लौट आये। ज्यों ही हमने मोबाइल निकाल कर फोटो खींचने का विचार किया, तब तक कान में आवाज़ सुनाई दी, "यात्रियों आपका गोआ एयर पोर्ट पर स्वागत है, यहाँ पर फ़ोटो खीचना सख्त मना है। यह हवाई अड्डा सैन्य गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है।"
मन मार कर बाहर निकले बाहर हमे होटल तक ले जाने के लिए बसें तैयार थी। हमारे अमूल्या हर्ब्स के लीडर सुनील देवगन सर हमारे साथ थे।
हमारे कंपनी ने समुन्दर के किनारे ही "सन शाइन" नाम का खूबसूरत रिसार्ट ले रखा था। रिसार्ट और समुन्दर की दूरी इतनी की दिन भर में दस बार आओ जाओ कोई फर्क न पड़े।
होटल पहुँचते ,पहुंचते रात के करीब 8 बज गए । उस दिन भोजन करके सोना ही था, सो सोच गया क्यो न रात में समुन्दर की रेत पर जाकर चमचमाती रोशनी में कानफोड़ू डी जे का आनंद लिया जाय। हमारे रूमपार्टनर अल्ताफ़ जी,और बिहार के दीपक शर्मा तीनो ने समुन्दर की रेत पर चांदनी रात में खूब आनंद लिया।
तीन हसीन रातें मेरे जिंदगी की गोआ में कैसे कट गयी मुझे पता ही न चल पाया। हर सुबह नाश्ते के बाद कंपनी की गाड़ी रेशोर्ट पर लग जाती और प्रतिदिन एक नए जगह घुमाने ले जाती थी। रात में गोआ के समुद्री स्ट्रीट का मंजर बैंकॉक से कम नही था।
जहां चमचमाती रोशनी में बार में डांस करती बार बालाएं और सैलानी कपल खूब मस्ती करते दिखाई पड़ते। कभी कभी मन बहक जाने को होता, लेकिन अपनी मर्यादाएं और संस्कृति ऐसा न करने की हिदायत जरूर देती। हमनें वहां के मार्केट से घर के लिए काजू, टॉफियां और जैम भी ले लिए थे।
अब आते है गोवा के इतिहास, भूगोल, संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहरों के जानकारी पर जो वहां जाने पर प्राप्त हुआ।
गोवा क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा
राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने खूबसूरत समुंदर के किनारों और मशहूर स्थापत्य के लिये जाना जाता है। गोवा पहले पुर्तगालका एक
उपनिवेश था। पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 सालों तक शासन किया और दिसंबर 1961 में यह भारतीय प्रशासन को सौंपा गया।महाभारत में गोवा का उल्लेख गोपराष्ट्र यानि गाय चरानेवालों के देश के रूप में मिलता है। गोवा को बाद में कहीं कहीं
गोअंचल भी कहा गया है। अन्य नामों में गोवापुरी,
गोपकापाटनऔर गोमंत
प्रमुख हैं। अरब के मध्युगीन यात्रियों ने इस क्षेत्र को चंद्रपुर और चंदौर के नाम से इंगित किया है जो मुख्य रूप से एक तटीय शहर था। जिस स्थान का नाम पुर्तगाल के यात्रियों ने गोवा रखा वह आज का छोटा सा समुद्र तटीय शहर है। बाद में उस पूरे क्षेत्र पर पुर्तगालियों ने कब्जा कर किया।
जनश्रुति के अनुसार गोवा जिसमें कोंकण क्षेत्र भी शामिल है (और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक बताया जाता है) की रचना भगवान परशुराम ने की थी। कहा जाता है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणो की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था और लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि हैं। उत्तरी गोवा में हरमलके पास आज भूरे रंग के एक पर्वत को
परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।
गोवा के लंबे इतिहास की शुरुआत् तीसरी सदी ईशा पूर्व से शुरु होता है जब यहाँ मौर्य वंश के शासन की स्थापना हुई थी। बाद में पहली सदी के शुरुआत में इस पर कोल्हापुर के
सातवाहन वंश के शासकों का अधिकार स्थापित हुआ और फिर बाद के चालुक्य
शासकों ने इस पर वर्ष 580 से 750 तक राज किया। इसके बाद के सालों में इस पर कई अलग अलग शासकों ने अधिकार किया। वर्ष 1312 में गोवा पहली बार दिल्ली सल्तनत के अधीन हुआ लेकिन उन्हें
विजयनगर के शासक
हरिहर प्रथम द्वार वहाँ से खदेड़ दिया गया। अगले सौ सालों तक विजयनगर के शासकों ने यहाँ शासन किया और 1469 में
गुलबर्ग के बहामी सुल्तान द्वारा फिर से दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बनाया गया। बहामी शासकों के पतन के बाद बीजापुर के आदिल शाह का यहाँ कब्जा हुआ जिसने गोअ-वेल्हा को अपनी दूसरी राजधानी बनाया।
1510 में, पुर्तगालियों ने एक स्थानीय सहयोगी, तिमैया की मदद से सत्तारूढ़ बीजापुर सुल्तान यूसुफ आदिल शाह को पराजित किया। उन्होंने वेल्हा गोवा में एक स्थायी राज्य की स्थापना की। यह गोवा में पुर्तगाली शासन का प्रारंभ था जो अगली साढ़े चार सदियों तक चला।
1843 में पुर्तगाली राजधानी को वेल्हा गोवा से पंजिम ले गए। मध्य 18 वीं शताब्दी तक, पुर्तगाली गोवा का वर्तमान राज्य सीमा के अधिकांश भाग तक विस्तार किया गया था।
भारत ने 1947 में अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त की, भारत ने अनुरोध किया कि भारतीय उपमहाद्वीप में पुर्तगाली प्रदेशों को भारत को सौंप दिया जाए।किंतु पुर्तगाल ने अपने भारतीय परिक्षेत्रों की संप्रभुता पर बातचीत करना अस्वीकार कर दिया पर 19 दिसंबर 1961 को, भारतीय सेना ने गोवा, दमन, दीव के भारतीय संघ में विलय के लिए ऑपरेशन विजय के साथ सैन्य संचालन किया और इसके परिणामस्वरूप गोवा, दमन और दीवभारत का एक केन्द्र प्रशासित क्षेत्र बना। 30 मई 1987 में केंद्र शासित प्रदेश को विभाजित किया गया था, और गोवा भारत का पच्चीसवां राज्य बनाया गया। जबकि दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश ही रहे।
गोवा करीब करीब 500 साल तक पुर्तगाली शासन के आधीन रहा, इस कारण यहाँ यूरोपीय संस्कृति का प्रभाव बहुत महसूस होता है। गोवा की लगभग 60% जनसंख्या हिंदू और लगभग 28% जनसंख्या
ईसाई है। गोवा की एक खास बात यह है कि, यहाँ के ईसाई समाज में भी हिंदुओं जैसी जाति व्यवस्था पाई जाती है।
गोवा के दक्षिण भाग में ईसाई समाज का ज्यादा प्रभाव है लेकिन वहाँ के वास्तुशास्त्र में हिंदू प्रभाव दिखाई देता है। सबसे प्राचीन मन्दिर गोवा में दिखाई देते है। उत्तर गोवा में ईसाइ कम संख्या में हैं इसलिए वहाँ पुर्तगाली वास्तुकला के नमूने ज्यादा दिखाई देते है।
संस्कृति की दृष्टि से गोवा की संस्कृति काफी प्राचीन है। 1000 साल पहले कहा जाता है कि गोवा "कोंकण काशी" के नाम से जाना जाता था। हालाँकि पुर्तगाली लोगों ने यहाँ के संस्कृति का नामोनिशान मिटाने के लिए बहुत प्रयास किए लेकिन यहाँ की मूल संस्कृति इतनी मजबूत थी की इसके मूल अस्तित्व को मिटाना मुश्किल था।
वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति गोवा को कुछ ऐसा ही अलग, लेकिन अदभुत स्वरूप प्रदान करती है। यह स्थान शांतिप्रिय पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को बहुत भाता है। गोवा एक छोटा-सा राज्य है। यहां छोटे-बड़े लगभग 40 समुद्री तट है। इनमें से कुछ समुद्र तट अंर्तराष्ट्रीय स्तर के हैं। इसी कारण गोवा की विश्व पर्यटन मानचित्र के पटल पर अपनी एक अलग पहचान है।
गोवा में पर्यटकों की भीड़ सबसे अधिक गर्मियों के महीनें में होती है। जब यह भीड़ समाप्त हो जाती है तब यहां शुरू होता है ऐसे सैलानियों के आने का सिलसिला जो यहां मानसून का लुत्‍फ उठाना चाहते हैं।
गोवा के मनभावन बीच की लंबी कतार में पणजी से 16 किलोमीटर दूर कलंगुट बीच, उसके पास बाघा बीच, पणजी बीच के निकट मीरामार बीच, जुआरी नदी के मुहाने पर दोनापाउला बीच स्थित है। वहीं इसकी दूसरी दिशा में कोलवा बीच ऐसे ही सागरतटों में से है जहां मानसून के वक्त पर्यटक जरूर आना चाहेंगे। यही नहीं, अगर मौसम साथ दे तो बागाटोर बीच, अंजुना बीच, सिंकेरियन बीच, पालोलेम बीच जैसे अन्य सुंदर सागर तट भी देखे जा सकते हैं। गोवा के पवित्र मंदिर जिनसे श्री कामाक्षी, सप्तकेटेश्‍वर, श्री शांतादुर्ग, महालसा नारायणी, परनेम का भगवती मंदिर और महालक्ष्मी आदि दर्शनीय है।
पणजी गोवा की राजधानी है। यहां के आधुनिक बाजार भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मांडवी नदी के तट पर बसे इस शहर में शाम के समय सैलानी रिवर क्रूज का आनन्द लेने पहुंचते हैं। मांडवी पर तैरते क्रूज पर संगीत एवं नृत्य के कार्यक्रम में गोवा की संस्कृति की एक झलक देखने को मिलती है।
गोवा भारत का सबसे जाना माना पर्यटन स्थल है। हनीमून, फॅमिली ट्रिप, दोस्तों के साथ ट्रिप, किसी भी तरह की छुट्टी बिताने या घूमने के लिए गोवा को बेस्ट डेस्टिनेशन माना जाता है। गोवा सबसे अधिक, युवाओं के बीच फेमस है। हर कोई अपने दोस्तों के साथ वहां छुट्टी बिताने जाना चाहता है। गोवा का मस्ती भरा माहौल, पार्टी, बीच, एडवेंचर खेल, प्राकतिक सुन्दरता और यहाँ का इतिहास सबको इससे प्यार करने के लिए मजबूर कर देता है।भारत में तो गोवा सबका पसंदीदा पर्यटन स्थल है ही, विदेशों में भी इसके बहुत चर्चे है। गोवा में हर साल हजारों पर्यटक विदेशों से आते है। गोवा में कम से कम एक हफ्ता बिताना चाहिए, तब आप वहां का आराम से मजा ले सकते है।
गोवा में पीक सीजन अक्टूबर से जनवरी तक का होता है. इस दौरान यहाँ बहुत भीड़ रहती है, मुख्य रूप से न्यू इयर के समय। आम इन्सान से लेकर सेलेब्रिटी, हर कोई यहाँ न्यू इयर सेलिब्रेट करने जाता है। न्यू इयर की शाम यहाँ का माहोल देखने लायक होता है, यहाँ का न्यू इयर पूरी दुनिया में फेमस है।इस पीक सीजन में यहाँ के रेट्स आसमान छुने लगते है, रुकना, खाना पीना इस समय बहुत महंगा हो जाता है।जो लोग इस पीक सीजन में नहीं जा सकते है, वे मानसून में गोवा का मजा ले सकते है। जून से सितम्बर के बीच मानसून सीजन में यहाँ स्पेशल डिस्काउंट भी रहता है, जिससे उचित दाम में आप गोवा का मजा ले सकते है।
एयरप्लेन के द्वारा (By Air) –गोवा में एक ही एयरपोर्ट है, ‘गोवा इंटरनेशनल एअरपोर्ट’. यह वास्कोडीगामा के पास स्थित है. यहाँ से नेशनल एवं इंटरनेशनल दोनों फ्लाइट का आवागमन होता है.
ट्रेन के द्वारा भी आप गोआ जा सकते है।गोवा में 2 रेलवे लाइन है । साउथ वेस्टर्न रेलवे एवं कोंकण रेलवे।कोंकण रेलवे लाइन का निर्माण 1990 में ही हुआ है, इससे देश के सभी पश्चिमी हिस्सों से इस ट्रेन का जुड़ाव है। गोवा की राजधानी पणजी में रेलवे स्टेशन नहीं है। गोवा के अन्य शहर वास्कोडीगामा एवं मडगांव गोवा के बड़े जंक्शन है।
गोवा के पहुँचने के लिए रोड के द्वारा भी पहुंचना अच्छा विकल्प है। यहाँ के लिए बहुत ही प्राइवेट एवं सरकारी बसें चलती है। मुंबई से वॉल्वो चलती है, जिससे बहुत से लोग बस से ही गोवा पहुँचते है। गोवा के अंदर पब्लिक ट्रांसपोर्ट बहुत अच्छा है।यहाँ घुमने के लिए लोग पर्सनल दो पहिया गाड़ी बुक कर लेते है। ये गाड़ी वहां हर चौराहे, होटल में मिल जाती है। इन दो पहिया गाड़ी चलाने के लिए बस आपके पास ड्राइविंग लाइसेंस होना चाइये, फिर बस पूरा गोवा आपका है। आप जहाँ चाहें अपने हिसाब से जा सकते है।
गोवा को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है, नार्थ गोवा एवं साउथ गोवा।
ओल्ड गोवा पणजी में स्थित है। यह पुर्तगालीयों के समय उनकी राजधानी हुआ करता था।एशिया में सबसे अधिक चर्च और गिरिजाघर इसी जगह स्थित है. यहाँ की कुछ पुरानी बिल्डिंग को पुरातत्व विभाग ने संग्रहालय बना दिया है, इन संग्रहालय में गोवा के इतिहास को करीब से देखा जा सकता है। ओल्ड गोवा की सबसे प्राचीन और फेमस बिल्डिंग है ‘दी कान्वेंट’ और ‘चर्च ऑफ़ सेंट फ्रांसिस’ इसका निर्माण 1521 में हुआ था। यहाँ सेंट फ्रांसिस जेवियर के शरीर के अवशेष अभी भी संरक्षित करके रखे गए है। उनके पार्थिव शरीर को हर 10 साल में लोगों को दिखने के लिए सामने लाया जाता है।2015 में ऐसा हुआ था।
गोवा अरब सागर के किनारे स्थित है। समुद्र किनारे गोवा में कई बीच है, जहाँ कई तरह के रिसोर्ट, होटल, हट्स बन चुके है।इन समुद्र किनारे का मजा लेने के लिए लोग मुख्य रूप से गोवा जाते है। यहाँ हर एक बीच अपने आप में अलग है।
अरम्बोल बीच नार्थ गोवा में स्थित यह बीच, गोवा के अंत में बसा है। जो आजकल लोगों में बहुत ही पॉपुलर बीच बना हुआ है। एक समय में यह मछली पकड़ने वालों का गाँव हुआ करता था, लेकिन अब ये पर्यटकों से भरा हुआ समुद्र किनारा बन गया है। यहाँ योग, मेडिटेशन भी लोग करते है। इस बीच में तरह तरह के वाटर स्पोर्ट्स भी होते है, साथ ही समुद्र किनारे डोल्फिन को भी देखा जा सकता है. यह बीच रात भर खुला रहता है, रात के समय यहाँ मौहोल और सुहावना हो जाता है. हल्की म्यूजिक के साथ, लोग यहाँ शानदार शाम बिताने आते है। गोवा से दूर होने के कारण यहाँ भीड़ कम होती है, शोरगुल से दूर ये पीसफुल प्लेस है।
बाघा और कलांगुट बीच गोवा के सबसे व्यस्तम बीचों में से एक है। कलांगुट बीच जहाँ से ख़त्म होता है, वहां से बाघा बीच शुरू होता है। दोनों कहाँ से कहाँ तक है, समझ पाना मुश्किल है। बाघा बीच, कलांगुट बीच से ज्यादा डेवलप है, और यहाँ भीड़ भी कम होती है।आस पास मसाज केंद्रों की भरमार भी है।कई जगहों परआपको ये वाक्य " बैंकॉक इन गोआ,या थाई सुखो मसाज"लिखे मिल जायेंगे।
यहाँ पर लोग वाटर स्पोर्ट्स का मजा उठाने जाते है। अगर आप अच्छे खाने और वाइन का मजा लेना चाहते है, तो इस बीच के पास आपको बहुत से रेस्तरां मिल जायेंगें।बाघा बीच के आस पास रात भर लोगों की भीड़ जमा रहती है, इसके पास में फेमस टिटोस एवं कैफ़े मैंबो है। इसके आप पास और भी कई स्थल है –जैसे कैथेड्रल अगुअदा फोर्ट,सेंट अलेक्स चर्च ,बाघा रिट्रीट हाउस इत्यादि।
गोआ की राजधानी पणजी है।पणजी मंडोवी नदी के पास स्थित है।यह शहर ऐतिहासिक है, जहाँ पुर्तगालीयों के प्रभाव को अभी भी देखा जा सकता है. भारत का पहला और एशिया का सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज ‘गोवा मेडिकल कॉलेज’ पुर्तगालीयों द्वारा पणजी में बनवाया गया था।पणजी में मुख्य दर्शनीय स्थल ये है रिस मागोस फोर्ट,फोर्ट अगुअदा , पुरातत्व संग्रहालय,सचिवालय डोना पौला बीच,मिरामार बीच
डॉ सलीम अली पक्षी अभयारण्य, गोवा राज्य संग्रहालय इत्यादि।
अब वह समय आ गया जब हम गोआ के तटों से दूर होने वाले थे । हमारे कंपनी अमूल्या हर्ब्स के सीनियर लीडर पवन सैनी सर ने सबको अपना सामान पैक करके मीटिंग हाल में सुबह 8 बजे आने का फरमान जारी कर दिया था। हम सभी ने आपस मे फ़ोटो ग्राफी की फिर कंपनी के तरफ भी ग्रुप फोटोग्राफी की गई।लंच के बाद एक जबरदस्त मोटिवेशनल प्रोग्राम हुआ, और फिर हम वापस दिल्ली लौटने के लिए बसों द्वारा गोवा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए चल दिये।
लेखक :-
डॉ राधेश्याम केसरी
(रूबी मैनेजर-अमूल्या हर्ब्स)
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