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संगति का असर

राहुल और सौरभ दो बहुत अच्छे दोस्त थे  दोनों साथ मे  पढ़ने के लिए शहर आ गए ।शहर आकर राहुल और सौरभ ने एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन लिया और वहां  हॉस्टल लेकर रहने लगे ।
कॉलेज का पहला दिन दोनों के लिए बहुत ही अच्छा था राहुल और सौरव बहुत खुश थे ।क्लास के बाद दोनों कैंटीन में जा कर बैठे ।तभी कुछ लड़के आकर बैठ  औऱ बोले- उन्हें चलो आज क्लब चलते हैं तुम लोग क्लब देखना कि क्लब कैसा होता है.। यहां बड़े शहरों का ।
तब सौरभ ने कहा- नहीं भाई हम क्लब नहीं जा रहे हैं हम अपने लाइब्रेरी जा रहे हैं हमें कुछ काम है तब राहुल ने कहा -सौरभ हमें  चलना चाहिए इनके साथ  क्लब देख कर आते हैं ।
सौरभ के लाख मना करने पर राहुल चला गया और सौरभ अपने लाइब्रेरी  चला गया ।
 रात हो गई थी लेकिन राहुल हॉस्टल नहीं आया था सौरभ ने राहुल को फोन लगाया तो राहुल का फोन भी नहीं लग रहा था वो बहुत परेशान हो गया ।
कुछ ही देर में राहुल आ गया सब सौरभ ने उसे कहा राहुल कहां रह गए थे इतनी देर तो ।
राहुल ने कहा -कुछ नहीं यार यह क्लब बहुत अच्छा है यहां बहुत चकाचौंध खाना पीना बहुत कुछ था सौरभ ने राहुल  से कहा -सो जाओ सुबह कॉलेज जाना है,।
 अगली सुबह दोनों कॉलेज गए फिर क्लास ओवर होने के बाद राहुल जाने लगा तब सौरभ ने राहुल को बोला कहां जा रहे हो राहुल ने बोला कुछ नहीं यार फ्रेंड्स बुला रहे थे ।कुछ काम है उन्हें तब ।
 सौरभ ने बोला- राहुल यह बड़े शहरों के लड़के हैं इनकी संगति अच्छी नहीं है यह सिर्फ तुम्हारी पढ़ाई खराब करेंगे । अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो ।
 राहुल ने कहा -यार अभी तो गांव से आए हुए इतने कम दिन हुए हैं तभी तो यहां हमें बहुत साल तो 3 साल रहने हैं .।थोड़ा घूम लेंगे तो क्या हो जाएगा ।यह कहकर राहुल चला गया और सौरभ लाइब्रेरी चला गया ।
कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा राहुल अपने दोस्तों के साथ नए शहर नया शहर घूमना पार्टी में जाना रोज का हो गया था सौरभ की बात वह नहीं समझता था।
 देखते देखते पेपर आ गए राहुल की कोई तैयारी नहीं थी सौरभ ने उसकी पूरी तैयारी करवाई लेकिन रिजल्ट आने पर राहुल फेल हो गया । तब सौरभ ने कहा राहुल अब तो इनकी संगति छोड़ दो हम यहां घूमने फिरने नहीं आए हैं 
राहुल ने सौरभ की बात नहीं मानी और अब राहुल ने हॉस्टल भी छोड़ दिया 
और सौरभ के साथ नहीं रहने लगा सौरभ ने भी कुछ नहीं बोला देखते देखते दोनों दोस्तों में बात होना बंद हो गई।
  देखते देखते 3 साल पूरे हो गए कॉलेज में कैंपस सिलेक्शन हुआ ।जिसमें से सौरव का किसी बड़ी कंपनी में केंपस सिलेक्शन हो गया ।कुछ ही दिनों में सौरभ की उस कंपनी में जॉइनिंग हो गई ।और वह वहां काम करने लगा अभी भी सौरभ उसी हॉस्टल में रहता था एक दिन राहुल उससे मिलने आया और कहां -सौरभ आज मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ अगर मैंने तुम्हारी बात उस टाइम मानी होती कि मैं इन बड़े शहरों के लड़कों के चक्कर में ना पड़ो क्योंकि यह तो है ही अमीर बाप की बिगड़ी औलाद तो आज मैं भी तुम्हारे साथ ही सी कंपनी में जॉब कर रहा होता हैं। तब सौरभ ने कहा -हां राहुल मैंने तुम्हें बहुत समझाया था कि हमारी जिंदगी में संगति का बहुत असर पड़ता है हम जैसी संगति में रहते हैं वैसे हो जाते हैं जब तक तुम गांव में थे मेरे साथी थे  तुम मेरे जैसे ही थे ।जब तुम शहर आ गए तुम्हें नए दोस्त मिले तो तुमने मुझे भी छोड़ दिया ।जिससे तुम मेरी संगति से भी हट गए और अपने दोस्तों की संगति  में रहने लगे ।
आज से 2 साल पहले यदि तुमने मेरी संगति नहीं छोड़ी होती तो शायद तुम भी मेरे साथ इसी कंपनी में काम कर रहे होते ।
तब राहुल ने कहा -हां सौरभ मुझे राहुल अपने नए दोस्तों में बिजी हो गया और सौरभ सौरभ अपने में किए पर पश्चाताप है मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई कि मैंने तुम्हारा साथ छोड़ दिया कुछ  दोस्तों के लिए  तब राहुल से सौरभ ने कहा -राहुल  कभी भी जब तुम्हें मेरी जरूरत पड़े मुझसे मदद ले लेना क्योंकि हम अब भी दोस्त हैं।
 दोस्तों हम किस की संगति में रहते हैं इसका प्रभाव सबसे ज्यादा हमारी जिंदगी पर पड़ता पड़ता है खासकर हमारे भविष्य पर पड़ता है कि हम जिनके साथ हैं वह हमारे भविष्य को बिगाड़ रहे हैं क्या बना रहे हैं  ये सिर्फ हमे  ध्यान रखना होता है।हमें हमेशा अच्छी संगति करना चाहिए ताकि हमारा भविष्य भी अच्छा बन सके।

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