मेरी नानी के यहां एक छोटी सी दुकान थी उस दुकान का नाम था "अशोक चाचा की दुकान "
पूरे मोहल्ले में किसी को भी सामान कुछ भी सामान लेना होता था वह अशोक चाचा के यहां से जाकर ले आता था ।
नानी के गांव में दुकान तो बहुत सारी थी लेकिन जिसे जो भी सामान चाहिए होता था वह अशोक चाचा की दुकान से ले आता था एक दिन नानी ने मुझे कहा कि आधा किलो शक्कर ले आओ अशोक चाचा की दुकान से ।जब मैं भी अशोक चाचा की दुकान गई
दुकान में बहुत भीड़ थी उस जगह पर दुकान तो बहुत थी लेकिन भीड़ सिर्फ अशोक चाचा की दुकान पर थी देखकर मैं हैरान हो गई।
कुछ ही देर बाद चाचा ने बोला- बेटी क्या चाहिए तो मैंने कहा अशोक चाचा मुझे आधा किलो शक्कर दे दीजिए नानी ने मंगाया है मैं शक्कर लेकर घर चली आई।
कुछ दिन बाद सुनने में आया शोक चाचा की तबीयत बहुत खराब है और वह घर में आराम करेंगे और उनका लड़का विवेक उनकी दुकान चलाएगा
एक दिन फिर शाम को मुझे मेरी नानी ने कहा- बेटा दो किलो चावल ले आना। तो मैंने कहा अशोक चाचा की दुकान से ले आओ। नानी ने कहा- नहीं बेटा उसकी बाजू वाली दुकान से ले आना ।मैं चावललेने दुकान गई ।
जब मैं वहां गई तो अशोक चाचा की दुकान बिलकुल खाली पड़ी थी। यह देख कर मैं और भी हैरान हो गई कि जब मैं एक हफ्ते पहले यहां आई थी ।तब इसी दुकान में इतनी भीड़ लगी थी। और आज उसी दुकान में कोई नहीं है मैंने उसकी बाजू वाली दुकान से चावल लिए और अपनी नानी को ला कर दिए। मैंने अपनी नानी से पूछा- नानी जब मैं शक्कर लेने अशोक चाचा की दुकान गई थी ।तो उस दिन वहां बहुत भीड़ थी लेकिन आज वहां दुकान खाली पड़ी थी सिर्फ विवेक भैया बैठे थे ।
तब नानी ने बताया- बेटा अशोक चाचा की दुकान थी और उस दिन अशोक चाचा दुकान पर बैठे थे। अशोक चाचा का स्वभाव बहुत ही अच्छा खुशमिजाज और उम्दा लोगों में से एक था तभी बाजार मोहल्ले में इतनी सारी दुकान होने के बावजूद भी उनकी अशोक चाचा की दुकान बहुत चलती थी लेकिन अभी अशोक चाचा की तबीयत खराब है तो उनका लड़का दुकान संभाल रहा है तो उनके लड़का थोड़ा सा भाव में कठोर है लोगों के मोल भाव करने और सामान को तोलने मैं उसकी लोगों से बहस हो जाती है जिसके कारण लोग वहां से सामान नहीं ले रहे हैं और दुकान खाली पड़ी है।
बेटा इस दुनिया में स्वभाव ही सब कुछ है अगर हम अच्छा अपना अच्छा स्वभाव बना कर चलते हैं तो लोग हमारी प्रशंसा करते हैं हमारे बारे में अच्छा सोचते हैं और दूसरों को भी हमारे बारे में अच्छIस ही कहते है।लेकिन अगर हम अपना स्वभाव बुरा कर लेंगे या घमंड करने लगेंगे। लोगों की बातों को नहीं समझेंगे तो लोग हमारे बारे में बुरा ही सोचेंगे और दूसरों को बुरा ही बोलेंगे इस तरह से समाज में हमारी छवि बुरी बन जाएगी । मैंने नानी से कहा- तब तो हमें सभी के साथ अपना स्वभाव अच्छा बना कर रखना चाहिए नानी ने कहा -बेटा बिल्कुल स्वभाव स्वभाव ही इंसान का सबसे उच्च गुण है।