अब तक हमने देखा कि सुहानी की जिंदगी से खेलने के लोग आए। शायद इसीलिए क्योकि सुहानी ने उनको अपनी जिंदगी तबाह करने दी। सुहानी को सोचना चाहिए था। लेकिन अगर सोच समझ कर करती तो ये गलतिया टैब नही होती। लेकिन आगे जाकर जरूर होती। क्योंकि सुहानी उस दुनिया मे जी रही है जहाँ सच नही, लोग क्या कहते है उस रास्ते पर जीना होता है। चाहे फिर आप घूंट घूँट कर ही क्यो न मर जाओ। सुहानी को एक दोस्त मिल चुका है। अयान। अपनी जॉब से बहोत खुश है। जो उसे जीने की उम्मीद दे रहा है।
एक दिन सुहानी अपने काम मे बिजी थी। इमरान को मिस करती है। लेकिन खुद को कैसे भी करके सम्हाल लेती है। जॉब पर अपने दोस्तों के साथ खूब खुश रहती है। अच्छी तरह काम भी करती है। जॉब से अपने घर , वापस आती है तो भी खुश है। बस पापा के घर जाते ही बिखर जाती है। वो सहारा नही बन रहे। बल्कि शादी न होने की वजह से जॉब छुड़वाने पर तुले हुए है। दो दिन की छुट्टी में वो पापा के घर गई। जबरदस्ती resign करने को कहा।
लेकिन खुदा को कुछ और ही मंजूर था। सुहानी की किस्मत जरूर किसी अच्छी कलम से लिखी गई थी जो उस दिन सुहानी की ट्रेन ही छूट गई। दूसरे दिन थोड़ा बहोत ठीक हुआ। पापा तो नही माने। लेकिन सुहानी ने रिजाइन न देने का फैसला कर लिया। चाहे उसके लिए भले ही घर छोड़ना पड़े।
यही तो एक उम्मीद है कि सुहानी जिए। एक एक रुपए का हिसाब रखने वाले पापा को समझाना अब नामुमकिन है।
अयान से इस बारे में भी बात की। अयान ने कहा - ना, ना, जॉब तो बिल्कुल मत छोड़ना। पूरी दुनिया मे जैसे सुहानी का कोई है।
कुछ ही दिनों में अयान ने सुहानी को प्रपोज़ किया।
सुहानी: ये कैसे हो सकता है।
अयान: क्यो नही । आप मुझसे जो बात करते हो किसी और को बता सकते हो?
सुहानी: नही, बिल्कुल नही।
जैसे तैसे सुहानी ने खुद को समझाया। जो बीत गया सो बीत गया। वख्त जिंदगी में आगे बढ़ने का है।
लेकिन जो हो चुका है वो?
एक आखिरी मौका। अगर इस बार भी कुछ गलत हुआ तो फिर ओर कोई नही आएगा तेरी जिंदगी में।
ऐसे विचारो के साथ सुहानी ने अयान को हा कर दी।
सुहानी के जीवन मे कोई आया है खुशिया लेकर। सुहानी अपने रीसर्च के काम मे भी ज्यादा वख्त देती है। क्योंकि उसे खुशी मिलती है।
साइंस स्टूडेंट है। लेकिन सुहानी मानती है कि साइंस खुदा से अलग नही है। खुदा ने जो कुछ भी बनाया है उसे समझना मतलब साइंस।
इस बार सुहानी खुलकर जी रही है। ना कोई रोक टोक न कोई दिक्कत।
अयान से हररोज बात नही होती। ये अभी शुरुआत है। अयान ने कहा अब वख्त एकदूसरे को समझने का है। सुहानी खुश है। उसने अयान से फिर से पूछा तुम sure हो? अगर कुछ हुआ तो?
अयान: क्या होगा?
सुहानी: तुम हमारी बातो को किसीको बताते हो?
अयान: पागल हो क्या? ऐसी बाते किसी को बताते है क्या?
सुहानी: नही , वो बताते थे अपने दोस्तों को। एक दिन तो अपने दोस्त को भी लेकर आये थे।
अयान: फिक्र मत करो। हमारे बीच भगवान भी नही आ सकता।
सुहानी बहोत खुश है।
क्या सुहानी की मुश्किलें खत्म हो चुकी है? या अभी भी कुछ ओर बाकी है। देखेंगे अगले अंक में।