Koi apni maa ke pet se sikh kar nahi aata books and stories free download online pdf in Hindi

कोई अपनी माँ के पेट से सीख कर नही आता

क्या ख़ुशी, घरवालों ने तुम्हारा नाम खुशी रखा है तब भी कभी तुम खुश नही रहती, हमेशा रोती रहती हो ,हताश रहती हो अपने खुद के घर मे यह हाल है तो कल को शादी होकर जाओगी तो कैसे अपनी जिंदगी बिता पाओगी,क्योंकि वहाँ तो इतनी जिम्मेदारी होती है कि इसमें ख़ुशी कहाँ गुम हो जाती है पता ही नही चलता।अब क्या हुआ ,किस बात पे नाराजगी है।
कल मैंने रंगोली बनाई मुझे लगा सब को बहुत अच्छी लगेगी।पर माँ ने कहा ये क्या रंगोली बनाई है पड़ोसी की ऋचा को देखो क्या रंगोली बनाती है , सीखो उससे कुछ, ख़ुशी की ख़ुशी जैसे किसी ने छिन ली हो, फिर क्या उसका मन उठ गया रंगोली बनाने से।
तो क्या हुआ इसमें रोने की क्या बात है होता है ऐसा ,आंटी को अच्छी नही लगी होगी।
पर उन्हें मेरा कुछ भी करना सबसे अच्छा नही लगता ।कभी वो दिल से ये नही कहती कि अच्छा है।

देखते ही देखते वक़्त बिता और ख़ुशी की शादी का वक़्त आ गया ,पर सबको यही चिंता थी कि वो खुश तो रह पाएंगी ना पर किसी के पास इस सवाल का जवाब नही था।
शादी के बाद वो ऐसे परिवार का हिस्सा बनी सो बहुत ही खुली सोच के धनी थे, जिंदगी को रुकने नही देना चाहिए और मौके गवाना नही चाहिए ये सोच शायद खुशी को पहली बार जिंदगी में महसूस हुई। क्योंकि उसके घर का मौहोल उसे निराश ही करता था।
जब पहली बार ससुराल में उसके बनाये हुए खाने की तारीफ़ हुई तो उसे ऐसा लगा जैसे वो कुछ कर सकती है ,वो भी अच्छा खाना बनाती है, धीरे धीरे उसे ऐसी ही जाने कितनी तारीफ़े जिंदगी में मिली जिससे ना केवल उसे हौसला मिला बल्कि और अच्छा करने की इच्छा भी जाग्रत हुई।

आइये दखते है क्या वाकई में इंसान में कुछ करने का हुनर नही होता या वो पहचान नही पाता।
1 दोस्तों गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए पेट्रोल की आवश्यकता होती है इंसान भी कुछ ऐसी ही गाड़ी है जिसे जिंदगी में खुद की पहचान करने के लिए हौसले की जरूरत पड़ती है,और वो हौसला होता है उसका परिवार ,उसके दोस्त।

2 दोस्तो कोई इंसान अपनी माँ के पेट से सब सिख कर नही आता,जिंदगी जैसे जैसे आगे बढ़ती है उसे अनुभव जिंदगी के हुनर सिखाते हैं, ऐसे में हर नए काम को करने से पहले वो हिचकिचाहट महसूस करता है ,उसे डर लगता है कि कही काम ख़राब हो गया तो, पर ऐसे में उसे हिम्मत दी जाए कि ये जिंदगी का अंत नही है शुरुआत है तो आगे बढ़ने के लिए ग़लती करना जरूरी है वरना कुछ नया कैसे सीख पाओगे।

3 ये भी सच है कि एक इंसान के नकारात्मक भाव दूसरे इंसान के सकारात्मक भाव को खत्म कर देते है, नकारात्मक शक्ति बहुत जल्दी इंसान पर प्रभावी होती है, इसका मतलब ये बिल्कुल नही की सकारात्मक शक्ति अपना असर नही दिखाती पर ये इंसान पर निर्भर करता है कि वो क्या अपनाता है। 

4 खुशी को वो सकारात्मक भाव अपने खुद के माँ बाप के यहाँ महसूस नही हुए वो चाहते हुए भी कुछ नही कर पाई वहाँ, क्योंकि वहाँ के लोगो ने पहले से अपने आप को नकारात्मक बना रखा था ,तो वो ख़ुशी को खुशी कहा से दे पाते, दूसरी तरफ जब उसके ससुराल में उसे सकारात्मक भाव दिखे तो उसमें छुपे हुनर अपने आप बाहर आने लगे, फर्क पड़ता है कि किस तरह के लोगों से किस तरह की शक्ति आपको अनुभव होती है वैसी ही जिन्दगी आप अपनी बना लेते है।

धन्यवाद
सोनिया चेतन कानूनगों

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