Aap khud aapne bachcho ka aaina hote ho books and stories free download online pdf in Hindi

आप खुद आपने बच्चों का आईना होते हो

नेहा कल शर्मा जी अपनी पत्नी के साथ हमारे घर आ रहे है, मैंने उन्हें खाने पर आमंत्रित किया है औऱ साथ में रोहन और उसकी पत्नी को भी बुलाया है, 

कल बुलाया है पर परसो से तो नितिन और काव्या की परीक्षा शुरू हो रही है उन्हें परेशानी होगी।
क्या परेशानी होगी कौनसा वो दोनों खाना पकाने वाले है मुझे कुछ नही सुनना ,और तुम नही चाहती तो मैं मना कर देता हूँ। वैसे भी तुम्हें हर काम में ज़ोर आता है ना तो शक्ल है ना सूरत फिर भी अपने आप को पता नही क्या समझती हो,

नेहा का रंग थोड़ा सावला था पर राघव भी कुछ ख़ास नही था उसे अपनी सरकारी नौकरी का घमंड था वरना कोई अपनी बेटी ऐसे तीखे तेवर वाले लड़के को ना दे,पर नेहा के माता पिता ज्यादा सम्पति वाले नही थे पर संस्कार की संपत्ति उन्होंने नेहा को बख़ूबी दी थी जिसे नेहा निभा भी रही थी ,इतना अपमान सहने के बाद भी सयम था उसमें।

सब कुछ सुनकर नेहा फिर अपने काम मे लग गयी ये सोच कर की इनका रोज का है और हमारे व्यवहार को हमारे बच्चों को नहीं भुगतना पड़े,
    

चलो जैसे तैसे नेहा ने संभाला लगभग सारी तैयारी हो चुकी थी, नेहा ने सोचा कि अच्छे से तैयार हो जाती हूँ कही इनको शर्मिंदा ना होना पड़े, जब वो तैयार होकर आयी तो उसे इच्छा थी राघव कुछ तो कहे पर वो एक शब्द नही बोला, शायद ही उसने कभी नेहा की तारीफ की हो।
सारे मेहमान लगभ आ चुके थे, शर्मा जी एक बेटी थी जो लगभग नितिन के बराबर ही थी, बड़ो का अपना मेलमिलाप चलता रहा और बच्चे खेलने में मग्न हो गए, तभी शर्मा जी पत्नी ने खाने की तारीफ करते हुए कहा इतना सब आपने अकेले बनाया और बहुत ही स्वादिष्ट बनाया है, आप बहुत भाग्यशाली है राघव जी , 

नही नही ऐसा कुछ नही है, ठीक ठाक खाना बना लेती है, भाग्यशाली तो नेहा है जो इस घर की बहू है, सरकारी नौकरी वाले लड़के मिलते कहाँ आसानी से, 
नेहा मन मार कर रह गयी ,उसे उम्मीद भी यही थी, 

तभी शर्मा जी बेटी बाहर आई, देखो ना पापा ये नितिन कैसी बातें करता है, मुझे कहता है मैं डॉ नही बन सकती, लड़किया तो घर में झाड़ू पोछा करती है खाना बनाती है, 

और कहता है मेरी शादी के बाद अगर में ज्यादा बोलूंगी तो मुझे मार पड़ेगी, गुस्सा करेंगे सब मुझ पर,

नितिन ऐसा नही कहते बेटा ,चलो माफी मांगो
पर पापा आप तो मम्मी को रोज यही सुनाते हो, गंदी गंदी गाली देते हो, पिटाई भी करते हो, मम्मी तो नौकरी नही करती वो तो घर का काम करती है।
ये सब सुनकर शर्मा जी ने कहा जैसे आप बच्चो को आइना दिखाओगे वैसे ही वो अपनी नजर बनायेगे, जैसा बीज़ डालोगे वैसा ही पौधा बनेगा। संस्कार घर की नींव होते है,अपनी पत्नी के साथ ऐसा व्यवहार करना गलत बात है,मुझे आपसे ये उम्मीद नही थी राघव।
आज राघव शर्मिंदा था, लब्ज़ नही थे उसके पास।

आइये दोस्तो देखते है कि आखिर एक औरत क्यों चाहकर भी यातनाओ को बर्दाश्त करती है।

1 आत्मनिर्भर, जब एक औरत आत्मनिर्भर होरी है तब ना केवल वो अपनी आत्मा को स्वतंत्र महसूस करती है बल्कि वो अपनी संतान को भी सदृढ़ बना सकती है, परन्तु ज्यादातर हमारे समाज मे शादी के उपरांत लड़कियों से आत्म निर्भरता छीन ली जाती है जिससे न केवल वो अपने सपनो के लिए निर्भर हो जाती है बल्कि उनके बच्चो की सोच भी कैद हो जाती है।

2 प्रभाविकता, हमारे समाज मे पुरुषों की प्रभाविकता इतनी अधिक होती है कि वो औरत पर हावी हो जाती है जिसके बोझ तले एक औरत हमेशा के लिए अप्रभावित जिंदगी बसर करने लगती है।

3, सहयोग, शादी के उपरांत एक औरत से सहयोग की पूरी आशा की जाती है पर जब उसके सहयोग की बात आती है तो वही उसे अपनो की पहचान होती है जहाँ उसका साथ ना मायके वाले देते है ना ससुराल वाले।

4 स्विकार्यता। शादी के बाद हर औरत अपने आप को उस माहौल में ढालने की पूरी कोशिश करती है जिस माहौल में उसे पता होता है कि उसके विचारों को कभी स्विकार्यता नही मिलेगी ,पर फिर भी अपने पक्ष में वो बस खामोशी को पनाह देती है और उसे अपना भाग्य बना लेडी है।

अब आइये देखते है की बच्चो की मनोदशा पर कैसा प्रभाव पड़ता है
1 बच्चों का मन कोमल होता है जैसी छाप उनके कोमल दिल पर हम छोड़ते है वही छाप उनके व्यवहार का दृढ़ स्तम्भ बनता है, बच्चें बहुत जल्दी भावनाओं को अपने मन में कैद कर लेते है जिसका प्रवाह जीवन उपरांत चलता रहता है।

2 माँ बच्चे की पहली गुरु होती है और साथ ही घर उसकी प्रथम पाठशाला और घर के सदस्य उसके सहपाठी जैसा बर्ताव बच्चे आपको बड़ो से या घर के किसी भी सदस्य से करता देखते है ठीक वैसी ही सोच का अनुसरण करते है, अगर आप वक़्त के साथ अपनी सोच नही बदलते तो इसका गहरा प्रभाव बच्चों पे पड़ता है।

3 घर के सभी सदस्यों को अपने विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए जिसे बच्चा भी अनुभव करे तभी वो सबके प्रति सम्मान का भाव ला सकता है, बच्चे के सामने किसी को नीचा दिखाना न केवल आपको भविष्य की चेतावनी देता है बल्कि ये आपके साथ भी हो सकता है इस बात का अंदेशा भी देता है,
4 कोई किसी कार्य में निपुण है तो उसकी तारीफ जरूर करे ऐसा माहौल देखकर बच्चा अपने आप को बेहतर बनाने की अपेक्षा रखता है , अगर कोई निपुण नही भी है तो उसे नीचा ना दिखाए बल्कि उसे उत्साहित करे ताकि वो कुछ और अच्छा करने की सोचे।

दोस्तों हर रिश्ता अपने आप में निपुण होता है बस उसे सही नजर की जरूरत होती है, आप खुद आपने बच्चों का आईना होते हो। कोई बाहर वाला आकर उसे आईना दिखाए ये आपके जीवन की सबसे बड़ी हार है। 

धन्यवाद
सोनिया चेतन कानूनगों

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