बेगुनाह गुनेहगार 5 Monika Verma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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बेगुनाह गुनेहगार 5

अब तक हमने देखा सुहानी अपने पापा की लाडली बेटी है। जो अपने नजरिए से दुनिया को देखती है। जो एक बड़े परिवार की बेटी है। लेकिन किसी से कोई बोल चाल नही है। समाज दुनिया क्या है उसे नही पता। हर इंसान अच्छा है बस यही जानती है। पढ़ाई के लिए मासी  के घर जाती है। वहाँ की स्थिति का सामना करते करते वापस घर आती है। आगे की पढ़ाई घर आके करती है। बड़ी बहन इराही की लव मैरिज हो चुकी है। घर के लोग नाराज है। लेकिन फिर सब उसे अपना लेते है। इसी दौरान सुहानी रीमा भाभी के भाई रोहित के प्यार में पैड जाती है। और मैसेज से बाते करती है। लेकिन पढ़ाई भी अच्छी तरीके से करती है। एक दिन एक unknown नंबर से सुहानी को फोन आता है। अब आगे....

सुहानी। कॉल रीसीव करती है। हैेेेलो।


सामने से आवाज आई - उतर गई बस से?

सुहानी: जी । आप कौन?

में रोहित। कैसी हो? सामने से कहा।

सुहानी: ओह्ह। आप। मैं अच्छी हु। आप बताए।

रोहित: मैं भी अच्छा हु। मंदिर आया था। तो सोचा बात कर लूं।

सुहानी: अच्छा। मैं घर जा रही हु। दोस्तो के साथ हु।

रोहित: अच्छा, ठीक है। बात करते रहना। फिर कॉल करता हु।

सुहानी: ठीक है।

पहली बार रोहित की आवाज सुनी। थोड़ी डरी हुई थी। ये सब क्या हो रहा है। तारिका के साथ जाते जाते घर पहुच गई।

धीरे धीरे अब हर रोज अकेले में रोहित से बाते होने लगी। कैसे है, क्या कर रही हो।

एक दिन सुहानी अकेली है, तब रोहित का कोल आया। आज उसका कहने का अंदाज कुछ अलग था।

रोहित: कैसी हो।

सुहानी: अच्छी हु।

रोहित: आज कुछ और बात करे?

सुहानी: मतलब?

रोहित: प्यार भरी बातें!

सुहानी: मतलब?

रोहित: जैसे गर्लफ्रैंड बॉयफ्रेंड के बीच होती है।

सुहानी: जैसे कि...

रोहित: I love you.

सुहानी शरमाती हुई बोली: I love you too.

रोहित: हम कब मिलेंगे?

सुहानी: पता नही। हम क्यो मिलेंगे?

रोहित: में तुम्हे छू लूंगा।

सुहानी: कैसे?

रोहित: में चाहता हु हैम जब भी मिले पति पत्नी की तरह मिले। वो सब करे जो पति पत्नी के बीच होता है।

सुहानी: आप शादी शुदा है। यह नही हो सकता।

रोहित: क्यो नही हो सकता? मेरी बीवी के साथ मेरा कोई संबंध नही । हम कई सालों से साथ नही निभा रहे। बेटी के जन्म के बाद बिल्कुल नही। 

सुहानी: लेकिन ये गलत है। 

रोहित: plz. मान जाओ न। मैं चाहता हु तुम्हे।

सुहानी: यह.. वो.. लेकिन...

रोहित: देखो हमारी दोस्ती की खातिर। 

अचानक कुछ आवाज आई। सुहानी: शायद कोई आ गया।में बद में बात करती हूं।

सुहानी ने दरवाजा खोला तो पापा आ चुके है मम्मी को स्टेशन से लेकर। मम्मी पापा अंदर आए। सुहानी मम्मी  पापा के लिए पानी लेकर आई। 

दूसरे दिन सुहानी को अपना कॉलेज का बैग सिलवाना था। जो थोड़ा फट चुका था। जिसे लेकर वो पापा के पुराने दोस्त के दुकान गई। जहाँ वो हर बार जाया करती है। वो अंकल ने बैग देखा। और सुहानी को देखकर उसकी नियत बिगड़ी। सुहानी के हाथ मे रखे बैग को लिया और बैग को सुहानी के पास रखते हुए दिखाने लगे इसे इस तरह यहाँ से सीलना होगा। बहाना ढूंढते हुए हाथ मे बैग रख कर सुहानी को बुरी तरह छूने लगा। सुहानी कुछ बोल न पाई। अगर पापा को कुछ कहती तो वो उसके लिए लड़का ढूंढने लगते। जो अपनी मर्जी करता सुहानी के साथ। सुहानी क्या करती। 

अंकल का इस तरह सुहानी के प्राइवेट पार्ट्स को छूना अच्छा नही लगा। चुपचाप घर जाकर खाना खा के सो गई। दूसरे दिन सुबह सुहानी उठी। लेकिन इस घटना ने बहुत बुरा असर डाला । सुहानी बाथरूम में जाकर नहाने लगी अपने अंग अंग को पानी से धोने लगी। और छुप छुप के रो रही थी। मम्मी ने आवाज लगाई सुहानी , और कितनी देर?

 सुहानी जैसे तैसे खुद को सम्हालती हुई बोली। आई मम्मी। बस दो मिनिट।

सुहानी बाहर आई। मम्मी को काम मे हाथ बटाया। जुठ मुठ का मम्मी के सामने मुस्कुरा देती। 

सुहानी सोच रही है- क्या करूँ। 

रोहित का मैसेज आया। क्या कर रही हो। 

सुहानी : मम्मी की हेल्प। 

सुहानी क्या करे कुछ समज नही आ रहा था। किससे बात करे। 

सुहानी रोहित के साथ वख्त बिताने के लिए हां कर देती है। 

क्या होगा आगे। सुहानी रोहित से मिलेगी। ? या बचा पाएगी खुद को। कोई और मुश्किल बाकी है क्या? देखते है अगले अंक में।