Jinnat ki dulhan - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन्नात की दुल्हन -15

रात स्तब्ध थी!
एक लम्बी दुरी तय कर के जिया अमन के साथ लखनपुर पहोंच ने वाली थी !
लखनपुर 1 किमी दूर था !
जीया कार की सीट पर ही बैठे बैठे सो गई थी!
ड्राइविंग करते वक्त अमन उसके मासूम चेहरे को बार बार सेंटर मिरर से देख रहा था!
कितनी मासूम थी वो.. उसकी झुल्फे गोरे चहेरे पर उलजी हुई थी!
अस्पताल से खलिल और गुलशन के लिये भागी थी!
जिया नही चाहती थी की खलिल को ईस बात का पता चले. !
खलिल उसको एसी हातल में बाहर जाने ही नही देता.!
एक डर और भी था.!
कहीं जिन्नात चौकन्ना हो गया तो.?
जिया देर रात तक बैठी रही थी.!
उसने बार बार अमन से माफी मांगी थी!
उसने अमन का दील दुखाया था
और किसी के दिल को दुखाने से बडा गुनाह दुनिया मे कोई हो ही नही सकता
एसा जिया अपने टूट रहे लब्जो मे केह रही थी.!
प्लीज जिया आप सो जाओ..!
लखनपुर आते ही हम आपको नींद से जगा देंगे..! "
उसने अपनी समंदर से भी गहेरी आँखे अमन पर टीकाई..!
"पता है अमन.! हमारी लाईफ मे खलिल न होते तो हम आप पर जान कुरबान कर देते..! "
जिया ने भावुक होकर ईतना कहा था!अमन का दिल मानो तर हो गया!
"बस मुजे सबकुछ मिल गया जिया..!
अमन बोला था
मुझे रब से या आपसे कोई शिकायत नही अब..!
आप के दिल मे जरा सी जगह पा ली उससे बडी दौलत हमारे लिये कोई नही है..! "
अब जिंदगी आसान हो गई..!
प्लीज आप सो जाओ..!
अमन ने बीना झिझक जिया की आँखो पर हाथ रखा!
जिया ने पलके झुका ली थी.!
जिया की नजदिकियां से अमन को सूकुन मिला था.. !
जिया का मासूम चहेरा आंखो मे भर लेने के लिये ही अमनने उसे सुला दिया था!
जिया को जी भर के देख देख कर वह लखनपुर पहोंच गया मालुम ना पडा..!
उसको लखनपुर की दुरी बहोत कम लगी.!
लखनपुर प्रवेश करते वक्त रोड साईड पर आस पास बहोत से फार्म हाउस थे!
गाडी को एक जगह पिपल के पेड तले रोका उसने..!
जिया का हाथ पकड कर चूपकिदी से जगाया.
हडबडाकर जिया उठ गई.!
वह कुछ बोलना चाहती थी मगर अपने होटो पर उंगली रखते हुए अमन ने उसे चुप रहने का इशारा किया.!
कार के छोटे से लॉकर में रखा अभिमंत्रित नींबू संभाल कर जिया ने निकाला!
और गाड़ी से बाहर निकल कर अमन के हाथों में नींबू थमा दिया!
दोनों की नजरें मिली
आंखों से ही आगे बढ़ने दोनों सहमत थे!
जैसे ही जिया ने कपड़े मे लिपटे हुये नीबू को खुला करके जमिन पर रखा तो!
वह तेजी से भागने लगा!
हैरानी की बात वही थी कि नीबू उसी फार्म हाउस की और बढ गया जहाँ ईस वक्त दोनो खडे थे!
अमन जिया का हाथ पकडकर नीबु के पीछे भागा... !
**** **** ***** ****
शिकायत अब खलिल को किसी से नही थी!
बाबा ने अपना काम निस्वार्थ भावना से किया था!
हैरान था वो कि कितने कम लोग एसे है जो बिना कोई मतलब के लोगो को जिंदा रखते है..!
बाकी कुछ लोग तो जिंदगी छीन लेने मे काफि माहिर होते है!
रास्ते मे बाबाने उसे कुछ खास बाते ध्यान मे रखने की सलाह दी!
जिसमे सबसे अहम बात यही थी कि कुछभी हो जाये आज रात किसी को धरसे बाहर निकलना नही है!
कभी भी बीती बातो का जिक्र बच्ची के सामने करना नही है!
खलिल ने समझ लिया.!
बाबा को घाटी के पास उतार कर वो घर आया!
सुलतान और खलिलने आंखों से ही बात करली " सब कुछ सही ढंग से हो गया है अब फिक्र करने की जरुरत नही है.!
गुलशन अपनी सास की गोदमे सर रख कर सोई थी!
खलिल ने देखा की गुलशन के बालो को सहेला रही अम्मी के चहेरे पर वत्सल्य की असिम बौछार छलक रही थी!
सुलतान ने राहत की सांस ली.!
खलिल एक बडी लडाई लडकर आया हो एसे सोफे पर बैठ गया!
सुलतान को सरमे पट्टी बंधी हुई थी!
शायद अम्मीने धाव साफ करके पट्टी बांधी होगी!
"अब्बाजान आप ठीक हो..?"
बिलकुल ठीक है बरखुरदार आर्मी के जनरल रेह चुके है!
हमारा मनोबल चट्टान की तरह है और दुश्मन को धूल चटाना अच्छी तरह जानते है..!
खलिल अब्बाजान का होसला देखकर शर्मा गया!
हम परेशान थे आप तीनो के लिये..
वो कहीं आप मे से किसी को नूकसान पहुँचाता तो खुद को माफ नही कर पाते!
वो अब दफन हो गया है!
सारा किस्सा एक बूरा ख्वाब समझकर भुला दो मेरे बच्चे..!
अपनी जिंदगी गुलशन के साथ नये सिरे से शुरु करो..!
वादा करो की ईस घिनोने घटनाक्रम को भूला दोगे..!
कभी भी बहु के सामने ईस बात का जिक्र तक नही करोगे!
"औरतो का दिल बहोत कमझोर होता है बेटा..!
खलिल की अम्मीजान केह रही थी
गुलशन पर जो बीती है वो उसके लिये कलंक था!
कभी तुम उसके गहेरे जख्मो को कुरेदना मत..!
जाओ अब बहु को उठाकर अपने कमरे में ले जाओ..!
और वह जिंदगी जिओ जीसके ख्वाब तुम दोनो ने देखे है..!
अब्बाजान की बात सुनकर खलिल ने छोटे बच्चे की तरह गुलशन को उठा लिया!
उसके चहेरे पर सुकून के आसार थे! हल्की सी मुस्कान थी.!
होठो पर ईस तरह कंपन हो रहा था! जैसे कीसी फूल को भ्रमर छु जाता हैं! तब होता हैं!
खलिल उसे अपनी बेड पर ले आया..
एक पल भी उसने अपनी नजरे उसके चहेरे से हटाई नही थी.!
एक गहेरा चुम्बन उसने गुलशन के फोरहेड पर किया..!
वो उसके बालो को सहेलाने लगा था!
**** ***** ***** ***
किसान ईस वक्त टोर्च लेकर आंखे फाड फाड कर उस बोतल को बडी हैरानी से देख रहा था जो ईस वक्त उसके हाथमे थी.!
दो नो अजनबी चले गये तभी वह भागता हुवा ईस जगह पर आया था!
टोर्च की लाईट से देखा की गड्डा बनाकर कुछ गाडकर मिट्टी डाली गई थी.!
अभी भी वह मिट्टी ताजी थी.!
उसके हाथ तेजी से मिट्टी को उडेलने लगे..!
वह जानना चाहता था आखिर कौन सी चीज थी जो वे लोग जमीन मे दफन कर गये!
काफी मश्शकत के बाद उसे बडी ग्लास की बोतल हाथ लगी.!
बोतल से एसे प्रकाश की बौछार हो रही थी मानो उसमे कोई नागमणी हो.!
आसपास का सारा ईलाका चकाचौंध हो गया था!
उस मणी जैसी चीज को निकाल ने वह ढक्कन पर जोर गला रहा था की बोतल उसके हाथमे से फिसल कर पथ्थर पर गीरी..!
शेम्पेईन की बोतल खोलते ही जैसे अंदर का द्रव्य उछलकर बहार आता है उसी तरह घुंवा हवा मे उछला और ओझल हो गया.!
किसान बहोत डर गया था!
अपनी जान बचाकर वो वहा से भागा!
पहेली बार उसको लगा की उससे बहोत बडी गलती हो गई है!
रात मे घमासान मचा था!
निशाचर पंखीओ ने तहेलका मचा रखा था!
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एका एक खलिल को लगा अब्बाजान दर्द से कराह रहे हे!
गुलशन को वही छोडकर उठा!
कमरे से बाहर आया!
आवाज मेईन डोर के बाहरी हिस्से से आ रही थी!
एक पल के लिये उसे अब्बाजान पर गुस्सा आया!
मना करने के बावजूद उन्हे ईस हालत मे बाहर जाना नही था!
खलिल ने जलदी से मेईन डोर खोला!
सामने ही अब्बाजान ओघेमुह पडे थे!
सुधबुध खो कर वो उनकी और भागा की उसके पैर जमी से उपर उठ गये!
जैसे किसी ने मजबूती से गला पकड कर उठा लिया हो..!

चंद्रमा पूर्णतया निकला न होता तो काली स्याह रात में एक दूसरे को देखना भी मुश्किल हो जाता..!
तेजी से भाग रहे नींबू के पीछे अमन और जिया दौड़ रहे थे
अमन ने कसकर जिया का हाथ पकड़ा था उसे डर था कि दौड़ते वक्त जीया गिर ना जाए..
नींबू उस फार्म हाउस के खेतों की ओर बढ़ रहा था जो काफी कोकोनट के पेड़ों से गिरा हुआ था.
संभलकर अमन जिया के साथ खेत में प्रवेश कर गया.
उस वक्त वह बहुत चौकन्ना था
फार्म हाउस पर पालतू कुत्तों का होना आम बात थी.!
हालांकि उन दोनों की किस्मत अच्छी थी उन्हें एक भी कुत्ता नजर नहीं आया.!
बड़े-बड़े दो चार खेतों से होकर वह लाल नींबू एक जगह रुक गया..!"
अमन भागता हुआ वहां आकर रुका तब उसकी सांसे बहुत फुल गई थी
जिया अपने दोनों घुटनों पर हाथ रख कर झुक गई
जैसे वह भी बुरी तरह थक चुकी थी
नींबू जहां रुका था वह जगह खेत का एक कोना था
उस जगह पर बहुत घास निकली थी
आसपास एलोवेरा के पौधे जगह जगह फैले हुए थे.
बाकी सारे खेत सूखे पड़े हुए थे.
ऐसा लग रहा था काफी सालों से खेतों में हल नहीं चलाया गया ना कुछ बोया गया है
"सॉरी यार .. तुम थक गई ना..?"
घास वाली जगह पर पांव लंबे करके जैसे ही जिया बैठी अमनने कहा
-तुम्हें गाड़ी में अकेली भी तो नहीं छोड़ सकता था.!
पर एक गलती हो गई है..?
"अब क्या हुआ..?"
जिया ने हड़बड़ा कर पूछा..!
नींबू यहां रुका है मतलब जगह यही है पर फावड़ा तो हम गाड़ी में ही भूल आए हैं..!
"ओह नो नींबू के पीछे भागने में उस बात का हमने ध्यान ही नहीं दिया..!
"एक काम करो तुम दौड़ कर फटाफट ले आओ मैं यहां बैठी हूं..!"
"तुम्हें अकेले कैसे छोड़ सकता हूं मुझे डर लगता है कहीं वह आ गया और..!
"तुम भूल रहे हो अमन.. अगर वह आ भी गया तो हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा..!"
जिया ने अपनी उंगली में अंगूठी बताते हुए कहा
यह पंचधातु की अंगूठी हमारी रक्षा करेगी.
तुम जाओ भागो..
समय बर्बाद मत करो हमारे पास टाइम नहीं है..!"
जिया को छोड़ कर जाना उसे जरा भी अच्छा ना लगा पर दिया इस तरह से चिल्लाई थी कि उसे भागना पड़ा!
जिया उस जगह पर बैठे बैठे भागते हुए अमन को देख कर मुस्कुरा रही थी.!
उस हंसी में अमन के लिए सिर्फ प्यार था..!
उसकी डांट सुनकर वह कैसे भागा था इसलिए वह अपने आपको हंसने से रोक ना पाई...!
एक एक मिनिट युग की तरह मानो लग रहा था..!
हवा की जरा सी सरसराहट भी उसे चौका दे रही थी..!
बार-बार वह घबराकर इधर उधर देख रही थी!
बहुत जल्दी अमन फावड़ा लेकर आ गया था.!
इतनी तेजी से वह भाग कर आया था जैसे कोई उसके पीछे पड़ा ना हो..!
जिया के पास आकर कुछ पल वह ठिठक गया
"तुम ठीक हो..?"
बरबस ही जिया के मुंह से निकला..!
"हां बिल्कुल.. तुम्हें डर तो नहीं लगा..?"
"नहीं अमन अब मुझे डर नहीं लगता..!"
उसने अमन की आंखों में अर्थपूर्ण निगाहों से झांकते हुए कहा था!
तुम अब नींबू हटाकर फावड़ा से मिट्टी उड़ेलो.
नहीं पहले हम बगल में एक गड्ढा खोद देते हैं..!
ठीक है जल्दी करो..!
जिया दूर-दूर पेड़ों के बीच में अलपझलप हो रही फार्म हाउस की लाइट को देख रही थी..!
अमन ने फावड़ा से फटाफट एक गड्ढा खोद दिया.!
अब ठीक है..!
जिया ने 1 फुटकी गहेराई वाला गड्डा देखकर कहा!
फिर तेजी से नींबू वाली जगह पर वह फावड़ा से मिट्टी हटाने लगा!
जिया मैं मोबाइल की टॉर्च सेम उजाला किया था
टॉर्च की फॉक्स लाइट जिस तरह इधर-उधर हो रही थी साफ जाहिर था कि दीया काफी डरी हुई थी उसके हाथ पाओं कांप रहे थे..!
दूर दूर घने पेड़ों के बीच से अलप-झलक दिखाई देने वाला फार्म हाउस होंटेड हाउस जैसा लग रहा था!
बाबा ने कहा था जिन्नात की हड्डियां निकाल कर दूसरी कब्र में दफना ना इतना आसान नहीं था..!
हालांकि अब तक कोई भी अनहोनी नहीं हुई थी..!
कोई भी ऐसी घटना नहीं घटी थी जिससे दोनों को जान बचाकर भागना पड़ा हो..!
लगातार मिट्टी उडेलता अमन रुक गया
"एक हड्डी नजर आई है..! "
उसकी आवाज काफी धीमी थी..!
जिया ने टॉर्च लाइट को गड्ढे में ताने रखकर भीतर देखा..
छोटी सी हड्डी है वहीं सूअर की होगी..
अमन ने धीरे से मिट्टी हटाकर उसे बाहर निकाला.!
अब वह संभाल कर मिट्टी हटा रहा था दो तीन हड्डियां दूसरी निकली.!
उन्हें साइड पर करके.. लगातार मिट्टी उडेलने लगा..!
कुछ ही देर में एक हड्डियों का ढांचा दिखाई दिया..!
दोनों की आंखें फटी सी रह गई..!
जैसे ही अमन ने हड्डियों का ढांचा हटाने झुका वैसे ही अमन लूढककर खड्डे पर गिरा..!
जैसे उसे किसी ने जबरदस्त धक्का दिया था.!
"अमन ...!!!"
जिया की आवाज दूर जाती हुई सुनाई दी.!
पलट कर अमन ने देखा तो चंद्रमा की रोशनी का उजाला व्याप्त था..!
कुछ हल्की रोशनी में कहीं उसका चांद नजर नहीं आ रहा था..!
वह व्याकुल हो गया
"जिया..!"
जोर से वह चिखा था.!
"अमन मैं यहां हूं..!"
दो तीन मीटर की दूरी पर जीया ओधेमुंह पड़ी कराह रही थी!
छलांग लगाता हुआ अमन उसके पास आ गया था
उसका सर अपनी गोद में लेकर पागलों की तरह दहाड़ा..
जिया..! वो आ गया है..!
मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा..! तुम डरना मत जिया मैं तुम्हारे साथ हूं..!"
अमन को बोखलाया देखकर जिया डर गई थी.. !
"अमन.. अमन मैं ठीक हूं.. मुझे कुछ नहीं हुआ है..!"
अमन जिया की आंखों में देख रहा था
गलती हो गई मुझसे जिया...
बहुत बड़ी गलती ...!
मुझे तुम्हें यहां लेकर नहीं आना चाहिए था..!
अगर तुम्हें कुछ हो जाता है तो मैं तो बेमौत मर जाऊंगा..!
ओह शट अप यार ...!
कम से कम इस वक्त ऐसी बातें ना करो..!
कुछ भी हो जाए हमें हार माननी नहीं है! सुन रहे हो तुम..!
चाहे मेरी मौत क्यों ना हो जाए तुम वह हड्डियां वहां से निकालकर दूसरी कब्र में डालोगे..!
वादा करो, वादा करो मुझसे..!
ऐसी बातें मत करो जिया मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा..!"
मैं जानती हूं पर तुम्हें यह करके दिखाना है..!
मैं वादा करता हूं जिस काम को अंजाम देने आए हैं उसे पूरा किए बगैर मैं नहीं जाऊंगा तुम्हारी कसम जिया..!
जियाकी आंखें भर आई थी उसका मन किया दौड़कर तेजी से उसके गले से लिपट जाए..!
पर अपने मन पर कंट्रोल किया!
पता नहीं क्यों उसे लग रहा था अमन उसे अपनी ओर खींचता जा रहा है!
अब उसे अमन की भी फिक्र होने लगी थी!
खुद को संभालते हुई जिया तेजी से खड़ी हुई..
अपने चारों ओर खेतों के किनारे पर खड़े घने पेड़ों को वह देख रही थी!
पर्णों की सरसराहट से उसके कान बज रहे थे!
एक वृक्ष पर कोई बड़ा सा पक्षी बार बार पंख फफड़ा कर उड़ रहा था और वापस पेड़ की चोटी पर बैठ ने की कोशिश कर रहा था मगर जैसे उस पेड़ पर कोई था जो उसे वहां बैठने नहीं दे रहा था!
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अब्बा को कराहता देखकर खलिल जैसे ही बाहर आया.!
उसकी गर्दन को जिन्नात ने धर दबोचा!
खलील की पूरी बॉडी हवा में लहरा रही थी उसको ऊपर उठा लिया गया!
आवाज हलक में रुक गई थी!
एक पल के लिए उसे लगा की जिन्नात उसे मौत के घाट उतार देगा!
उसी वक्त!
तेजी से उसके मन में एक विचार कौंघा!
एक पल की भी देरी किए बगैर उसने जींस की जेब में हाथ डाला !
उसके हाथों में वह चीज थी जो अलग होते वक्त बाबा ने उसे यह कह कर दी थी कि अगर जिन्नात का दुबारा सामना हो तो यह चीज उसके शरीर को सटा देना..!
वह और कुछ नहीं सूअर की हड्डी थी !
तेजी से उसने वो हड्डी अपनी गर्दन को जकड़े हुए हाथ पर लगा दी!
वह जमीन पर ऐसे गिरा जैसे किसी ने उसे पटक दिया हो!
वह उसके सामने खड़ा था!
तकरीबन 7 फुट से ऊंचा था उसके बदन पर श्वेत लिबास था!
आंखों से अंगारे बरस रहे थे!
यहां तुमने मुझसे मेरी दुल्हन को छीना है!
और वहां तुम्हें चाहने वाली जिया मुझे मिटाने की कोशिश में लगी है!
जहां से मेरा वजूद है वहां पहुंच गई है वह तू देख उसका मैं क्या हश्र करता हूं..!
इतना कहकर वह तेजी से हवा के झोंके की तरह गायब हो गया!
खलील के चेहरे पर हवाईयां उड़ रही थी!
जिया मुश्किल में है क्या वह हॉस्पिटल से भागी है!
अपने घर में प्रवेश करते ही खलिलने जिया की दादी को कोल लगाई!
( क्रमश:)

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