Jinnat ki Dulhan - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन्नात की दुल्हन-3

"जिंदगी ने क्या खूब तजुर्ब् दिये

अपनी ही लाश अपने कंधे उठाई हमने"

***

खलिल के दिल से जैसे पिगलता हुआ दर्द अल्फाज बनकर दिमाग को टटोलने लगा था..!

***

अपनी परछाई तुजको धोखा दे गई

जिसे तु अपनी किस्मत समज रहा था..! "

***

खलिल का दिल भी जैसे उससे बगावत पर उतर आया था! भीतर उठे जंजावात को दबोच कर खलिल बाहर निकला!

अब्बा के रुम के स्नानागार में घूसकर खलिल ने स्नान किया!

दबे पाँव वहाँ से निकल रहा था तो

सुलतान ने उसे देख लिया..!

"बरखुरदार.. सब ठीक तो है ना..? एसे बिल्ली की तरह क्यूँ भाग रहे हो..?"

अब्बू ने पकड लिया तो बिना हडबडाये पहले से रेडी उतर खलिल ने सलाम करते हुए दिया!

"असलामोलयकुम अबाजान..! "

'वालयकुम असलाम..! '

वो उधर गुलशन बाथ ले रही थी तो मैने सोचा मै भी अब्बू के कमरे का उपयोग करके रेडी हो जाता हूँ..!"

ठीक है ठीक है.. पर हम तुम्हारी जगह होते तो अपनी पत्नी के साथ ही बाथ लेते..!

केहकर सुलतान हसने लगा!

खलिल शर्म से झेप गया..!

अच्छा था कि अम्मीजान बाहर थी वरना अब्बू की जरूर टांग खिंचती!

"ईधर आओ बेटे..! "

सुलतान ने एक अच्छे दोस्त की तरह खलिल को अपने पास बुलाया!

"जी कहीए अब्बूजान..!" खलिल अब्बा के बगल मे बैठ गया!

अपने चेहरे पर खोखली मुस्कान का मुखौटा चडाकर..!

श्वेत पठाणी कपडो मे वो काफी आकर्षक लग रहा था!

चहेरे पर खुदा का नूर उतरा था!

"देखो बेटे..!, सुलतान ने खलिल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा!

मै जानता हूँ तूम गुलशन को पहले से ही बेईन्तहा महोब्बत करते हो...!

और सब से बडा सच भी यही है अपना दिल जिससे जितनी महोब्बत ज्यादा करता है फिर कभी बात बिगडती हैं तो बूरा भी उतना ज्यादा लगता है !

गुस्सा, द्वेष, ईर्षा, नफरत सबकुछ प्रेम की अतिरिक्तता है !

महोब्बत करते हो ईसलिये एक दूसरे का खयाल रखना!

अभी उसको तुम्हारी जरूरत है ये समय एसा है कि जितना ज्यादा एक दूसरे को संभालोगे आने वाले तुम्हारे सुनहरे भविष्य के लिए यही लम्हे अहम साबित होने वाले है !

"जी अब्बा हूजुर..! "

वो अब्बा के गले लिपट गया!

अपनी आंखों से जो बांध टूट ने को तैयार था उसे काफी मशक्कत से खलिल ने रोक रखा था!

कैसे बताता वो अब्बा को की बात क्या थी..?

कितने खुश थे परिवार के सारे सदस्य

अब्बू, अम्मीजान, चाचा, चाची और चचेरी बहने दुवा, आलमिन..!

हर कोई उसकी शादी के माहौल से अभिभूत था!

धरमे बहूरानी की मौजुदगी से फिलहाल सबके चहेरे खिले हुए थे !

वो किसी को ईस वक्त अपनी जिंदगी की कड़वी सच्चाई के जलजले से अवगत नही कराना चाहता था!

सुलतान की पारखु नजर ने यह ताड लिया था कि कोई तो बात दोनो के बिच एसी जरूर हुई है जिसके चलते खलिल का चहेरा उतरा हुवा लग रहा है!

भले ही न कहे!

उसका बाप हू.. बीन कहे सब समझ जाता हूँ..!

फिर सुलतान ने खलिल की पीठ पर हाथ रखते हुए कहा !

मेरे बच्चे सच्ची महोब्बत हर किसी को नसीब नई होती और जिसे नसीब होती है उसे उसकी कदर नही होती!

आप जाये..! और बहु को अपना फार्म हाउस दिखाकर आऔ..!

तब तक मै आपको एक और सरप्राईज देने वाला हूँ

'जी अब्बा..!'

केहकर खलिल उनके कमरे से अपना मूह छूपाता हुवा बाहर निकल गया!

सुलतान अपने बेटे की हालत देखकर काफी परेशान हो उठा था!

पता नहीं क्या बात थी जो वो बताने से हीचखिचा रहा था!

उसका पता लगाना पडेगा !

वो बात उसे अंदर ही अंदर खाये जा रही है!

कुछ महेमान थे जो सोये हुए थे!

खलिल चुपचाप अपने कमरे मे वापस धूस गया!

कमरे में डरते डरते उसने कदम रखा!

उसे डर था कही फिर गुलशन भडक गई तो..?

स्नान करने के बाद कुछ थकान कम लग रही थी मगर मानसिक परेशानी बढ गई थी उसने सारे कमरे को ध्यान से देखा!

पहेली निगाह मे कही कुछ अप्रियकर नही लगा

बेड की चद्दर सलीके से बिछाई गई थी!

कुछ भी अस्तव्यस्त नहीं था!

कही गुलशन नजर नही आ रही!

परदे हवा से सरसराहट कर रहे थे!

वो खाली कमरे में नजरे धुमाकर बैड को टकटकी लगाये देख ने लगा !

उसे लगा जैसे कोई बैड पर बैठा उसे धूर रहा है जबकि वहां पर कोई नहीं था !

उसके मनमे जिन्नात की भारी भरकम आवाज फिरसे हथोडे की तरह गूंजने लगी!

"उसके साथ- साथ मेरी भी शादी हुई हैं उस से

अब गुलशन जिन्नात की दुल्हन है...!"

उसकी आंखें डर के मारे सिकुड सी गई !

बाहर गैलरी में जाने वाले दरवाजे के पर्दे ज्यादा फडफडा रहे थे !

उसको दरवाजा खुला होने की भनक लगी !

वो तेजी से पीछे गैलरी मे निकलने वाले दरवाजे के करीब आया!

दरवाज़ा खुला देखकर खलिल को यकिन हो गया की गुलशन वहाँ हो सकती हैं !

खलिल ने अपनी तस्सल्लि के लिये गेलेरी में झाँका

श्वेत ड्रेस पहेन कर गुलशन खडी थी..!

उसके खुले सुनहरे बाल हवा से उछलकर बार बार चाँद को ढकने की कोशिश कर रहे थे!

और वह बार बार बालो को सम्हाल रही थी

वाईट ड्रेस में वह काफी खूबसूरत लग रही थी!

हवा का रूख ईधर होने से उसके कपडो मे लगे तरह तरह के ईत्र की खुश्बू आ रही थी.!

मोगरो गुलाब, जन्नतुल फिरदोश ईतनी सारी खुश्बू एक साथ थी..!

बहोत से गहेने गुलशन ने पहेन लिए थे!

खलिल को हैरानी उस बात की थी सूब्हा उसने अपने हाथो से गुलशन को जीन्स पर पिला ड्रेस पहेनाया था!

मतलब साफ था कि उसने जान बूझकर

खलिल पर रेप का आरोप लगा कर बाहर भगा देने के बाद बदल दिया होगा!

खलिल उसे चुपचाप पीछे से देख रहा था !

और उसकी नजरे टीकी हुई थी दूर दूर हरी भरी पहाड़ीयो पर बने एक पुराने खंडहर जैसे महेल पर!

उसने पीछे देखें बगैर ही खलिल से कहा!

"आऔ खलिल.. देखो ना वो हरीभरी वादियां मे खंडहर का नजारा कितना खुबसुरत है..?"

सूब्हा कि कटूता मन मे नही थी ये देखकर

खलिल को अच्छा लगा!

वो गुलशन की बगल मे खडे होकर वह खुबसुरत नजारे को देखने लगा!

वाकई वो जगह सुंदर थी!

हरियाली मे पर्वतो के बीच धूंवे की तरह बादल मंडराने लगे हैं !

"हा, बहोत सुंदर है आपकी तरह मेडम जी.! "

गुलशन से डर जाने के बाद पहेली बार वह उनसे खुलकर बात कर रहा था !

'आप मूजे वहां ले चलोगे..? "

हा हा क्यूँ नही..? बोलो कब जाना है..? "

"अभी..! "

"अभी..?" खलिल हैरतअंगेज नजरो से गुलशन को देख रहा था..!

ईतने भोले चहेरे के पीछे एक चालाक

दिमाग था!

जो अब शायद कोई गेम प्लान बना रहा था!

बूजुर्गो से खलिल ने यह भी सूना था की

जिन्नात को अक्सर श्वेत वस्त्र बहोत पसंद है..!

अतर की खुश्बू उनकी उपस्थिति दर्शाती है!

खलिल को कुछ कुछ समज आ रहा था!

गुलशन मे आये बदलाव का राज क्या है..?

क्या खेल खेलने वाला था?

खलिल काफी परेशान था।

गुलशन को वो पुरानी जर्जरित खँडहर जैसी हवेली दिखाने ले जाने का वादा कर चूका था।

दूसरी तरफ वो गुलशन के मौजुदा बदलाव से आहत था ।

वो किसी और से नहीं पर अपनी सबसे अच्छी दोस्त जिया को बात कर सकता था।

वही कुछ ईसका हल ढूंढेगी ये सोचकर खलिल ने कुछ भी बहाना करके जिया से मिलना ठीक समझा।

अपनी सोच को अमलिजामा पहनाते हुये वो सीधा अम्मीजान के पास पहुंचा।

वह किचन मे थी।

"असल्लामोलयकुम अम्मीजान..!"

वालयकुम असलाम..!

"बहोत जल्दी उठ गये बेटे अभी नाश्ता भी रेडी नही है?"

"कोई बात नहीं अम्मीजान जान पर आप जरा गुलशन को भी किचन मे बुला लिजिये जरा हमभी तो देखे उसके हाथों में जादू हैं या नहीं..?"

उसको रेडी हो जाने दो फिर बुलाती हूं..।

" वो रेडी है..! ईधर आती ही होगी..!"

तभी गुलशन आ गई।

असलामोलयकुम अम्मीजान..!

वालेकूमअसलाम..! "

"आपके साहबजादे मेरी क्या बुराई कर रहे थे..! "

वही कि मै प्रेम की गिरफ्त मे फस कर तुम्हें उठा तो लाया मगर कुछ खाना-बानाभी अच्छा बना लेती हो या नहीं..?

हम..! तो बात ये है..?'

क्या खाना चाहते हो..?'

कुछ भी बनालो..!'

आलू के पराठे..?

जी ठीक रहेगा..!

"चलो अम्मी आप बाहर बैठो ईत्मिनान से मै सब रेडी करके ले आती हूं..!"

गुलशन ने तैयार हो कर किचन मे घूसकर खलिल और उनकी अम्मीजान को हैरत में डाल दिया!

"ठीक है तब तक मै भी दोस्तों से मिल लेता हूं..!

नाश्ता करके फिर बाहर चलेंगे..!

खलिल ने जाते जाते कहा..

जिया को मिले हुये तकरीबन एक महिना हो चूका था।

जब से खलिल से गुलशन मिली थी तब से जिया ने खलिल से मिलना जुलना बंद कर दिया था।

आखिर क्या बात थी खलिल आजतक नही जान पाया था।

जिया खलिल की सबसे अच्छी दोस्त थी।

वो खलिल का हमेशा बहोत खयाल रखती थी।

खलिल गुलशन के साथ मे सबकुछ भूल चूका था ।

वो भूल गया था कि कई और लोग भी है जो उसके बहोत करीब है..!

कई बार वो अपनी लिनिया मे लोंग ड्राइव पर निकलता था तो जिया उसके साथ होती थी।

जिया अपने दादा दादी के साथ रहेती थी।

उसके माता-पिता का बचपन मे ही ईन्तकाल हो चूका था।

मगर दादा दादी ने बडे प्यार से पाला था उसे।

कभी अहेसास नहीं होने दिया था कि वो बिन मा बाप की है ।

उसकी आखिरी मुलाकात के पल खलिल के जेहन और आंखे मे उभर आये..!'

"क्यो रे बेवकूफ.. मूजे क्यो याद किया..?"

सूब्हा की किरने उसके गोरे चहेर की रंगत बढा रही थी!

ब्लेक पंजाबी ड्रेसमे वो कयामत ढा रही थी।

उसकी सेहत काफी अच्छी थी गाल भरे भरे थे..।

वो हसती थी तो वह मखमली गालोमे डीम्पल पडते थे।

उसकी हडपची पर चरबी की वजह से दाढी नीचे का हिस्सा काफी भारी लग रहा था!

उसके सुनहरे बाल और खूबसूरत चहेरे की बहोत कुछ बोलती आँखे खलिल के मन को भाती थी।

"अब एसे क्या देख रहा है खलिल..! मै हूं..! भूल गया मूजे..? "

अरे नही मेरी नानी..! आज लगता है जैसे चाँद जमी पर उतर आया..!"

"आई नो आई नो..! मुजपर शायरी मत करना..! "

अरे हा मेरी मा..! बैठो हम लोंग ड्राइव पर चलते है..!

"अब उसको लिजाओ..!"

"किसे..? " खलिल ने जिया के चहेरे पर जलन देखी..।

"तुम्हारी नई दोस्त को..!"

"तूम नही आना चाहती तो उसको ले जाएंगा! "

ठीक है उसे ही ले जाओ.. ओर एक्जाम के वक्त उसकी हेल्प लेना..!'

वह गुस्से से वहाँ से निकल गई!

खलिल उसकी अकड से हैरान था!

तब वह उस के पीछे छूपे लगाव को समझ नही पाया था!

वह अकेला ही गाडी का एक चक्कर लगाकर वापस लौट आया था..!

***

जिया मन ही मन खलिल को बेईन्तहा महोब्बत करती थी!

मगर कभी उसके होठो पर वह बात नहीं आई थी!

कोलेज मे बहोत सारी लडकियाँ उसकी गर्लफ्रेंड बनने तैयार बैठी थी!

पर जिया की तरह कोई उसकी दोस्त भी नही बन पाई थी!

गुलशन जिया की बेस्ट फ्रेन्ड थी!

वो बहोत कम वक्त मैं खलिल के करीब आ गई थी..! उससे जिया काफी परेशान रहेने लगी थी!

उस वक्त एक घटना घटी!

जिसमे उसकी भी गलती थी!

फिर वो नही चाहती थी की ईस बात की खलिल को भनक भी लगे..!

और जिया की चुप्पी की सबसे बडी सजा आज खलिल भुगत रहा था..!

जिसका जिक्र भी वो खलिल से कभी नही कर पाई..!

शायद अपनी गलती को छिपाने ही वो खलिल से दूर रहेने लगी!

खलिल ने गुलशन से शादी करली!

तब जिया सब जानती थी अब क्या होने वाला है..!"

***

(क्रमश:)

जियाने ऐसी क्या गलती की जिसकी वजह से आज खलिल की जिंदगी उलजन बन गई?

जानने के लिये पढते रहे "जिन्नात की दुल्हन"

साबीरखान पठान

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