Jinnat ki dulhan - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन्नात की दुल्हन -11

खलील घर लौटा!
तब वो काफी परेशान था!
घर में चौखट पर अम्मी चहल कदमी कर रही थी!
खलील को देखते ही उनकी जान में जान आई !
बोली- न जाने सब को क्या हुआ है जो मुझसे कोई बात भी करना नहीं चाहता? और बिन बताए ही घर से बाहर निकल जाते हैं सब?
बताओ खलील कहां गए थे तुम सुबह से? तुम्हारे जाते ही गुलशन भी चली गई थी! और तुम्हारे पापा वह भी तो दबे पाँव निकल गए!
समझ में नहीं आता कि किस फिराक में है वह..?"
फिलहाल अम्मी के दिमाग में कोई परेशानी खलील डालना नहीं चाहता था!
सो कह दिया!
" टेंशन मत लो अम्मा! हम यहीं थे ,जिया से मिलने गए थे!
उनके घर से मालूम हुआ कि वह अस्पताल में हैं और उन्होंने जहर खा लिया था!
तो हम से रहा ना गया!
वह हमारी खास दोस्त है..!
अल्लाह उनको सेहत बक्शे!
पर बेटे जहां भी जाओ बता कर जाया करो..! आपकी मम्मी को सबर नहीं होता...!
"गलती हो गई हमसे अम्मीजान !
अब्बू को बताया था की दोस्तों से मिलकर आते है !
शायद वह आपको बताना भूल गए होंगे!
"अब ऐसा नहीं होगा!"
खलील ने अपने कान पकड़े!
"ठीक है!
"खाना रेडी है!
गुलशन अपने कमरे में है!
आप दोनों खा ले!
आपके अब्बू आते हैं तो हम उनके साथ खा लेंगे.!"
"तो अब अब्बू को आ जाने दो अम्मीजान सब साथ में ही खाएंगे..!"
इतना कहकर खलीलने अपने कमरे की और कदम बढाये..!"
उसके मन में फिलहाल यही सोच थी!
गुलशन के मुंह से शायद वह बात निकल जाए , की आखिर जिन्नात किस फिराक में है.?"
उसे अब्बाजान को लेकर भी टेंशन हो रही थी.!
किसी को कुछ बताए बिना अब्बू जान भी बाहर गए थे!
"क्या उन्हें मेरे दिल का राज मालूम तो नहीं हो गया ना?
अब्बू जान इंसान के चेहरे की लकीरे पढ़ने में काफी माहिर है!
कुछ भी कहा नहीं जा सकता!
अगर ऐसा हुआ है ,तो बहुत ही बुरा हुआ है!
क्योंकि वह मेरी परेशानी देख नहीं पाएंगे! और कुछ ना कुछ रास्ता ढूंढने निकल जाएंगे!
हालांकि जिन्नात नहीं चाहता की कोई उसके मामले में दखलअंदाजी करें.!
गुलशन के अब्बाजान जमीन में दफन हो गए!
इसी बात का सबूत है.!
खलील जब कमरे में पहुंचा तो उसने देखा! मखमली सोफे पर बैठ कर गुलशन टीवी देख रही थी.!
उसने दरवाजे की ओर देखे बगैर ही अपना हाथ ऊपर उठाया!
और कहा!
"मेरी रूह को बुलाया गया है कायनात से
इस कदर आग से भरा है दिल की पिघलता नहीं...!"
फिर आग उगल रही निगाहों से गुलशन ने खलील को देखा!
"शायर साहब मिल आए अपनी महबूबा से..?"
खलील हक्का बक्का रह गया.!
पता नहीं इसे कैसे मालूम हो गया.!
"तुम जानती हो..?"
बचकाने सवाल ना करो!
मैं क्या नहीं जानती ? वह पूछो.!
जिया अच्छी लड़की है! तुमसे बहुत प्यार करती हैं!
और देख लिया ना!
तुमने उसका क्या हाल कर दिया है?"
"मैंने कुछ नहीं किया?"
खलील बावला सा हो गया !
समझ नहीं पा रहा था गुलशन को क्या कहें?
"सब जानती हूं मैं फिकर ना करो !
वह तुम्हें छोड़कर कहीं जाने वाली नहीं है! और ना ही अब उसे तुम ठुकराओगे..!
मेरा ख्याल अपने दिमाग से निकाल दो!
मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं..!
खलील दिमाग पर जोर दे रहा था!
उसकी नजरें गुलशन के मासूम चेहरे पर थी!
वह जानता था कि इस बार मासूम चेहरे के पीछे से खेलने वाला खिलाड़ी बोल रहा है !
गुलशन कभी ऐसी बात ना बोलती!
वह मुझसे बहुत प्रेम करती है..!
जिन्नात चाहता यही है की मैं अब गुलशन के बारे में ना सोचु!
उसे कैरेक्टर लेस समझकर भुला दूं.!
फिर वह आसानी से गुलशन को जब चाहे अपने साथ ले जा सकता है.!
खलील का दिमाग सुन्न हो गया था!
एक तरफ उसके लिए जान से खेल गई जिया थी!
तो दूसरी तरफ जिन्नात की जाल में फंसी हुई गुलशन थी,
जो हर पल उससे दूर होती जा रही थी..!
"आप हमारे साथ खाना खा लो..?"
"नहीं हम अपने हाथों से खाना बनाएंगे और उन्हें खिलाएंगे..?"
"किसे गुलशन ..? हमे? "
"हमने कहा ना सवाल ना करो..!
हमें सवाल अच्छे नहीं लगते जाओ आप खा लो..!
हम उनके लिए गोश्त बनाएंगे उसकी मसालेदार खुशबू से वह तर हो जाते हैं!
हमारे हाथ का खाना खाने को कब से बे सबर है..!
जरा हम जिया को बधाई देने पहुंच गए थे इसीलिए देर हो गई वरना..?"
ओह..!
उसका मतलब कि आप भी अस्पताल में थी!
"हां ,हम अस्पताल में थे !
क्योंकि जिया को बोलना चाहते थे!
की खलील अब आपका है!
हमारा उनसे कोई वास्ता नहीं!
आप अपनी जिंदगी उसके साथ बसर कर सकती हो!
खलील ख्वौफ खाई नज़रों से गुलशन को देख रहा था!
कि तभी बाहर किसी के कदमों की आहट सुनाई दी!
" लो अब्बू जान भी आ गए..!"
गुलशन में खलील के सामने आंखें तरेरी.. !
"शायद उन्हें अपनी जिंदगी प्यारी नहीं है!मेरे रास्ते में रुकावट डालने की आज पहली गलती कर चुके हैं वो..!
जाओ मिल लो उनसे..!"
खलील की आंखें फटी रह गई थी!
उसका डर बिल्कुल दुरुस्त था!
वह जिन्नात जान चुका था..!

***** ***** ********


गुलशन की बात सुनकर खलील का दिमाग भन्ना गया था.!
आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ था ,
खलील किसी की धमकी से डरा हो!
मगर जब से उसकी जिंदगी में गुलशन आई थी
तबसे वह सिर्फ डर और डर महसूस कर रहा था!
उसे अपनी जान की फिक्र नहीं थी!
फिक्र थी पूरे परिवार की ..!
साक्षात मौत के सौदागर से जूझ रही गुलशन की..!
अंदर ही अंदर वह टूटता जा रहा था! उसका मस्तिष्क फ्रीज हो गया था!
आज जब गुलशन ने उसके अब्बाजान के लिए धमकी दी तो खलील के बदन में आग सी लग गई थी.!
झुंझला कर वह अपने कमरे से बाहर निकल गया!
गुलशन किचन में जा चुकी थी.!
खलील सीधा अब्बा जान के सामने जाकर रुका!
खलील को देखते ही सुल्तान सकपकाया!
शायद वह अम्मी जान से कुछ बात कर रहे थे की रुक से गए!
उनकी आंखों में खौफ का मंजर कत्थक कर रहा था!
"अब्बा जान कोई बात जरूर है जो आप मुझसे छुपा रहे हैं..?"
खलील ने मासूमियत से पूछा!
सुल्तान खलील की आंखों में देख रहा था!
शायद वह भांप रहा था कि खलील इतना भोला बनने की कोशिश क्यों कर रहा है..?
क्यों अपने अंदर के ज्वालामुखी को दबा के रखा है उसने?
क्यों भीतर ही भीतर जलकर वह मर रहा है..?
अपने मम्मी अब्बा को अपनी परेशानी नहीं बता सकता..?
कुछ हद तक संभाल कर सुल्तान बोला! "यही बात तो मैं तुझसे जानना चाहता हूं बेटे..!
अपने अंदर ही अंदर तूफान रहे दावानल को समेट कर घुट घुट कर मरना अच्छी बात है..?
अपनी परेशानियां तूने हमसे शेयर नहीं की क्या हम तेरे लिए इतने पराए हो गए..?
खलील फफक पड़ा!
वह अब्बा जान के सीने से लिपट गया!
रूआंसी आवाज में बोला
" क्या करता मैं अब्बा जान !
मुझे अपनी जान से ज्यादा आप लोगों की जान प्यारी है?
क्या कर रही है वह..?
सुल्तान ने खलील के कमरे की ओर देखते हुए पूछा.!
गोश्त बना रही हैं!
खलील ने एक कागज के टुकड़े पर कुछ लिखकर सुल्तान के सामने रख दिया!
पहले सुल्तान में वह लिखावट पढी!
"आप दोनों मेरे साथ बाहर चलो कुछ बातें करनी है धीरे !
अपनी पलके झुका कर सुल्तान ने हामी भरी!
सुबह से खलील की मम्मी यह देख कर परेशान थी की अपना शौहर किसी उलझन में था!
खलील भी खौफ खाया नजर आ रहा था! किसी के पीछे भाग रहा था!
गुलशन थी मगर ना होने के बराबर !
जैसे वह अपनी ही धुन में मस्त थी !
उसे किसी परिवार के सदस्य से कुछ लेना देना नहीं था !
जैसे किसी से कोई नाता ही नहीं था..!
कोई ऐसी बात तो थी जो उसके संज्ञान में नहीं थी!
और वह आखिर क्या बात है ?
जानने की तलब उनको बढ़ती जा रही थी!
जब शोहर में हाथ थाम कर खलील के साथ बाहर जाने का इशारा किया तो,
एक भी शब्द बोले बगैर वह उनके पीछे हो ली...!
तेजी से भागता हुआ खलील कुछ ही कदम पर बनी मस्जिद की बाहरी कोठरी तक पहुंच गया.!
मम्मी अब्बा को भीतर ले कर दरवाजा बंद कर दिया!
उसकी आंखों में अभी भी डर मौजूद था! वह सही कर रहा था या गलत समझ नहीं पा रहा था!
क्योंकि जिन्नात को हर एक बात का पता लग जाता था!
न जाने कल क्या होने वाला है ?
वह खलील नहीं जानता था!
आवाज में जैसे उसकी तड़प ऊभर आई!
अब्बाजान..! घुट घुट कर जी रहा था मैं
मुझे भी उसी दिन पता लगा, जब गुलशन शादी के जोड़े में अपने घर आई..!
पहली रात में ही उसने अपना वह रूप मुझ को दिखाया!
जिसकी मैंने कल्पना तक नहीं की थी!
मेरी जिंदगी के सारे ख्वाब एक ही पल में चकना चूर हो गए!
मोहब्बत के मंजिलों को आंखों में भर के आसमान में उड़ रहा मैं उसके धिक्कार से एक ही पल में जमीन पर आ गीरा!
वह जिन्नात को साथ लेकर आई थी अब्बा जान..!
जिन्नात की दुल्हन थी वो!
फिर मेरी बीवी बनने का तो सवाल ही नहीं उठता ,
जो कुछ हुआ वह सिर्फ उसके लिए हुआ!
मैं तो सिर्फ उसका मोहरा था!
जिसे इस्तेमाल करके छोड़ दिया गया!
हर रोज गुलशन को उसके साथ देखता हूं !
मेरा रोम रोम सुलग उठता है!
अपनी जिंदगी को बिखरता हुआ रोज देखता हूं जैसे कोई मेरे जिस्म को छूरी से वार करके कुरेद रहा है!
"सही कहा बेटा गुलशन जिन्नात को अपने साथ लेकर आई है मैंने सब पता कर लिया है..!"
सुल्तान ने अपने बेटे को बताते हुए कहा!
सायरा बहन को पहले से ही सब मालूम था!
मगर मुझे लगता है!
जिन्नात ने उनको डरा धमकाकर वश में कर रखा है!
वह कुछ बताना ही नहीं चाहती थी.!
एक बात मेरी समझ में आ रही है!
उनके शोहर की अचानक मौत हो जाना आम बात नहीं थी!
यकीनन उस दुर्घटना के पीछे जिन्नात का हाथ रहा है!
बहुत कुछ पता लगा!
मैं भैरव घाट पर शिव मंदिर के बाबा से मिला था!
उन्होंने भी यही कहा बच्ची परेशान है!
उन्होंने मदद करने का वचन भी दीया है!
"अब्बा जान आपने बहुत बड़ा रिस्क लिया है!
जिन्नात ने मुझे साफ-साफ बताया है की अपने बाप को समझा दे उसको जिंदगी से प्यार नहीं है!
वह नहीं चाहता कि उसकी जिंदगी में कोई दखल दे.!"
"हम उसकी जिंदगी में दखल नहीं दे रहे हैं! उसने हमारी जिंदगी में दखल दी है.!
जब तक वह गुलशन के शरीर में है तब तक मुझे चैन से नींद नहीं आएगी !
ये जिंदगी चली भी गई तो कोई गम नहीं! तेरी खुशीयां पर जिंदगी कुर्बान है बच्चे!
आप ऐसा ना बोले बाबा जरूर कुछ ना कुछ रास्ता निकलेगा !
कोई तो होगा जो हमें जिन्नात के चंगुल से आजाद करवाएगा.!
ऐसे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से कुछ होने वाला नहीं है!
और शैतान क्या कर लेगा जिंदगी और मौत देना खुदा का काम है !
खुदा पर भरोसा रख!
शायद वो डर रहा है!
वरना धमकी ना देता!
"इसीलिए गुलशन के बर्ताव में फर्क आ गया है !
खलील की अम्मी बात जेहन में साफ होते ही बोल उठी.!
काफी हैरत में थी मैं जब मैंने सुना कि वह फिर से खाना बना रही है..!
गोस्त बही खाता होगा!
भैरव घाट के बाबा ने तसल्ली दी है तो जरुर ईस शैतान को बच्ची का शरीर छोड़ कर जाना होगा!
तभी तो वह छटपटा उठा है!
हां मेरा भी यही मानना है सुल्तान ने अपनी बेगम की बात थाम ली!
अब आप दोनों घर जाओ!
वरना गुलशन फिर भड़क जाएगी!
मैं जब तक मुसीबत को जड समेत उखाड न फेंकु मुझे खाना पिना हराम है..!
इतना बोल कर सुल्तान वहां से निकल गया!
खलील अपने अब्बा को अच्छी तरह जानता था!
जब वह कोई बात पकड़ लेते तो तब तक नहीं छोड़ते थे जब तक उसका कोई हल ढूंढ नहीं लेते!
आज भी उनकी आंखों में वही आग थी!
खलील की अम्मी का ह्रदय धक से रह गया!
वह समझ चुकी थी की पानी सर पर से बहने लगा है!
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शाम का वक्त था!
जिया काफी हद तक स्वस्थ थी!
नर्स अभी अभी इंजेक्शन लगा कर गई थी!
मुंह पर से मास्क को हटा लिया गया था!
अब अपने सूजे हुए शरीर की उसे परवाह नहीं थी !
परवाह ही तो सिर्फ और सिर्फ खलील की थी!
उसके चेहरे में छुपे दर्द को जिया ने महसूस किया था!
अपने आप को कसूरवार समझने लगी थी वह !
जिसको अपनी जान से ज्यादा चाहा था, उसे इस हालात में ला छोड़ा था की
वह पागलों की तरह मारा मारा दरबदर ठोकरें खा रहा था!
जिन्नात तो चाहता ही यहीं था की खलील और मैं एक हो जाउ!
गुलशन की जिंदगी के बदले मेरा प्यार मिले वह मुझे मंजूर नहीं!
मुझे ही कुछ करना होगा यह सोचकर जीया ने दादी से कहा!
" दादी डॉक्टर से कहो मैं अभी की अभी घर जाना चाहती हुं!
"तुझे इस हालत में हॉस्पिटल से छुट्टी नहीं मिलेगी बेटी..!"
जाना तो होगा नहीं तो जीते जी मैं कभी अपने आप को माफ नहीं कर पाउंगी!
दादी ने देखा कि उसकी आंखें भर आई है!

( क्रमश:)

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