Ek Apavitra Raat - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

एक अपवित्र रात - 2

एक अपवित्र रात

(विश्वकथाएं)

(2)

प्रेमिका को सलाह

ओविड

आर्स आमेतोदिया’ यानी ‘प्यार की खोज’ - यह था पब्लियस ओविडियस नासो यानी ओविड की उस पुस्तक का नाम, जो अपने समय (पहली सदी ई.पू.) की सर्वाधिक लोकिप्रिय पुस्तक सिद्ध हुई। परिणाम? - क्या आप ने कभी किसी हताश रोमन के बारे में सुना है?

तुम्हारा पति भी उस डिनर-पार्टी में आमन्त्रित है, जिसमें कि मैं। मेरी तो यही इच्छा है कि भोजन से उसका गला घुट जाए और वह अकड़ जाए और उसे उठाकर ले जाना पड़े। क्या मुझे मात्र मेहमान बनकर ही रह जाना पड़ेगा और केवल इतना ही अधिकार मुझे रह जाएगा कि मैं उस शरीर को सिर्फ देख ही सकूँ, जिसे मैं प्यार करता हूँ? और तुम्हें छूने का अधिकार किसी और को प्राप्त होगा? क्या तुम उसी की ओर झुकती रहोगी और अपने सिर से उस ‘बेचारे’ के सीने को गरमाती रहोगी - जबकि वह कभी-कभार यों ही अपना हाथ तुम्हारी गरदन पर रखता रहेगा?

अब इस बात पर कौन आश्चर्य प्रकट करेगा कि जब एक सुन्दरी की शादी हो रही थी और शराब मेजों पर आ चुकी थी, तो लैपिथों और घुड़सवारों के बीच फसाद छिड़ गया? मैं जंगल का प्राणी नहीं हूँ और न ही मेरे अंग घोड़े जैसे हैं, लेकिन अपने आपको तुमसे दूर रखने के लिए मैं यही कर सकता हूँ। इसलिए अच्छा हो, इस डिनर के लिए एक खास शिष्टाचार अपने दिमाग में बिठा लो और इतनी दृढ़ता से बिठा लो कि मेरे इन शब्दों को तुम्हारे दिमाग से न तो पूरब की यह ठण्डी हवाएँ मिला सकें, न दक्खिन की झुलसा देनेवाली लूएँ!

अपने पति से पहले ही आने की कोशिश करो। ऐसा नहीं कि मेरे दिमाग में कोई ऐसी योजना है कि तुम पहले आओगी, तो मैं यह करूँगा। फिर भी, अगर हो सके, तो मेरे साथ चुपचाप सरकती जाना। जब वह कोच पर पसर कर लेटे, तो तुम भी अच्छी पत्नी की तरह उसके साथ पसर जाना। पर इस बात का ध्यान रखना कि तुम मेरा पाँव जरूर छू दो और कोई तुम्हें ऐसा करते हुए देख भी नहीं पाए। अपनी नजर मेरे चेहरे पर ही रखना और मेरे हर इशारे, हर हाव-भाव की ओर ध्यान देना। मेरे गुप्त इशारों को तुरन्त पहचानना और जवाब देती रहना। बिना एक शब्द बोले, मैं अपनी भृकुटियों से ही तुम्हें सब तरह की बातें बताता चला जाऊँगा और शराब से भीगी मेरी अँगुलियाँ जो-जो शब्द बनाती जाएँगी, तुम उन्हें पढ़ लोगी। जब तुम्हें याद आए कि मैंने तुम्हें ज्यादा भींच दिया है, तो अपनी खूबसूरत अँगुली अपने फूल-से कोमल गालों पर रख देना। अगर मेरे व्यवहार में तुम्हें कुछ भी आपत्तिजनक लगे, तो अपने कान के निचले हिस्से को हौले से दबा देना। और जब मैं कुछ ऐसा कह दूँ, जिससे तुम्हारे भीतर खुशी और आनन्द की लहरें उठने लगें, तो अपनी अँगुली की अँगूठी को घुमा देना और उसे घुमाती ही रहना।

जब भी तुम यह चाहो कि तुम्हारे पति के साथ कोई शरारत की जानी चाहिए - और वह इस लायक है कि उसके साथ जितनी बुराई की जाए, उतनी ही कम है - तो तुम मेज को वैसे ही पकड़ लेना, जैसे प्रार्थना के समय लोग वेदी को पकड़ लेते हैं। अगर तुम उतनी ही चालाक हो, जितनी मैं तुम्हें मानता हूँ, तो अपने पति से कहना कि वह उस प्याले को खुद पीए, जो उसने तुम्हारे लिए मिलाया हो और फिर नौकर को अपनी मरजी की शराब लाने के लिए धीमी आवाज में कहना। तुम्हारे प्याले को रखते ही मैं उसे उठा लूँगा और जहाँ से तुम्हारे ओठों ने उसे छुआ होगा, वहीं मैं भी छू दूँगा। अगर वह तुम्हें कोई ऐसी चीज खाने को मजबूर करे, जो उसे अच्छी लगी है, तो उसका जूठा मत खाना। और उसको इसका मौका भी मत देना कि अपनी बाँहों से तुम्हारी गरदन को घेरकर वह तुम्हें अपने करीब खींच ले। उसके बस्साते सीने पर अपना नाजुक सिर मत रखना। उसे इस बात का मौका भी मत देना कि वह तुम्हारी छातियों और फुसलानेवाले चुचकों को पकड़ सके। और, सबसे ज्यादा, उसे चुम्बन मत करने देना। अगर तुमने उसे चूमने की मूर्खता की, तो हमारा प्रणय-सम्बन्ध एकदम खुल जाएगा, क्योंकि मैं एकदम चिल्ला दूँगा, ‘‘तुम मेरी हो, उसकी नहीं।’’ और मैं तुम पर झपट पड़ूँगा। खैर, उस तरह की भूलें तो मुझे दिख ही जाएँगी। मैं इस बात को लेकर ज्यादा चिन्तित और शंकालु रहूँगा कि वस्त्रों के नीचे क्या चल रहा है। उसकी जाँघ को अपनी जाँघ से मत छुलाना। उसकी टाँग पर अपनी टाँग मत रखना। अपने खूबसूरत पाँव से उसकी गन्दी टाँग को मत गुदगुदाना। यह मेरी बदकिस्मती है कि सब तरह के बिम्ब मुझे परेशान किये हुए हैं, क्योंकि यही सब कुछ मैं खुद करता रहा हूँ। मेरे अपने उदाहरण का डर ही मुझे गिराये दे रहा है। मेरी लड़की ने और मैंने अक्सर इसी तरह सबकी नजरों से बचाकर क्षण भर का आनन्द पाया है। लेकिन मुझे यकीन है, तुम उसके लिए ऐसा कभी नहीं करोगी। बहरहाल, उस स्थान से सभी वस्त्र अलग किये रखना, जहाँ कुछ भी होने की सम्भावना हो सकती है। पीने के लिए पति को प्रोत्साहित करती रहना, पर इस प्रोत्साहन में चुम्बनों को मत शामिल करना। और जब यह पी रहा हो, तो चोरी से और शराब ढालना न भूलना। अगर वह पीकर ऊँघने लगे और पसर जाए, तभी पता चल पाएगा कि हमारे पास सम्पर्क का मौका है या नहीं। जब तुम जाने लगोगी, तभी हर आदमी चलने को उठेगा। घर की ओर जाते समय भीड़ के बीचोंबीच चलना मत भूलना। वहाँ हम एक-दूसरे को ढूँढ़ लेंगे, और तुम मेरे जिस किसी अंग को रगड़ सको, रगड़ देना।

अफसोस कि मेरी यह सारी सलाहें ज्यादा-से-ज्यादा कुछ ही घण्टों के लिए उपयोगी हो सकती हैं! जब हम अलविदा कहेंगे, तो मुझे तुम्हें भीतर जाने ही देना पड़ेगा। रात को तो तुम अपने पति की रहोगी - दरवाजे के पीछे बन्द! और अपने आँसुओं सहित मैं केवल तुम्हारे दरवाजे तक ही जा सकता हूँ, उसके आगे नहीं। तब वह वे सभी चुम्बन ले लेगा, जो वह लेना चाहेगा, और चुम्बनों से भी कुछ ज्यादा... और तुम्हें उसको वह सब खुलेआम देना पड़ेगा, जो मैं केवल चोरी-छिपे ही पा सकता हूँ। पर एक काम है, जो तुम कर सकती हो - तुम जहाँ तक मुमकिन हो, बुरी तरह पेश आ सकती हो - तुम समर्पण में भी शरीर को कड़ा और कठोर बनाकर विरोध कर सकती हो। प्यार का एक शब्द भी मत फुसफुसाना, ताकि सारा काम ही गड़बड़ा जाए। मैं प्रार्थना करूँगा कि इस सारी यन्त्रणा में से उसे कुछ भी प्राप्त न हो। लेकिन अगर तुम उसके लिए इसे नहीं बिगाड़ सकतीं, तो कम-से-कम खुद भी आनन्द मत उठाना और फिर घर जाने पर जो कुछ भी हो, कल मुझे सीधी-सरल भाषा में बता देना कि तुमने उसकी मदद के लिए कुछ भी नहीं किया।

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