ख्वाहिशे
शहर के हाई क्लास एरीये की शाम का वक्त था | सडको पे गाडियां तेज रफतार से गुजर रही है ट्राफिक सिंगल हि है जिन्हें थामे हुए है | शोपींग मोल मे कस्टमर की भीड लगी है | पिजा-बर्गर की स्टोल लबालब भरी पडी है |
एक लकजरी कार सिंगल पे आके रुकती है | कार में बैठी एक लेडी अपनी 7 साल की बेटी को बड़ी सी चाकलेट देती है | लेकिन उसकी बेटी चाकलेट को खाने के बजाय हाथ में लेकर कार की सीट के उपर खड़ी होकर खिड़की से सिंगल से थोडे आगे फुटपाथ के उपर हवा में झूम रहे रंगबीरेंगे गुब्बारो को देखती है | वो बच्ची उसकी मम्मी को गुब्बारो की तरफ इशारा करती है | उसकी मम्मी उस तरफ देखती जिस तरफ उसकी बेटी इशारे कर रही है | वो देखती है की एक औरत फुटपाथ पे बैठी खिलौने बेच रही है और उसकी बेटी गुब्बारे बेच रही है | गुब्बारे बेचनेवाली बच्ची का ध्यान गुब्बारे बेचने के बजाय सामनेवाली बर्गर-पिजा की दुकान पर ज्यादा है .... जैसे उस बच्ची को बहुत भूख लगी हो ! उसका चेहरा भूख से बेहाल है | उसकी माँ खिलौने बेचती-बेचती निंद के झौके खा रही है |
ग्रीन सिंगल होते हि वो कार वहां से आगे बढ़ती है | कार में बैठी बच्ची का ध्यान अभी भी रंगबीरेंगे गुब्बारो के उपर है | उसकी मम्मी मोबाइल में व्यस्त है |
कार अब वहाँ से गुजरती है जहां पर वो बच्ची गुब्बारे बेच रही है | दोनो बच्ची की नजर एक होती है | फुटपाठ पर खड़ी बच्ची की नजर चाकलेट पर जाती है जो कार बैठी बच्ची के हाथ में है |
कार बड़े से शोपिंग मोल पे रुकती है | वो शोपिंग मोल गुब्बारे बेच रही लड़की से थोडे से फासले पर ही है |
कार से मम्मी और उसकी बच्ची उतरते है | बच्ची अपनी मम्मी को गुब्बारे दिखाकर उसे दिलाने की ख्वाहिश करती है पर उसकी मम्मी इशारे से ना बोलती है और आगे बढ़ने लगती है |
बच्ची गुब्बारे की जिद करती रोने लगती है | उसकी मम्मी ऊसे शांत करने के लिए दूसरी बड़ी सी चाकलेट हाथ में थमा देती है | ये सब गुब्बारे बेचनी वाली बच्ची देख रही है उसका अभी भी ध्यान चाकलेट के उपर ही है |
बच्ची चाकलेट को हाथ में लेकर गुब्बारे को देखती-देखती मोल में जाती है | गुब्बारे बेचनेवाली बच्ची भी उसकी तरफ देखती रहती है |
शोपिंग मोल में जाते हि गाडी सी उतरी बच्ची की मम्मी के उपर फोन आता है उसकी मम्मी बातें करने में बीजी हो जाती है | बच्ची मोल के आईने से गुब्बारे वाली लड़की को देखती रहती है |
शोपिंग मोल के गेट पर खड़ा सिक्युरीटी गार्ड बील चेक करने में व्यस्त होता है और वो बच्ची अपनी मम्मी और सिक्युरीटी गार्ड की नजर से बचकर उस मोल से बहार चली जाती है |
फुटपाथ पर खडी बच्ची ......मोल से बहार आ रही उस बच्ची को देखती है |
वो उसकी माँ की तरफ देखती है | उसकी माँ अभी भी निंद के झोके खा रही होती है | वो रंगबीरेंगे गुब्बारे हाथ में लेकर उस बच्ची की तरफ आगे बढ़ती है |
दोनो चमकते चहेरे के साथ एकदुसरे के सामने आ रही है |
अब दोनो आमने-सामने खड़ी रहती है |
दोनो एकदुसरे को देखकर फुलो जैसी मुस्कराहट बिखेरती है |
गुब्बारे वाली बच्ची उस बच्ची को एक गुब्बारा देती है और वो बच्ची अपने हाथों हाथ से गुब्बारा लेती है और दूसरे हाथ से गुब्बारे वाली लड़की को अपनी चाकलेट देती है |
बिना कीसी को पता लगे दोनो की ख्वाहिशे पुरी हो होती है |
गुब्बारे वाली बच्ची मुँह में चाकलेट रखके और कार से आई बच्ची गुब्बारे से खेलती हुई जहाँ से दोनो आई थी वहाँ की तरफ बढ़ जाती है |
समाप्त
Short Story Writer
Sanjay Nayka
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