POLLUTION Garvit agarwal द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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POLLUTION

प्रदूषण एवं उसके प्रकार ।

"प्रदूषण" ये शब्द सुनने में जितना छोटा है उससे कहीं ज़्यादा इसने पूरे संसार भर में तबाही मचा रखी है।सिर्फ प्रदूषण के कारण ही आज हमारा देश इस विश्व का तीसरा सबसे ज़्यादा प्रदूषित देशों में है। हम लोग हमेशा हर चीज़ के लिए अपने देश की सरकार को दोषी ठहरा देते हैं।परंतु क्या हम ठीक करते हैं?नहीं! ये गलत है।सिर्फ अपने देश के सरकार को दोषी घोषित कर देने से हम अपनी ज़िम्मेदारियों से बच नहीं सकते है।सरकार से ज़्यादा तो हम लोग प्रदूषण फैलाते हैं परंतु इस बात का एहसास हम लोगों को नहीं होता है और न ही हम लोग करना चाहते हैं। हमारे देश में आम तौर पर अमीर लोग गंदगी फैलाते हैं एवं गरीब लोग उसे साफ़ करते करते तंग आ जाते हैं। आज हम लोग अक्सर सड़क पे चलते चलते पहले तो कूड़ा फैला देते है और फिर हम ही लोग रोते घूमते हैं की नगर निगम सफाई नहीं करती।मगर क्या हम लोगों ने कभी भी ये सोचा है की हम लोग जो भी कूड़ा-गंदगी फैलाते हैं उसका हमारे देश,हमारे राज्य,हमारे शहर और हमारे गौरव पर क्या प्रभाव पड़ता है! अगर हम सब लोग ये सोच ले तो हमारे देश से प्रदूषण शब्द का भी नामोनिशान साफ़ हो जायेगा।

आज जब दूसरे देश-विदेश से लोग जब हमारे देश का भ्रमण करने आते हैं तो वो भी खुल कर हमारे देश को प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते क्योंकि जब वो देखते हैं कि इस देश के लोग ही देश को प्रदूषित करने में लगे हैं तो हम क्यों नही! इसका कारण सिर्फ और सिर्फ हमारा प्रदूषण करना है। हमारे देश की सरकार को प्रदूषण के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए और उसे बढ़ावा देने वालों को दण्डित भी करना चाहिए।सिर्फ यही कारण है जिसकी वजह से दूसरे विकसित देश में भारत की तुलना में बहुत कम प्रदूषण है।एक साफ़ देश ही तरक्की कर सकता है।अगर हम अपने देश को विकसित देखना चाहते हैं तो सबसे पहले तो हमे अपने देश को साफ़ सुथरा बनाना पड़ेगा।प्रदूषण की वजह से ही पृथ्वी की ओजोन सतह बुरी तरह से नष्ट हो गयी है और इसी के कारण से मनुष्यों को भीषण बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है।

प्रदूषण बहुत प्रकार के होते हैं। इनके मुख्य प्रकार ये हैं:

1) वायु प्रदूषण: जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है,वायु प्रदूषण मतलब होता है की जब प्रदूषण प्रदूषित वायु द्वारा फैलता है,तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं।वायु प्रदूषण सबसे खतरनाक प्रदूषण के प्रकारों में से एक है।वायु प्रदूषण हमारे आस पास के पूरे वातावरण को ज़हरीला कर देता है।इस प्रदूषण के वजह से मनुष्यों को सांस लेने बहुत परेशानी उठानी पड़ती है।अस्थमा के मरीज़ आज खुले वातावरण में नहीं घूम सकते हैं और इसका कारण भी हम ही लोग हैं। वायु प्रदूषण कई तरह से फैलता है जैसे की मोटरसाइकिल के धुँए से,कार के धुँए से,फैक्टरियों के धुँए से इत्यादि। इस तरह के प्रदूषण से बचा जा सकता है।अगर हम सब लोग फ़ालतू के उपकरणों का प्रयोग कम कर दे जिनसे वायु प्रदूषण होता है तो वायु प्रदूषण को नियंत्रण में लाया जा सकता है।

2)जल प्रदूषण: जिस तरह प्रदूषण गंदे पानी से फैलता है,उसे जल प्रदूषण कहते है। हमारी पृथ्वी तीन भाग से पानी से घिरी हुई है परंतु बड़ी अजीब से बात है कि इतना पानी होते हुए भी इस पृथ्वी पे पानी की किल्लत है क्योंकि ये सारा पानी खारा है,और हमारी पृथ्वी पे सिर्फ एक प्रतिशित ही पानी पीने लायक है। सोचने वाली बात है की पानी है सिर्फ एक प्रतिशित एवं लोग इतने और फिर भी हम इसे प्रदूषित करते जा रहे हैं। हम लोगों को ये भी पता है की हम लोग पानी के बिना जीवित नही रह सकते परंतु फिर भी हम इसे दूषित करने में लगे हुए हैं।अगर जैसी ही पानी की ज़रूरत समझ उसे बचने का प्रयास न किया गया तो वो दिन दूर नही जब पानी की किल्लत के कारण हम लोग तरस जाए पानी के लिए।जल प्रदूषण कई तरह से फैलता है जैसे पशु पक्षियों को पानी में नहलाना,कपडे धोते समय ज़्यादा पानी का उपयोग करना,आदि। जल प्रदूषण को रोका जा सकता है।यदि हम सभी जान ये सोच ले की पानी का उपयोग सिर्फ सही कामो के लिए करेंगे और गलत कामों के लिए नहीं करेंगे तो ये रुक सकता है।हम लोगों को खुद भी पानी ढंग से इस्तमाल करना चाहिए एवं दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्ररित करना चाहिए।दूसरों में पानी के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए और पानी को बचने के लिए अपने स्तर से जो भी संभव प्रयास हो सके वो करना चाहिए।

3)ध्वनि प्रदूषण:जब भी कोई प्रदूषण तेज़ ध्वनि एवं घातक ध्वनि द्वारा फैलता है,तो उसे ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।इस ध्वनि से सबसे ज़्यादा हानि कानो को पहुचती है।इस तरह का प्रदूषण सबसे ज़्यादा तेज़ लाउडस्पीकर,गाड़ियों के तेज़ एवं मल्टी टोन हॉर्न से होता है और ये सबसे ज़्यादा युवा पीढ़ी पे अपना बुरा प्रभाव डॉल रहा है क्योंकि आज के बच्चों को तेज़ आवाज़ के नीचे कुछ अच्छा नही लगता परंतु उन्हें ये नहीं पता की ये उनके विकास पे कितना बुरा प्रभाव डाल रहा है। इस प्रदूषण को कई तरह से रोका जा सकता है जैसे बच्चों को तेज़ ध्वनि से उत्पन्न होने वाले हानि बता कर,बच्चों को इनके प्रति जागरूक कर के,और स्वयं भी तेज़ ध्वनि का प्रयोग न करके इस तरह के प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

4)खाद्य प्रदूषण:जो प्रदूषण खाद्य में ईटनाशक मिला एवं खाद्य को प्रदूषित करने से होता है तो उसे खाद्य प्रदूषण कहते हैं।इस प्रदूषण ने बहुत से किसानों की जान ली है और ले रहा है क्योंकि पहले तो खाद्य के प्रदूषित होने के कारण किसान के खेत एवं उसकी पैदावार प्रभावित हो जाती है और फिर उसके पास आत्महत्या के अलावा कोई और रास्ता नहीं होता है।इस तरह का प्रदूषण आम तौर पर इसलिए होता है क्योंकि किसानों को खेती-बाड़ी की ज़्यादा जानकारी नहीं होती है। खाद्य प्रदूषण की वजह से खाद्य ज़हरीली हो जाती है और उसमे पैदावार भी अच्छी नहीं होती है।अगर खाद्य प्रदूषण को रोकना है तो किसानों को खेती की सही जानकारी देनी होगी एवं उनको इटनाशक सही से उपयोग करने के तरीके बताने होंगे।

अतः अंत में ये कहना चाहूँगा की अगर भारत को अगर विकसित देश के रूप में देखना है तो पहले भारत को साफ़ सुथरा एवं उसे प्रदूषण मुक्त बनाना होगा।