कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन किया जाता है। खासतौर पर यह त्यौहार मनुष्यों के द्वारा प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए गोवर्धन का ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन गिरिराज यानी गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन अन्नकूट का भोग लगाने की परंपरा है। इस दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और पशुधन की आकृति बनाई जाती है और विधि-विधान से पूजा की जाती हैं। कहा जाता है कि गोवर

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पौराणिक कथाये - 1

कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन किया जाता है। खासतौर पर यह त्यौहार मनुष्यों द्वारा प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए गोवर्धन का ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन गिरिराज यानी गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन अन्नकूट का भोग लगाने की परंपरा है। इस दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और पशुधन की आकृति बनाई जाती है और विधि-विधान से पूजा की जाती हैं। कहा जाता है ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 2 - भाई दूज की पौराणिक कथा

भाई दूज का त्योहार बहन और भाई के अटूट रिश्ते को समर्पित है। हिन्दू पंचांग के अनुसार ये पर्व साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। इस त्यौहार को भैया दूज, यम द्वितीया और भाई टीका के नाम से भी जाना जाता है।भैया दूज त्यौहार का मुख्य उद्देश्य, भाई-बहन के मध्य सद्भावना, तथा एक-दूसरे के प्रति निष्कपट प्रेम को प्रोत्साहित करना है। भैया दूज के दिन ही पांच दीनो तक चलने वाले दीपावली उत्सव का ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 3 - छठ पर्व की पौराणिक कथा

छठ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। लगभग सभी सभ्यताओं में देवता' की पूजा का एक पर्व है, लेकिन बिहार में इसका एक अनूठा रूप है। छठ पर्व एकमात्र ऐसा अवसर है जहां उगते सूर्य के साथ-साथ अस्त होते हुए सूर्य की भी पूजा की जाती है। छठ पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व पर भगवान सूर्य की उपासना करते हैं और उन्हें अर्ध्य देते हैं। इस पर्व को डाला छठ भी कहा जाता है क्योंकि डलिया में प्रसाद सजाकर, पानी में ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 4 - तुलसी विवाह की पौराणिक कथा

तुलसी विवाह की पौराणिक कथा एक बार शिव ने अपने तेज को समुद्र में फैंक दिया था। उससे एक बालक ने जन्म लिया। यह बालक आगे चलकर जालंधर के नाम से पराक्रमी दैत्य राजा बना। इसकी राजधानी का नाम जालंधर नगरी था। दैत्यराज कालनेमी की कन्या वृंदा का विवाह जालंधर से हुआ। जालंधर महाराक्षस था। अपनी सत्ता के मद में चूर उसने माता लक्ष्मी को पाने की कामना से युद्ध किया, परंतु समुद्र से ही उत्पन्न होने के कारण माता लक्ष्मी ने उसे अपने भाई के रूप में स्वीकार किया। वहाँ से पराजित होकर वह देवी पार्वती को पाने ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 5 - देव दीपावली की पौराणिक कथा

दीपावली के ठीक 15 दिन बाद और कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली या देव दिवाली का पर्व मनाया है lहिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन को सबसे शुभ दिन माना जाता है l इस दिन स्नान, दान, व्रत और दीपदान का विशेष महत्व होता है l साथ ही कार्तिक पूर्णिमा पर सुख-समृद्धि के लिए लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है l धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था lदेव दीपावली को त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 6 - क्रिसमस ईव और क्रिसमस डे से जुड़ी पौराणिक कथा

क्रिसमस ईव का त्योहार क्रिसमस के एक दिन पहले ( 24 दिसंबर को) मनाया जाता है। क्रिसमस 25 दिसंबर मनाया जाता है। क्रिसमस ईव की रात को युवाओ की टोली जिन्हें कैरोल कहा जाता है ,वे ईशा मसीह के जन्म से जुड़े गीतों को घर घर जाकर गाते हैं। क्रिसमस ईव की शाम हमारी सोसाइटी में, क्रिसमस ट्री को लाइटों से सजाकर, एक आदमी सांता की ड्रेस पहनकर, कुछ आदमी बजाते हुए, कुछ गाते हुए,सामुहिक रूप से घुमकर अपना धार्मिक प्रदर्शन कर रहे थे जो कि बहुत ही सुंदर, मनोरम दृश्य था। क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है ? ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 7 - लोहड़ी की पौराणिक कथा

लोहडी का त्यौहार मकर संक्राती से एक दिन पहले मनाया जाता हैं ।ये त्यौहार पूरे उत्साह और उमंग के प्रति वर्ष 13 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाता रहा है । इस त्योहार की ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी का त्यौहार नविवाहित जोड़ों और नए जन्मे शिशुओं के लिए खास होता है । लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था । लोहड़ी का अर्थ होता है लो का अर्थ लकड़ी, ओ का अर्थ उपले और ड़ी का अर्थ रेवड़ी से है । यानि तीनों शब्द के अर्थों को मिला कर लोहड़ी शब्द बना है ।ऐसा माना जाता है ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 8 - मकर संक्रांति की कथा

मकर संक्रांति का त्यौहार अलग अलग राज्यों में अलग अलग रूप में मनाया जाता है। जैसे गुजरात में मकर के दिन पतंग उड़ाने का प्रचलन है। मध्यप्रदेश में मंगोडे,खिचड़ी, बाजरे तिल की मीठी रोटी, ग़ज़क,रेवड़ी खाने का और दान का प्रचलन है। मथुरा में भी खिचड़ी खाने और दान का प्रचलन है। दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाया जाता है। हमारे बिहार में मकर संक्रांति के दिन सूर्य और शंकर भगवान की पूजा की जाती हैं ।उन्हें प्रसाद में दही, चुरा (पोहा), गुड़, रेवड़ी, गज़क और खिचड़ी चढ़ाई जाती हैं। और खिचड़ी दान भी किया जाता ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 9 - बसंत पंचमी की पौराणिक कथा

वसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस ऋतु में मौसम खूबसूरत हो जाता है। फूल, पत्ते, आकाश, सब पर बहार आ जाती है। सारे पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए फूल आने लगते हैं। प्रकृति के इस अनोखे दृश्य को देख हर व्यक्ति का मन मोह जाता है। मौसम के इस सुहावने मौके को उत्सव की तरह मनाया जाता है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा ज्ञान पंचमी भी कहते हैं। हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।इस दिन संगीत, ज्ञान, कला, विद्या, वाणी की ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 10 - महाशिवरात्रि व्रत की पौराणिक कथा

शिवरात्रि तो हर महीने में आती है लेकिन महाशिवरात्रि सालभर में एक बार आती है। फाल्गुन मास की कृष्ण की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। शंकर भगवान को भांग बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन भांग को दूध में मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है l इस दिन मंदिरों में जलाभिषेक का ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 11 - होलिका दहन की पौराणिक कथा

होलिका दहन, होली त्योहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी ,होली और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। होलिका दहन (जिसे छोटी होली भी कहते हैं) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का विधान है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर व गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है। होली की कई कहानियां प्रचलित है। वैष्णव परंपरा मे होली को, होलिका-प्रहलाद की कहानी का प्रतीकात्मक ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 12 - हनुमान जन्मोत्सव पर जाने हनुमानजी से जुड़ी पौराणिक कथा

हनुमान जन्मोत्सव हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को हुआ था, इस वजह से हर चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। हनुमान जी भगवान शिव के अंश थे और उनके पिता ​केसरी और माता अंजना थीं। कहा जाता है जब उनका जन्म हुआ तो वे बहुत ही तेजवान, कांतिमय, बुद्धिमान एवं बलशाली थे। उसके बाद जैसे जैसे वह बड़े हुए, वैसे वैसे उनकी बाल्यकाल की शरारतें भी बढ़ने लगीं। इसी तरह उनके बाल्यावस्था से जुड़ी एक कथा है, जिसमें उनके महावीर बनने का वर्णन मिलता है। महावीर हनुमान की कथा- पौराणिक कथा के ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 13 - चाँद उत्पत्ति की पौराणिक कथा

जल के देवता...चंद्रमा...मन के कारक...चंद्रमा... सभी 28 नक्षत्रों के स्वामी चंद्रमा...आदिकाल से ही चांद को लेकर कई धार्मिक और मान्यताएं चली आ रही हैं। चांद के वजूद और अहमियत को लेकर कई तरह तक दावे किए जाते रहे हैं। युगों-युगों तक चांद इंसानों के लिए रहस्य और रोमांच का सबसे बड़ा केंद्र बना रहा और आज भी इसके कई ऐसे अनसुलझे रहस्य है जों दुनिया को हैरान करते हैं। चांद के रहस्यों में सबसे बड़ा रहस्य यही है कि आखिर चांद का जन्म कैसे हुआ। इसके पीछे विज्ञान के अपने तर्क हैं और धर्मग्रंथों की अपनी मान्यताएं। पुराणों के ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 14 - भगवान परशुराम जयंती उनसे जुड़े तथ्य

भगवान परशुराम की जयंती पर उनसे जुड़े तथ्य ️विष्णु अवतार पौराणिक मान्यताओं के अनुसार परशुराम को विष्णु के दशावतारों से छठा अवतार माना जाता है। उनके पिता का नाम ऋषि जमदग्नि था। जमदग्नि ने चंद्रवंशी राजा की पुत्री रेणुका से विवाह किया था। उन्होंने पुत्र के लिए एक महान यज्ञ किया था। इस यज्ञ से प्रसन्न होकर इंद्रदेव ने उन्हें तेजस्वी पुत्र का वरदान दिया और फिर अक्षय तृतीया को परशुराम ने जन्म लिया । ️न्याय के देवता परशुराम भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। उनका जन्म भगवान श्रीराम के जन्म से पहले हुआ था। मान्यता है कि भगवान परशुराम ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 15 - चरणामृत की पौराणिक कथा

जहां राधा वहां कृष्ण जहां प्रेम वहां संगीत तो जोर से बोलिए ! जय श्री राधे कृष्णएक बार श्रीकृष्ण पड़ गए थे। उन पर किसी भी जड़ी-बूटी और दवा का कोई असर नहीं हुआ। सभी परेशान थे। श्रीकृष्ण जानते हैं थे कि वो किस तरह से ठीक हो सकते हैं। लेकिन वो किसी को बता नहीं रहे थे। पूरा गांव परेशान था ऐसे में उन्होंने सभी गोपियों के दुःख देखकर अपना इलाज गोपियों को बता दिया।इलाज सुनकर सभी गोपियां दुविधा में पड़ गईं। श्रीकृष्ण ने उन्होंने बताया था कि उन्हें उस गोपी का चरणामृत पिलाया जाए जो उनसे बेहतर ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 16 - सावन व्रत कथा

सावन के पवित्र महीने में सोमवारी का व्रत रखना भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी माना गया है। कहा जाता कि भगवान शिव का जो भक्त सच्चे मन से इस महीने में उनकी पूजा-आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सोमवारी व्रत पुरुष और महिला, दोनों के लिए रखना मंगलमय माना गया हैमान्यताओं के अनुसार, जो भक्त सावन‌ सोमवारी का व्रत रखता है तथा भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अपने पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और‌ सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शादीशुदा महिलाएं यह व्रत रखती ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 17 - नागपंचमी की पौराणिक कथा

श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। पौराणिक काल नाग पंचमी के तिथि पर नागदेव की पूजा की जाती है क्योंकि पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। नाग पंचमी के दिन विधि-विधान से नागों की पूजा होती है। सावन का महीना चल रहा है और सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है। नाग देवता भगवान शिव की गले की शोभा बढ़ाते हैं। ऐसे में नाग पंचमी के दिन नागों की उपासना का विधान है। मान्यता है नाग पंचमी के दिन नाग ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 18 - देवी के नौ अवतारों से मिलने वाली शिक्षा

माँ दुर्गा का पावन पर्व नवरात्रि सकारात्मकता का त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाता इस अवसर पर चलिए जानते हैं माता के नव अवतार और माता के नौ रूप हमें क्या शिक्षा देते हैं -1. मां शैलपुत्रीमां दुर्गा का पहला रूप है शैलपुत्री का। शैल का अर्थ होता है शिखर। माता शैलपुत्री को शिखर यानि हिमालय पर्वत की बेटी के रूप में जाना जाता है। इन्हें पार्वती और हेमवती के नाम से भी जाना जाता है। इनका वाहन बैल (वृषभ) होने के नाते इन्हें वृषभारुणा के नाम से भी जाना जाता है। माता के ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 19 - शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की पौराणिक और वैज्ञानिक मान्यतायें

शिवलिंग का दूध से रुद्राभिषेक करने पर समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं l सोमवार के दिन दूध का करने से चन्द्रमा मजबूत होता है l जल में थोड़ा सा दूध डालकर स्नान करने मानसिक तनाव दूर होता है और चिंताएं कम होती हैं lशिवलिंग पर दूध चढ़ाने की पौराणिक कथा चिरकाल में जब राजा बलि तीनों लोकों के स्वामी बन गए थे। उस समय स्वर्ग के देवता इंद्र सहित सभी देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों ने भगवान विष्णु जी से तीनों लोकों की रक्षा के लिए याचना की। तब भगवान विष्णु जी ने उन्हें समुद्र मंथन करने की युक्ति ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 20 - तुलसी मंजरी की पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास है और भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। इसी कारण तुलसी की पूजा करने से हर तरह के दुख-दर्द से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां पर कभी भी वास्तु दोष नहीं होता है। वहाँ पर सदेव सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है l हमारी पौराणिक मान्यता के अनुसार तुलसी में लगी मंजरी को तुरंत हटा देने से तुलसी माता के सिर का भार कम होता है पर हम ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 21 - रक्षाबंधन की पौराणिक कथा

रक्षा बंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है l यह पर्व भाई -बहन के रिश्तों अटूट डोर का प्रतीक है l रक्षाबंधन भारतीय परम्पराओं का यह एक ऎसा पर्व है, जो केवल भाई बहन के स्नेह के साथ साथ हर सामाजिक संबन्ध को मजबूत करता है l इस लिये यह पर्व भाई-बहन को आपस में जोडने के साथ साथ सांस्कृतिक, सामाजिक महत्व भी रखता है lरक्षाबंधन का अर्थ रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा रक्षा बंधन कहलाता है l रक्षा बंधन के महत्व को समझने के लिये सबसे पहले इसके ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 22 - श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पौराणिक कथा

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं क्योंकि इस दिन को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिवस के में मनाया जाता है l इस तिथि के घनघोर अंधेरी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था l यह तिथि इस शुभ घड़ी की याद दिलाती है और इस उपलक्ष में सारे देश में बड़े ही धूमधाम से श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है lजन्माष्टमी का त्यौहार लोगों के बीच बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाई जाता है । इस ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 23

हमारे हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी पर्व का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास शुक्ल की चतुर्थी से देशभर में गणेश चतुर्थी पर्व का शुभारंभ हो जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान भक्त बप्पा को अपने घर लाते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदा कर देते हैं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन से ही गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर गाजे-बाजे के साथ बप्पा को घर लाया जाता है और उनकी विधिवत उपासना ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 24

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश स्थापना से अनंत चतुर्दशी को गणेश विसर्जन के साथ पूजा समापन होता है lयह पूजा 10 दिनों तक क्यों चलती है ? इस पूजा का 10 दिनों तक चलने का मुख्य कारण है कि इन्हीं 10 दिनों में भगवान श्री गणेश ने महाभारत ग्रंथ की रचना की थी l इन 10 दिनों तक गणेश जी एक ही मुद्रा में बैठकर महाभारत को लिपिबद्ध करते रहे, इस कारण यह उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है lगणेश विसर्जन के पीछे महर्षि वेदव्यास से जुड़ी एक बेहद प्रसिद्ध पौराणिक कथा है lमहाभारत ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 25 - रंगों के त्यौहार में भंग

रंगों का त्यौहार होली बहुत ही पावन पर्व है। यह त्यौहार प्रेम सौहार्द का प्रतीक है। होली के दिन स्त्री, बड़े, बच्चे सभी एकजुट होकर रंगों से खेलते हैं। इस दिन पूरा समाज होली के सतरंगी रंग में रंग जाता है। इस दिन सभी एक दूसरे के गले मिलते हैं।होली की शुभकामनाएं देते हैं। भिन्न भिन्न प्रकार की स्वादिष्ट व्यंजनों का सेवन करते हैं। तो वहीं कुछ पुरुष वर्ग शराब का सेवन कर रंग में भंग डाल देते हैं ।नशे की हालत में महिलाओं से बदतमीजी करते हैं , कुछ तो खुद ढंग से चल भी नहीं पाते हैं। ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 26 - सफला एकादशी व्रत कथा

एकादशी व्रत के नियमसाल भर में 24 एकादशी आती हैं। पद्म पुराण में एकादशी के व्रत के बारे में वर्णन किया गया है। पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति साल की 24 एकादशी का व्रत रखता है और वह भोग और मोक्ष का अधिकारी हो जाता है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से परम पद को पाता है। पद्म पुराण के अनुसार, एकादशी व्रत के नियम के अनुसार, एकादशी से एक दिन पहले व्यक्ति को एक समय का भोजन त्यागना होता है। एकादशी के दिन शाम के समय फलहार किया जाता है। अगले दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 27 - पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व माना गया है l पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को एकादशी के नाम से जाना जाता है l मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है lपौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथाभद्रावती नगरी में सुकेतुमान नाम का राजा था l वह बेहद दानवीर और कुशल शासक था। सुकेतुमान के व्यवहार से प्रजा हमेशा खुश रहती थी। उसका कोई पुत्र नहीं था, उसकी पत्नी का नाम शैव्या था l पुत्र न होने के कारण हमेशा ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 28 - माघ कृष्ण षटतिला एकादशी व्रत कथा

एक समय दालभ्य ऋषि ने पुलस्त्य ऋषि से पूछा कि हे महाराज, पृथ्वी लोक में मनुष्य ब्रह्महत्यादि महान पाप हैं, पराए धन की चोरी तथा दूसरे की उन्नति देखकर ईर्ष्या करते हैं। साथ ही अनेक प्रकार के व्यसनों में फँसे रहते हैं, फिर भी उनको नर्क प्राप्त नहीं होता, इसका क्या कारण है?वे न जाने कौन-सा दान-पुण्य करते हैं जिससे उनके पाप नष्ट हो जाते हैं। यह सब कृपापूर्वक आप कहिए। पुलस्त्य मुनि कहने लगे कि हे महाभाग! आपने मुझसे अत्यंत गंभीर प्रश्न पूछा है। इससे संसार के जीवों का अत्यंत भला होगा। इस भेद को ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 29 - माघ शुक्ल अजा (जया) एकादशी व्रत कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि माघ शुक्ल एकादशी को पूजा करनी चाहिए, तथा इसका क्या महत्व है। तब भगवान कृष्ण ने बताया कि इस एकादशी को जया एकादशी कहते हैं औश्र ये बहुत ही पुण्यदायी होती है। इसका व्रत करने से व्यक्ति सभी नीच योनि अर्थात भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जया एकादशी व्रत करने से ना केवल कर्मों का कष्ट दूर होता है, बल्कि दिमाग से नकारात्‍मक ऊर्जा भी बाहर निकलती है मानसिक शांति मिलती है l जया एकादशी ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 30 - फाल्गुन कृष्ण विजया एकादशी व्रत कथा

शास्त्रों में बताया गया है कि जो साधक एकादशी व्रत का पालन करता है, वह जीवन में लाभ प्राप्त है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम विजया एकादशी है। विजया एकादशी व्रत रखने से नाम के अनुरूप सभी शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है। यह सब व्रतों से उत्तम व्रत है। एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। इस विजया एकादशी के महात्म्य के श्रवण व पठन से समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं। एक समय ...और पढ़े

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पौराणिक कथाये - 31- फल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी

आमलकी एकादशी फाल्गुन मास में मनाई जाती है इसलिए इसे फाल्गुन शुक्ल एकादशी भी कहा जाता है। साथ ही रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैआमलकी एकादशी के दिन, भक्त आंवला के पेड़ का पूजन करते हैं। पौराणिक मानयताओं के अनुसार आंवले के पेड़ को भगवान विष्णु ने ही जन्म दिया था l ऐसा माना जाता है कि फाल्गुन की एकादशी वाले दिन स्वयं भगवान् विष्णु मां लक्ष्मी के साथ आमलकी के वृक्ष पर निवास करते हैं, इसलिये ऐसा माना जाता है कि इस दिन आमलकी के वृक्ष का पूजन, अर्चन और परिक्रमा करने से भगवान् विष्णु ...और पढ़े

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