पौराणिक कथाये - 22 - श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पौराणिक कथा Devaki Ďěvjěěţ Singh द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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पौराणिक कथाये - 22 - श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पौराणिक कथा

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं क्योंकि इस दिन को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है l इस तिथि के घनघोर अंधेरी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था l यह तिथि इस शुभ घड़ी की याद दिलाती है और इस उपलक्ष में सारे देश में बड़े ही धूमधाम से श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है l

जन्माष्टमी का त्यौहार लोगों के बीच बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाई जाता है । इस दिन भक्त उपवास करते है और भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा करते हैं l यह त्यौहार देश हो या विदेश सभी जगह बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है l

भगवान कृष्ण के भक्त उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। प्रत्येक नाम अपने भक्तों के प्यार और सम्मान को दर्शाता है और कृष्ण के जीवन के विभिन्न चरणों का प्रतिनिधित्व करता हैं l

भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम है जैसे बाल गोपाल, कान्हा, मोहन, गोविंदा, केशव, श्याम, वासुदेव, कृष्णा, देवकीनंदन, देवेश और कई अन्य। बालगोपाल उस चरण का प्रतिनिधित्व करता है जब वह एक नटखट बच्चे थे और कान्हा उस चरण का प्रतिनिधित्व करता है जब वह गोपीयों के साथ खेलते थे l

भगवान कृष्ण मक्खन , मिश्री और दही खाना और बांसुरी बजाना पसंद करते हैं । कृष्ण एक आज्ञाकारी बेटे, बुद्धिमान छात्र, एक सात्विक प्रेमी और देखभाल करने वाले पति का आदर्श उदाहरण हैं l मनुष्यों को भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के विभिन्न पहलुओं से जीवन जीने का सही आचरण सीखना चाहिए l

कृष्ण जन्माष्टमी की पौराणिक कथा

द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करता था उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे राजगद्दी से उतार दिया और स्वयं राजा बन बैठा l

कंस एक बहुत ही क्रूर राजा था उसे अपनी ताकत का बहुत घमंड था, उसकी सोच थी की लोगों को , भगवान की जगह उसकी पूजा करनी चाहिए l जिसके लिए उसने निर्दोष लोगों को बेरहमी से मरवाना शुरू कर दिया जो उसका सम्मान करने से इंकार करते थे l उसका अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था l

कंस की एक बहन थी जिसका नाम था देवकी जिसे वह गहरे दिल से प्यार करता था और कभी भी उसे उदास नहीं होने देता था l उस बहन का विवाह वासुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था वह अपनी बहन की शादी में दिल से शामिल हुआ और आनंद लिया l

एक बार जब वह अपनी बहन को ससुराल पहुँचाने उसके घर जा रहा था l तभी रास्ते में आकाशवाणी हुई - “ हे ! कंस, जिस बहन को तुम बहुत प्यार करते हो , वह एक दिन तुम्हारी मृत्यु का कारण बनेगी l देवकी और वासुदेव का आठवां पुत्र तेरी मृत्यु का कारण बनेगा l "

जैसे ही, उसे चेतावनी मिली, वह वासुदेव को मारने को तैयार हो गया l यह देख देवकी ने उससे विनती की , उसके पति को मृत्युदंड न दे उसके बदले में उसकी जो भी संतान उत्पन्न होगी वो स्वयं उसे सौंप देगी l

देवकी के यह वचन सुनकर वह उसकी बात मान गया पर उसके बदले उसने अपने सैनिकों को अपनी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को कारागार में रखने के लिए आदेश दिया तथा साथ ही सात दरवाजों के पीछे बने कैद खाने में उसे कैद किया और उन पर कड़ा पहरा लगवा दिया l उसने मथुरा वासियों के साथ क्रूरता से भरा बर्ताव करना शुरू कर दिया l

उसने घोषणा की कि “मैं अपनी बहन के सभी बच्चों को, अपने हत्यारे को रास्ते से हटाने के लिए मार दूंगा” उसकी बहन ने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया, फिर दूसरा, तीसरा और फिर सातवां जो कि कंस के द्वारा एक-एक करके मारे गए।

बाद में देवकी अपने आठवें बच्चे के साथ गर्भवती हुई अर्थात कृष्ण जी जो कि (भगवान विष्णु का अवतार) थे । भगवान कृष्ण ने द्वापरयुग में मध्य रात्रि में श्रावण के महीने में अष्टमी (आठवें दिन) को जन्म लिया । उस दिन से, लोगों ने उसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी या कृष्णाष्टमी का त्यौहार मनाना शुरू कर दिया।

जब भगवान श्री कृष्ण ने पृथ्वी पर जन्म लिया, एक चमत्कार सा हुआ, जेल के दरवाजे अपने आप खुल गये, रक्षक सो गए और एक अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख चक्र गधा पदमा धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए l उन्हें देख देवकी और वासुदेव उनके चरणों में गिर पड़े l उस वक़्त भगवान ने वासुदेव को अपने प्राण बचाने का उपाय बताया और फिर पुनः शिशु रूप में आ गए l

उसके बाद भगवान की आज्ञानुसार वासुदेव ने कृष्ण को एक छोटी सी टोकरी में रख लिया और मध्यरात्रि के अंधेरे में भीषण बारिश के बीच उफनती हुई यमुना नदी को पार करने लगे l इस भीषण बारिश में भगवान शेषनाग ने अपना फन फ़ैला कर बाल गोपाल की सुरक्षा की l

इसी भारी बारिश में वे यमुना नदी को पार करते हुए बाल गोपाल को लेकर गोकुल में अपने मित्र नंद के पास ले गए, उस समय उनकी पत्नी यशोदा जी भी गर्भ से थी और उसी रात उन्होंने एक कन्या को जन्म दिया था l

नंद बाबा ने मानव जाति के कल्याण के लिए और वासुदेव के पुत्र और भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण को बचाने के लिए वासुदेव के पुत्र को अपनी पुत्री के साथ बदल दिया l

वासुदेव , नंद बाबा की पुत्री को लेकर वापस मथुरा कंस की जेल में आ गए l उनके लौटते ही सभी दरवाजे स्वत: ही बंद हो गए और सभी प्रहरी जो मूर्छा अवस्था में थे जाग गए और दौड़ कर जाकर कंस को संदेश दिया कि देवकी ने एक लड़की को जन्म दिया है।

कंस आया और उस लड़की को पटक कर मारने की कोशिश की, उसी समय वह लड़की कंस के हांथों से अदृश्य हो कर आकाश में अपने असली रूप योगमाया के रूप में प्रकट हुई और उसने चेतावनी दी और कहा – अरे! मुर्ख कंस, तुम्हारा वध करने वाला जन्म ले चुका है और वह बहुत ही सुरक्षित स्थान पर है और जिस दिन तेरा पाप का घड़ा पूर्ण रूप से भर जायगा उस दिन वह तेरा काल बनकर आएगा और तेरा वध करेगा ।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। यशोदा और नंद बाबा की छत्रछाया में गोकुल में बाल कृष्ण धीरे-धीरे बड़े हो रहे थे और अपने मनमोहक अंदाज, मनमोहिनी स्वरुप और अपनी बाल लीलाओं से सबको मंत्रमुग्ध कर रहे थे l बाद में उन्होंने कंस की सभी क्रूरता को समाप्त कर दिया और कंस की जेल से अपने माता-पिता को मुक्त कर दिया l गोकुल में रहने वाले लोग इस त्योहार को गोकुलाष्टमी के रूप में मनाते हैं l