शरीर की ताकत, मनकी ताकत, बुद्धि की ताकत, आत्मा की ताकत, ये चार प्रमुख ताकते (बल) है । इसके अलावा भी शक्तियां है । जैसे धन बल, अधिकार बल, छल बल, संख्या बल, ये सारी ताकते आत्मा की ताकत के सामने नगण्य है । शरीर बल से श्रेष्ठ मनोबल है क्योंकि हाथी के पास शारीरिक बल होता है किन्तु शेर के पंजे की मार से भाग खड़ा होता है.. मनो बल को बुद्धि बल से नियंत्रित किया जा सकता है । और आत्मबल के सामने बुद्धि बल भी नतमस्तक हो जाता है । धन की ताकत – प्रायः देखा जाता है कि जिनके पास धन बल होता है वे लोग अपने धन के बल पर समाज मे अपना प्रभाव जमाने में कामयाब हो जाते है । कम पढे लिखे होकर भी समाज को प्रभावित करते देखे जाते है । समाज भी धनाढ्य लोगों को सार्वजनिक जीवन में सम्मान देता है । धन बल त्यागी असंग्रही के सामने प्रभाव हीन हो जाता है । अर्थात धन की चाह न रखने वाले के सामने बोना हो जाता है । अधिकार की ताकत – किसी पद पर आसीन व्यक्ति के पास प्रशासनिक अधिकार होने से वह भी प्रतिष्ठा पा लेता है । किंतु कर्तव्यपरायणता न हो तो प्रतिष्ठा की हानि होती है । संख्या बल भी एक बल है समान विचार वालो का संगठित बल राजतंत्र को प्रभावित करता है । छल बल भी बल है इससे भी लोग सफल होना मानते है । यह बल दुष्ट लोगों का बल होता है ।
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जादुई मन - 1
लेखक परिचय – कैप्टन धरणीधर पारीक, पुत्र श्री राधेश्याम पारीक जयपुर राजस्थान। धर्मगुरू भारतीय सेना (सेवा निवृत्त) शिक्षा – व हिन्दी से शास्त्री शिक्षा शास्त्री (एमए बी एड) विषय - चमत्कारी है मन प्रस्तावना – शरीर की ताकत, मनकी ताकत, बुद्धि की ताकत, आत्मा की ताकत, ये चार प्रमुख ताकते (बल) है । इसके अलावा भी शक्तियां है । जैसे धन बल, अधिकार बल, छलबल, संख्या बल, ये सारी ताकते आत्मा की ताकत के सामने नगण्य है । शरीर बल से श्रेष्ठ मनोबल है क्योंकि हाथी के पास शारीरिक बल होता है किन्तु शेर के पंजे की मार ...और पढ़े
जादुई मन - 2
अध्याय एक उन व्यक्तियों का मन अधिक कमजोर होता है, जिनकी दिनचर्या अस्त व्यस्त रहती है, जो लोग पूरे दिन की कार्य योजना नहीं बनाते, जो अनुशासन में अपने आपको नहीं ढालते । ऐसे लोगों का संकल्प बहुत ही कमजोर होता है,ये दृढ़ निश्चयी नहीं होते । इनका मन बदलता रहता है । जो कहते है वह करते नहीं । इस वजह से ऐसे लोग परिवार में, समाज में, अपने कार्य क्षेत्र में, सम्मान नहीं पाते । 01 शुरूआत कहां से करें – सबसे पहले अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करना होगा । सुबह से शाम तक जो भी ...और पढ़े
जादुई मन - 3
बाह्य मन की अपेक्षा अन्तर्मन अधिक शक्तिशाली होता है । मन को शक्तिशाली बनाने के लिए हम कुछ साधनाओं चर्चा करेंगे ।त्राटक साधना में बिंदु त्राटक से शुरुआत कर सकते हैं – बिन्दु त्राटक - एक सफेद कागज के बीच में एक रूपये के सिक्के जितना काला बिंदु बनायें फिर काले बिंदु में पीली सरसों जितना गोल बिन्दु बनाये । फिर एकांत में अपने कमरे की दीवार पर उसे इस तरह से लगा दे कि उसमे लगा काला बिन्दु ठीक हमारी आंखों के सामने हो । कमरे में रोशनी इतनी ही हो कि हमें उसमे लगा पीला बिन्दु दिखाई ...और पढ़े
जादुई मन - 4 - बिन्दु त्राटक
अध्याय 3 के आगे --बिन्दु त्राटक में अनुभूति – जब हम बिन्दु त्राटक कर रहे होते हैं, तो हमें पता चले ? कि हम बिन्दु त्राटक सही कर रहे हैं। अभ्यास में शुरू में हमें कठिनाई जरूर होती हैं, किन्तु धीरे धीरे अभ्यास बढता है तो त्राटक सही से होने लगता है, हमें वह बिन्दु सुनहरी रंग का दिखाई देने लगता है सुनहरी से कभी नीला दिखाई देने लगेगा, फिर वह नीले से हरा दिखाई देने लगेगा आगे चलकर वह बिन्दु शुभ्र वर्ण का सूर्य के समान चमकता हुआ दिखाई देने लगेगा । कभी कभार वह गायब हो जायेगा, ...और पढ़े
जादुई मन - 5 - भविष्य की घटना देख लेना
अध्याय 4 के आगे - मन का पूरे शरीर पर नियंत्रण – ईश्वर के बाद मन को ही अधिक मान सकते हैं क्योंकि मन का पूरे शरीर पर नियंत्रण होता है । यह मन ही है जो ज्ञानेन्द्रियों व कर्मेन्द्रियों के जरिये भोग करता है । ( पाच ज्ञानेन्र्दियां-- आंख, नाक, कान, जीभ, त्वचा )( पांच कर्मेन्द्रियां — हाथ, पांव, गुदा, मूत्रेन्द्री, मुख )इस मन के जरिये ही ईश्वर को जाना जा सकता है अर्थात ईश्वर की शक्तियों को पहचाना जा सकता है । मन के दो भाग- अन्तर्मन व बाह्य मन । बाह्य मन आंखों से भौतिक जगत ...और पढ़े
जादुई मन - 6 - सूंघने की शक्ति को बढाने की साधना
पंचतंमात्रा साधना –पहले बताया जा चुका है कि मन ज्ञानेन्द्रियों के जरिये रसानुभूति करता है आंख, नाक ,कान ,त्वचा, जीभ इनसे मनको ज्ञान होता है इनके साथ संयोग कर इनके गुणों से भोग भोगता है । पंच तन्मात्रा साधना से पहले यह समझना भी जरूरी है कि शरीर में पांच तत्व हैं इन पांचो तत्वों की पांच ज्ञानेन्द्रियां हैं – पृथ्वी तत्व की नाक है ,जल तत्व की जीभ है, अग्नि तत्व की आंखें हैं, आकाश तत्व की कान हैं, वायु तत्व की त्वचा है । इनके कार्य ही इनके गुण है जैसे – नाक का सूंघना गुण है, ...और पढ़े
जादुई मन - 7 - सुनने की क्षमता बढाने की साधना
आकाश तत्व की ज्ञानेन्द्री हमारे कान हैं । ध्वनि आकाश तत्व का गुण है । सुनने की क्षमता सभी मे अलग अलग हो सकती है । ध्वनि की तीव्रता को सहन करने की क्षमता भी सभी मे अलग अलग होती है । कुत्ते की सुनने की क्षमता मनुष्य से अधिक होती है । कुत्ता छोटी ध्वनि को सुन सकता है जिसे मनुष्य नही सुन पाता । मनुष्य को एक सी लगने वाली आवाज के फर्क को कुत्ता पहचान सकता है । मनुष्य के अंदर भी अद्भुत शक्ति है यह भी पास की ध्वनि व दूर की ध्वनि सुनने की ...और पढ़े
जादुई मन - 8 - रूप साधना
वेदव्यास जी अपने आश्रम मे अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे । सभी शिष्य वेदव्यास जी को बड़े से सुन रहे थे । एकाएक वेदव्यास जी ने अपने पास बैठे एक शिष्य से कहा – हे वत्स ! आप अपने आश्रम के द्वार पर जाइए वहां से गंगा पुत्र भीष्म को आदर के साथ ले आइए । यह सुन किसी भी शिष्य को आश्चर्य नही हुआ, अपितु सभी उत्सुकता से गंगापुत्र की प्रतीक्षा करने लगे । वेदव्यास जी ने वहां बैठे ही जान लिया कि गंगापुत्र मिलने आरहे हैं । यह कैसे संभव हुआ ? यह सब रूपसाधना ...और पढ़े
जादुई मन - 9 - स्त्री पुरूषों में आकर्षण क्यों होता है ?
पंचतन्मात्रा की साधना के बारे मे पिछले अध्यायों में हमने चर्चा की थी । आकर्षण के हेतु - रूप, , गंध , स्पर्श, शब्द ये पंच तन्मात्रा है रूप - इसकी ज्ञानेन्द्री नेत्र हैं । इसमें सौन्दर्य के प्रति आकर्षण आजाता है । शारीरिक सौन्दर्य जन्मजात हो या प्रसाधनो द्वारा हो आकर्षण का हेतु बन जाता है । अलंकार धारण व उद्वर्तनादि सौन्दर्य वृद्धि मे सहायक होते हैं । बाह्य रूप का दर्शन वैराग्य को राग मे बदल सकता है । अतः रूप देखने का कार्य नेत्रों द्वारा होता है । नेत्रों द्वारा ही भाव कुभाव बनते हैं । ...और पढ़े
जादुई मन - 10 - रोग दूर करने के लिए प्राण ऊर्जा
पिछले अध्याय मे हमने पढा की शरीर की प्राण शक्ति का ह्रास असंयमित जीवन जीने से अर्थात इन्द्रियों का बनकर जीने से प्राण ऊर्जा का क्षरण होकर मनुष्य संसार मे रोग शोक को प्राप्त होता है । आज हम प्राण ऊर्जा को बढाने वाली साधनाओ मे से एक साधना के बारे मे चर्चा करेंगे । प्राणाकर्षण साधना --- शान्त कक्ष मे सीधे लेट जायें और अपने नेत्र बंद कर लेवे । शरीर पर ढीले वस्त्र हो किसी प्रकार का व्यवधान वस्त्रो की कसावट से न हो । अब अपने आपको विचार शुन्य बनाने का प्रयास करे । बार बार ...और पढ़े
जादुई मन - 11 - रोगी की चिकित्सा प्राण ऊर्जा द्वारा
पिछली अध्याय में प्राणाकर्षण की विधि समझी । अब उस ऊर्जा का प्रयोग करने की विधि समझेंगे .. जिनका आध्यात्म मे है अर्थात जो धार्मिक भावना प्रधान व्यक्ति है । वे लोग सूर्य मंत्र का जाप उक्त विधि मे सम्मिलित कर सकते हैं इससे उन्हे सफलता जल्दी मिलेगी । इसका कारण यह है कि मंत्र जाप करते रहने से भावना बलवती होगी । प्राण ऊर्जा का स्रोत सूर्य है । इसलिए सूर्य मंत्र जप सकते हैं ,भगवान राम सूर्य वंशी है , इसलिए इनका मंत्र जपा जा सकता है । गायत्री मंत्र का संबंध भी सूर्य से है, इसलिए ...और पढ़े
जादुई मन - 12 - चिकित्सा झाड़फूंक कैसे हो गयी ?
पिछले अध्याय में हमने चर्चा की थी कि अपनी प्राण ऊर्जा का संचार रोगी में कैसे करना है । आगे आध्यात्मिक चिकित्सा के बारे में हम चर्चा करेंगे । अथर्व वेद के मंत्र क्या संदेश देते हैं । हमारे प्राचीन ऋषि मानसिक स्तर से बहुत ऊंचे उठे हुए थे । वे आध्यात्मिक शक्ति को भी भली प्रकार जानते थे । वेद मंत्रों मे आध्यात्मिक व मानसिक चिकित्सा का विशद वर्णन हमें मिलता है । जिनसे शारीरिक मानसिक उपचार किया जा सकता है । यह कोई अंधविश्वास नही है केवल अपने शरीर की व मन की शक्ति का स्थानानंतरण है ...और पढ़े
जादुई मन - 13 - इच्छा शक्ति से किसी को भी मित्र बना सकते है
पिछले अध्याय में अथर्ववेद के मंत्र प्राण ऊर्जा से उपचार के विषय मे क्या कहते है ? उनका उदाहरण अर्थ के साथ मैने उल्लेख किया था । मंत्रो से भी चिकित्सा क्या होती है ? इस प्रश्न पर अपने विचार फिर कभी रखूंगा ।यहां हम बात मंत्र शक्ति की नही कर रहे, हम मन की शक्ति की बात कर रहे है । अब हम मनकी शक्ति को अन्य प्रकार से समझते हैं । भावना शक्ति व इच्छा शक्ति दोनों ही एक ऊर्जा है । या ऐसा भी कह सकते हैं भावना और इच्छा शक्ति दोनों मन का ही विस्तार ...और पढ़े
जादुई मन - 14 - सम्मोहन से चिकित्सा
पिछले अध्याय मे इच्छा शक्ति के बारे मे विवेचन किया था । इच्छा शक्ति का प्रभाव हमारे जीवन पर रूप से पड़ता है । इच्छा शक्ति से दूसरो के मन पर मन चाहा प्रभाव डाला जासकता है । इच्छा शक्ति से आंखो मे एक विशेष प्रकार की चमक व चुंबक उत्पन्न हो जाता है । वही चुंबक शक्ति आंखो के जरिये सामने वाले पर प्रभाव डालती है । आपने कभी बाल हट देखा होगा , बालक किसी वस्तु के लिए हट करता है तो उसके नेत्रों मे वह प्राप्त करने का दृढ निश्चय नजर आता है । उस निश्चय ...और पढ़े
जादुई मन - 15
जैसे जाते हुए किसी व्यक्ति की गर्दन पर नजर जमाकर भावना करना कि वह पीछे मुड़कर देखे । ऐसा रहने से कुछ देर बाद वह पीछे मुड़कर देखने लग जाता है । ऐसे ही बैठे हुए को खड़े होने को कहना वह यदि खड़ा हो जाता है तो आप सही दिशा मे है । यह सब त्राटक का अभ्यास आधे घंटे तक ले जाने पर होने लगता है । यह सब इच्छा शक्ति के ही विकसित होने से होता है । अपनी इच्छा शक्ति से किसी को भी सम्मोहित भी किया जा सकता है । रोगी को रोग मुक्त ...और पढ़े