फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक

(111)
  • 108.1k
  • 13
  • 36.3k

मोबाइल की घंटी कब से बजे जा रही थी, मोहित हाथ धोते हुए अपने आप से बोला, “अरे भाई बस आया..” | मोबाइल उठाते ही उधर से आवाज आई, “अबे कहां रहता है तू ? कब से फोन कर रहा हूं ..” मोहित - “अरे कुछ नहीं बस वॉशरूम में था, बोल कौन सी आफत आ पड़ी” |मंजेश - “अरे यार एक खुशखबरी है” |मोहित - “अरे बता ना यार क्या खुशखबरी है , वैसे भी बड़े दिन से कोई गुड न्यूज़ नहीं सुनी” |मंजेश - “यार कल तुम्हारी भाभी ना मायके जा रही है... तो हम चारों मिलकर रोज पार्टी

Full Novel

1

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 1

मोबाइल की घंटी कब से बजे जा रही थी, मोहित हाथ धोते हुए अपने आप से बोला, “अरे भाई आया..” | मोबाइल उठाते ही उधर से आवाज आई, “अबे कहां रहता है तू ? कब से फोन कर रहा हूं ..” मोहित - “अरे कुछ नहीं बस वॉशरूम में था, बोल कौन सी आफत आ पड़ी” |मंजेश - “अरे यार एक खुशखबरी है” |मोहित - “अरे बता ना यार क्या खुशखबरी है , वैसे भी बड़े दिन से कोई गुड न्यूज़ नहीं सुनी” |मंजेश - “यार कल तुम्हारी भाभी ना मायके जा रही है... तो हम चारों मिलकर रोज पार्टी ...और पढ़े

2

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 2

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मांजेश, मोहित, अर्पित और आफताब अच्छे दोस्त हैं और सारे कल मिलने का प्लान बनाते हैं |अब आगे.... “अरे बेटा मोहित... नाश्ता तो करता जा, दो मिनट लगेंगे” कांपते हाथों से मोहित की मां ने मेज पर नाश्ता रखा | मोहित - “अरे मां पहले से ही देर हो गई है” |“अरे इतनी देर तक सोता रहेगा तो देर तो होगी ही.. अरे एक हम लोग थे सुबह के चार बजे जग जाते थे” | यह कहकर बाबूजी फिर अखबार की सुर्खियां पढ़ने लगे | मोहित ने एक सेब उठाया और खाते हुये बोला, ...और पढ़े

3

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 3

रात आठ बजे....चारों दोस्त मंजेश के यहां मिलते हैं, मिलकर खाना बनाते हैं, और शराब पीकर खूब हंसी मजाक हैं |मंजेश - “अरे अर्पित जरा टीवी तो ऑन कर” |अर्पित टीवी ऑन करता है |मोहित - “यार आफताब तेरा पेग बड़ी जल्दी खाली हो जाता है, मेरा तो अभी भी थोड़ा बचा है” |हा.. हा.. हा.. हा.. चारों दोस्त खूब हंसते हैं और अपने पुराने दिन याद करते हैं कि तभी टीवी में न्यूज़ सुनाई देती है |पेश है अब तक की सबसे बड़ी खबर....अब चाइना अमेरिका और इटली में हजारों की जान लेने वाला कोरोना वायरस भारत आ ...और पढ़े

4

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 4

मंजेश और अर्पित भी लेट गए |अर्पित - "अच्छा क्या होगा? अगर कोरोना पूरे शहर में फैल जाए" |मंजेश "ऐसा ना बोलो यार मैंने कई डॉक्टर और करोना पीड़ित मरीजों के वीडियो देखे हैं, बहुत भयानक बीमारी है ये और लाइलाज भी, इसे भारत में नहीं आना चाहिए, जहां बस, ट्रेन, रिक्शा तक अन्धाधुंध जनता से भरा रहता है, ऐसे मे अगर किसी एक को भी….. नहीं नहीं" |मंजेश डॉक्टर था इसलिए करोना से होने वाली महामारी को वह भांप गया, दोनों दोस्त आपस में बात करते करते सो गए |सुबह जब मंजेश की आंख खुली तो देखा मोबाइल ...और पढ़े

5

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 5

आफताब - " अरे आलम " |आलम -" जी भाई जान"|आफताब -" यह पुलिस इतनी सारी क्यों घूम रही और मार्केट में इतनी अफरा-तफरी, जैसे कोई शैतान आने वाला हो"| आफताब ने पड़ोसी दुकानदार आलम से कहा |आलम - "अरे भाई जान सुना है हिंदुस्तान में कोई बीमारी फैल रही है, उसी के लिए अफरा-तफरी है" |आफताब -" अरे कोई बीमारी नहीं आई है, यह सब मीडिया वाले अफवाह उड़ा रहे हैं, क्या नाम ले रहे हैं इस बीमारी का "? आलम -" कोरोना" |आफताब कुछ और कहता कि तभी दुकान का नौकर चाय लेकर आया और हाँफते हुए बोला," ...और पढ़े

6

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 6

शहर की स्थिति दिन ब दिन और गंभीर होती जा रही थी हर कोई इस कोरोना नाम के वायरस खौफजदा था और इस लॉक डाउन ने सभी की मुश्किलें और बढ़ा दी थी लेकिन इस लाइलाज बीमारी से बचने का और कोई तरीका नहीं था | पूरे भारत में लॉक डाउन शुरू हो गया लेकिन जरूरी सुविधाओं के लिए लोगों को परेशानी ना उठानी पड़े इसके लिए सरकार ने पूरी व्यवस्था कर दी |एक दिन... मोहित (बैंक में) - "अरे आप लोग प्लीज एक मीटर की दूरी पर खड़े हो और चुपचाप खड़े हो सबका काम होगा, सभी लोग मुंह पर ...और पढ़े

7

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 7

मंजेश आफताब पर बहुत गुस्सा करता है और कहता है, " आफताब.. अंधे मत बनो, हर मंदिर बंद है, मदीना बंद है, सारी ट्रेन फ्लाइट सब कुछ क्यों बंद है, अरे इतने पवित्र पवित्र स्थान सब बंद कर हैं तो फिर तुम यह सब क्यों कर रहे हो, तुम जो कर रहे हो वह गलत है, और सबसे ज्यादा परेशानी वाली बात तो यह है कि जहां तुम जा रहे हो वहां विदेश से भी लोग आए हुए हैं"|आफताब -" यार अब तू ज्यादा बोल रहा है, दोस्ती अपनी जगह और मजहब अपनी जगह, चल ठीक है, मुझे पता ...और पढ़े

8

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 8

कुछ दिन बाद बैंक में ....“अरे आप लोग प्लीज ऐसे भीड़ ना लगाएं, सबका काम होगा” मोहित ने बैंक जमा भीड़ से कहा | भीड़ में से एक शख्स गुस्से में बोला, “साहब जी.. आपको क्या है? आप तो आराम से बैठे हो यहां तो खाने के पैसे नहीं है, अभी आप बोलोगे कि टाइम पूरा हो गया” | भीड़ उस युवक के समर्थन में उतर आई और लोग चिल्लाने लगे | मोहित - “अरे आप परेशान मत हो, सरकार हर जरूरतमंद तक सहायता पहुंचाने की कोशिश तो कर रही है ,बस आप लोग हिम्मत मत हारो और सहयोग करो, ...और पढ़े

9

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 9

यह कहकर सब एक दूसरे के गले मिलने लगे आफताब बहुत खुश था जैसे उसको अभी से जन्नत नसीब गई हो तभी आफताब का फोन बजा फोन उठाया तो उसकी छोटी बहन का था जब उसको पता चला आफताब जलसे में गया हुआ है तो वह बहुत नाराज हुई और बोली, “क्या भाई जान तुम्हें जरा भी इल्म् है कि तुमने यह क्या किया? अरे तुमने मौत को अपने मुंह से लगा लिया या अल्लाह मेरे नासमझ भाई की गलती माफ करना, यह बीमारी धर्म जात या अमीर गरीब नहीं देखती, यह तो किसी को भी हो सकती है, ...और पढ़े

10

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 10

“अरे अर्पित, अभी अभी पता चला है कुछ लोगों में कोरोना पॉजिटिव के लक्षण पाए गए और इसके बावजूद घरों के बाहर घूम रहे हैं और कुछ छुपे बैठे हैं, कह रहे हैं हमें कोरोना नहीं होगा, कुछ लोग तो कोरोना को फैलाने के लिये पुरी प्लानिंग कर रहे हैं, हमें अभी भीड़ को कंट्रोल करने के लिए जाना होगा” अर्पित के सीनियर ने कहा |अर्पित फौरन पुरानी दिल्ली की तरफ अपनी टीम लेकर चला गया, अर्पित के साथ एक डॉक्टर की टीम भी आई, उस एरिया को तुरंत सील कर दिया गया लेकिन यह क्या वहां के लोगों ...और पढ़े

11

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 11

शहर के शहर सन्नाटे में डूबे थे, हर तरफ एक सन्नाटे का शोर था वो लोगों के रोने का का शोर था, नियति हंस रही थी मानव पर, दिन-रात प्रकृति को असंतुलित करने वाले मानव आज एक लाचार दुखी जीवन जी रहे थे, ऐसा लग रहा था कि यह महामारी एक प्रतिशोध हो धरती का | महामारी की वजह से लॉक डाॅउन भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था, लोग उम्मीदें लगाते कि अगले महीने लॉक डाउन खुलेगा, अगले कुछ दिनों बाद लॉक डाउन खुलेगा लेकिन लॉक डाउन था जो सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही चला जा रहा था, ...और पढ़े

12

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 12

दो दिन बाद आफताब की हालत बहुत बिगड़ गई, मंजेश बहुत परेशान हो गया, उसने बहुत कोशिश की पर को भी नहीं बचा पाया गया | तीनों दोस्तों को बहुत दुख हुआ क्योंकि उसमें कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत ही ज्यादा था, जिस वजह से उसकी मुन्नी और पत्नी को भी नहीं बचाया जा सका |अर्पित - “यार आफताब कुछ भी कहो, दिल का अच्छा था” |मोहित - “हां यार यह तो है.. मैंने उसे बहुत मना किया था पर क्या करें वह माना ही नहीं” |मंजेश - “मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है पर शुक्र है जो ...और पढ़े

13

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 13

कुछ दिनों बाद… अर्पित - “यार मैं ठीक तो हो जाऊंगा ना” |मोहित - “अरे क्या बात कर रहा अब हम दोनों ही ठीक हो गए हैं, एक-दो दिन में हमारी रिपोर्ट आ जाएगी और मुझे पता है नेगेटिव ही आएगी, बस कुछ दिन और फिर एक वेकेशन पर चलेंगे” |अर्पित - “हां सही कह रहा है, घर में तो सब लोग परेशान हैं ..मां ने तो कितने मंदिरों में मन्नत भी मांग ली है” |मोहित - “अरे यार मेरे मां-बाप से पूछो वो तो इतने बुजुर्ग हैं, कमरे में ही बंद होंगे और दूसरा मेरी चिंता में उनका बुरा ...और पढ़े

14

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 14

लॉक डाउन की आखिरी सुबह..... ध्रुव - “मम्मी.. मम्मी.., नानी.. नाना.. जल्दी ऊपर आओ, जल्दी ऊपर आओ..” |ध्रुव की पुकार से सब घबरा गये और छत पर इकट्ठा हो गये | पड़ोसी भी अपनी-अपनी छत पर इकट्ठा हो गए और सामने देखकर दंग रह गए, सामने हिमालय के बर्फीले पहाड़ों की चोटियां दिख रही थी जो करीब दो सौ किलोमीटर दूर थीं, यह एक चमत्कार ही था जो सदियों बाद देखने को मिला था, सब लोग देखकर वाह-वाह कर रहे थे तभी किसी ने कहा कि वायु प्रदूषण इतना कम हो गया है जिसके कारण यह पहाड़ भी दिखने लगे, ...और पढ़े

15

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 15

रात के ग्यारह बज चुके थे, मंजेश जाकर एक कुर्सी पर बैठ गया तभी नर्स आकर बोली, “अरे सर बात है, आप बहुत चुपचाप बैठे हैं.. अरे हां थक गए होंगे वैसे भी आपने सबसे ज्यादा मरीजों का ट्रीटमेंट किया है” |मंजेश - “हां बस आज मरीज कम थे तो सोचा आराम कर लूं, बहुत थकान सी लग रही थी, आज मैं खुश बहुत हूं कि इस बीमारी की दवाई बन गई” |नर्स - “हाँ सर ये तो है, अब हम लोग भी अपने घर जा पाएंगे और वो भी बिना डर के, बस कुछ दिन और… आप आराम ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प