सर्वश्रेष्ठ हास्य कथाएं कहानियाँ पढ़ें और PDF में डाउनलोड करें होम कहानियां हिंदी कहानियां फ़िल्टर: श्रेष्ठ हिंदी कहानियां सेब क्यों गिरा द्वारा Alok Mishra सेब क्यों गिरा एक दिन मैं यूॅ ही स्कूल के गलियारे में टहल रहा था । छुट्टी का समय होने के कारण छात्र-छात्राएँ भी ... क्यों लिखूं....? द्वारा Alok Mishra 273 क्यों लिखूं....? आपका ये नाचीज कभी-कभार अपने मन की बात लिखकर आप तक पहुंचा कर अपने मन के बोझ को कम करता रहता है, ... चोलबे ना - 9 - इज्जतदार लेखक द्वारा Rajeev Upadhyay 168 लेखक नामक प्रजाति के सदस्य अक्सर अकादमियों और मंत्रालय के अधिकारियों को कोसते रहते हैं। ये उनकी स्पष्ट राय है कि ये अधिकारी लेखकों को उनके जीते-जी सम्मान ... रामलाल का सन्यास द्वारा Alok Mishra 252 रामलाल का सन्यास अभी -अभी प्राप्त समाचार के अनुसार रामलाल जी ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी है । रामलाल जी को ... कस्बे का आई.सी.यू. द्वारा Alok Mishra 351 कस्बे का आई.सी.यू. ये एक छोटा सा कस्बा है । इस कस्बे में एक सरकारी अस्पताल भी है । जहॉं कुछ डॅ़ाक्टर केवल इसलिए आ जाया करते है ... पंछी उवाच द्वारा Alok Mishra 345 पंछी उवाच ये जंगल बहुत ही अच्छा और सुंदर था । कल-कल करती नदियॉ , हरे-भरे पेड़ों से ... चोलबे ना - 8 - गाली ही आशीर्वाद है द्वारा Rajeev Upadhyay 330 मुझे भाषण देने की आदत जो है कि लोग देखा नहीं कि बस उड़ेलना शुरू कर देता हूँ। बस कुछ दोस्त मिल गये तो मैं लग गया झाड़ने। खैर ... पुतला (व्यंग्य ) द्वारा Alok Mishra 198 ‘‘पुतला’’ मैं पुतला हूँ। यदि आप न समझें हो तो मैं वही पुतला हूँ, जो दशहरे में रावण के रूप में और होली में होलिका के रूप ... गरीबी और गरीब ( व्यंग्य ) द्वारा Alok Mishra 474 गरीबी और गरीब ( व्यंग्य ) गरीबी और मंहगाई दो बहनें आजादी के मेले में एक दूसरे का हाथ पकड़े भारत के पीछे-पीछे लग गई । ... सत्य मोहे न सोहते ( व्यंग्य ) द्वारा Alok Mishra 339 सत्य मोहे न सोहते ( व्यंग्य ) बचपन से एक ही पाठ पढ़ा है ‘‘सत्य बोलो’’ क्योंकि ‘‘सत्यमेव जयते।’’ सत्य की विजय को ... चोलबे ना - 7 - फ्रैक्चर, प्लॉस्टर और चुनाव द्वारा Rajeev Upadhyay 297 अभी मैं उहापोह की स्थिति में पेंडुलम की तरह डोल ही रहा था कि चच्चा हाँफते हुए कहीं चले जा रहे थे। देखकर लगा कि चिढ़े हुए हैं। जैसे ... व्हीप......व्हीप......व्हीप.... (व्यंग्य) द्वारा Alok Mishra 390 व्हीप......व्हीप......व्हीप.... ‘‘आज के समाचार यह है कि राम प्रसाद जो कि गधा पार्टी के नेता हैं, से सुअर पार्टी पर प्रहार करते हुये व्हीप.......व्हीप.......व्हीप कहा। ... होली का दिन ( होली स्पेशल) द्वारा RACHNA ROY 855 दीपू होली के पहले दिन ही पापा के साथ जाकर तरह-तरह के रंग, पिचकारी, गुब्बारे सब कुछ खरीद कर ले आया।दीपू होली के पहले दिन ही पापा के साथ ... यमराज का आगमन द्वारा Alok Mishra 459 यमराज का आगमन अचानक एक धमाकेदार खबर सुर्खियाॅ बन गई । बनती भी क्यों न , खबर ही ऐसी थी । खबर आई कि यमदूत आने वाले है ... होली कब है ? द्वारा Alok Mishra 483 होली कब है ? रामलाल एक दिन बाजार में मिल गए । बाताे - बातों में वे बोले ''होली कब है ? हम सोचने लगे कि ... उपवास कैसे रखें .... (व्यंग्य) द्वारा Alok Mishra 366 उपवास कैसे रखें ...... व्यंग्य अब साहब आपके ये दिन आ गए कि कोई मुझ जैसा अदना सा व्यक्ति आपको यह बताए कि उपवास ... चोलबे ना - 6 - राम को आईएसआई मार्का द्वारा Rajeev Upadhyay 609 इस बार के दशहरा में वो हुआ जो कभी भी नहीं हुआ था। जिसका सपना लोग सत्तर साल से देख रहे थे वो इस बार ‘पहली बार’ हो ही ... दावत-अदावत (व्यंग्य ) द्वारा Alok Mishra 615 दावत-अदावत (व्यंग्य ) दावत शब्द सुनते ही लज़ीज पकवानों के की महक से मुंह में पानी आना स्वाभाविक ही है । शादी - ब्याह हो , ... बिना मुद्दे की बकवास (व्यंग्य) द्वारा Alok Mishra 516 बिना मुद्दे की बकवास ( व्यंग्य) नमस्ते ....आदाब....सत्तश्रीअकाल....आज फिर शाम के छः बज रहे है और मैं खवीश हाजिर हुँ बिना मुद्दे की बकवास के साथ । आप को ... धंधा मारा जाएगा द्वारा किशनलाल शर्मा 594 इक्कीसवीं सदी साइंस का जमाना।शिक्षा के प्रसार के साथ लोगो का ज्ञान बढ़ा है।लोग जागरूक हुए है और उनमें समझदारी आयी है।पहलेकी तरह लोग अज्ञानी और कूप मण्डूक नही ... मेरी कीमत क्या है ? (व्यंग्य) द्वारा Alok Mishra 519 मेरी कीमत क्या है ? (व्यंग्य) हम ठहरे एक आम आदमी ........नहीं ... नहीं , जनता..... अरे......नहीं...... फिर राजनैतिक हो गया । खैर आप ... How are you, Mr. Khiladi ? द्वारा BRIJESH 'PREM' GOPINATH 975 देर रात शिफ्ट पूरी कर घर पहुंचा तो हालत देखकर भौंचक्का रह गया.ऐसा लगा मानो भूकंप आया हो.एक जूता बाथरूम के पास तो दूसरा किचन के दरवाज़े पर,अख़बार के ... चोलबे ना - 5 - चुनावी चक्कलस का मंत्र द्वारा Rajeev Upadhyay 492 सुबह सुबह की बात है (कहने का मन तो था कि कहूँ कि बहुत पहले की बात है मतलब बहुत पहले की परन्तु सच ये है कि आज शाम ... पांडे जी की सायकिल (व्यंग्य कथा) द्वारा Alok Mishra 699 पांडे जी की सायकिल (व्यंग्य कथा) अब साहब आपका पूछना जायज ही होगा कि पांडे जी कौन ? आपने पूछ ही लिया है तो हम बताएं देते ... लघुकथा आध्यात्मिक कथा उपन्यास प्रकरण प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान કંઈપણ कलयुग में भगवान द्वारा किशनलाल शर्मा 747 "नारायण नारायण---घोर कलयुग है"क्या हुआ नारद,"भगवान विष्णु, नारद को देेेखते ही बोले," चितित नज़र आ रहेे हो।कहाँ से आ रहे हो?"प्रभु भूलोक में गया था।पूरी पृथ्वी का भृमण करके ... अंग्रेजी में बैठना कुत्ते का द्वारा कृष्ण विहारी लाल पांडेय 522 मैं काफी मॉडर्न थे। इस लिए उनके पास एक कुत्ता था। वे उससे हिंदी नहीं बोलते थे ।अंग्रेजी में आदेश देते थे - कम , गो, यस, नो , ... बुरा तो मानों .... होली है ( व्यंग्य ) द्वारा Alok Mishra 555 बुरा तो मानों...... होली है ( व्यंग्य) लो साहब होली आ गई । सब ओर नारा लगने लगा ‘ बुरा न मानो .... होली है । वैसे भी ... काली पुतली द्वारा Alok Mishra 744 काली पुतली ये गाँव से विकसित होता छोटा सा कस्बा था । इस शहर में कुछ सड़कें ऐसी भी थी जिन पर रातों को लोग जाने से ... चोलबे ना - 4 - रवीश भाई, कन्हैया और मेरा सपना द्वारा Rajeev Upadhyay 894 कल अचानक ही रवीश भाई से मिलना हो गया। कौन? अरे भाई! वही अपने रवीश भाई जी! कमाल है अभी भी आप नहीं समझे! अरें भई रवीश कुमार के ... लोटन का शौचालय ( व्यंग्य ) द्वारा Alok Mishra 633 लोटन का शौचालय एक गाँव में एक बुजुर्ग रहते थे, नाम था लोटनलाल। पहले उनका भरा-पूरा परिवार था। फिर धीरे-धीरे सब साथ छोड़ते गए, ...