Ab aur Sanbarn nahi Chahiye - 1 book and story is written by Neelam Kulshreshtha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ab aur Sanbarn nahi Chahiye - 1 is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अब और सनबर्न नहीं चाहिए - 1
Neelam Kulshreshtha
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
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विवरण
नीलम कुलश्रेष्ठ एपीसोड --1 इस घर में आज भी सुबह-सुबह नर्म हवा के झोंके पर्दों को थरथराते हैं । आज भी बरामदे में नीचे के बाईं तरफ़ करे नीचे पेड़ों की टहनियों से छनती धूप अपना अक्स बनाती है। आज भी इस घर में डेरीवाला घंटी बजाकर दूध देता है। बस इन थरथराते पर्दों की सूरज की किरणों की जैसे रूह फ़ना हो गई है। सामान से भरे इस घर में एक कमरे से दूसरे कमरे में जाओ तो लगता है निःस्तब्ध वीराने में टहल रहे हैं। घर की बची हुईं हलचलें स्पन्दनहीन लगती हैं, अजीब-सी मरघटनुमा खामोशी में लिपटी
इस घर में आज भी सुबह-सुबह नर्म हवा के झोंके पर्दों को थरथराते हैं । आज भी बरामदे में नीचे के बाईं तरफ़ करे नीचे पेड़ों की टहनियों से छनती धूप अपना अक्...
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