'यूज़ एंड थ्रो पालिसी'
नाम - "अनिल रस्तोगी"उम्र - 28 वर्ष ।
मिडिल क्लास घर का कमाऊ पर अविवाहित लड़का। वह एक सरकारी स्कूल में अध्यापक था जो कक्षा 3 के बच्चों को पढ़ाता था। अनिल था तो अध्यापक पर एक दूसरा पहलू भी था उसका ....कि वो अंदर से बड़ा दिलफेंक और रंगीला था। वो हर समय इस चक्कर में रहता था कि कोई लड़की उसकी गर्लफ्रेंड बन जाए। कह लीजिये पुराना खिलाड़ी था वो इस क्षेत्र का। अब तक कई शिकार कर चुका था।उसकी कक्षा में एक बच्ची 'ऋतु' पढ़ती थी ...... 7 साल की एक प्यारी सी बच्ची। उसी 'ऋतु' को उसकी माँ स्कूल लेने और छोड़ने आती थी 'हेमा' नाम था उसका। माँ भी रही होगी 24-25 साल की लड़की। शायद कम उम्र में ही ब्याही गयी होगी। तो हुआ यूँ उस हेमा का दिल आ गया अनिल पर। उधर अनिल कौन सा कम था। उसने भी मौके को लपकते हुए अवसर का लाभ उठाया। दोनों की शुरुआत में नज़रें लड़ीं, मन में साहस हुआ और कर लिया दोनों ने नंबर एक्सचेंज। फोन पर चैट और बातें होनें लगीं। कुछ 10 दिन ही हुए होंगे।अब कुछ दिनों में ही अनिल और हेमा अच्छे दोस्त बन गए।
अनिल को लगता था के वो जब तक इस स्कूल में काम कर रहा है या जब तक उसकी नयी गर्लफ्रेंड नहीं बन जाती या उसकी शादी नहीं हो जाती तब तक उससे मज़े लेगा, काम चलाएगा और उसके बाद निकल जाएगा उसकी लाइफ से। वही 'यूज़ एंड थ्रो' वाली पॉलिसी वाला प्यार चाहता था अनिल ।
एक रोज़ मौका देख कर कर दिया अनिल ने हेमा को प्रोपोज़। हेमा भी तो इसी इंतज़ार में बैठी थी। फिर क्या था ...आ गए दोनों रिलेशनशिप में। सुना था मैंने के गर्लफ्रेंड पत्नी बना करती है। पर यहाँ तो किसी की पत्नी किसी की गर्लफ्रेंड बन गयी थी। :D
सब कुछ कितना अजीब और अलग सा है ना?छुट्टी के बाद दोनों खाली क्लास में मिलते और कुछ बातें करते, हाथ पकड़ते... और मौका देख कर कुछ और भी कर डालते। दोनों का प्यार परवान पर था। पर जहाँ अनिल टाइम पास कर रहा था वहीँ दूसरी और हेमा सीरियस हुई जा रही थी।आप सोच रहे होंगे एक शादीशुदा लड़की को अलग से प्यार की क्या चाह??अनिल को भी यही लगा। एक रोज़ पूछा था उसने-
"आपकी तो शादी भी हो चुकी है फिर आपने मुझसे दोस्ती क्यों की है?"
"शादी तो हुई है और चल भी रही है पर हमारे बीच पति-पत्नी वाला कोई रिश्ता नहीं है, वो मुझे शराब पी कर मारते हैं, बहुत शक करते हैं और बाहर लड़कियों के साथ रिश्ता रखते है। हमारा प्यार कब का मर चुका है।"इस तरह वो अपना सर अनिल के कंधे पर रखा करती थी जब वो पार्क और मॉल में मिलने लगे थे। ऐसा कोई व्रत न था जो वो अनिल के लिए ना रखती हो। घर से खाना बना कर लाती और चुपके से अनिल को दे जाती। 'रियल वाइफ' की तरह वो अनिल का ध्यान रखती थी।उधर अनिल भी बाक़ी सहकर्मियों के..जिनको वो सब बता चुका था, उनके सामने सीना चौड़ा करता था के "देखो मेरी कितनी इज़्ज़त है... कितना प्यार करती है तुम्हारी भाभी।"
दोस्त लोग भी जान रहे थे के वो ग़लत कर रहा है। उसको खूब समझाया गया के ये मर्यादा के खिलाफ है और इसके परिणाम बुरे हो सकते हैं। पर वो किसी की सुनने वाला नहीं था। जैसे शेर के मुँह खून लग जाए तो वो कब देखता है के वो खून किस प्राणी का है। हवस में अँधा हुआ जाता था वो।
लेकिन एक डर जो अनिल को खाए जा रहा था कि ये हेमा सीरियस हुई जा रही है। कल को कुछ परेशानी ना हो जाए। इसके लिए अनिल ने खुद को सेफ करने का सोचा। दोनों 'इंडिया गेट' पर मिले। दोनों बैठे थे एक दूसरे के हाथ में हाथ डाले।अनिल ने माहौल बनाया-"हेमा एक बात कहूँ?""कहो" "तुम एक बच्चे की माँ हो, कल को मेरी शादी होगी तो तुम्हें बुरा नहीं लगेगा?" अनिल ने सवाल करती आँखों से उसकी आँखों में देखा।"मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए, बस तुम मुझसे यूँ ही बात करते रहो। बेपनाह प्यार करते रहो...... मुझे शादी नहीं करनी तुमसे । मेरा खुद का एक घर है, जैसा भी है उसमें ही रहना है मुझे ,उसी दरिंदे के साथ जीना है। तुम चिंता ना करो मेरी वजह से तुम्हें कोई प्रॉब्लम ना होगी।"
अब क्या था अनिल को तो मन मांगी ख़ुशी मिल गयी थी। यही तो वो चाहता था, कि ना लड़की उसके लिए सीरियस हो और ना ही पीछे पड़े। बस जिस काम के लिए उसने उसको झांसे में लिया है वो पूरा हो जाए। यूज़ करके फेंक देना चाहता था अनिल हेमा को।
अब तो नज़ारा भी साफ़ था, अब एक दिन होटल में मिले दोनों .... बातचीत करके और खाना खाने के बाद जाग गये दोनों के दिल के अरमान, और दोनों खुद को रोक ना सके। हेमा भी भूल बैठी के वो एक बच्चे की माँ और उससे ऊपर एक पत्नी है। उस दिन सब कुछ दे बैठी थी वो अनिल को....सब कुछ।अब अनिल बहुत खुश था। उसने जो चाहा वो उसको मिल चुका था। अब ऐसे स्पेशल दिन हफ़्ते में कई बार आने लगे दोनों के लिए। ऐसा कई हफ़्तों तक चला।अनिल के घर के आस-पास कहीं हेमा की मौसी रहती थी। एक दिन उनसे मिलने हेमा आयी हुई थी। फोन पर बात हुई हेमा को पता चला अनिल वहीँ कहीं पास में ही रहता है तो मिलने के लिए ज़िद्द करने लगी। हेमा की ज़िद पर अनिल ने प्लान बनाया-
"सुनो, तुम को मैं अपने घर बुला रहा हूँ, अब तुम मेरे स्कूल की मैडम हो और एक टीचर की तरह मेरे घर आना मिलने .... और वैसे ही बिहेव करना।"
अनिल ने आने का रास्ता बता दिया और घर पर बोल दिया के स्कूल की एक मैडम का फोन आया है .. उसको पता चला है कि मैं पास में ही रहता हूँ तो मिलने आ रही है।
माँ- पिताजी ने उतना ज्यादा सोचा नहीं। हेमा उनके घर आई। सबसे मिली और किसी को पता भी ना चला। अनिल ने प्लान ही ऐसा भिड़ाया था । :D लेकिन दोनों की आँखें बीच-बीच में टकरा रहीं थीं और दोनों मंझे हुए अभिनेताओं की तरह अभिनय कर रहे थे। मिल कर हेमा चली गयी। दोनों बहुत खुश थे।
काफी दिन यूँ ही मिलते-मिलाते बीत गए। अब अनिल के लिए रिश्ते भी आ रहे थे। लेकिन अनिल ये बात हेमा से छिपा जाता था। अब उसको लगने लगा था के अब वो बहुत खेल लिया हेमा से। अब समय आ चुका है के उसको टाटा-गुड़ बॉय बोला जाए। अब उसने हेमा से बात करनी बंद कर दी। धीरे-धीरे बात कम होते होते बिलकुल बंद हो गयी। हेमा फोन करती तो अनिल टाल जाता , बहाने बनाने लगा था।एक दिन जब हेमा ने उसको कॉल करके बहुत परेशान कर दिया तो अनिल ने गुस्से में आ कर अपना सिम कार्ड ही तोड़ डाला। वो अब कैसे भी करके उससे पीछा छुड़ाना चाह रहा था।उस रात वो इस सुकून के साथ सोया था के बस अब झंझट ख़तम , किस्सा ख़तम। लेकिन क़िस्सा तो अब शुरू होने वाला था। ऐसा किस्सा जो अनिल को बहुत भारी पड़ने वाला था।
अगली सुबह अनिल के लिए भूकंप ले कर आई। सुबह हेमा अनिल के घर पहुँच गयी। नंगे पैर दीन-हीन हालत में। अनिल के बाबूजी मिले -"क्या हुआ बेटी ऐसे कैसे इस हाल में? कैसे आना हुआ?""बाबूजी आपके बेटे अनिल ने मुझसे प्यार का नाटक किया , अब मैं इसके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ ... अब ये मुझसे भाग रहा है धोखा दिया है इसने।"ये सब ड्रामा देख कर अनिल के घरवालों की तो पैरों तले की ज़मीन खिसक गयी। उधर अनिल पर भी मानों एक पहाड़ सा टूट गया था। सांप सा सूंघ गया था उसको तो। रंग उडी शर्ट सा उसका वो चेहरा.,, देखते ही बनता था।पूरी गली के लोग इकठ्ठे हो गए। भारी बेइज़्ज़ती हुई सबके सामने अनिल और उसके परिवार की । जैसे -तैसे उन्होंने हेमा को शांत करवाया और उसको वापिस भेजा। लेकिन हेमा जाने क्या मन बना कर आई थी।"मैं आज तो जा रही हूँ, कल फिर आउंगी और इससे ही शादी करके रहूंगी.. छोडूंगी नहीं इसको , इतने दिन मेरे साथ सोया अब जब बाप बनने वाला है तो बोल रहा है नहीं जानता इसको.... उल्टा इल्ज़ाम लगा रहा है। मुझको ही फ्रॉड बता रहा है।"उसके जाने के बाद हाहाकार सा मच गया अनिल के घर में।अब अनिल की बोई खेती सबके सामने थी। पहले तो घरवालों ने उसको खूब धोया। अगले महीने उसकी सगाई भी होने वाली थी। ये क्या पंगा पाल लिया अनिल ने । उसके घरवाले ये सोच कर मरे जा रहे थे। समाज में बेइज़्ज़ती हो रही है वो अलग।अनिल ने सारी बात खोल कर घरवालों को बता दी कि कैसे उनकी स्कूल में दोस्ती हुई और उसने कैसे उसको बोला था कि उसके पति उसको मारते हैं और वो दुखी थी। कैसे उसने हेमा को सहारा दिया। सब बता दिया उसने।
"लेकिन बाबूजी वो मेरे बच्चे की माँ नहीं बनने वाली, वो झूठ बोल रही है फँसा रही है मुझको।"
अनिल के बाबूजी और बड़े भैया ने प्लान बनाया के वो लड़की हेमा अपने पति से छिप कर अनिल से मिलती थी और उसके पति को इस केस के बारे में कुछ नहीं पता होगा। क्यों ना उससे मिला जाए और उसकी पत्नी की करतूत उसको बताई जाए। आखिर लड़का जैसा भी है.. है तो अपना ही। इस पंगे से तो बाहर निकालना ही पड़ेगा उसको। प्लान अच्छा था।
अगले दिन तीनों पहुँच गये उसके घर। हेमा भी वहीँ पर मिल गयी।"देखो जी हमारे लड़के की शादी होने वाली है और आपकी बीवी उसको फंसा रही है। ये आपसे छिप -छिप कर रोज़ अनिल से मिलती थी। आपको धोखा दे रही रही है। आपकी आँखों में धूल झोंक रही है।" बाबूजी जितना समझा सकते थे उतना समझाते हुए उन्होंने बात हेमा के पति के सामने रखी। उम्मीद ये थी बाबूजी को कि अब तो हेमा की ख़ैर नहीं। अब बात सुलझती जाएगी।
पर किस्मत का माँझा जब उलझता है तो कोई लाख सुलझा ले ....वो बिना गाँठ बनाए सुलझता कब है।
हेमा के पति के चेहरे पर कुछ गुस्सा आया। वो तीनों को अंदर ले गए। और टी.वी. चालू किया। एक सी. डी. निकाली और प्ले कर दी। वीडियो में अनिल और हेमा के वो 'बेड सीन' थे जो जाने कब, किसने और कैसे फिल्मा लिए थे। फिर कुछ मोबाइल ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनाई गई जिसमें अनिल और हेमा की प्यार भरी बातें रिकॉर्ड थी। फिर कुछ प्राइवेट पिक्स ने सब क्लियर कर दिया के हेमा और उसके पति मिले हुए हैं।कोई गिरोह था उनका जिसकी साज़िश में फंस चुका था अनिल और उसका परिवार।
अब दोनों मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे एक कुटिल हंसी के साथ। हेमा के पति ने बोलना शुरू किया -अब तुम लोग पूरी तरह फँस चुके हो। ये वीडियो या ये फोटो या इनमे से एक भी चीज़ पुलिस को ले जा कर दिखा दी ना मेरी बीवी ने तो समझो तुम्हारा लड़का गया 10-20 साल के लिए अंदर जेल में। अब भलाई इसी में है के 5 लाख रुपये दो और बचा लो अपने बेटे को। अगर पुलिस में जाओगे तो उल्टा फंसोगे। ये अलग और नया झटका तो बर्दाश ना होने वाला था। बाबूजी चक्कर खाते - खाते बचे। उनका दाव तो उल्टा पड़ चुका था। एक औरत इतना नीचे गिर सकती है और एक पति... अपनी बीवी के साथ मिलकर ऐसे लोगों को फंसा सकता है किसी को यकीन नहीं हो रहा था। सब कुछ एक भूकंप सा था। जो एक झटके में सब हिला गया था। फंस गए थे वो एक गिरोह के चंगुल में।कोई और दूसरा रास्ता भी नहीं था बचने का। बेचारों ने घर आ कर पैसों का इंतज़ाम किया। कुछ जमा पूंजी निकाली और एक मोटी रकम ब्याज पर उधार ली और ले जा कर रख दी हेमा के सामने। बदले में ले आए वो 10 रूपए वाली सी.डी. जिसमे लाखों की इज़्ज़त कैद थी और वो ऑडियो ,फोटोज़ और बाकी सब सबूत। एक भरोसा भी करना था हेमा पर की वो अगली बार फिर से सबूत ले कर और रूपए मांगने ना आ जाए।लेकिन कोई दूसरा चारा क्या था??वापिस आते वक़्त सबके चेहरे उतरे हुए थे। पर सबसे ज़्यादा रंग उड़ा था अनिल का। जिस लड़की को उसने 'यूज़ एंड थ्रो' पॉलिसी समझा था उसने आज उसको एक ऐसा सबक सिखा दिया था जो वो जन्म भर भूलने नहीं वाला था। एक षड्यंत्रकारी को महा षड्यंत्रकारी मिल गए थे।
वहीं फ्लॉप हो गयी थी... साथ ही उलटी पड़ गयी थी अनिल को उसकी 'यूज़ एंड थ्रो पालिसी'।
*समाप्त*