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रहस्य खुल गए
बंगले में श्रीराम के साथ मौजूद दूसरा व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि रामास्वामी था. सीबीआई और राजन ने उन्हें नेस्तनाबूत कर लिया था. इक़बाल और सलमा भी अंदर आ गए थे.
“ये क्या...मतलब उत्तर और दक्षिण दोनों एक जगह!” इक़बाल दोनों नेताओं को देखकर अचरज के साथ बोला.
“विपरीत पार्टी के नेताओं का आपस में मिलना क्या कानून जुर्म है?” श्रीराम झुंझलाकर बोला, “हमें क्यों इस तरह पकड़ा गया है?”
“आपका मिलना जुर्म नहीं है.” राजन उसे घूरते हुए बोला- “जुर्म है- एक पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या करना. जुर्म है- एक सीक्रेट एजेन्ट को मारने की कोशिश करना...और सबसे बड़ा जुर्म है- देश के एक होनहार युवा नेता को मौत की घाट उतारना.”
“क्या बकवास है! कौन युवा नेता?”
“श्रीराम मूर्ति! तुम लोगों ने उसे मारा है.”
“होश में तो हो?” श्रीराम चीखा.
“तो ये क्या डुप्लिकेट...?” सलमा के मुंह से निकला.
“हां!” राजन बोला- “ये श्रीराम नहीं है. ये इनका बेटा है.” उसने रामास्वामी की तरफ इशारा किया.
“तु...तुम लोग...” रामास्वामी के मुंह से निकला.
“प्रूफ चाहिए? ठीक है. DNA टेस्ट करवा लेते हैं. प्रूफ हो जायेगा कि तुम इनके बेटे रंगास्वामी हो.””
दोनों से कुछ कहते नहीं बना.
“रंगास्वामी मसूरी में पढ़ रहा था. फिर वहीं प्लास्टिक सर्जरी से इसे श्रीराम बनवा दिया गया.” राजन बोला- “यहाँ आने के बाद, इन लोगों ने मिलकर मेध में किडनैपिंग का नाटक किया, ताकि आगे चलकर साबित किया जा सके कि असली श्रीराम ये है. फिर श्रीराम के हैलीकॉप्टर में गडबड़ी करवाकर क्रैश करवा दिया. हमारे पास सारे सबूत हैं. वह प्लास्टिक सर्जन पकड़ा गया है.”
“क्या बात है? तुमने हमें भी नहीं बताया.” सत्यपाल राजन को घूरते हुए बोला.
“सीक्रेट सर्विस के एजेन्ट इस पर काम कर रहे थे. मुझे पता चला था कि रंगास्वामी मसूरी से कुछ साल पहले गायब हो गया था. ये माना गया था कि वह झरने में डूब गया. पर उसकी लाश नहीं मिली थी. फिर शुरू से श्रीराम के डुप्लिकेट के होने की बात चल रही थी, इसलिए इन सब बातों को मद्देनज़र रखते हुए मैंने मसूरी के आस-पास के सभी प्लास्टिक सर्जन की जांच शुरू करवा दी और फिर परसों वह सर्जन पकड़ में आ गया जिसने इसे श्रीराम बनाया था.”
“वाओ!” जगत ने सीटी बजाई. “मान गए तुम्हें दोस्त. नेताजी! आपका किडनैपर भी पकड़ा गया है. और आपके दोस्त शोहराब भी जिनके थ्रू आपने किडनैपर को काम और पैसे दिलवाए थे. इसी शोहराब ने राजन पर हमला किया था. हाँ! इंस्पेक्टर भास्कर राव का मर्डर भी आपने शोहराब से करवाया था. उसके मर्डर का केस भी आप पर चलेगा. शोहराब ने सब उगल दिया है.”
“भास्कर को क्यों मारा गया?” सलमा ने पूछा.
“श्रीराम के एक्सीडेंट की इन्वेस्टिगेशन करते-करते वह उस इंजीनियर तक पहुँच गया था, जिसने इनके कहने पर हैलीकॉप्टर में गडबडी करी थी.” राजन बोला- “हमें भास्कर के घर से कुछ ऐसे सबूत मिल गए थे.”
“वो इंजीनियर मिला?”
“फिलहाल गायब है. उसे ढूढा जा रहा है.”
रामास्वामी और श्रीराम उर्फ रंगास्वामी के चेहरे सफ़ेद पड़ गए थे. दोनों के चेहरे से ज़ाहिर हो रहा था कि वे अपनी हार मान गए हैं.
“अब ये तो बताइए- ये सब आखिर किसलिए?” जगत ने दोनों नेताओं से पूछा.
रामास्वामी ने बोलना शुरू किया- “श्रीराम हमारे लिए शुरू से ही एक खतरा था. पहले तो हमने उसे रास्ते से हटाने की बात सोची, पर फिर हमने सोचा क्यों न उसकी प्रसिद्धि का हम फायदा उठायें. इसलिए अपने बेटे को उसका डुप्लिकेट बनवाने का प्लान किया. इस तरह हमारा बेटा पॉवर में रहता और हमारी पार्टी का भी चोरी-छिपे फायदा होता रहता. खैर, हमारा मुख्य लक्ष्य तो आगे चलकर सेंटर तक पहुंचना था.”
“हूँ! प्रधानमंत्री! बहुत ऊंचे ख्वाब देखे आपने.” राजन बोला- “पर रास्ता गलत चुना.”
उसके बाद उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.
वे सभी पुलिस स्टेशन पहुंच गए. वहां प्रकाश के साथ शोभा भी मौजूद थी.
राजन ने बताया कि वो श्रीराम का बॉडीगार्ड महेश और जगत रिजवान बना हुआ था.
“ओ तेरी!” इक़बाल उछला- “यानि उस दिन जब मैं श्रीराम के घर में नौकर बनकर घुसा था तुमने ही मुझे पकड़ने की कोशिश करी थी?”
“हाँ!” राजन मुस्कराया. “उस वक्त मैं भी तुम्हे नहीं पहचान पाया था. बाद में सत्यपाल को फोन किया तो उसने मुझे बताया, वो तुम्हारी हरकतों पर शुरू से नज़र रखे था.”
“श्रीराम के लोगों ने तुम पर शक नहीं किया?” शोभा ने पूछा.
“किया पर काफी बाद में.” राजन ने जवाब दिया- “शोहराब उस दिन शाम से ही मेरे पीछे था, जबकि मैं महेश के रूप में था. उसने ही मेरे रिवाल्वर की गोलियाँ खाली करवाईऔर फिर कब्रिस्तान में मुझ पर हमला किया.”
कुछ देर में अल्ताफ शेख वहाँ पहुंचा.
“तो आप सीबीआई के लिए काम कर रहे थे?” इक़बाल ने शेख से पूछा.
वह सिर्फ मुस्करा दिया.
“आपने अपनी पार्टी को क्यों धोखा दिया?”
“देशभक्ति के लिए.”
“आपके जैसे देशभक्त नेताओं की देश को सचमुच बहुत ज़रूरत है.” इक़बाल बोला.
“देशभक्त तो हूँ, पर नेता नहीं.” अल्ताफ बोला.
“अब ये क्या झोल है?” इक़बाल उछला.
अगले ही पल अल्ताफ ने आपने चेहरे से मास्क हटा दिया, फिर विग भी उतार दिया.
उसका असली चेहरा देखकर इक़बाल, सलमा व शोभा बुरी तरह से चौंक उठे.
वे कोई और नहीं बल्कि राजन के पिता कर्नल विनोद थे.
“अंकल! आ...आप?” इक़बाल के मुंह से निकला.
“हां! मेरे बच्चों! सीबीआई के आग्रह पर मैं काफी दिनों से अल्ताफ बनकर इस केस पर काम कर रहा था.”
“और...और...असली अल्ताफ शेख कहाँ है?” इक़बाल के चेहरे पर हवाईयां उड़ रही थीं.
“वो एक गुप्त जगह पर सुरक्षित हैं. उन्होंने सीबीआई का पूरा साथ दिया है.”
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कब्र का रहस्य
गेस्ट हाउस में राजन, इक़बाल, सलमा, शोभा, सरोज और कर्नल विनोद मौजूद थे.
सरोज कर्नल विनोद को देखकर बहुत खुश थी, पर उसकी डांट भी विनोद को अच्छे से पड़ रही थी.
अचानक इक़बाल बोला- “दोनों भ्रष्ट नेता तो जेल पहुंच गए. राजन, अब तुम भी जेल जाने की तैयारी कर लो.”
सबने इक़बाल को देखा, उन्हें लगा वो मजाक कर रहा है. पर इक़बाल एकदम गंभीर था. फिर उसने जेब से रिवाल्वर निकालकर राजन की तरफ तान दिया.
“ये क्या कर रहा है, इक़बाल बेटे?” सरोज चीखी.
“ठीक ही कर रहा हूँ. ये एक मुजरिम है.”
“इक़बाल मजाक बहुत हो गया.” शोभा ने ये सोचते हुए कहा कि शायद इक़बाल राजन को मजा चखाने के मूड में है, पर उसका दिल घबरा रहा था.
“मैं मजाक नहीं कर रहा, भाभी! इसी इंसान ने सीबीआई हैडक्वार्टर से फ़ाइल कॉपी करी थी. और इसी ने सीक्रेट सर्विस में भी एक फ़ाइल से छेडछाड करी थी.”
शोभा-सलमा दोनों हैरान थीं. राजन सतर्कता के साथ खड़ा था. उसकी आँखे इक़बाल पर टिकी थीं.
“क...कौन हो तुम?” शोभा ने राजन से पूछा.
राजन कुछ नहीं बोला.
“कुछ बोलते क्यों नहीं?” इक़बाल बोला- “क्या हुआ, मिस्टर राजन... या मैं तुम्हे दिनेश सिसोदिया कहूँ?”
राजन चौंक गया. सभी आश्चर्य से उसे देख रहे थे.
“बहुत हो गया.” अचानक कर्नल विनोद बोल उठे- “राजन ने चाहे गलत किया हो, पर उसने जो कुछ किया हमें ढूढने के लिए किया.”
“ओह!” शोभा ने चैन की सांस ली. “तो ये राजन ही है न?”
“हां बेटा!” विनोद बोले- “मैं इस मिशन पर तो निकल लिया, पर इसकी कई शर्तें थीं. मुझे किसी से भी अपने जाने के बारे में जिक्र नहीं करना था. सीक्रेट सर्विस से भी नहीं. मैं इंस्पेक्टर भास्कर राव के मर्डर की खोजबीन पर निकला था. राजन मेरे गायब होने से फिक्रमंद था.”
राजन बोल पड़ा- “क्योंकि आपके जाने के बाद ही मुझे अपने मुरादाबाद के घर से लैटर मिला था जिसमे सीबीआई ने आपको मिलने के लिए बुलाया था.”
“बेटा! तू मुरादाबाद कब आया?” सरोज ने पूछा.
“मम्मी, आप उस वक्त सोई हुई थीं. हाँ तो- उस वक्त मैं ज्यादा फिक्रमंद नहीं था. फिर पता चला आप सेलगाम जाकर गायब हो गए. मैंने सीबीआई से मालूम करने की कोशिश करी, पर कुछ पता नहीं चला. इतना तो मुझे अपने सूत्रों से पता चल ही गया था कि आप किस केस पर काम करने गए हैं, इसलिए मैंने सीबीआई से उस केस की फ़ाइल की फोटो खींचकर कॉपी कर ली. उसके बाद मुझे उसी केस पर जाने का बहाना चाहिए था, इसलिए मैंने सीक्रेट सर्विस से उसी केस से सम्बंधित फ़ाइल का पन्ना फाड़ लिया. ताकि हमें सेलगाम आने का मौका मिले.”
“तुम्हें और शोभा को सबसे पहले रैली में देखकर मैं चौंका.” विनोद ने कहा- “फिर मुझे लग गया कि तुम मुझे ही ढूढते हुए यहाँ आये हो. मैंने सीबीआई वालों से आग्रह किया कि तुम्हें भी इस केस में शामिल कर लें. पहले तो वो तैयार न थे, पर बहुत आग्रह करने के बाद वे तैयार हुए.”
“उनकी शर्त थी कि केवल मैं ही उनके साथ काम कर सकता हूँ और बाकी किसी को इस बात की भनक भी नहीं लगनी चाहिए. तुम लोगों को भी नहीं. इसलिए मुझे तुम लोगों से छिपकर काम करना पड़ा.” कहते हुए राजन ने शोभा पर नज़र डाली.
शोभा उसकी नज़रों का मतलब समझ गई. उसका राजी उसकी नाराजगी का जवाब दे रहा था. वह मुस्करा दी. ‘मुझे तुम पर गर्व है, राजी.’ शोभा आँखों से बोली.
“यार, मैं तो तुम्हारे साथ थोड़ा मजाक कर रहा था.” इक़बाल रिवाल्वर जेब में रखकर बोला- “एक्टिंग असली थी न?”
राजन ने हंसते हुए उसे गले लगा लिया. सभी हंस दिए.
“वैसे तुम्हे मेरी इन हरकतों के बारे में कैसे पता चला?” राजन ने पूछा.
“अपुन का नाम इक़बाल दी ग्रेट ऐसे ही थोड़ी न है. तुम गायब तो हो गए, पर तुम्हारा कैमरा तो यही गेस्ट हॉउस में था. मैंने उसे चैक किया तो सीबीआई की फ़ाइल के फोटो दिख गए.”
“ओह!”
“वैसे ये कब्र का क्या रहस्य है?” इक़बाल ने पूछा- “तुम वहां क्या करने गए थे, जब तुम पर फायर हुआ?”
“नजर नाम की कब्र के नीचे ही हमारा यानि सीबीआई वालों का गुप्त अड्डा था.” विनोद ने कहा, “हम लोगों की मीटिंग वहीं होती थी. राजन को भी मैंने वही बुलाया था. पहली बार उसे बेहोश करना पड़ा था.”
“आपने कब्र का नाम भी मेरे नाम का उल्टा रखा. NAJAR, यानि RAJAN का उल्टा. उस वक्त मुझे आपका क्लू समझ ही नहीं आया था. ‘तुम्हारी उल्टी कब्र’ का मतलब ये था.”
“हां! वो तुम्हारे लिए क्लू था. मुझे मालूम था कि एक दिन तुम मुझे ढूढते हुए आओगे इसलिए मैंने ऐसा नाम रखा ताकि तुमसे मिले बगैर गुप्त संकेतों से ही खुद तक पहुंचा सकूँ. मैं चिट पर सही नाम नहीं लिख सकता था. अगर गलती से चिट किसी और के हाथ लग जाती तो हमारे गुप्त अड्डे का रहस्य खुल जाता.”
कुछ देर और यूँ ही बातें करने के बाद कर्नल कपड़े बदलने चले गए. सरोज किचन में चाय बनाने में लग गई.
इक़बाल आराम से सोफे पर पसरते हुए बोला- “पर मेरा तो काम हो गया. मैंने फ़ाइल चोर को पकड़ लिया. देखा, सल्लो? शोभा-भाभी?”
“यू आर ग्रेट इक्को!” सलमा बोली.
“देवर जी! तुमने मिशन पूरा किया.” शोभा मुस्करा रही थी.
“अब चीफ़ को बताना पड़ेगा. पर कैसे? चीफ़ कहीं तुम्हें मारे-पीटे नहीं.” राजन को ध्यान से देखते हुए इक़बाल ने पूछा.
“इस मिशन पर काम करने से पहले मैंने चीफ़ को सारी बात बता दी थी, फ़ाइल चोरी के बारे में भी.”
“यानि सीबीआई की शर्त तोड़ दी?”
“हां! आखिर चीफ़ से कैसे छिपा सकता था?”
“वो बात भी है. पर सीबीआई को उस चोरी के बारे में बताना भी ज़रूरी है. वो बेचारा विजित अभी तक उस पत्रकार दिनेश सिसोदिया को ढूढ़ रहा है.” इक़बाल शैतानी मुस्कान के साथ बोला.
“उन्हें कौन बताएगा?”
“मैं!”
राजन मुस्कराते हुए इक़बाल को देखने लगा.
“पर अगर तुम मेरा एक छोटा-सा काम कर दो तो मै अपना मुंह बंद कर लूँगा.”
“मैं कुछ नहीं करने वाला.” राजन ने हाथ उठाकर कहा.
“बहुत आसान काम है.”
“अच्छा बोलो-”
“एक बार भाभी को प्यार से- ‘शब्बो! आई लव यू’ बोल दो.”
शोभा के चेहरे पर शर्म की लाली दौड़ गई. वह प्यार-से राजन को देखने लगी.
राजन खड़ा हो गया.
“अमा कहाँ भाग रहे हो?” इक़बाल बोला- “सीबीआई वालों को बता दूँगा.”
“बता दो.” कहकर राजन दरवाजे की तरफ बढ़ गया.
“बिलकुल ही खड़ूस है.” इक़बाल सलमा से बोलने लगा.
पर शोभा की नज़रें राजन पर थीं. राजन बाहर निकल तो गया, पर गेट के बाहर निकलकर वह पलटा और उसने शोभा को इशारा किया.
सलमा-इक़बाल ने चौंककर शोभा को देखा जो बाहर जा रही थी.
बाहर राजन ने शोभा का हाथ पकड़ लिया और उसके साथ आगे बढ़ गया.
“आई लव यू!” उसने धीरे से कहा.
शोभा को यकीन नहीं हुआ कि उसके राजी ने ये शब्द बोले. वह एकटक उसकी तरफ देखती रही. उसकी आँखों में आँसू आ गए थे, चेहरे पर राजन के लिए असीम प्रेम उमड़ रहा था.
“आई लव यू टू!” कहकर उसने उसके कंधे पर सिर रख दिया.
समाप्त
आपके अनमोल सुझावों और राय के इंतज़ार में-
शुभानन्द
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