कब्र का रहस्य Shubhanand द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कब्र का रहस्य

एक्सीडेंट

दो दिन बाद रात के वक्त सेलगाम से बाहर हाइवे पर दो कारें सनसनाती हुई आगे बढ़ रही थीं.

पीछे वाली कार में श्रीराम मूर्ति बैठा था.

कार उसका बॉडीगार्ड रिज़वान चला रहा था. घर से निकलते वक्त एन मौके पर उसके ड्राइवर की तबीयत खराब हो गई थी. फिर रिज़वान, जो वैसे भी उसके साथ सफर करने वाला था, ने कार चलाने का अनुरोध किया.

आगे वाली कार में उसका दूसरा बॉडीगार्ड अशोक और उसकी पार्टी के दो कार्यकर्ता सफर कर रहे थे.

वे सभी पास के एक शहर में स्थित श्रीराम के पुश्तैनी घर के लिए जा रहे थे, जहाँ उसकी बीमार दादी उसका इंतज़ार कर रही थी.

दोनों कारें आगे पीछे तेजी से चल रही थीं.

रिज़वान का पूरा ध्यान सड़क पर था. उस वक्त वे एक नहर की पुलिया के ऊपर थे, जब सामने से एक ट्रक आता दिखाई दिया.

उस वक्त श्रीराम और रिज़वान बौखला उठे जब वह ट्रक खतरनाक ढंग से उनकी तरफ मुड़ने लगा. इससे पहले कि ट्रक कार से जा भिड़ता, रिज़वान ने कार को बचाते हुए बाएँ ओर स्टीयरिंग घुमा दिया. वे ट्रक से तो बच गए पर उसके बाद कार को नियंत्रित रखना मुश्किल हो गया.

रिज़वान!” श्रीराम चीखा.

रिज़वान ने पूरी ताकत से ब्रेक लगा दिए थे. पर कार इतनी स्पीड में थी कि रुकना मुश्किल था.

सड़क पर घिसते हुए टायरों की आवाज़ गूँज उठी. उसकी आवाज़ से अगली कार रुक चुकी थी.

श्रीराम की कार घिसटती हुई पुलिया की रेलिंग तोडकर अगले ही पल हवा में लहरा रही थी.

फिर ‘छप्प’ के साथ कार नीचे नहर में जा गिरी.

नीचे गिरते ही कुछ पल श्रीराम और रिज़वान ने खुद को सँभालने में लगाया.

पर जब श्रीराम दरवाजा खोलकर बाहर निकलने की कोशिश करने लगा, तब वह अचंभित रह गया.

दरअसल बाहर से रिज़वान ने उसका रास्ता रोक रखा था. वह उसे दरवाज़ा खोलने ही नहीं दे रहा था.

श्रीराम को समझ में आते देर नहीं लगी कि ये किसकी साजिश थी. वह तेजी-से दूसरे दरवाजे की तरफ लपका. रिजवान जबतक तैरते हुए दूसरी तरफ आता श्रीराम कार से बाहर निकल आया था. पर बाहर निकलते ही रिज़वान ने उसे पीछे से जकड़ लिया और फिर डुबोने की कोशिश करने लगा.

कुछ ही देर में सांस की कमी पूरी करने के लिए श्रीराम का मुंह स्वतःही खुल गया.

फिर पानी उसके पेट और फेफड़ों में भरने लगा. धीरे-धीरे उसकी चेतना लुप्त होती चली गई.

रामास्वामी से पूछताछ

दो दिन बाद-

सीबीआई के एजेन्ट सत्यपाल, जगत और सीक्रेट सर्विस एजेन्ट राजन-इकबाल जनहित पार्टी के ऑफिस पहुंच गए.

कौन हैं आप लोग?” रामास्वामी ने पूछा. इस वक्त उसके साथ चंद्रा, महेश व कई अन्य पार्टी के नेता थे.

जगत ने अपना आई कार्ड दिखाया.

सीबीआई!” रामास्वामी चौंका.

आपको हमारे साथ चलना होगा.” जगत बोला.

क्यों?”

आपसे श्रीराम पर हुए हमले के बारे में पूछताछ करनी है.” राजन ने कहा.

मै भला उस बारे में क्या बता सकता हूँ?”

चलिए. बाकी बातें यहां नहीं हो सकती.” जगत ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा ही था कि बाकी नेता भड़क उठे.

! पागल हो गया है क्या?” चंद्रा चीखा- “तमीज से पेश आ.”

बाकी नेता भी विद्रोह पर उमड़ आये.

पर वे लोग किसी तरह से उन्हें एक तरफ धकेलते हुए रामास्वामी को खींचकर बाहर ले आये. अब तक ये बात मीडिया तक भी पहुंच चुकी थी. वहां कैमरे और माइक लिए लगभग सभी चैनल वाले मौजूद थे.

कुछ देर में, मीडिया की उमड़ती भीड़ से बचते हुए, वे रामास्वामी को सुरक्षित जगह पहुंचा चुके थे.

आपने श्रीराम मूर्ति पर जानलेवा हमला कराया.” राजन बोला- “आपके साथ आपकी पार्टी का नेता अल्ताफ शेख भी इस साजिश में शामिल है. वह फ़िलहाल गायब है, पर उसे भी हम जल्द ही गिरफ्तार कर लेंगे.”

मुझे तो ये तुम लोगों की साजिश लगती है.” रामास्वामी सर्द लहजे के साथ बोला- “तुम लोगों ने लगता है उनकी पार्टी से पैसा लिया है. चुनाव के वक्त मुझ पर ये इल्जाम लगाकर तुम जनता में मेरा नाम खराब करना चाहते हो.”

हमारे पास आपके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं.” जगत बोला- “आपके और शेख के बीच हुई बातों का रिकॉर्ड है. आप बच नहीं सकते. भलाई इसी में है कि आप पूरी साजिश का बयान हमें दे दें.”

कौन-सी बातें, कब की बातें?”

नाटक की ज़रूरत नहीं है.”

मैं कोई नाटक नहीं कर रहा. पिछले एक हफ्ते से तो मैं हॉस्पिटल में अपनी जांच कराने के लिए एडमिट था. मैं शेख से मिला भी नहीं.”

झूठ बोलकर कुछ नहीं होने वाला.” राजन ने कहा.

मैं झूठ नहीं बोल रहा. चाहो तो कृष्णा हॉस्पिटल फोन करके पता कर लो. मेरे घर से हॉस्पिटल के बिल भी मिल जायेंगे. मैं पूरे हफ्ते हॉस्पिटल में था और इस बीच मैं पार्टी के किसी नेता से नहीं मिला. चाहो तो आप हॉस्पिटल के डीन से पता कर सकते हो.”

मिस्टर रामास्वामी! आप समझ नहीं रहे कि हम क्या बोल रहे हैं.” सत्यपाल बोला- “हमारे पास आपकी बातों का ‘रिकॉर्ड’ है.”

रामास्वामी ने गहरी सांस छोड़ी और चुप हो गया.

उन लोगों ने कुछ और सवाल करने की कोशिश करी, पर रामास्वामी ने जैसे मुंह पर ताला डाल लिया था.

करीब आधे घंटे बाद वहां चंद्रा व दो अन्य पार्टी मेम्बर एक वकील के साथ पहुंचे.

वकील उन पर बरस पड़ा- “आप लोग इनसे इस तरह पूछताछ नहीं कर सकते, ये गैरकानूनी है. आप लोगों ने कोर्ट ऑर्डर लिया है?”

कोई कुछ नहीं बोला. सत्यपाल ने जेब से ऑर्डर निकालकर दिखाया.

वकील ने चश्मा लगाकर उसे ध्यान से देखा, फिर ‘हूँ-हूँ’ बोलते हुए उसने अपनी फ़ाइल से एक कागज़ निकालकर दिखाया- “ये दिखिए- मैं कोर्ट से इनको ले जाने की अनुमति लेकर आया हूँ. मेरे क्लाइंट की तबीयत ठीक नहीं है. इनको ह्रदय रोग है, जिसके लिए उन्हें कृष्णा हॉस्पिटल चैक-अप कराने जाना होगा.”

सीबीआई और सीक्रेट सर्विस के वे जांबाज़ कुछ नहीं कर सके.

चंद्रा उन्हें कुटिल मुस्कान के साथ देखते हुए रामास्वामी को अपने साथ लेकर निकल गया.

राजन का खून

जहाँगीर कब्रिस्तान में भयानक अँधेरा छाया हुआ था. चारों तरफ मौत-सा सन्नाटा था जिसे रह-रहकर उल्लू और चमगादड़ अपनी आवाजों से तोड़ने की कोशिश कर रहे थे. दूर-दूर तक किसी भी इंसान का नामोनिशान न था, सिवाए एक के, जोकि किसी ‘नजर’ नाम के इंसान की कब्र के सामने खड़ा था.

वह कोई और नहीं बल्कि राजन था. उसने लंबा-सा कोट पहना हुआ था. सिर पर हैट थी, जिससे चेहरा ढका हुआ था. कब्र के सामने खड़ा वह किसी गहरी सोच में डूबा था.

अचानक राजन को अपने पीछे झाडियों से कुछ आवाज़ आई. राजन का हाथ स्वतः ही अपने कोट की जेब में रखे रिवाल्वर पर चला गया.

अगले ही पल झाडियों के पीछे से एक लंबा-सा व्यक्ति बाहर निकल आया. वह एक बूढा-सा इंसान था, जिसका शरीर एकदम जीर्ण हो चुका था. पर उसकी आँखों में अनोखा-सा वहशीपन था और चेहरे पर इतने शांत भाव थे कि उससे डर-सा लगता था.

कुछ कदम आगे चलने के बाद वह रुक गया. उसकी नज़रें लगातार राजन पर जमी थीं, मानो वो उसके बोलने का इंतज़ार कर रहा हो.

कौन हो तुम?” आख़िरकार राजन को पूछना पड़ा. उसका हाथ अभी-भी जेब के अंदर रिवाल्वर पर जमा था.

पूछ कर अच्छा किया तुमने.” उसने बर्फ-से ठन्डे लहजे में कहा- “पर मेरे बारे में जानकर तुम्हें कोई फायदा नहीं होने वाला.”

राजन उसे घूरता रहा.

हम्म! राजन! इस बार तुमने गलत केस में हाथ डाल दिया. अपनी जासूसी तुम्हें छोटे-मोटे चोर-उचक्कों, स्मगलरों और कातिलों तक ही रखनी चाहिए थी. कहाँ राजनीति के चक्कर में पड़ गए? यहां किसी भी इंसान की जिंदगी की कीमत पैसों से तौल दी जाती है. जैसे इस वक्त तुम्हारी जिंदगी की तय कीमत मुझे मिलने वाली है. मुझे दुःख है अब देश को तुम्हारे जैसे होनहार सीक्रेट एजेन्ट को खोना पड़ेगा. पर अब इसके आलावा और कोई चारा भी तो नहीं है.” कहते हुए उसने अपनी जेब से रिवाल्वर निकाला और इत्मीनान से उस पर साइलेंसर लगाने लगा.

रिवाल्वर फेंको.” राजन ने अपना रिवाल्वर निकालकर उस पर तानते हुए कहा- “वरना मुझसे पहले तुम्हें ऊपर जाना पड़ जायेगा.”

काश कि तुम्हारी ये हसरत पूरी हो सकती.” कहकर उसने साइलेंसरयुक्त रिवाल्वर राजन पर तान दिया.

राजन ने फुर्ती के साथ फायर किया. पर उस बूढ़े व्यक्ति ने पलकें तक नहीं झपकाई. राजन के रिवाल्वर से सिर्फ ‘क्लिक-क्लिक’ की आवाज़ हुई थी. राजन बुरी तरह से हडबड़ा गया.

चिंता मत करो. ज्यादा दर्द नहीं होगा.” कहकर उस बूढ़े ने लगातार दो फायर कर दिए. गोलियाँ राजन के शरीर में समा गई और वह उछलकर पीछे उसी कब्र पर जा गिरा जिसके सामने खड़ा था.

भगवान तुम्हारी आत्मा को शांति दे.” बूढ़े व्यक्ति ने पूरी गंभीरता के साथ आँखें बंद करके कहा.

राजन के शरीर से निकलता हुआ गाढ़ा लाल खून कब्र पर फैलता चला गया.

तभी एक और फायर हुआ. गोली बूढ़े के कान के पास से निकल गई. उसने देखा- कब्रिस्तान के गेट की तरफ से सीबीआई एजेन्ट जगत दौड़ा चला आ रहा था. बूढा तेजी-से वापस झाडियों में घुस गया.

जगत जबतक वहां पहुंचा, वह बूढा कब्रिस्तान की दीवार लांघकर एक कार में सवार होकर निकल गया था. जगत ने उस पर फायर किये पर कोई फायदा नहीं हुआ.

फिर वह दौडकर राजन के पास पहुंचा. राजन उठने की कोशिश कर रहा था.

तुम ठीक तो हो?”

हां! बुलेट प्रूफ जैकेट ने बचा लिया. पर दूसरी गोली हाथ पर लग गई.” उसकी बांह से खून निकल रहा था.

गुड! चलो हॉस्पिटल जाना होगा. कहो तो कृष्णा हॉस्पिटल में ही एडमिट करवा दूं?” जगत ने आँख मारते हुए कहा.

राजन मुस्करा दिया.

जगत हंस दिया. “नहीं! दुश्मन के ज्यादा करीब जाना भी ठीक नहीं.”

असली दुश्मन कौन है, ये कहना अभी-भी मुश्किल है.” कहते हुए राजन उठ खड़ा हुआ. जगत उसे सभालते हुए गेट की तरफ चल दिया.

किडनैपर पकड़ा गया

शोभा और सरोज राजन के साथ एक हॉस्पिटल में थे और इक़बाल और सलमा गेस्ट हाउस में. राजन को एडमिट हुए दो दिन हो गए थे. पर उसने अपनी असलियत पूरी तरह से गुप्त रखी थी.

इकबाल और सलमा खाना खा रहे थे. उनके सामने रखे टीवी पर श्रीराम के घर का नज़ारा दिख रहा था.

इक्को! उसके घर में कैमरे लगाते हुए तुम्हें डर नहीं लगा?” सलमा ने पूछा.

अरे! खैर मनाओ! उसके बॉडीगार्ड ने तो मुझे लगभग पकड़ ही लिया था. वो तो उस दिन तेल मालिश करके गया था, इसलिए पठ्ठे का हाथ फिसल गया और पकड़ ही नहीं पाया, वरना तो आज सल्लो डार्लिंग तुम बिना शादी के बेवा होकर बैठी होती.”

बकवास नहीं!” सलमा गुर्राई.

इक़बाल ने झट से मुंह बंद कर लिया.

राजन ने अभी तक ठीक से बताया नहीं कि वो इतने दिन कहाँ गायब था और क्या कर रहा था.”

तो तुम क्यों परेशान हो रही हो. जब बंदे के पेट में दर्द होगा तो दस्त बनकर सारी बातें खुद ब खुद बाहर आ जाएँगी.”

छी-छी!” सलमा ने चम्मच प्लेट में पटक दिया- “कम से कम खाने के वक्त तो...”

उधर ध्यान दो.” इक़बाल ने स्क्रीन की तरफ देखा.

श्रीराम अपने कमरे में आता दिखाई दे रहा था. उसके हाथ और माथे पर पट्टियाँ बंधी थीं.

जानलेवा एक्सीडेंट के बाद भी वह बच गया, बड़ी बात है.” सलमा बोली.

एक्सीडेंट नहीं, मर्डर अटेम्पट!”

हां! और उसके बाद से उसका बॉडीगार्ड रिज़वान और अल्ताफ शेख गायब हैं. उनका कुछ पता चला क्या? या उस ट्रक ड्राइवर का?”

इक़बाल ने इनकार में सिर हिलाया. “ट्रक मिला पर ड्राइवर नहीं. पुलिस सभी को ढूढ़ रही है.”

और ये इंस्पेक्टर प्रकाश कहाँ गायब हो गया?”

गायब नहीं हुआ है, मेध में इन्वेस्टिगेट कर रहा है. वह उस किडनैपर चिंतन कालिया को खोज रहा है.”

तभी इक़बाल का फोन बज उठा. इक़बाल मुस्करा उठा. फिर कॉल का जवाब दिया-

बहुत लंबी उम्र है, अभी तुम्हें ही याद किया जा रहा था.”

सही में?” दूसरी तरफ प्रकाश था. “एक खुशखबरी है.”

क्या तुम बाप बनने वाले हो?”

हा-हा! नहीं! चिंतन कालिया पकड़ा गया.”

वो मारा पापड़वाले को.” इक़बाल उठ खड़ा हुआ. “क्या बोला वो?”

अभी तक हुई पूछताछ से तो लग रहा है कि श्रीराम ने ही खुद अपना किडनैप करवाया था.”

अच्छा! शक तो था हमें शुरू से.”

हां! पर पक्के तौर से नहीं कह सकते. जिसने चिंतन को पैसे दिए थे, वो श्रीराम का परिचित लग रहा है, पर कह नहीं सकते कि उसने ये काम श्रीराम के कहने पर करवाया या उसके खिलाफ.”

ओके!”

अब हम उसे ढूढ़ रहे हैं. कुछ पता लगने पर मैं कॉल करता हूँ.”

बेस्ट ऑफ लक!”

फिर उसके बाद सलमा और इक़बाल कैमरों पर निगाह लगाये बैठे रहे.

श्रीराम ने कमरे की लाईट बंद कर दी थी. वह लेट चुका था.

ये तो अब सो गया. कब तक देखना है इसे?” सलमा बोर होते हुए बोली.

सारी रात!”

मुझे तो नींद आ रही है.”

थोड़ा-सा रम्बा-साम्बा नाच लो, नींद जाती रहेगी.”

तभी उनकी नज़र स्क्रीन पर गई. श्रीराम उठ गया था. फिर वह जल्दी-जल्दी कपड़े बदलने लगा.

ये अचानक कहाँ चल दिया?” सलमा ने घड़ी देखते हुए कहा. सवा ग्यारह बज चुके थे.

अब आएगा मजा.” इक़बाल हाथ मलते हुए बोला, “शायद अब कुछ पता चले.”

फिर श्रीराम तैयार होकर कमरे से निकल गया. कुछ पलों बाद वह कार की चाभी लिए बैठक से बाहर निकलते हुए दिखा. जिससे ये तय हो गया कि वह घर के बाहर जा रहा था.

इक़बाल कूदकर खड़ा हो गया.

सल्लो! तुम नींद पूरी करो. मैं घूमकर आता हूँ.”

मैं भी चल रही हूँ.” रहस्य में उलझी सलमा भी उठ खड़ी हुई. “हमें राजन को फोन कर देना चाहिए.”

क्यों करें? जब उसने हमें अपने काम का हिस्सा नहीं बनाया तो हम उसे क्यों बताएं? अब जो कुछ भी काम हम करेंगे उसका पूरा श्रेय हमें मिलेगा.”

श्रीराम और....?

इक़बाल कार को तूफ़ान की तेजी से भगा रहा था.

इक्को! ध्यान-से.”

फिकर नाट डार्लिंग! कुछ नहीं होगा. हम लोगों को श्रीराम के निकलने से पहले वहां पहुंचना होगा.”

कुछ ही मिनटों में वे श्रीराम के घर के पास थे. वहां पहुँचते ही उन्हें श्रीराम की गाड़ी सामने से आती दिखाई दी.

इक़बाल तेजी-से कार आगे निकाल ले गया, वह नहीं चाहता था कि श्रीराम की नज़र उन पर पड़े. फिर कुछ दूर जाने के बाद उसने यू टर्न मारा और अच्छा फासला रखकर श्रीराम की कार के पीछे लग गया.

लगभग पन्द्रह मिनट के बाद श्रीराम की कार एक बंगले के सामने रुकती हुई दिखाई दी. वह बंगला अँधेरे में था. श्रीराम कार से उतरा और चारों तरफ देखते हुए बंगले के गेट की तरफ बढ़ गया.

इक़बाल और सलमा ने कार उस सड़क के मोड़ पर ही साइड में रोक ली थी. जब श्रीराम गेट के अंदर प्रविष्ट होता नज़र आया, तो वे दोनों कार से उतरे और तेजी-से बंगले की तरफ बढ़ गए.

उन्होंने गेट से अंदर नज़र डाली. अंदर श्रीराम पोर्च से होते हुए बंगले के अंदर का दरवाजा खोलता दिखाई दिया. फिर उसने अंदर जाकर दरवाजा बंद कर लिया.

इक़बाल-सलमा तेजी-से बंगले के पीछे पहुचे और फिर दीवार कूदकर अंदर कम्पाउंड में आ गए.

चारों तरफ गहन अँधेरा था. वे दोनों सावधानी से बंगले की ईमारत की तरफ बढ़ रहे थे.

कुछ देर में वे एक खिड़की पर पहुंचे जहाँ से कुछ रौशनी आ रही थी.

अंदर झांककर देखने पर, उन्हें उस कमरे में तो नहीं पर, उसके अंदरूनी कमरे में श्रीराम दिखाई दिया. वहां कोई और शख्श भी था. पर वह पूरी तरह से नहीं दिख रहा था.

उनकी बातें सुनने और रिकॉर्ड करने की मंशा से इक़बाल ने एक छोटा-सा माइक्रोफोन खिड़की से अंदर फेंक दिया. वह उस कमरे के दरवाजे के नजदीक जा गिरा. अब इक़बाल कान में इयरफोन से उनकी बातें सुन रहा था और उन्हें रिकॉर्ड भी कर रहा था.

यहाँ मिलने में बहुत खतरा है.” श्रीराम की आवाज़ आई.

पर मिलना ज़रूरी था. ये सीबीआई और सीक्रेट सर्विस वाले हाथ धोकर हमारे पीछे पड़ गए हैं. सुना है पुलिस ने चिंतन कालिया को भी पकड़ लिया.”

ओह! पर आप चिंता मत करिये. वह ज्यादा कुछ नहीं बता पायेगा.”

हम्म! राजन नाम के एक एजेन्ट को तो हमने ठिकाने लगवा दिया.”

पर उसकी लाश तो मिली नहीं है.”

क्या कह रहे हो?”

सही कह रहा हूँ.” श्रीराम बोला- “वो लाश गायब कहाँ हो गई?”

ओह हां! कॉन्ट्रेक्ट किलर ने बताया था कि उसका साथी वहां पहुंच गया था. उसने उस पर फायर भी किया था. वहीं उसकी लाश ले गया होगा.”

आपने बेकार ही ये रिस्क लिया. हम क्या इस तरह सभी एजेंट्स को खत्म कर पाएंगे?”

वह राजन कुछ ज्यादा ही काइंया जासूस है. बाकियों से मुझे उतना खतरा नहीं.”

हूँ!”

कुछ देर दोनों खामोश रहे, फिर श्रीराम बोला- “अल्ताफ का कुछ पता चला?”

वह गधे के सिर की सींघ की तरह गायब है. वो सीबीआई के लिए जो काम कर रहा था. हमने जानबूझकर उससे तुम पर हमला करवाया था. इससे उनका तुम पर शक भी हट जायेगा. हमें फांसने के लिए वह तुरंत तैयार भी हो गया.”

इधर मेरा वो बॉडीगार्ड रिज़वान भी गायब है. एक बार तो मुझे लगा वो सच में मुझे डुबोकर मार देगा.”

ऐसा नहीं हो सकता था, वरना हम ऐसा जोखिम कभी नहीं लेते. वो भी सीबीआई का साथ दे रहा था. वो लोग बस तुम पर हमले का नाटक कर रहे थे, ताकि हमें फंसा सकें. लेकिन हम कहाँ फंसने वाले थे. कृष्णा हॉस्पिटल में हमारी एलीबी पहले ही तैयार थी.”

खैर! पर अब मुस्लिम वोट्स का क्या होगा? अल्ताफ पर तो मुजरिम होने का कलंक लग गया है.”

लगने दो. इसका फायदा तुम्हें ही मिलेगा. तुम्हारे वोट बढ़ेंगे.”

वो तो है, पर आपकी पार्टी पूरी तरह से फेल न हो जाए.”

उसकी चिंता मत करो.”

चिंता तो तुम्हें करनी ही पड़ेगी.” अंदर से एक तीसरी आवाज़ आई. उसके बाद अंदर उठा-पटक होने लगी.

इक़बाल उस आवाज़ को लाखों में पहचान सकता था. वो राजन की आवाज़ थी.