कब्र का रहस्य Shubhanand द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कब्र का रहस्य

श्रीराम मूर्ति जिन्दा है

दूसरे दिन जब इक़बाल, सलमा और शोभा सोकर उठे तो राजन को गायब पाया.

पहले तो उन्हें कोई विशेष बात नहीं लगी, क्योंकि राजन की जल्दी उठने की आदत थी और वो अक्सर ही केस के सिलसिले में अकेला ही निकल जाया करता था.

पर दोपहर तक भी जब उसकी कोई खबर नहीं मिली तो वे लोग इंस्पेक्टर प्रकाश के पास पहुंचे. इस बीच वे लगातार उसका मोबाईल ट्राई कर रहे थे, पर वह सुबह से ही स्विच ऑफ बता रहा था.

प्रकाश ने भी अनभिज्ञता जाहिर करी.

आखिर राजन इस तरह बिना बताये कहाँ चला गया?” इक़बाल ने सोचते हुए कहा.

चिंता मत करो.” शोभा बोली- “राजी ज़रूर केस के सिलसिले में ही कहीं निकला हुआ है. ऐसा तो वो अक्सर ही करता रहता है.”

हां! पर फोन ऑफ करने की क्या ज़रूरत थी?” सलमा ने कहा.

इस सवाल पर सभी शांत रहे.

तभी शांति के माहौल को प्रकाश की मेज पर रखे फोन की घंटी ने तोड़ा.

उसने रिसीवर उठाया और धीरे-धीरे बात शुरू करी और फिर अचानक ही वह चिल्लाया-

क्या? क्या बक रहे हो तुम?”

जासूस मंडली ने विचलित होकर उसकी तरफ देखा.

ऐसा कैसे हो सकता है? तुम होश में तो हो?” फिर उसने फोन काट दिया.

क्या हुआ?” इक़बाल ने पूछा ही था कि तभी एक हवलदार हडबडाते हुए अंदर आया.

वो आ गया, सर! वो वापस आ गया.” वह पागलों की तरह बडबडा रहा था.

प्रकाश ने एक नज़र उस पर डाली फिर बाहर की तरफ लपका. बाकी लोग भी हक्के-बक्के हुए उसके पीछे थे.

बाहर पहुंचकर प्रकाश सड़क पार करके पान की एक दुकान पर पहुंचा जहाँ टीवी चल रहा था. वहां काफी भीड़ थी. सभी लोग हैरान दिखाई दे रहे थे.

टीवी पर रिपोर्टर बार-बार एक ही बात दोहरा रही थी- “आज सुबह ही पता चला है कि प्रदेश के युवा मिनिस्टर श्रीराम मूर्ति जो कि कथित रूप से एक हैलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए थे, वे सनसनीखेज तरीके से वापस आ गए हैं. उनके पिता और समाजशक्ति पार्टी के अध्यक्ष नारायण मूर्ति ने इस बात कि पुष्टि करी है. हालाँकि अभी इससे अधिक और कोई जानकारी नहीं मालूम हो सकी है. आइये हम बात करते हैं समाजशक्ति के पार्टी के एक वरिष्ठ नेता पटवर्धन जी से....तो पटवर्धन जी...” कैमरा एक अधेड़ उम्र के नेता की तरफ घूमा. “क्या आपको इस बात की कोई जानकारी है?”

जी! हमें कुछ ही देर पहले इस बात का पता चला है.” पटवर्धन जी ने एकदम सामान्य लहजे में कहा.

पर ऐसा कैसे हो गया? श्रीराम मूर्ति मरने के बाद फिर से कैसे जिन्दा हो गए?”

अभी हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है. आज शाम पार्टी की मीटिंग होगी, उसके उपरांत ही कुछ कहा जा सकता है.”

आपकी पार्टी अभी तक आने वाले चुनाव में बेहद कमजोर दिखाई दे रही थी. क्या लगता है- श्रीराम के वापस आने से कैसा फर्क पड़ेगा?” कहकर उसने माइक घुमाया.

श्रीराम हमारी पार्टी का एक होनहार नेता था. उसके वापस आने से हमें बहुत खुशी हुई ही, उसके परिवार को बहुत-बहुत खुशी हुई है. मेरा मानना है कि प्रदेश की युवा जनता रोमांचित हो उठी होगी, क्योंकि वे तो उसे अपना आइडल मानते थे. ये सबकी जीत है- प्रदेश के लिए, हमारी जनता के लिए. रही बात चुनाव की तो उसका फैसला जनता ही कर सकती है.”

जी! पर क्या ये कोई चुनावी दांव-पेंच का हिस्सा है? काफी लोग कह रहे हैं कि वे जानबूझकर इस तरह गायब हुए और अब चुनाव के वक़्त वापस आकर जनता के सेंटिमेंट का फायदा उठाना चाहते हैं.”

पटवर्धन जी ने हल्की-सी मुस्कान के साथ जवाब दिया- “लोग कहने के लिए कुछ भी कह सकते हैं, पर सच्चाई हमें शाम को ही पता चल सकती है.”

उसके बाद कैमरा पूरी तरह से रिपोर्टर को फोकस करने लगा.

तो ये थे पटवर्धन जी हमारे साथ. अब हम आपको ले चलते है श्रीराम मूर्ति के घर के सामने जहाँ....”

ये क्या चक्कर है?” इक़बाल बोला.

प्रकाश कुछ नहीं बोला. उसका मुंह खुला था, आँखे टीवी पर स्थिर थी.

मरने के बाद कोई वापस आता है क्या?” शोभा बोली.

कोई कुछ नहीं बोला. वे लोग वापस पुलिस स्टेशन आ गए.

इंस्पेक्टर साहेब!” इक़बाल बोला- “कुछ बोलो भी.”

मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है कि ऐसा कैसे हो गया. मैंने खुद उसकी लाश देखी थी. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी देखी थी.”

शायद वो श्रीराम नहीं कोई बहरूपिया है.” सलमा ने कहा.

बहरूपिया होता तो क्या उसके घर वाले नहीं पहचान जाते?” शोभा ने तर्क दिया.

प्लास्टिक सर्जरी वगैरह से आजकल सब पॉसिबल है.”

वो तो ठीक है, सलमा. पर प्लास्टिक सर्जरी के बावजूद अपने निकटतम रिश्तेदारों को धोखा नहीं दिया जा सकता.”

वो सब सिर्फ फिल्मों में होता है.” प्रकाश ने कहा- “अगर उसके पिता उसे घर ले गए हैं तो वो नकली श्रीराम नहीं हो सकता.”

अमा यार, अभी तो तुम कह रहे थे कि तुमने उसकी लाश देखी थी.” इक़बाल ने कहा.

वही तो समझ में नहीं आ रहा.” प्रकाश सर खुजाते हुए बोला.

मुझे लगता है इसके पीछे बहुत बड़ा षड़यंत्र है.” शोभा बोली.

कह तो तुम ठीक रही हो, भाभी.” कहते हुए अचानक इक़बाल को याद आया कि राजन गायब है. फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदल गए. “आँ...हम्म...” होठ पर ऊँगली रखकर वह टहलने लगा.

क्या हुआ तुम्हें?” सलमा ने उसके कंधे पर हाथ रखा.

नहीं! कुछ नहीं... चलो चलकर कुछ खाते हैं. पेट में चूहों ने धमाचौकड़ी मचा रखी है.” कहकर वह बाहर जाने लगा.

पर...” प्रकाश ने पीछे से पुकारा.

पर क्या?” इक़बाल पलटा.

इतनी सारी पहेलियों के बीच मुझे छोड़कर आप कहाँ जा रहे हो?”

आप पहेलियों के साथ बैठकर बातें-वाते करो, हम आते हैं.” उसके बाद इक़बाल तेजी-से बाहर निकल गया.

सलमा-शोभा कुछ न समझते हुए उसके पीछे लपकी.

बाहर इक़बाल ने एक ऑटो रुकवा रखा था. तीनों उसमे सवार हो गए.

क्या हो गया अचानक तुम्हें?” सलमा जो इक़बाल के बगल में बैठी थी पूछने लगी.

क्या इंसान को भूख नहीं लग सकती?” इक़बाल बेमन से बोला.

फिर सलमा कुछ नहीं बोली. गेस्ट हाउस पहुंचकर वे लोग खाने के लिए बैठ गए. शोभा ने नौकर को प्लेट लगाने के लिए मना कर दिया.

क्या हुआ?” इक़बाल ने पूछा.

मुझे भूख नहीं है.”

राजन की चिंता मत करो. मुझे तो बिलकुल भी चिंता नहीं है. मैं पेट भरकर खाऊंगा.”

ऐसा क्यों बोल रहे हो, इक्को?” सलमा ने थोड़ा प्यार से पूछा.

क्योंकि वो महाशय आज से गायब हुए हैं और ये मिस्टर स्टेचू आज ही प्रकट हुए हैं...”

स्टेचू कौन?”

अरे वहीं- मूर्ति.”

ओह!” सलमा मुस्कराई- “तो फिर?”

तो फिर ये कि राजन उसके वापस प्रकट होने के चक्कर में मिला हुआ है. और क्योंकि उसने हमें बताना ज़रूरी नहीं समझा, इसलिए मुझे भी उसकी परवाह नहीं है.” इक़बाल रोटी चबाते हुए बोला.

पर तुम ये बात इतने कॉन्फिडेंस से कैसे कह सकते हो?” शोभा बोली- “राजन किसी खतरे में भी हो सकता है.”

भाभीजान! बचपन से जानता हूँ उसे... एक मिनट, बचपन से नही बल्कि पिछले जन्म से- आप दोनों को तो मालूम ही है. वो ज़रूर किसी बड़े चक्कर में है. बस गम इस बात का है कि उसने हमें अपने प्लान में शामिल नहीं किया.” (राजन, इक़बाल, सलमा, शोभा के पिछले जन्म की कहानी जानने के लिए पढ़ें, महाविशेषांक- पिछले जन्म में )

हो सकता है- वो हमें बताने वाला हो. खैर, जब तक मैं उसे देख नहीं लूंगी मुझे चैन नहीं आएगा.”

उसके बाद ज्यादा बात नहीं हुई. सलमा के बहुत मनाने पर शोभा ने थोड़ा खाना खाया. फिर वे लोग शाम को होने वाली समाजशक्ति पार्टी की मीटिंग का इंतज़ार करने लगे.

श्रीराम का बयान

शाम को समाजशक्ति पार्टी के ऑफिस के सामने हंगामा मचा हुआ था. अंदर मीटिंग चल रही थी.

सभी टीवी चैनलों के रिपोर्टर और कैमरामैन वहां जमघट लगाये हुए थे. उसके अलावा सैकड़ो लोग वहां मौजूद थे.

लोगों ने कार्यालय के गेट को घेर रखा था. धक्का-मुक्की हो रही थी. पुलिस उन्हें सँभालने का भरकस प्रयास कर रही थी. इंस्पेक्टर प्रकाश भी वहां मौजूद था. उसने पार्टी वालों से आग्रह करा कि क्योंकि ये एक मर्डर केस था इसलिए पहले उसे श्रीराम का बयान लेने दिया जाए. पर नेताओं ने पुलिस की एक नहीं चलने लगी और प्रकाश को भी बाहर पत्रकारों के पीछे खड़ा होकर इंतज़ार करना पड़ रहा था.

क्या हाल हैं, जानी?” अचानक प्रकाश को पीछे से आवाज आई.

कौन हो तुम?” अपने पीछे एक नए शख्श को देखकर उसने कड़क आवाज़ में पूछा.

पहेलियों से बातचीत करते-करते हमें भूल गए?” इक़बाल अपनी असली आवाज़ में बोला.

ओह, ये आप हैं... क्या हुलिया बना...”

...!” इक़बाल ने चुप रहने का इशारा किया और फुसफुसाया- “तुम तो यार भांडा ही फोड़ोगे हमारा.”

सॉरी!”

सॉरी को मारो लॉरी. ये बताओ- स्टेचूजी से मुलाकात कब होगी?”

कौन स्टेचू?” प्रकाश गडबडाया.

मेरा मतलब मूर्ति से था.”

ओह अच्छा! देखो- कब मीटिंग खत्म होती है.”

करीब तीन घंटे बाद पार्टी की मीटिंग समाप्त हो गई. उसके बाद हाई सेक्योरिटी में श्रीराम और उसके पिता नारायण मूर्ति को पुलिस अपने साथ ले गई. मीडिया वाले झपट पड़े पर श्रीराम ने उनके किसी सवाल का जवाब नहीं दिया. पार्टी के कई कार्यकर्ता कारों से आगे-पीछे चल रहे थे.

कुछ देर बाद वे लोग पुलिस हैडक्वार्टर में थे. इस वक्त कमरे में श्रीराम, प्रकाश, इक़बाल और पुलिस कमिश्नर मौजूद थे. बाकी लोगों को बाहर ही रोक दिया गया.

आपको देखकर खुशी हुई.” प्रकाश ने कहा.

जवाब में श्रीराम मुस्करा दिया. उसके चेहरे पर परेशानी या चिंता का कोई निशान नहीं था. उसने लापरवाही से अपने कुर्ते की बांहे चढाई और कोहनी कुर्सी के हत्थे पर टिकाकर बैठ गया.

अब बताइए इतने दिनों से आप कहाँ थे?”

आप एक-एक सवाल पूछेंगे या फिर पहले मैं अपने साथ घटा पूरा वृतांत सुना दूं?”

हूँ! वो ज्यादा ठीक रहेगा.”

श्रीराम कुछ पल सामने दीवार को घूरता रहा फिर उसने बोलना शुरू किया- “आप सब जानते ही हैं कि उस दिन मैं मेध नामक गाँव में दौरे पर गया था. मैंने हैलीकॉप्टर से सफर किया था और मेरे साथ पायलेट संदीप और मेरे पर्सनल सेक्रेटरी कार्तिक भी थे. दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं रहे.” श्रीराम तनिक गंभीर हो गया जैसे उनकी मृत्यु को याद कर रहा हो. “उस मनहूस दिन मैं मेध पहुंच तो गया पर जो शख्श वापस आ रहा था, वो मैं नहीं था.”

क्या?” प्रकाश और इक़बाल के मुंह से एक साथ निकला. पुलिस कमिश्नर भी हैरान थे.

जी हां! मेध की जनता से मिलते-जुलते वक्त मेरा बीच में ही किडनैप हो गया और मेरी जगह मेरे हमशक्ल को भेज दिया गया.”

इतनी भीड़-भाड़ में आपका किडनैप हो गया और किसी को पता भी नहीं चला?” इक़बाल ने पूछा.

उसमे मेरी ही गलती है. मेरी आदत जो बन गई थी, बिना सेक्योरिटी के ही मैं अक्सर इधर-उधर टूर पर निकल जाया करता था.”

प्रकाश ने सर हिलाया जैसे उसकी इस आदत से भली-भांति परिचित हो.

एक खेत के कोने में मैं अकेला ही पेशाब करने निकल गया और वहां अचानक ही मुझे कुछ लोगों ने दबोच लिया. बेहोश होने से पहले मैंने देखा उस शख्श को जो हुबहू मेरी तरह दिख रहा था और उसने ठीक मेरी तरह ही सफ़ेद कुर्ता-पायजामा पहना हुआ था. उसके बाद मैं बेहोश हो गया. जब होश आया तो खुद को एक अंधेरे कमरे में कैद पाया. कई दिन तक वहां किसी ने मुझसे कोई बात नहीं करी. बस दरवाजे के नीचे से खाना-पानी सरका दिया जाता था. मैं चीखता-चिल्लाता पर उन लोगों ने मुझसे एक शब्द भी नहीं कहा. कितने दिन बीत गए मुझे पता भी नहीं चला. एक दिन खाना खाने के बाद मुझे बेहोशी छाने लगी. मुझे लगा उन लोगों ने मुझे जहर दे दिया. पर दूसरे दिन सुबह मुझे होश आया तो मैंने खुद को सेलगाम के ही एक पार्क के किनारे पड़ा पाया. बस वहां से मैं अपने घर पहुंच गया.”

श्रीराम चुप हो गया. कोई कुछ नहीं बोला. सभी सोच में डूबे हुए थे. इक़बाल मूर्खों की भांति गोल-गोल आँखे घुमाकर पंखे को देख रहा था.

प्रकाश ने कहा- “ये तो बहुत अजीब बात है.”

अजीब बात?” इक़बाल चिल्ला पड़ा- “ऐसे दरियादिल किडनैपर तो मैंने कभी न देखे न सुने. काश कभी मेरा भी किडनैप ऐसे लोगों ने किया होता.” इक़बाल ने एकदम से रोनी सूरत बना ली.

हा-हा!” श्रीराम हंस दिया- “अच्छा मजाक कर लेते हो.”

मैं मजाक नहीं कर रहा.” इक़बाल एकदम गंभीर स्वर में बोला- “अपने जासूसी के करियर में मेरा कई बार किडनैप हो चुका है. पर इतने प्यार और लाड़ के साथ किसी ने वापस नहीं छोड़ा.”

तुम कहना क्या चाहते हो मिस्टर इक़बाल?” कमिश्नर ने पूछा.

कहने का मतलब ये है कि उन्होंने श्रीराम जी को इतनी आसानी से क्यों छोड़ दिया?”

उनका प्लान होगा इनके डुप्लिकेट को इनकी जगह बैठाने का.” कमिश्नर ने कहा.

पर वो तो क्रैश में मारा गया. यानि वो इनको मरा हुआ दिखाना चाहते थे. ताकि इनकी समाजशक्ति पार्टी बर्बाद हो जाए. और ऐसा लगभग हुआ भी, फिर इन्हें अभी क्यों छोड़ा गया? चुनाव के बाद क्यों नहीं छोड़ा गया?”

कमिश्नर से कुछ कहते नहीं बना.

बल्कि मैं तो कहूँगा इन्हें जिन्दा ही क्यों रखा गया?”

कमाल करते हो यार!” श्रीराम ने कंधे उचकाए- “मेरे जिंदा होने पर तुम्हें आपत्ति है?”

आपत्ति नहीं है, सर. शक है! शक है- इस बात का कि उन लोगों ने किस मोटिव से आपको इन हालातों में जिंदा छोड़ा है? कौन सी साजिश है ये? जो लोग डुप्लिकेट बनवाकर उसे मरवा सकते हैं, वो कोई छोटे-मोटे लोग तो होंगे नहीं और न ही उनके इरादे छोटे होंगे.”

बात तो ठीक कह रहे हो.” प्रकाश बोला- “पर मेरा सवाल है कि अगर श्रीराम जी उस क्रैश में नहीं थे तो इनके DNA का मैच कैसे हो गया उस डुप्लिकेट से. मैंने खुद रिपोर्ट देखी थी.”

तुमने झूठी रिपोर्ट बनवा दी होगी.” इक़बाल बेबाक स्वर में बोला.

...क्या?” प्रकाश हडबड़ा गया.

तुमने नहीं तो किसी और ने.” इक़बाल हंसकर बोला- “अपने देश में तो पैसे के बल पर सब हो जाता है. खैर, बड़ा सवाल ये है कि ऐसा किया क्यों गया? इनको दुनिया के सामने मरा दिखाकर फिर इन्हें क्यों छोड़ दिया गया?”

मुझे तो ये किसी आतंकवादी संगठन का काम लगता है जो राजनितिक पार्टियों में मतभेद और शक की भावना पैदा करके राज्य और देश में अस्थिरता पैदा करना चाहता है.” कमिश्नर ने गहन सोच के साथ कहा.

इक़बाल चहलकदमी करते हुए इंकार में सिर हिलाने लगा- “अगर मैं खुद को आतंकवादियों की जगह रखूं तो मुझे नहीं लगता इससे ज्यादा कुछ फायदा होगा. इस सब नाटक से अच्छा तो मैं सीधे श्रीरामजी को बम से उड़ा देता.”

अरे भाई! तुम तो मुझे मारने पर ही तुले हो...” श्रीराम ने कुछ तेज स्वर में कहा.

मैं अपनी नहीं, एक आतंकवादी की सोच बता रहा हूँ. उसके लिए यहीं आसान तरीका है और इससे आतंक भी फैलेगा.”

बात तो ठीक है.” श्रीराम ने कमिश्नर की तरफ देखते हुए कहा- “मुझे इसमें किसी की गहरी चाल लगती है.”

आपको किस पर शक है?” प्रकाश ने पूछा.

किस-किस पर शक करूँ? न जाने कितने लोग मेरी मौत की ख्वाहिश रखते होंगे.”

सबसे ज्यादा कौन रखता होगा?” इक़बाल ने बेहिचक पूछ लिया.

मुझे नहीं पता.” वह उकताकर बोला, फिर उठ खड़ा हुआ. “मैं अब इजाजत चाहूँगा.” उसने कमिश्नर की तरफ देखा था. उसने जवाब में सिर हिला दिया.

प्रकाश और इक़बाल को लगा जैसे खाने के बीच में ही उनकी थाली खींच ली गई हो.

श्रीराम के बाहर निकलते ही प्रकाश बोला- “सर, अभी हमारे सवाल खत्म नहीं हुए थे.”

अब तुम्हें ये भी बताना पड़ेगा कि VIP लोगों के सामने हमारी कितनी चलती है?”” कमिश्नर ने कड़क आवाज में कहा और बाहर निकल गया.

अब क्या करें?” प्रकाश ने इक़बाल को घूरते हुए पूछा.

पहेलियों से खेलना पड़ेगा, प्रकाश प्यारे. तभी लगेगा अपना बेड़ा किनारे.”

वो तो करना ही पड़ेगा.” कहकर प्रकाश टहलते हुए कुछ सोचने लगा. इक़बाल कुर्सी पर बैठकर टेबल पर रखे पेपरवेट को घुमाने लगा.

ऐसा भी तो हो सकता है कि वो एक्सीडेंट स्वाभाविक रहा हो.” प्रकाश ने कहा- “साजिश नकली श्रीराम को बैठाने की होगी, पर वो धोखे से मर गया. इसलिए उनका प्लान फेल हो गया और कुछ दिन बाद उन्होंने श्रीराम को छोड़ दिया.”

हम्म! मेरा भी ये ख्याल है कि अगर कोई इतनी मेहनत से डुप्लिकेट बनवाएगा तो उसे खुद ही क्यों मारेगा? इससे अच्छा असली श्रीराम को ही मार देता.”

या फिर वे लोग श्रीराम की हिफाजत कर रहे थे?” अचानक प्रकाश की आँखें फैली.

मैं तुम्हारा मतलब समझ रहा हूँ. उन्हें पहले ही मालूम होगा कि श्रीराम को मारने की साजिश हो रही है, इसलिए उन्होंने नकली श्रीराम बनाया और उसे मरने दिया. और फिर खतरा टलने के बाद उसे दुनिया के सामने ले आये.”

जी हां! और ऐसा कौन करेगा?”

खुद श्रीराम!” इक़बाल मुस्कराया- “और उसकी पार्टी के लोग.”

प्रकाश कुछ देर तक इक़बाल को घूरता रहा, फिर धीरे स्वर में बोला- “मैं आपकी थ्योरी पर काम करने के लिए तैयार हूँ. पर ये बता देता हूँ हमें इसके लिए सपोर्ट मिलना बेहद मुश्किल है.”

हम कमसे कम एक दूसरे को सपोर्ट तो कर ही सकते हैं?” इकबाल ने उसकी आँखों में झाँका.

मैं आपके साथ हूँ. साजिश चाहे कितने भी बड़े आदमी ने करी हो, मैं उस पर हाथ डालने में नहीं हिचकूंगा.”

वाह-वाह! ऐसी जानदार बात बोलकर तो तुमने मेरा एक-दो लीटर खून बढ़ा दिया.” उसके बाद इक़बाल प्रकाश के साथ बाहर निकल आया.